Blog: कविता मंच |
![]() ![]() आज मुझे लगता है कि साहित्य पढ़ने व साहित्य को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिये सोशल मिडिया पर सबसे अच्छा माध्यम टेलिग्राम है। इसी लिये मैंने साहित्य प्रेमियों के लिये गूंज शब्दों की नाम से एक ग्रुप बनाया है। आप अभी इस चैनल को सबसक्राइबकरके इस समुह को अपना सहियोग दें।... Read more |
![]() ![]() चलो बाँध स्वप्नों की गठरीरात का हम अवसान करेंनन्हें पंख पसार के नभ मेंफिर से एक नई उड़ान भरेंबूँद-बूँद को जोड़े बादलधरा की प्यास बुझाता हैबंजर आस हरी हो जायेसूखे बिचड़ों में जान भरेंकाट के बंधन पिंजरों केपलट कटोरे स्वर्ण भरेउन्मुक्त गगन में छा जायेकलरव कानन में गान भरे... Read more |
![]() ![]() Bhai Chara / भाईचारा / Brother HoodBhai Chara / भाईचारा / Brother Hoodक्या गजब है देशप्रेम,क्या स्वर्णिम इतिहास हमारा है|अजब-गजब कि मिलती मिशाले,क्या अद्भुत भाईचारा है||जब भी दुश्मन आता शरहद पर,हमें देशप्रेम बुलाता है|माँ भारती कि आन-बान को,हर भारतवासी मर-मिट जाता है||जब सैनिक भारत माँ कि रक्षा को,... Read more |
![]() ![]() आप सभी को बताते हुए हर्ष हो रहा है कि दिनांक 30 अपरैल 2020 से Youtube पर गूंज शब्दों की चैनल का शुभारंभ हो रहा है। इस चैनल पर हिन्दी साहित्य के प्रमुख रचनाकार एव कवियो कि अनमोल कृतियों को उनकी आवाज के साथ संकलन करने का प्रयास किया जा रहा हैअगर आप भी अपनी र... Read more |
![]() ![]() मुझे याद आओगेकभी तो भूल पाऊँगा तुमको, मुश्क़िल तो है|लेकिन, मंज़िल अब वहीं है||पहले तुम्हारी एक झलक को, कायल रहता था|लेकिन अगर तुम अब मिले, तों भूलना मुश्किल होगा||@ऋषभ शुक्लाहिन्दी कविता मंच... Read more |
![]() ![]() आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । है कंहा वह आग जो मुझको जलाए,है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए, रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ;आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी, आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ;आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । मैं तपोमय... Read more |
![]() ![]() तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम+रमेशराज................................................................................ग़ज़ल-फोबिया के शिकार कुछ अतिज्ञानी हिन्दी के ग़ज़लकार तेवरी को लम्बे समय से ग़ज़ल की नकल सिद्ध करने में जी-जान से जुटे हैं। तेवरी ग़ज़ल है अथवा नहीं, यह सवाल कुछ समय के लिये आइए छोड़ दें और बहस को नया म... Read more |
![]() ![]() मैं जीना चाहूं बचपन अपना,पर कैसे उसको फिर जी पाऊं!मैं उड़ना चाहूं ऊंचे आकाश,पर कैसे उड़ान मैं भर पाऊं!मैं चाहूं दिल से हंसना,पर जख्म न दिल के छिपा पाऊं।मैं चाहूं सबको खुश रखना,पर खुद को खुश न रख पाऊं।न जाने कैसी प्यास है जीवन में,कोशिश करके भी न बुझा पाऊं।इस चक्रव्यूह से ... Read more |
![]() ![]() तेवरी में गीतात्मकता +योगेन्द्र शर्मा -------------------------------------------------------------------------------------------------------- ग़ज़ल के जन्म के समय, लगभग सभी प्रचलित विधाएं, कथ्य पर ही आधारित थीं। ग़ज़ल का कथ्य था, हिरन जैसे नेत्रों वाली ;मृगनयनी से प्रेमपूर्ण वार्तालाप। भजन का कथ्... Read more |
![]() ![]() कविता में ‘तेवरी प्रयोग’ साहित्य के लिए एक सुखद अनुभव*विश्वप्रताप भारती----------------------------------------------------------------------------------- श्री रमेशराज छंदबद्ध कविता के सशक्त हस्ताक्षर हैं। ‘तेवरी लेखन’ एवं ‘विचार को ... Read more |
![]() ![]() तेवरी के तेवर को दर्शाती पत्रिका ‘तेवरीपक्ष’ -भगवानदास जोपट--------------------------------------------------------------------------------------- हिन्दी कविता के क्षेत्र में कविता की अनेक विधाओं के मध्य तेवरी विधा का केंद्रीय स्थान है... Read more |
![]() ![]() तेवरीकार रमेशराज, राजर्षि जनक की भूमिका में *योगेन्द्र शर्मा ---------------------------------------------------------------------------------- कविवर निराला का कथन है-“कविता बहुजीवन की छवि है।“ तेवरी भी माँ सीता की तरह, भूमि से ही जन्मी है, और रमेशराज, राजर्षि जनक की भूमिका में हैं। तेवरीकार, रमेशराज... Read more |
![]() ![]() ग़ज़ल एक प्रणय गीत+रमेशराज---------------------------------------ग़ज़ल का अतीत एक प्रणय-गीत, महबूबा से प्रेमपूर्ण बातचीत’ के रूप में अपनी उपस्थित दर्ज कराते हुए साहित्य-संसार में सबके सम्मुख आया। ज्यादा भटकने की जरूरत नहीं है, ‘मद्दाह’ का शब्दकोष देख लीजिए, उ.प्र. हिन्दी संस्थान की प्रामाणि... Read more |
Share: |
|
|||||||||||
और सन्देश... |
![]() |
कुल ब्लॉग्स (4020) | ![]() |
कुल पोस्ट (193859) |