Blog: काव्य कलश |
![]() ![]() समय समय पर करे रक्त दान । हर जुबां कहेगी तू कितना महान ॥ कवि अमृत ‘वाणी’अमृतलाल चंगेरिया (कुमावत)... Read more |
![]() ![]() संता पे किरपा करो, प्यारा पवन कुमार । साँसा सो बरसां चले , सुमिरे यो संसार ॥ कवि अमृत 'वाणी'... Read more |
![]() ![]() आओ ऐसे दीप जलाए | अंतर मन का तम मिट जाए || मन निर्मल ज्यूं गंगा माता | राम भरत ज्यूँ सारे भ्राता || रामायण की गाथा गाए | भवसागर से तर तर जाए || चोरी हिंसा हम दूर भगाए | वंदे मातरम् मिल कर गाए || कवि अमृत 'वाणी'... Read more |
![]() ![]() जो जलना था वो सब जल गया ।जो गलना था वो सब गल गया ।।'वाणी'दर्द, दर्द सा लगता नहीं अब ।दर्द के सांचों में जीवन ढल गया ।।कवि अमृत 'वाणी'... Read more |
![]() ![]() आओ , सभी से हॅंस-हॅंस कर मिले । मतलबी आॅंखें कल खुले ना खुले ।। ’वाणी’ ऐसे हाथ मिलाओ दोश्तो से । जमाना कहे आज इनकेे नशीब खुले ।। कवि अमृत 'वाणी'... Read more |
![]() ![]() नोटा री गड्डियांअन कलदारां री खनक में तो ई दुनिया में हगलाई हमझे । पण लाखीणा मनक तो वैज वेवे जो रोजाना मनक ने मनक हमझे ॥ 'वाणी'अतरी झट बदल जावे ओळखाण मनकां कीआछा दनां में मनकमनक ने माछर हमझे । अन मुसीबतां में मनकमाछर नै मनक हमझे ॥कवि अमृत 'वाणी'मुक्तक ... Read more |
![]() ![]() विश्व विख्यात महामानव, अनन्त ओजस्वी, जिनके रक्तारविन्द सदृश्य युगल नयन अहर्निश अग्नि-बाणों की अविरल वर्षा करते थे। शस्त्र एवं शास्त्रधारी रणकौशल-सृजनकत्र्ता का महाप्रयलंकारी परशा जिसकी चमक मानो दामिनी की दमक से भी लक्षाधिक तीक्ष्ण और तीव्रतम धावक जिन्होंने इक्... Read more |
![]() ![]() नीलाम्बर के उस पार छिपकर बैठा वो अचूक बाजीगर विगत लाखों वर्शो से जिसको जैसे नचाना चाहता है उसे उसकी लाख इन्कारियों के बावजूद भी उसी तरह नाचना पड़ता है जिस तरहां ईश्वर चाहता है। वह ऐसा हठीला हाकिम भी है जो अक्सर किसी की सिफारिशें नहीं सुनता।कवि अमृत ‘वाणी’... Read more |
![]() ![]() मालवांचल का महानगर, मायानगरी का अनुज, अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपलब्धियों से सुसज्जित, अनन्त प्रगति पथ का अहर्निष धावक, षील से विकासषील, सतरंगी सृजनधर्मिता का अतिसक्रिय स्थल, नैसर्गिंक सौन्दर्य का अक्षय भण्डार, रेल- मार्ग का मकड़ जाल, कोटि-कोटि नयनों का त्राटक बिन्दु, ह... Read more |
![]() ![]() दिल के आंगन में जब वो ही रहते है ।फिर आँखों से क्यूँ आसू बहते है ।जाने क्या होगा अंजामे दिल लगी का ।जब उनकी सासों से हम जिते है ।शेखर कुमावत ... Read more |
![]() ![]() एक महान गणितज्ञमर्म-मर्म के मर्मज्ञविषय के ऐसे विशेषज्ञहर वक्तगणित के सवालों में खोए हुए रहते थेजगे हुए भी मानोसोए हुए लगते थे।भ्रकुटी फूल साइज में तनी हुईललाट पर सल पर सल दिखाई देते थे,मजाक है नाक पर मक्खी बैठ जाएघण्टो के सवाल, मिनटों में हल कर लेते थे,और उत्तर मिलने ... Read more |
![]() ![]() दीवाली आ गईभारी अफसोसकई महंगी रस्मे निभानी होगीगमगीन मासूम चेहरों परभारी नकली मुस्कानें लानी होगीढ़हने को व्याकुल खण्डहरों परडिस्टेम्पर करना होगाकाले तन तन मन को फिरसतरंगी वस्त्रों से ढकना होगाजल कर राख हो गए कभी केबुझे दिल से फिर दिप जलाने होंगे हमने खाए हजारों&n... Read more |
![]() ![]() कवि : अमृत'वाणी'चंगेरिया (कुमावत )कविता : मेवाड़इतिहास (दोहा )कविसम्मलेन : जोहरस्मृतिसंसथानचित्तोडगढदिनांक : 29-03-2011कवि : अमृत'वाणी'चंगेरिया (कुमावत )कविता : बांरा बिन्दकविसम्मलेन : जोहरस्मृतिसंसथानचित्तोडगढदिनांक : 29-03-2011राजस्थान दिवस प... Read more |
![]() ![]() खुशरहेबहिनें , पलपलयहीख्यालआए |आफ़तकेवक़्तभाईबहनकीढ़ालबनजाए ||करतारहइसतरहांतूहिफाजतअपनीबहनोंकी |कि हुमायूँसेभीबेहतर तेरीमिशालबनजाए ||कवि :-अमृत'वाणी'... Read more |
![]() ![]() आओऐसेदीपजलाए |अंतरमनकातममिटजाए ||मननिर्मलज्यूंगंगामाता |रामभरतज्यूँसारे भ्राता ||रामायणकीगाथागाए |भवसागरसेतरतरजाए ||चोरीहिंसाहम दूरभगाए |वंदेमातरम्मिलकरगाए ||कवि अमृत 'वाणी'... Read more |
![]() ![]() चारदिनोंकीजिन्दगीयूंगुजरगईभाई |दोदिनहमसोनासकेदोदिननींदनहींआईकविअमृत"वाणी"... Read more |
![]() ![]() कवि अमृत वाणी की राजस्थानी कविता एक नेता जी जमी जुमई दुकान का कविता पाठ किशोर जी पारीक के साथ चित्तोडगढ मे... Read more |
![]() ![]() बुद्धि मुझे दो शारदा, सदन शीघ्र बन जाय ।कर पूरण स्वर-साधना, देऊ तुझे बिठाय ।।देऊ तुझे बिठाय, विराजो मेरे घर में ।ऐसे गीत लिखाय , हो प्रकाश अंतस में ।।कह `वाणी` कविराज, चित्त में शुध्दी मुझे दो |रचूं कुंडली शतक , मात सदबुद्धि मुझे दो ||शब्दार्थ : सद्बुद्धि = श्रेष्ठबुद्धि, सदन... Read more |
![]() ![]() आजकाआदमीअपनीगरीबीकेकारणबहुत कमऔरपडोसियोंकीतरक्कीसेबहुतज्यादादुखीहैअमृत'वाणी'... Read more |
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