Blog: यूं ही कभी |
![]() ![]() दूर गगन का कोई अंत नहीं है मन प्रफुल्लित न हो तो बसंत नहीं है जीवन के सफ़र में कांटे भी मिलेंगेकुछ जख्मों से जीवन का अंत नहीं है मन के भावों को गर समझ पाए कोई गम एक भी हो तो खुशियाँ अनंत नहीं है टूटते हैं मूल्य स्वार्थ भरी दुनियां में कैसे कहें अब कोई संत नहीं है&n... Read more |
![]() ![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); इस जमीं से तूफ़ान कम नहीं गुजरे आबाद रहे बियाबान नहीं गुजरे कोई उसे गूंगा बनाए लिए चलता है इंसान का ये अपमान नहीं गुजरे दिवास्वप्न दिखाने वाले कम तो नहीं पतझड़ में वसंत का अवसान नहीं गुजरे लहरों से क्या हिसाब मांगने निकले डूबे हैं तट पर अपमान नहीं ग... Read more |
![]() ![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); दूर क्यों हो पास आओ जरा देखो गगन से मिल रही धरा कलियां खिल रही कितने जतन से चाँद की रौशनी से नहाओ जरा धड़कनें खामोश हैं वक्त है ठहर गया जो नजरें मिली कदम रुक सा गया हठ बचपनों सा अब तो छोड़िए मन का संबंध मन से जोड़िए वक्त काफी हो गया ख़ामोशी तो तोड़िए व्रत मौ... Read more |
![]() ![]() होठों की हंसी देखे अंदर नहीं देखा करते किसी के गम का समंदर नहीं देखा करते कितनी हसीन है दुनियां लोग कहा करते हैं मर-मरके जीने वालों का मंजर नहीं देखा करते पास होकर भी दूर हैं उन्हें छू नहीं सकते बिगड़े मुकद्दर की नहीं शिकवा करते शीशे का मकां तो खूब मिला करते हैं समय के हाथ... Read more |
![]() ![]() एक नहीं हजारों गम हैं किस किसको कहेंगेपहले भी हजारों सहे हैं इस बार भी सहेंगेजमाने के साथ कदम मिलाकर न चल पाए दोष खुद का हो तो औरों को क्या कहेंगे हथेली से रेत की मानिंद फिसलती जाए है जिंदगी क्या इस तरह गुजर न जाएंगे तुम नहीं हम अकेले और बहती दरिया है सुनसान गीतों के छं... Read more |
![]() ![]() घिर आए हैंख्वाब फिर उनींदी पलकों में फागुनी खुशबुओं में लिपटी इन हंसी ख्वाबों से रेशमी चुनर बुन पहना दूं क्या ?धरती से आकाश तक सज गई है किरणों की महफ़िल बज उठता है मधुर संगीत चांदनी रातों के मोरपंखी ख्वाबों से जुड़ जाता है प्रीत का रीत ... Read more |
![]() ![]() याद अभी भी है वह क्षणजब मेरे सम्मुख आई निश्चल,निर्मल रूप छटा सी जैसे हिलती सी परछाई गहन निराशा,घोर उदासी जीवन में जब कुहरा छाया मृदुल,मंद तेरा स्वर गूंजा मधुर रूप सपनों में आया कितने युग बीते,सपने टूटे हुए तिरोहित स्वप्न सुहाने किसी परी सा रूप तुम्हारा भूला वाणी,स्वर प... Read more |
![]() ![]() क्या-क्या न बयां कर जाते हैं तुम्हारे ख़त कभी हँसा कभी रुला जाते हैं तुम्हारे ख़त मौशिकी का ये अंदाज कोई तुमसे सीखे कौन सी संगीत सुना जाते हैं तुम्हारे ख़त खतो-किताबत का रिवायत तुमसे ही सीखा मजलूम को मकसूस कराते हैं तुम्हारे ख़त तनहा रातों में सुलग उठता है सीने में दर्दे दि... Read more |
![]() ![]() क्या बोले मन दिल का दर्द उभरकर पलकों पर घिर आया क्यूं बोले मन बीती रात न जाने कितनीकलियां फूल बनी मुस्काई गिरी जहाँ पर बूंद ओस की किरणों की झलकी अरुणाईस्मृति के पन्नों में अंकित विगत के सुमधुर क्षण व्याकुल ह्रदय के भीतर जैसे सूर्यास्त से विरही क्षणन कोई जंजीर जो बांध ... Read more |
![]() ![]() मैं भी कुछ कहता हूँकुछ तू भी कहता जा सारे जहाँ की फ़िक्र न कर अपनी फ़िक्र करता जा वक्त बड़ा नाजुक है इंसां का कोई मोल नहीं अपनी तक़दीर खुद ही लिख ले खुद का सिकंदर बनता जा मेरे सब्र का इम्तिहान न ले न तू हद से गुजर जा देख परिंदे भी घर लौट आए तू भी घर लौट जा ... Read more |
![]() ![]() तनहा कट गया जिंदगी का सफ़र कई साल काचंद अल्फाज कह भी डालिए मेरे हाल परमौसम है बादलों की बरसात हो ही जाएगीहंस पड़ी धूप तभी इस ख्याल परफिर कहाँ मिलेंगे मरने के बाद हमसोचते ही रहे सब इस सवाल परइन रस्तों से होकर ख्वाबों में गुजरेदिखे हैं सहरा चांद हर जर्रे परतेरा अक्स जो नज... Read more |
![]() ![]() मुद्दत से इक ख्याल दिल में समाया हैधरती से दूर आसमां में घर बनाया है मोह-माया,ईर्ष्या-द्वेष इंसानी फितरतें हैं इनसे दूर इंसान कहाँ मिलते हैं बड़ी मुश्किल से इनसे निजात पाया है परिंदों की तरह आसमां में घर बनाया है साथ चलेंगी दूर तक ये हसरत थी आंख खुली तो देखा अपना साया है ... Read more |
![]() ![]() मत खोलो पृष्ठ अतीत की अब भी बची है गंध व्यतीत की शब्द-शब्द बोले हैं रंग-रस घोले हैं पृष्ठ-पृष्ठ जिंदा है पृष्ठ अतीत की फड़फड़ा उठे पन्ने झांकने लगे चित्र यादों के गलियारों से पलकें हुईं भींगी मत खोलो पृष्ठ अतीत की अब भी बची है व्यथा व्यतीत की ... Read more |
![]() ![]() जब कभी सपनों में वो बुलाता है मुझेबीते लम्हों की दास्तां सुनाता है मुझे इंसानी जूनून का एक पैगाम लिए बंद दरवाजों के पार दिखाता है मुझे नफरत,द्वेष,ईर्ष्या की कोई झलक नहीं ये कौन सी जहां में ले जाता है मुझे मेरे इख्तयार में क्या-क्या नहीं होता बिगड़े मुकद्दर की याद दिलाता ... Read more |
![]() ![]() गजरे में बांध लिया प्रिय तुमने मेरा मन नजरें झुकी-झुकी लगती क्यों अलसाई ज्यों फूलों पर छा जाती सूरज की अरुणाई लहराते केश ज्यों रूई की फाहें तुमसे मिलने को अनगिनत हैं राहेंमन तो रीता है तुम संग जीता है मोहपाश यह कौन सा सुधबुध खोता तनमन गजरे में बांध लिया प्रिय तुम... Read more |
![]() ![]() मीठी धूप खिली महकी फिर शाम पागल हवा देतीतुम्हारा पैगाम !महक रही जूही चहक रही चंपा थिरक रहा अंगना बज रहा कंगना !रात है अंधेरीछाये काले बादल फिर याद तुम्हारी कर देती पागल !कुछ कहते नैन अब नहीं चैन मिल जाएं गले बीते न रैन ! ... Read more |
![]() ![]() नई सुबहआई है चुपके से अंधियारा छट गया आगोश में भर लें स्वागत करें नई सुबह का !फेफड़ों में भर लें ताज़ी हवा नई सुबह की रेत पर चलें नंगे पांव छोड़ें क़दमों के निशांनई सुबह आई है चुपके से !पत्तों के कोरों पर बिछी है मोती सुबह के ओस की अंजुरी में भर लें समेत लें मनके थोड़ी खुशियां म... Read more |
![]() ![]() मरघट से मुरदे चिल्लाने लगे हैंलौट कर बस्तियों में आने लगे हैं इंसान बन गया है हैवान मुर्दों में भी जान आने लगे हैं जानवरों पर होने लगी सियासतइंसानों से भय खाने लगे हैं रंगो खून का अलहदा तो नहींनासमझ कत्लेआम मचाने लगे हैं ‘राजीव’ जमाने की उलटबांसी न ... Read more |
![]() ![]() फिर कहीं दिल मचल गया होता वक्त तक होश में जो रहा होता इक आग सुलग उठती सीने में रफ्ता-रफ्ता जो हवा दिया होता इस उम्र का तकाजा भी क्या कहिएदिल के हाथों मजबूर न हुआ होताये तो अच्छा हुआ लोग सामने न थेवरना भीड़ से पत्थर उछल गया होता उस तक पहुंचने का वजह मिल जाता खुशबुओं की राह से... Read more |
![]() ![]() दिल की बात जुबां पर आए तो सहीबंद होठों के कोरों से मुस्कुराए तो सही खामोशी से जो बात न बन पाए थोड़ा कह कर बहुत कुछ कह जाए तो सही जीने का उल्लास रजनीगंधा सी महक उठती हैं मन का संताप खुद ही बह जाए तो सही सपनों में पलाश के रंग भर उठते हैं मुद्दत बाद जो तुमसे मिल पा... Read more |
![]() ![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); दिन कितने हैं बीत गएयाद है वो हंसी-ठिठोलीकरूं प्रतीक्षा बैठी कब सेसाथ चलूंगी लाओ डोली |दिन कितने हैं बीत गए रुके नहीं हैं आंसू झरते आज ह्रदय के दीपक जलते आज मना लूं तुम संग होली |दिन कितने हैं बीत गएफिर ह्रदय में हलचल मचते संभल नहीं पात... Read more |
![]() ![]() गर तुमसे यूँ नहीं मिला होता कोई खटका दिल में नहीं हुआ होता तुम्हें भुलाने की लाख कोशिश की मैंने गर मेरे दिल में नश्तर नहीं चुभोया होता दोस्ती-दुश्मनी में फर्क मिटा दिया तुमने गर अहदे वफ़ा का सिला नहीं दिया होता रास्ते का पत्थर जो समझ लिया तुमने गर ठोकर में न उड़ा दिया होत... Read more |
![]() ![]() झूठे सपने देखे क्यूं ये तो टूट जाते हैं आज जिसे अपना कहेंगे कल लोग भूल जाते हैं बंद हो जाए जब जहां के दरवाजे खामोश आवाजों की दस्तक सुन पाते हैं मन में कुछ दिनों से उठ रहा एक सवाल है क्या इंसान इस तरह जीता हर हाल है यूं ही किसी तरह बस गुजरा वक्त हर हाल है उम्मीदों के पं... Read more |
![]() ![]() मजहब के नाम पर लोग लड़ते रहे इंसानियत रोज दफ़न होती रहीसजदे करते रहे अपने अपने ईश्वर के सूनी कोख मां की उजड़ती रही मूर्तियों पर बहती रही गंगा दूध की दूध के बिना बचपन बिलबिलाती रह... Read more |
![]() ![]() इन्द्रधनुषी रंगों में रंगेतेरे रूप अनेक ताल,छंद,सुर हैं विविध किंतु राग हैं एक क्षितिज छोर तक उड़ रहासुरभित रम्य दुकूल भाव भंगिमा में सदा खिलते मधुमय फ... Read more |
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