
113 View
0 Like
7:16am 16 Jan 2018 #

149 View
0 Like
6:58am 30 Jul 2016 #

146 View
0 Like
6:52am 30 Jul 2016 #

178 View
0 Like
6:46am 30 Jul 2016 #
 Vikram Negi
एंकर बोली इस चैनल में सच ज्यादा है.कहीं न जाना खबर दिखाने का वादा है.एक खबर पर दो घंटे का हल्ला काटा,बोली फिर विज्ञापन की थोड़ी बाधा है.पांच मिनट में लौट के आई, बैठे रहना.अब तक जो तुमने देखा वो सच आधा है.दो घंटे में ही दिमाग का दही बन गया,मट्ठा बनाके छोड़ेंगे, ये आमादा है.अब भी ट... Read more |

216 View
0 Like
12:21pm 24 Dec 2013 #
 Vikram Negi
फूलों की खुशबू,बारिश की बूंदों का नृत्य,आँगन में चहचहातीचिडियाँ की चूं-चूंकोयल की कूँ-कूँशाखों पर लचकते आमों कीअंगड़ाई को महसूस करना उतना ही जरुरी हैजितना पेट की भूख और प्यास....प्रेम के तमाम एहसासों कोकागजों पर उडेलना उतना ही जरुरी हैजितना घर की दीवारों परसुन्दर तस्व... Read more |

236 View
0 Like
11:28am 23 Dec 2013 #
 Vikram Negi
यह साल भी खत्म हो गयाजलती हुई सिगरेट की तरहथोड़ी सी आग साँसोँ मेँ घुलीबहुत सारा धुँआ बाहर निकला ठुड्डियाँ बची हुई हैँराख के ढेर मेँओँठोँ पे रखे हुए ठंडे शब्दोँ को जलाने के लिए... (बूँद)... Read more |

205 View
0 Like
11:18am 23 Dec 2013 #
 Vikram Negi
रातभर ओले पड़ते रहे,टीन की छत-ढोल-नगाडों की तरह,जश्न मनाती रही तबाही का...सुबह हुई तो देख रहा हूँ-पेड़ों की तमाम पत्तियां टूट कर आँगन में बिखरी पड़ी हुई हैं,कल तक जो सब्जी के पौधे क्यारियों में, कतारों में खड़े होकर लहलहाया करते थे-आज रोनी सी सूरत लेकर उदास बैठे हैं....इधर तो बस उ... Read more |

207 View
0 Like
11:12am 23 Dec 2013 #
 Vikram Negi
लिखो,शब्दों के ताने बाने से समाज का दर्द,लोगों ने तुम्हारे शब्दों में चित्रकारी देखने का हुनर सीख लिया है.लिखोसमाज की कड़वी सच्चाई,पाठकों को अब करेले का स्वाद मीठा लगने लगा है.करो तंज,व्यवस्था पर, कुरीतियों पर,लोग खाने में तीखी मिर्च लेने के आदी हो गए हैं.क्या अब भी कुछ ब... Read more |

207 View
0 Like
11:08am 23 Dec 2013 #
 Vikram Negi
सुना हैतेरे शहर सेहर रोज गुजरती हैतेरी साँसोँ कीखुशबू से मचलती हैअपनी धुन मेँ गाती हुईथिरकती चली आती हैतेरे शहर मेँहर रोजऔर सुना हैआवाज देती है तुम्हेँऔर तुम्हेँ न पाकरलौट जाती हैकाठगोदाम एक्सप्रेस...!................."बूंद"... Read more |

209 View
0 Like
10:59am 23 Dec 2013 #
 Vikram Negi
http://youtu.be/iCzCzkd1RQ8 window.fbAsyncInit = function() { // init the FB JS SDK FB.init({ appId : 'YOUR_APP_ID', // App ID from the app dashboard status : true, // Check Facebook Login status xfbml : true // Look for social plugins on the page }); // Additional initialization code such as adding Event Listeners goes here }; // Load the SDK asynchronously (function(){ // If we've already installed the SDK, we're done if (document.getElementById('facebook-jssdk')) {return;} // Get the first script element, which we'll use to find t... Read more |

425 View
0 Like
2:13pm 28 Apr 2013 #

232 View
0 Like
1:44pm 28 Apr 2013 #
 Vikram Negi
रूसीकविसेर्गेईयेस्येनिनकीएककविताकीपंक्तियोंकाकुमाउनीऔर गढ़वाली मेंअनुवाद.-------------------------------------------हिंदीअनुवाद :--------------कविहोनाऐसाहैजैसेजीवनकेप्रतिनिष्ठारखनाहरमुश्किलमेंमानोखुदअपनीउधेड़करकोमलचमड़ीदेनालहूउड़ेलअन्यलोगोंकेदिलमें....!------------------------कुमाउनीअनुवाद :------------------... Read more |

234 View
0 Like
9:04am 22 Apr 2013 #
 Vikram Negi
ये अंतहीन बहसकिस मुकाम पर जाकर खत्म होगीवक्त और वस्त्र की रेखाएं खींचकरवजह को छुपाने का खेल बेहद खतरनाक है.और उतना ही खतरनाक है यह कहना कि “समाज में महिलायें महफूज़ नहीं नहीं हैं....” यह गुवाहाटी नहीं है,और न ही मणिपुर,न यह मध्य प्रदेश है, न झारखण्ड, छत्तीसगढ़और न ही दिल्ली..... Read more |

219 View
0 Like
3:32pm 11 Feb 2013 #
 Vikram Negi
उनके तम्बू, उनका चिंतन, उनके झंडे, उनकी चाल.उनका मोदी, उनका राहुल, उनके पंजे, उनका जाल.न्यूज चैनल उनपे बोलें, उनका पेशा, उनका धंधा,उनका पी.एम., उनका सी.एम., उनका पैसा, उनका माल.तुमको क्यों ये फ़िक्र है मोदी हो या राहुल निजाम,उनकी सत्ता, उनके मंत्री, हम क्यों नोचें अपनी खाल.उनकी च... Read more |

195 View
0 Like
3:30pm 11 Feb 2013 #
 Vikram Negi
ख़्वाब अधूरे, दुनियां पूरी, मायूसी तो खलती है.सुबह उजाला कितना लाये, शाम तो यूँ ही ढलती है.ख़्वाब हैं झूठे, यूटोपिया है, यकीन जिंदा है फिर भी, रोज़ ही नारे लगते हैं और रोज़ मशालें जलती हैं.ख़्वाब बेचकर बहुतों ने तो बंगले-कोठी बना लिए,ख्वाब की उम्मीदों में गरीबी आज भी आँखें मलती ... Read more |

241 View
0 Like
3:27pm 11 Feb 2013 #
 Vikram Negi
राग यमन कल्याण की उठती-गिरती सरगम, लहराती बर्फीली हवाओं की सरगोशी, उबड़-खाबड़ सड़कों के गड्ढे, थकान और सुकून की अनुभूति, अथक जीविका की जिजीविषा, हताशा-निराशा और जीवन की जटिलताओं से सामंजस्य, उम्मीदों और टूटते ख़्वाबों का तिलिस्म ही नहीं, बल्कि सबसे अधिक ऊंचाई पर होने के गौर... Read more |

183 View
0 Like
3:25pm 11 Feb 2013 #
 Vikram Negi
सूरदास लिख रहे हैं अब कबीर चाहिए.खून खत्म हो रहा है अब अबीर चाहिए.आँख, कान, होंठ तो चुपचाप लौट आ गए.घर की दीवारों को कलम और तीर चाहिए.होंठ में ताकत कहाँ जो बात सच्ची कह सके,मूक-बघीरों को तो काली लकीर चाहिए.गली में जलती हुई इक झोपड़ी की आंच में,पकने वाली भावना को शब्द खीर चाहिए... Read more |

186 View
0 Like
3:21pm 11 Feb 2013 #
 Vikram Negi
आओ पहाड़ आओ,अपने कैमरे साथ ले आनाझोड़ा-चांचरी, छोलिया नृत्य,सातूं-आठूं, जागर,सब कैद कर ले जाओ,दो-चार बूढ़ी हड्डियां तुम्हें हर गांव में मिल जाएँगी,जिनके साथ तुम थोड़ी देर हुक्का गुडगुडा सकते हो,दो-चार मडुवे की रोटियां तोड़कर उनके साथ तुम वो सब उगलवा सकते होजो तुम्हें अपनी कि... Read more |

209 View
0 Like
1:29pm 5 Jun 2012 #
 Vikram Negi
आओ,पहाड़ आओ,टूटी-फूटी सड़कों ने अपने ज़ख्म भर लिए हैं,तुम्हारी गाड़ियों के टायरों को अब थकान महसूस नहीं होगी,पहाड़ इतना भी बेशर्म नहीं हैकि तुम्हारा ख्याल न रखेआओ,पहाड़ बेचैन है,तुम्हारी यात्राओं का वर्णन सुनने के लिए,न जाने कितनी बार तुम पहाड़ की छाती पर टहलते हुए निकले,अस्क... Read more |

206 View
0 Like
3:17pm 23 May 2012 #
 Vikram Negi
आओ इस बार काफल खूब पके हैं,हिसालू-किलमोड़े,तुम्हारी राह देखे हैं,मिलम, पोंटिंग, दारमा, व्यास घाटियां,तुम्हारे क़दमों के निशां याद कर रही हैं,बहुत अरसा हो गया,तुम नहीं आये,हिमालय की बर्फ पिघलने लगी हैरोज बच्चे आ जाते हैं,सडकों पर काफल बेचने के लिए,उन्हे... Read more |

197 View
0 Like
3:13pm 23 May 2012 #
 Vikram Negi
एक उम्र बीत गयीसापों को गाली देते हुए,गिरगिट घूर रहे हैं,कौवे उड़ रहे हैं सर के ऊपर,सांप हमेशा सभ्य थे,नगर कभी नगर था ही नहीं,जंगल ही था, और है...गिरगिटयों ही रंग नहीं बदलते,ऐसा करना पड़ता है उन्हें,जिंदा रहने के लिए कौवे की कांव-कांव हमें हमेशा ही बुरी लगी,इसमें कौवों का कोई द... Read more |

216 View
0 Like
4:22am 22 May 2012 #
 Vikram Negi
नेताओं ले देश मेरो बुकै हैलोभारत माताक शीश झुकै हैलोधर्म, जाति आड़ लिबे, दंग यो करुनीएक भै कैं दूसर भैक दगाड यो लडूनी मारकाट करी दिल दुखै हैलोभारत माताक शीश झुकै हैलोमहंगाईक मार हैगे, जनता बीमार रैगेपाणी लै बेचाण भैगो, प्यास आब प्यास रैगेजनताक धन क्वाड लुकै हैलोभारत ... Read more |

185 View
0 Like
7:46am 7 May 2012 #
 Vikram Negi
A whim of the cool air,loves me with great care.Its kiss in a stimulant way,gives me a pleasure of the day.The song of the lovely air,is sweet, cozy & fair.The dance of my loving dear,is snazzy, sexy & queer.The flow of the cool air,is a lovely feeling aye.and whenever it touches me,it seems an erotic play.*****“Boond”Dt. 03.03.05,Pithoragarh... Read more |

227 View
0 Like
7:17am 7 May 2012 #
[ Prev Page ] [ Next Page ]