मेरा घर दिल्ली से लगभग 60 कि.मी. के दायरे में उत्तर प्रदेश में है और दिल्ली में मेरा आना जाना लगभग बचपन से ही है और मैने कभी खुद को यहाँ से बाहर का नही समझा। मैं यहाँ के माहौल तथा रहन सहन से वाकायदा वाकिफ रहा हूँ। मैं अब लगभग एक महीने से नौकरी के चलत... |
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February 3, 2014, 8:40 pm |
बात बहुत पुरानी नही हुई है जब दिल्ली में वो शर्मनाक घटना घटी थी पुरे देश में उस घटना ने जो रोष फैलाया वो दुनिया ने देखा। और शायद उसी वजह से आज हमारे पास एक कानून है। वो बात अलग है कि कुछ लोगो को न कानून का डर है, न शर्म है, न हया है, न उम्र का लिहाज है। ... |
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November 22, 2013, 2:36 pm |
आज के इस दौर में किसी भी प्राणी को उसका औकात बोध होना बहुत ही जरूरी है और अगर को किसी को अभी तक नही हुआ है तो मै उसे अभी तत्काल सलाह दूंगा की अभी से अपनी औकात जानने के लिए प्रयासरत हो जाये वरना विश्वास करना, गलत फहमी बड़ी नुकसान दायक होती है और आप को मानसिक पीडा, ... |
आज लगभग दो महीने बाद फिर से ब्लॉग पर हूँ आप की सेवा में , दरअसल अस्वस्थ होने के कारण सक्रिय नही रह पाया। समय तो था पर जैसा सभी जानते है की मन नही होता उस वक्त जब आप बीमार हो कुछ भी करने का। आम,आमतौर ये शब्द हम रोज कही न कही किसी न किसी रूप में इस्तेमा... |
आजकल मेरे महान देश में फैशन नामक गतिविधि बहुत तेज़ी से अनेक रूपो में अपने पैर पसार रही है। अतः आज इन्हीं कुछ ना-ना प्रकार की गतिविधियों पर चर्चा होगी। फैशन न० 1 आप देश के किसी भी कोने में चले जाओ यानी के रेल, बस, टेम्पों, घोडा-तांगा, रिक्शा, गांव में सेवानिवृत चचाओ की चौ... |
एक दिन पहले ही घर गया हुआ था तो माता जी के कहने पर गाँव से निकटम कस्बे में बाजार करने गया था कि चप्पलो ने साथ देने से इंकार कर दिया और एक चप्पल ने खुद को घायल करते हुए ये सन्देश मुझे दे दिया की बिना उसकी मरम्मत के उसका मुझे घर तक पहुंचना असम्भव है। सोचा की चुंगी पर इसकी इसकी ... |
एक दिन पहले ही घर गया हुआ था तो माता जी के कहने पर गाँव से निकटम कस्बे में बाजार करने गया था कि चप्पलो ने साथ देने से इंकार कर दिया और एक चप्पल ने खुद को घायल करते हुए ये सन्देश मुझे दे दिया की बिना उसकी मरम्मत के उसका मुझे घर तक पहुंचना असम्भव है। सोचा की चुंगी पर इसकी इसकी ... |
एक दिन पहले ही घर गया हुआ था तो माता जी के कहने पर गाँव से निकटम कस्बे में बाजार करने गया था कि चप्पलो ने साथ देने से इंकार कर दिया और एक चप्पल ने खुद को घायल करते हुए ये सन्देश मुझे दे दिया की बिना उसकी मरम्मत के उसका मुझे घर तक पहुंचना असम्भव है। सोचा की चुंगी पर इसकी इसकी ... |
शायद यहाँ मुझे ये बताने की जरूरत नही है कि सट्टा , एक जुआ खेल है जिसके बारे हमारे बुजुर्ग लोग कहते आये है कि जो भी इस खेल की लत में आया है बरबाद हुए बिना वापस नहीं निकल पाया है। मैंने स्वयं बहुतो को जुआ की लत से बरबाद होते देखा है। मै पिछले कुछ वर्षो से IPL में सट्टे की ... |
ये एक विशेष लेख है जो कि बिना किसी कारण के अचानक ही ज्यों का त्यों छापा गया है मेरे जी-मेल खाते से। हुआ कुछ यूँ कि अभी लेख लिखने को बैठा तो दिमाग में आया की पहले मेल देख लेते है। मेल देखने बैठा तो एक नया मेल प्राप्त हुआ जो की मेरे एक पुराने मेल का जबाब था जो एक पत्रिका के स... |
"पाँच साल और एक निष्कर्ष" है न कुछ अजीब सा शीर्षक। पर है तो है नियमों के विपरीत इसका भी कोई कारण नहीं। सर्वप्रथम ये ऐलान कर देना चाहता हूँ कि मैं अपने धर्म से बेहद प्यार करता हूँ। इसका मतलब ये कतई नही है कि मैं ओर धर्मों से नफरत करता हूँ जी नहीं। मैं सभी धर्मो के लो... |
बात उस जमाने की है साहब, जब हम मुश्किल से तीसरी या चौथी जमात में पढ़ते होंगे तभी से शुरु हो गये थे हमारे और फोन के सम्बन्ध. वैसे इसदूरभाष यानी टेलिफोन को हमारे चचा जान ऐलेक्जैंडर ग्रैहैम बेल जी ने बहुत दिन पहले ह़ी दुनिया को दे दिया था। पर हम जब गाँव में तीसरी में पढ़... |
इस जीवन से बहुत कम लोग संतुष्ट होते है इसमें कोई दो राय नही। और बिना किसी उचित प्राप्ति या सफलता के मिले संतुष्ट होना भी इंसाफ नही. बहुत लोगो का मानना है कि संतुष्ट होना ही पतन का कारण है। संतोष को ही संतुष्टि कहा जाता है मै अपने इस अल्प जीवन में बहुत कम संतुष्ट लोगो क... |
अक्सर हर इन्सान के कुछ ऐसे यार होते ही है कि जिनसे वो बचना चाहता है। मेरे भी कुछ ऐसे ही यार है जिनसे मै बचता फिरता हूँ। वेसे मेरा और उनका मिलना केवल होली के शुभ अवसर पर ही होता है वो भी कुछ 10 मिनट के लिये पर यकीन मानिये के वो कुछ पल मेरे लिये एक साल से कम नही समझो के घडी ही... |
अभी गर्मी की सुरुआत भी नही हुई है की बिजली ने अपना असली रूप दिखाना सुरु कर दिया है अभी जब मच्छरों से कुश्ती कर रहा हूँ बिजली के इंतजार में, तो दीमाग में आया की भई चलो कुछ लिख दिया जाये। . अक्सर मुझे , जहाँ कही भी सायरी सुनने या पढने को मिल जाती है वही पर उ... |
आज कल के समय में जब तमाम समाज मे अनेको माध्यमों से महिलाओ के बारे मे नयी सोच बनाने ओर बराबरी में ला के खडा करने की अपील की जा रही है उसी श्रंखला में पेश है महात्मा गांधी जी के विचार ..... समाज में स्त्रियों की स्थिति और भूमिका आदमी जितनी बुराइयों के लिए ... |
बात उस समय की है जब में स्नातक का छात्र था। मेरा एक मित्र सुनील भी पास में ही एक बेहतरीन सी आवासीय कॉलोनी में रहता था। उस के कमरे पर मेरा जाना लगभग प्रति दिन का ही था। चूंकि हम लोग किराये पर रहते थे तो खाने का प्रबन्ध बाहर से ही करना पडता था। उसी आवासीय कॉलोनी जहाँ सुनी... |
शान में गुस्ताखी ... इस जमाने में भला किसे ग्वारी। खाशकर हमारे नेता जी लोग ओर पुलिस विभाग इस कदम को बहुत ही गंभीरतापूर्वक लेते है । अतः आप सभी पाठको से विनम्र निवेदन है कि भूल वश भी ऐसा कोई कदम न उठाएं की उपरोक्त लोगो( भले ही वह इन्सान कोई छुट - भैया नेता हो या एक म... |
हाल ही में इन्टरनेट पर एक शानदार पोस्ट देखी थी, सोचा चलो अपने ब्लॉग में चिपकाकर अपने दोस्तो का ज्ञानवर्धन एवं मनोंरंजन कर दें. वेसे जीवन का पहला ब्लॉग हे तो सुरूआत भी हंशी और दारू जैसी शुभ औषधी के साथ हो कलेज़े को कुछ ठण्डक पड़ेगी . यह लेख उन दारूबाजों को समर्पित है... |
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