 डॉ नीरज भारद्वाज
सोशल मीडिया और हम डॉ. नीरज भारद्वाज वर्तमान में संचार तकनीक एवं माध्यमों में एक अद्भुत व अभूतपूर्व परिवर्तन देखा गया हैं I आज तकनीक ने भौतिक सीमाओं को तोड़कर पूरी दुनिया को एक-सूत्र में पिरो दिया है I इसी के चलते मीडिया का क्षेत्र आज शिक्षा तथा समाज की दृष्टि से बहुत महत... Read more |

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3:58am 30 Sep 2013 #
 डॉ नीरज भारद्वाज
पर्दा है पर्दा डॉ. नीरज भारद्वाज पर्दा शब्द सुनते ही आपके और हमारे दिमाग में खिडकी-दरवाजों पर टकने वाले पर्दे आ गए। कुछ के दिमाग में पर्दा है पर्दा गाना याद आ गया। लेकिन यह वो पर्दा नहीं, बल्कि सिनेमाई पर्दा है। सिनेमा को बहुत से लोग बडा पर्दा भी कहते हैं अर्थात् सिनेमा ... Read more |

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3:55am 30 Sep 2013 #
 डॉ नीरज भारद्वाज
देश और दुनिया दोनों के बारे में सोचना जरुरी है। एक आदर्श लेखन केवल अपने तक नहीं रहता बल्कि वह सभी को साथ लेकर चलने की सोचता है।... Read more |

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6:03pm 24 Sep 2013 #
 डॉ नीरज भारद्वाज
हंसना जरुरी है।डॉ. नीरज भारद्वाजटेलीविजन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम धीरे-धीरे अपना दायरा बढाने में सफल होते नजर आ रहे हैं। जिस दौर में भारतीय टेलीविजन ने शुरुआत की थी उस समय उसके पास सिर्फ एक ही चैनल था और वह था दूरदर्शन जिसे डीडी-1 के नाम से जाना जाता रहा है। फि... Read more |

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2:32am 24 Sep 2013 #
 डॉ नीरज भारद्वाज
नई पीढ़ी की फिल्में और हमडॉ. नीरज भारद्वाजआज का समाज जितनी तेजी से बदल रहा है। इसकी कल्पना शायद ही किसी न की होगी। मानव मूल्यों के विघटन के इस दौर में हर एक चीज बिकाऊ नजर आने लगी। हमारी हंसी -मजाक, रोना आदि सभी बाजार की गिरफ्त में आ गए हैं। व्यक्ति भी एक व्यापार बन गया है। ... Read more |

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3:25pm 17 Sep 2013 #
 डॉ नीरज भारद्वाज
हिंसा नहीं साथ चाहिएडॉ. नीरज भारद्वाजधर्म, आस्था, राजनैतिक हानि-लाभ, साम्प्रदायिकता आदि के नाम पर यह देश कब तक ऐसे दंगों को सहता रहेगा। यह सवाल बार-बार जहन में उठता है और दब जाता है। आखिर यह हिंसा कब रुकेगी। कितने ही साहित्यकार और मेरे लेखक मित्र ऐसे विषयों पर लिख चुके ह... Read more |

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5:58am 16 Sep 2013 #
 डॉ नीरज भारद्वाज
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2:53am 22 Aug 2013 #
 डॉ नीरज भारद्वाज
पत्रकारिता जनून है डॉ. नीरज भारद्वाजपत्रकारिता के अर्थ की बात करें तो पत्रकारिताको अंग्रेंजीमें‘जर्नलिज्म’कहतेहै,जो‘जर्नल’शब्दसेनिकलाहै]... Read more |

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3:56pm 19 Jul 2013 #
 डॉ नीरज भारद्वाज
शिक्षक और शोधआज के भागते-दौडते और बदलते परिवेश के काल में शिक्षा और शिक्षक दोनों ही तेजी से बदलते दिखाई दे रहे हैं। शिक्षा के बदलते परिवेश के कारण ही समाज, संस्कृति और लोगों के आव-भाव तेजी से बदल रहे हैं। विचार किया जाए तो मानव मूल्यों के विघटन के इस दौर में और विश्वग्रा... Read more |

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4:38pm 19 May 2013 #
 डॉ नीरज भारद्वाज
. ’तोडने ही होंगे मठ और गढ सब’ किसकी पंक्ति है? 2. ’द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र’ पंक्ति के रचनाकार कौन हैं? 3. ’उत्तर प्रियदर्शी’ किसकी गीति-नाट्य रचना है?4. ’केसव कहि न जाइ का कहिए! देखत तब रचना बिचित्र अति, समुझि मनहि मन रहिए!’ किसकी पंक्ति है?5. ... Read more |

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1:34am 13 May 2013 #
 डॉ नीरज भारद्वाज
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4:33pm 12 May 2013 #
 डॉ नीरज भारद्वाज
बृहत् प्रामाणिक हिंदी कोश की समीक्षारिपोर्टः-1. शीर्षकः- बृहत् प्रामाणिक हिन्दी कोश।2. प्रकाशनः- लोकभारती प्रकाशन, दरबारी बिल्डिंग, एम. जी. रोड़, इलाहाबाद।3. मूल संपादकः- आचार्य रामचन्द्र वर्मा। संशोधन-परिवर्धनः- डॉ. बदरीनाथ कपूर।4. &nbs... Read more |

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4:28pm 12 May 2013 #
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