....तो मैंने कहा था मुझे पैदा करो.....आखि़र एक दिन तंग आकर मैंने पापाजी से कह ही दिया...उस वक़्त मुझे भी लगा कि मैंने कोई बहुत ही ख़राब बात कह दी है....कोई बहुत ही ग़लत बात....लेकिन यह तो मुझे ही मालूम है कि वो रोज़ाना मुझसे किस तरह की बातें कहते थे, कैसे ताने देते थे, क्या-क्या इल्ज़ाम ल... |
सरल की डायरी Saral ki Diary...
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January 15, 2019, 8:05 am |
बाल मामाजी, दुनियावाले ईमानदार बच्चों को या तो चूहों की तरह मार देते हैं या अपराधी बनाने पे तुल जाते हैं....बाल मामाजी, दुनियावाले ईमानदार बच्चों के या तो मरने का इंतज़ार करते हैं या उन्हें बेईमान बनाने पे तुल जाते हैं....ये मेरे और तुम्हारे बीच की बात है....मैं किसी तीसरे के... |
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January 13, 2019, 12:33 pm |
या अपराधी बनाने पे तुल जाते हैं....... |
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January 13, 2019, 12:33 pm |
लड़के को मैं भली-भांति जानता था, इसलिए उसके भोलेपन और मासूमियत का मुझे अंदाज़ा था। तबियत भी ख़राब रहती थी उसकी, लेकिन वो रसोई के काम बिना किसी मेल ईगो को बीच में लाए कर देता था। उसकी ऐसी ईगो दूसरे कुछ मामलों में ज़रुर देखने को मिलती थी। उसकी बहिनों के ब्वॉय-फ्रेंडस् थे, उसकी ... |
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उस दिन सीनियर्स ने सुबह 10-11 बजे ही बुला लिया था। एक वजह से तो मुझे ख़ुशी भी हुई कि आज क्लास में नहीं जाना पड़ेगा। मगर सीनियर्स ने भी कोई पिकनिक के लिए नहीं, रैगिंग के लिए बुलाया था। उन्होंने दो-चार सवाल पूछे फिर अचानक एक सीनियर बोला-‘ग्रोवर, चल पैंट उतार!’ मैं बहुत ज़्यादा त... |
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एक चुटकी ुतियापा-1स्त्रियों का मैं बहुत सम्मान करता हूं।मैं हर स्त्री का सम्मान करता हूं।आजकल ऐसे नारे घर-घर में चल निकले हैं। हो सकता है कई लोग करते भी हों। सुबह उठकर मां-बहिनों-पत्नियों का सम्मान करते हों-अरे, तुम अभी तक उठी नहीं ? बताओ, पहले ही देर हो चुकी है, सम्मान क... |
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‘चुन्नी कहां हैं ? मेरी चुन्नी कहां है ?’ बाहर से घंटी बजती और माताजी घबरा जाते ; हालांकि सलवार-कमीज़ पहने हैं, स्वेटर पहने हैं, ज़ुराबें पहने हैं, कई-कई कपड़े पहने हैं मगर संस्कार, डर, कंडीशनिंग....मैं तो कहूंगा कि बुरी आदत, थोपा गया आतंक.... और चुन्नी भी कई बार बिलकुल पतली, कांच के ... |
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बच्चों की भलाई के लिए काम करनेवाली एक संस्था से आज एक फ़ोन आया। काफ़ी नाम वाली संस्था है। एक भली लड़की बच्चों की किसी योजना का विवरण देने लगी। बच्चों के लिए आर्थिक मदद मांगनेवाले फ़ोन कई बार आते हैं। मैंने भली लड़की से कहा कि मैं आपको बीच में टोक रहा हूं पर आपको बता दूं कि मैं... |
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‘ऐसा भी होता है’पर क्लिक करें-क्या आपने बाल सीक्रेट एजेंट अमित, असलम और अल्बर्ट के नाम सुने हैं ?चिंता न करें, संभावना यही है कि मैंने भी ये नाम तभी सुने होंगे जब मैंने इस उपन्यास को लिखने की सोची होगी। अंदाज़न क़रीब 35-36 साल पहले की ही बात.......। अजीब दिन थे मगर उनके बारे में सोच... |
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November 20, 2016, 11:15 pm |
छोटा ही था। उन दिनों स्टील के बर्तन बहुत ज़्यादा प्रचलन में नहीं आए थे। लोग पीतल के बर्तन ज़्यादा रखते थे जिनमें समय-समय बाद कलई करानी पढ़ती थी। गर्मियों की एक ऐसी ही दोपहर में जब कलईवाला हमारे बर्तन कलई कर रहा था, माताजी ने मुझसे वहीं खड़ा होकर ध्यान रखने को कहा। कलईवाला ... |
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(पिछला भाग)क्या लोग आधुनिक हो गए हैं ! ख़ासकर स्त्रियां !?वह किसी काम से लाइन में लगा होता है और कई बार एक घटना घट जाती है। हवा में कोई ऐसी गंध अपनी जगह, थोड़ी देर के लिए ही सही, बना लेती है कि बड़े-बड़े सहनशील अपनी सहनशीलता भूलने लगते हैं। बोलता कोई कुछ नहीं हैं मगर किसीका हाथ अप... |
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September 24, 2015, 6:35 pm |
(पिछला भाग)स्त्रियां आज़ाद हो रहीं हैं, होंगी।मगर उसके लिए न सिर्फ़ उन्हें अपनी पारंपरिक भूमिका को छोड़ना होगा बल्कि पुरुष को भी उसकी पारंपरिक भूमिका से मुक्त करके देखना होगा, जो कि अभी तक कम ही होता दिखाई दिया है।कितनी स्त्रियां हैं जो अपने पतियों, भाईयों, पिताओं से भार... |
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(पिछला भाग)भारतीय एक ही सांस में, एक ही वक़्त में कितनी सारी विरोधाभासी बातें एक साथ सोच और कर सकते हैं, इसका एक और उदाहरण अभी-अभी देखा। ‘तनु वेड्स् मनु रिटर्न्स्’ की शुरुआत में ही नायिका/पत्नी नायक/पति के लिए कहती है-‘यह आदमी अदरक की तरह कहीं से भी बढ़ता जा रहा है‘....। यह डा... |
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(पिछला भाग)भारतीय एक ही सांस में, एक ही वक़्त में कितनी सारी विरोधाभासी बातें एक साथ सोच और कर सकते हैं, इसका एक और उदाहरण अभी-अभी देखा। ‘तनु वेड्स् मनु रिटर्न्स्’ की शुरुआत में ही नायिका/पत्नी नायक/पति के लिए कहती है-‘यह आदमी अदरक की तरह कहीं से भी बढ़ता जा रहा है‘....। यह डा... |
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(पिछला भाग)आजकल जगह-जगह सुनने को मिलता है कि औरतें तो समझदार हो गईं हैं अब तो बस मर्द को बदलना है।क्या वाक़ई ऐसा है? क्या हम ज़रा-सा सच सुनने या पढ़ने को तैयार हैं ? वे कौन औरतें हैं जो यह सुनकर ख़ुश हो रहीं हैं कि ‘हर औरत का सम्मान करना चाहिए’ या ‘मैं स्त्रियों का बड़ा सम्मान कर... |
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(पिछला भाग)इस वीडियो में ज़्यादा आपत्तिजनक तो कुछ नहीं है मगर नया भी कुछ नहीं है। दुनिया-भर में, भारत में भी पत्र-पत्रिकाओं, इंटरनेट की बहसों और टीवी सीरियलों में पिछले कई सालों से ये बातें कही जा रहीं हैं और इस वीडियो से बेहतर ढंग से कही जा रहीं हैं। इस वीडियो का सबसे कमज़... |
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(पिछला भाग)(पिछला भाग)यहां देखिए, नायिका को सीधी बात में मज़ा नहीं आ रहा, वह चाहती है कि नायक कुछ घुमा-फिराकर कहे। यह तो फ़िल्मी सिचुएशन है मगर बाहर की दुनिया में भी घुमाने-फिराने को बड़ी प्रतिष्ठा मिली हुई है। घुमाने-फिराने के सबसे ज़्यादा शौक़ीन हमारे कवि और साहित्यकार हैं... |
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(पिछला भाग)हे देश के पवित्र महात्मागणों, फूफा-फूफिओं, दादा-दादिओं, नाना-नानिओं, जीजा-जीजिओं, पिताओं-माताओं, तुम जो ये झंडे ले-लेके एकाएक क्रांतिकारी हो उठे हो, ये न सोच बैठना कि जो लोग बलात्कार नहीं करते वे बहुत महान हैं। उन्हींमें से बहुत-सारे लोग सरिता-मुक्ता-मेट्रो नाऊ... |
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(पिछला भाग)जब सानिया मिर्ज़ा जीतती हैं, साइना नेहवाल जीतती हैं, सचिन तेंदुलकर रिकॉर्ड बनाते हैं, धोनी वर्ल्ड कप दिलाते हैं तो तुम कहते हो कि ये हमारे आदमी हैं, हमें इनपर गर्व है। तुम्हारे बेटे-बेटी क्लास में सबसे ज़्यादा नंबर लाते हैं, अच्छी नौकरी पाते हैं तो तुम कहते हो क... |
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(पिछला भाग)चंद रोज़ पहले उसने सुना कि एक भीड़ ने क़ानून अपने हाथ में लेकर एक बलात्कारी की हत्या कर दी। सोचने की बात यह है कि हत्या और बलात्कार में फ़र्क़ क्या है ? दोनों ही तरह के लोग बातचीत में या तो यक़ीन नहीं रखते या उनमें इतना धैर्य नहीं होता। कहीं न कहीं उन दोनों में दूसरों क... |
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एन डी टी वी इंडिया अकसर रविवार को मुहिम जैसा कुछ चलाता रहता है।साल-भर हुआ होगा शायद। स्त्रियों की स्थिति को लेकर बातचीत चल रही थी।किसी गांव में मौजूद एक संवाददाता स्टूडियो में मौजूद अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा की बातचीत किसी ख़ाप पंचायत के मुखिया से करा रहा था। मुखिया ... |
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इज़्ज़त के दुपट्टे की छांव के डर और लालच में औरत को क्या-क्या नुकसान सहने पड़े, इसपर बात चल निकली है, आगे भी जाएगी। मगर क्या ऐसा मानना ठीक होगा कि मर्दों को ऐसी किसी समस्या से कभी जूझना नहीं पड़ा!?उसे याद आता है कि बस या ट्रेन में सफ़र करते वक़्त कभी खिड़की बंद करनी हो या खोलनी हो... |
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‘आपका मेल मिला, मैं आपकी हर मुहिम में आपके साथ हूं।’‘चलिए, किसीने तो जवाब दिया।’$ $ $‘यह तसवीर कैसी लगा रखी है आपने?’‘क्यों ठीक नहीं है क्या?’‘नहीं, नहीं, बहुत गोरे हो रहे हैं आप तो।$ &... |
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September 19, 2013, 6:27 pm |
वह बिस्तर में पड़ा है, आंखें बंद हैं।आंखें बंद कर लेने से क्या नींद आ जाती है ? रात किस वक्त आंख लगती है, कितना वक्त नींद आती है, कुछ समझ में नहीं आता। बस सुबह मन होता है कि सोया रहे, अभी तो नींद आनी शुरु ही हुई थी और......। यूं भी कोई चुस्ती-फुर्ती उसे अपने बदन में महसूस नहीं होती... |
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September 14, 2013, 5:56 pm |
पापाजी कभी-कभी हंसते हैं। अकसर गंभीर दिखाई देते हैं। दिखाई भी कितना देते हैं ! हमेशा तो बिज़ी रहते हैं।पहले तो सभी कमरों में बल्ब लगे थे जो पीली-पीली रोशनी देते थे। एक-एक करके पापाजी ने सभी कमरों में ट्यूबलाइट लगवा दीं हैं। ट्यूबलाइट, स्विच ऑन करते ही बल्ब की तरह तुरंत न... |
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September 5, 2013, 5:50 pm |
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