Blog: कविता .."राष्ट्रीय स्वरों की अनुभूति " Poems By Aditya Kumar
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3:44pm 27 Aug 2020 #

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1:42pm 5 Jul 2020 #
 Aditya Kumar Rana
चाहेजाननिकलकरगिरजाए,भूपरनतिरंगागिरपाएहैजूनूनबहुत , हैसुकूनबहुतआजादीजीनेवालोकोउजलाहैचमनकरनाहैनमनसरहदपरमरनेवालोंकोचलतीहैपवनमुस्कातागगनलहरातातिरंगाप्याराहैइसकीगरिमागौरवकेलिएअपनाजीवनतकवाराहैचाहेआंधीहो , तूफ़ानचलेतिरलोकभलेहीहिलजाएचाहेजाननिकलकरग... Read more |

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3:10pm 14 Aug 2019 #
 Aditya Kumar Rana
घोर तिमिर है,कठिन डगर है,आगे का कुछ नहीं सूझता,पीछे हट जाने का डर है।मन में इच्छाएं बलशालीशोणित में भी वेग प्रबल है,रोज लड़ रहा हूँ जीवनसेटूट रहा अब क्यों संबल है। मैंने अपनी राह चुनी हैदुर्गम, कठिन कंटकों वाली ,जो ऐसी मंजिल तक पहुंचेजो लगे मुझे कुछ गौरवशाली। धूल धू... Read more |

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6:10am 22 Aug 2013 #
 Aditya Kumar Rana
burn me in the fire of suffering, at that level, where the ego dies, Pride Cries, no malice and pain, should not be remain. almighty! Cut all bond of fascination, should be dear one all the creation, remnants of jealousy,  ... Read more |

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6:57am 21 Aug 2013 #
 Aditya Kumar Rana
मुझे जलाओ पीडानल में, उस सीमा तक,जिस पर अहंकार मरता है,अभिमान आहें भरता है,बाकि न कुछ द्वेष रहे,और नहीं कुछ शेष रहे।हे देव ! काट दो बंधन सारे ,एक नहीं सब होवें प्यारे ,न इर्ष्या का अवशेष रहे,और नहीं कुछ शेष रहे।चिंता छोड़ करें सब चिंतनसुखमय हो जाए हर जीवनउन्नति देश करेऔर नह... Read more |

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1:36pm 20 Aug 2013 #
 Aditya Kumar Rana
बार बार हमसे क्यों आकर उलझ उलझ करउलझ चुके कितने ही मुद्दे सुलझ सुलझ करऐसे मुद्दे सुलझाने में वक्त करें क्यों जायाअब तक सुलझा कर, बतला दो क्या पायाउनको अपना स्वागत सत्कार समझ ना आयाकिश्तवाड़ में हमें ईद त्यौहार समझ न आयाइतना सब कुछ हो जाने पर भारत चाहेगा मेल ?शायद भारत ... Read more |
 Aditya Kumar Rana
पर्वत राज हिमालय जिसका मस्तक है जिसके आगे बड़े बड़े नतमस्तक है सिन्धु नदी की तट रेखा पर बसा हुआ गंगा की पावन धारा से सिंचित है जिसको तुम सोने की चिड़िया कहते थेछोटे बड़े जहाँ आदर से रहते थे जहाँ सभी धर्मो को सम्मान मिला जहाँ कभी न श्याम श्वेत का भेद हुआ जिसको राम लल... Read more |
 Aditya Kumar Rana
मेरे मन का तुम आकर्षण होइस ह्रदय का तुम स्पंदन होतुम कुमकुम हो तुम चन्दन होतुम ताजमहल से सुन्दर होबस तुम ही मेरी प्रियतम होदुनिया में तुम सुन्दरतम होतुम ही हो मेरा प्रेम रागतुम ही हो मेरी प्रेम आगमै भ्रमर बना तुम हो परागतुम मन मंदिर का हो चिरागबस तुम ही मेरी प्रियतम ह... Read more |

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7:48am 2 Aug 2013 #
 Aditya Kumar Rana
India's women are being exploitedMalnutrition displayed gross spread. Politicians are blaming each other The life of Indian's is being bother Still, Ruler is building the nationHuman being is struggling in IndiaIndia is grappling with the scamWhat will be the fate of India?Politicians speech looks spamStill, Ruler is building the nation.Panchjanya now lost somewhereToday’s leader nations don't careSpeech have become adept at warAnd only traveling with luxurious Car.Still, Ruler is building the nation.Economical disaster has occurredInflation is up, Oh! I see What happen! Everyone is dazzledFalling the value of rupee,Still, Ruler is building the nation.All the Nominated ruler of future They... Read more |
 Aditya Kumar Rana
होरहामातृशक्तिकाशोषणचहुँदिशफैलाघोर कुपोषणएकदूजेपरदोषारोपण व्यथितहैजनगण मन केप्राण होरहाहैभारतनिर्माण । मचाहैभारतमेंसंग्रामघटितहैघोटालेअविरामक्याहोगाभारतकाअंजामजहाँहोकेवलव्यंग्यबाण  ... Read more |
 Aditya Kumar Rana
सियासीनकाबमें, वोजोचेहराछिपारहेहैदूरदर्शनपेजोहररोजहीसपनेदिखारहेहैअबरोककरविकासअगलेसत्रमेंकरेंगेसाफ़साफ़खोलकरकेयेसबकोबतारहेहैघीतेलचीनीआटासबकुछहुआमहंगारोजगारवालीबातपरठेंगादिखारहेहै इनकमबढ़ीनहींहै, व्यापारहैसबठंडाऔकरकीदरबढ़ाकरडंडादिखा... Read more |
 Aditya Kumar Rana
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10:58am 19 Aug 2011 #
 Aditya Kumar Rana
देख देख ब्रिज होली जग बड़ा दंग है ,झूमे नांचे ब्रिज बसी बजत मृदंग है ।होली खेल पछताती राधा कान्हा संग है,सारा रंग छूट गया तेरा कैसा रंग है।तन रंगा मन रंगा मेरा अंग अंग रंगा,हिय में उतर गया राधा बड़ी तंग है।घाट हुआ रंगमय, यमुना में उमंग है,यमुना भई पुलकित उठती तरंग है ॥शब्... Read more |

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7:03am 19 Mar 2011 #
 Aditya Kumar Rana
हर पांच बरस के बादयदि बारिश होंगीजो भीगेगा निश्चित उसको खारिश होगी।पर रखना यह ध्यान दावा भी बाँटेंगे मत दाता का तलवा तक भी चाटेंगेकुछ रोज दया की मूरतबनकर बरसेंगे और पांच बरस तक फिर मतदाता तरसेंगेऐसे प्रत्याशी पर जितने भी मत पड़ते हैपांच बरस तक मत पेटी मै ही सड़ते है च... Read more |

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10:21am 24 Oct 2010 #
 Aditya Kumar Rana
जब गूंजे स्वर एक साथबोलो जय बाबा अमरनाथ,शोले भड़के हिम के ह्रदय मेंहुआ अम्लाछादित घाट घाट ।क्या भूल गए वह जन सागरजो उमड़ पड़ा था सड़कों पर ,काश्मीर जब बंद हुआ था ,हिन्दू शक्ति के दम पर।जिस सर्दी में बहता पानीभी जम कर हिमखंड हुआऐसी भीषण सर्दी में भीथा लोहू लावा बना दिया,और ... Read more |

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3:52am 21 Sep 2010 #
 Aditya Kumar Rana
चलीसखियोंकेसंगराधिकारानी ,मटकी लेकर भरने को पानी,मधुबन में अतिशय हरियाली ,कूकती कोयल झूमती डाली ,पनघट से मटकी भर कर के ,लौट के घर को , जा वो रहीं थी ।सखियों के संग मिल कर के कोईगीत सुहाना गा वो रहीं थी ।दूसरी ओर.....यशोधरा नंदन कृष्ण कन्हैया ,चरा रहे ग्वाल सखा संग गैया ।देख क... Read more |

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12:55pm 2 Sep 2010 #
 Aditya Kumar Rana
प्रेम है नहीं जाल कोई ये तो कच्ची डोर है ,जिसका मैं एक छोर हूँ , उसका तू एक छोर है ,प्रेम है स्वयमेव पूजा अर्चना आराधना हैवासना से मुक्त है जो प्रेम तो वह साधना हैस्वयं सदृश ईश के प्रेम निर आकर है ,मात्र एक अनुभूति है फिर भी ये साकार है ,नभ से ऊंचा गहरा सागर सम ,ही होता है प्या... Read more |

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4:57am 20 Aug 2010 #
 Aditya Kumar Rana
तुम्ही आरती तुम ही पूजा ,तुम्ही अर्चना तुम आराधन ,तुम ही मेरा इष्ट देव हो ,तुम ही धरती तुम्ही गगनतुम ही जल हो तुम्ही वायुतुम्ही प्राण हो तुम स्नायुतुम ही मेरा तन मन धन होऔर तुम्ही मेरा जीवन हो ,तुम ही वर्षा तुम ही तृष्णातुम ठंडक हो तुम्ही उष्णा,तुम ही मेरा प्रेम सरोवर ,और ... Read more |

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5:15am 19 Aug 2010 #
 Aditya Kumar Rana
दिन के उजाले रातों केवीराने लगने लगते हैं ,जब खंजर तेरी यादों केदिल में चुभने लगते हैं ।जब हम मन ही मन घुट जाते हैंसारे आंसू पी जाते हैं,जब पैमाने खली हो कर ,एक ओर हो जाते हैं ,जब मधु शाला के दरवाजों मेंभी सांकल चढ़ जाती है ,तब धरती से सूरज की दूरीथोड़ी बढ जाती है ।रातों को ते... Read more |

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5:45am 4 Aug 2010 #
 Aditya Kumar Rana
मुझे कलम और तलवार चलानी आती है ,जो तोपों से टक्कर ले दीवार बनानी आती है ,गर्दन जो निज सत्रु के सम्मुख जुख जाया करती है ,ऐसी ही गर्दन आसानी से कट जाया करती है ।आगे अमरीकन ताकत के मिमिआना छोड़ो ,आतंक वाद से खाकर मुह की खिसिआना छोड़ो ,बार बार विस्फोटो को दिवाली समझो ,जले हुए खे... Read more |

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8:07am 26 Jun 2010 #
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