 Keshav Pradhan
बैठी है रूठकर वो इस कदर,के जैसे कोई मनाने वाला ही नहींआँखों में उसकी ऐसा नशा,के जैसे शराब में भी नहीं...!रूखसार उसके ऐसे गुलाबी,के जैसे हो कली गुलाब कीलब उसके ऐसे छलकाए ज़ाम,के न हो कोई मयकदे की महफिले-आमकैसे करूँ बयां...!मेरा हाल-ए-दिल,उस ज़ालिम से "ऐ जिया"जो बैठी है रूठकर,इ... Read more |
 Keshav Pradhan
जाने क्यूँ रूठा है आज,मुझसे मेरा माहीक्या खता हो गई आज,मुझसे कोईजो बिन बोले ही,सब बयां कर रहा हैमेरा माही...के गर ख़ता हो गई मुझसे कोई,तो माफ़ कर देनाओ मेरे माही !के तेरे बिन अब कुछ नहीं,सब कुछ अब तू ही हैमेरे माही...बिन किए तुझसे बातें,दिल मेरा अब लगता नहींजाने कौन सी खता हो ग... Read more |
 Keshav Pradhan
होती है शाम जब,यूँ ही उदास हो जाता है मेरा मन...जाने क्यों रह - रह कर,मुझको सताता है मेरा मन...वो कौन है जिसके ख्यालों में,डूबा रहता है मेरा मन...हर जगह, हर पल,उसे ही खोजा करता है मेरा मन...जाने कब आएगी वो घड़ीजब होगा उसका और,मेरा मिलन...मुझे तड़पाने वाली,रातों में जगाने वालीजिया...!... Read more |
 Keshav Pradhan
अब के सावन आ रही है तेरी याद,जाने क्यों पागल कर देती है तेरी याद, रोके न रूकती है तेरी याद, के दिल चाहता है, मिलूँ मैं तुझसे,अब के सावन में...पर डर लगता है अपने आप से,के कोई गुनाह न हो जाए कहीं मुझसे, अब के सावन में ...लगी है आगमेरे मन में, तुझसे मिलने की,के शायद तुझे भी हो... Read more |
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