*******************लेखनी***************कभी मीरा कभी राधा कभी घनश्याम लिखती हूंकभी होठों की शबनम कभी तो ज़ाम लिखती हूंखुद को मिटाके भी सफ़े को रंगीन कर रही मौलाकभी रजनी कभी ऊषा कभी तो शाम लिखती हूं**********@आनंद*************************... |
*******************************************चलो......फिर से दिवाली का इक जश्न मनाना हैगिले शिकवे के तिमिर से.....मुक्त मन बनाना हैअमावस की निशा में तो....हर ज्योति निराली हैभव्य दीपामालाओं से अपना गुलशन सजाना है@आनन्द*******************************************.article-content { -webkit-touch-callout: none; -khtml-user-select: none; -moz-user-select: -moz-none; -ms-user-select: none; user-select: none; } ... |
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October 29, 2016, 7:38 pm |
होली के रंग में रंगे, जाने माने रुप।मिटा द्वेष ऐसे मिले,बरसों बिछड़े भूप।।........................................................घृणा को तज के हुये,प्रियवर के स्वरूप।और मुरझाए खिल उठे,कुसुमकोश पे धूप।।........................................................बूँदे ढलकी हँसी की,सूखे अधर अकूत।धरणी भी हर्षित हुई,जैसे मिले सपूत।।......... |
उड़ी पतंग अरमानों की...... वो नील गगन आनंदित है उन्मुक्त उमंग तूफ़ानों की. वो वेग पवन आह्लादित हैनिर्बोध सही उन बच्चों सा अंगारों का मर्दन करना हैसखी बनूँ उड़ानों की वो सुरभित सुमन उल्लासित है .article-content { -webkit-touch-callout: none; -khtml-user-select: none; -moz-user-select: -moz-none; -ms-user-select: none; user-select: none; } ... |
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January 17, 2015, 2:44 pm |
कोई इस नाचीज़ को ही चीज़ कह गयाखद्दर के दुशाले को कमीज़ कह गयाआज ताज़्ज़ुब हो गया इस कदर आनन्द इक अजनबी आके हमे अज़ीज कह गया.article-content { -webkit-touch-callout: none; -khtml-user-select: none; -moz-user-select: -moz-none; -ms-user-select: none; user-select: none; } ... |
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November 21, 2014, 6:32 pm |
इरादों से इरादों का बदलना भी जरूरी है..साख से बिछड़ों का पुनः मिलना जरूरी हैचंद रेखाओं से कभी तस्वीर नही बनतीलकीरों से लकीरों का मिलना भी जरूरी हैकुछ लोग हैं जो खुद को यूंही भूल बैठे हैंउनके आईनों से धूल का हटना जरूरी है.article-content { -webkit-touch-callout: none; -khtml-user-select: none; -moz-user-select: -moz-none; -ms-user-selec... |
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September 16, 2014, 12:57 am |
देखते ही देखते कुछ लोग ग़ज़ल हो रहे थेकिसी से गुफ़्तगू के दरमियां वो फ़जल हो रहे थेहमे तो शौक था उनको झांक कर देखने कातजुर्बे की सुधा से होंठ उनके सजल हो रहे थे...................................................................गुस्ताखियां मेरी आज किसी के हाथ लग गईहोशियारी की तहों में सिलबटों की बाढ़ लग गईबड़े जोश म... |
दिन के ढलते ही माँ की इक फरियाद होती है|जल्दी घर आ जा तूँ तेरी अब याद होती है||खाने की ताजगी की भी कुछ मियाद होती है|तेरे बिन छप्पन भोग की हर चीज बेस्वाद होती है||देखो गाँव से बाबा न जाने कब से आए हैं|माटी में लिपटी अठखेलियों की ही याद होती है||धीर के रुखसार पे अब बेचै... |
उल्फ़तों की जागीर को अपना बना के देख लोहार की सौगात को सिर माथे से लगा के देख लोहो जाएंगे इक रोज पीछे आँधियों के धुलझड़े भीसिद्दत से तूफान की चाल से चाल मिला के देख लो... |
चुनावी चौराहों और चौपालों परचैतन्य वेग का रेला हैदूर-दराज सूनसानों में भीकैसा जमघट कैसा मेला हैवादों में लहरा के चलते हैंकभी खुद औहदों पर इतराने वालेआरोपों और प्रत्यारोपों कारोचक खेल दिखाने वालेगली-गली और बस्ती-बस्तीशहर की सकरी गलियों सड़क किनारे झोपड़ पट्टी में&nb... |
चाय की चुस्कियों मेंबैठक में बैठकरमाँ बाप एक ख्वाब गढ़ रहे थेहम तो यूँ ही बस अखबार पढ़ रहे थेटेबल पर पॉव रखकरलेबल मढ़ रहे थेकिसी को डॉक्टरतो किसी को कलक्टर बना रहे थेहम तो यूँ ही बस अखबार पढ़ रहे थेचाय की ......................................article-content { -webkit-touch-callout: none; -khtml-user-select: none; -moz-user-select: -moz-none; -ms-user-... |
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February 18, 2014, 6:12 pm |
गमदीदा मोहब्बत के,वफ़ा के नाम से डरते हैं |बेदर्द जमाने में ,खत-ओ-पैगाम से डरते हैं ||1दीदार में दिये के हम, पतंगा-से जलते हैं |रातों को आहट में, हम जुगनू-से जलते हैं ||रजनी के आँचल में, आहें तो भरते हैं |करवट में उड़ाएं नींद, उन यादों से डरते हैं||मगरूर हैं अदाओं में, हमें जो इ... |
बैठे बिठाए कुछ काम कर लूँ मैं..|ब्रह्मा की सृष्टि को प्रणाम कर लूँ मैं ||जुल्मों की दुनिया से खुद को गुमनाम कर लूँ मैं|सच्चे जहाँ में .........कुछ नाम कर लूँ मैं ||प्यारे मिलन को अविराम कर लूँ मैं |गिले-शिकवे को राम-राम कर लूँ मैं ||अनैतिक करम को विराम कर लूँ मैं |पुण्य धरम को सलाम कर ... |
तसव्वुर - ए-गुमान ने, एक शोहरत अदा कर दी हमें !हर बार की तरह इस बार भी,एक हसरत अदा कर दी हमें!शौक भी बच्चों के ,......कब से सिमटते ही रह गये !महगाई तो महगाई है,पर हम सिसकते ही रह गए !आजमाइश की तकलीफ़ में,.......हम तड़पते ही रह गये !एक जख्म की खातिर ,हम मरहम में लिपटते ही रह गये !चर्चे तो सन्सद... |
मन्दिर मसजिद और गुरुद्वारों में,इक विनती करूँ तेरे सब द्वारों पर !कब से सोया मेरा यार जगा दो..ये अरज हमारी पूरण कर दो...उम्मीद किरण को सूरज कर दो..कथा कहानी में सार जगा दो...कब से सोया मेरा यार जगा दोसपने सारे अभी अधूरे...कितने प्यारे सभी अधूरे..विकट विथा में अजेय बना दो..काली र... |
शक्ति से संचित कर मुझे ,पाप से वंचित कर मुझे |जोश से भर दो मुझे ,न अनीति से हो डर मुझे |शब्द सागर में वेग दो ,वक्त का हर तेज दो|पवन का संवेग दो ,दीप का हर तेज़ दो|कर सकूँ रोशन ज़हाँ ,लेखनी में वो नूर दो |बन सकूँ इन्सान मैं,ऐसा वो कोहिनूर दो |बैर का प्रतिशोध मैं,प्रेम से करता चलूँ |व्... |
घड़ी की सुइयां देख-देखकर ...मोरे मन की छइयां डोल रही हैं.....रोम -रोम बेचैन हुआ.......जबपनघट पर गुइयां डोल रही हैं....सुर तान मिलाए बैठे हैं..........पइयां के घुंघरू.....बइयां के घुघरू से ............... कुछ बोल रहे हैं......मटकी की छलकन से ...कितने अधरों की नइया ..डोल रही है..............घड़ी की सुइयां देख देख कर ......... |
अक्षत चन्दन हल्दी लाए,जियो हजारों साल शब्द एक,इस मन्दी में लाए.........ध्येय को कर लो प्यार यार तुम ....लो ये पैगाम हम जल्दी में लाए....चपला नभ में तड़क रही थी...सड़क पर बुंदियाँ मचल रही थीं...कुछ कह रही गमले की चम्पा...बहुत हो गई गर्मी प्यारी..अभिनन्दन करने मुंहबोले नेता का,मौसम देखो क... |
कर रहा था बात जिस, बिछड़े किरदार की |रह गई थी बिन बिकी वो चीज,समूचे बाज़ार की|खेद मुझको तो नहीं ,शोक उनको भी नहीं |सामने आकर पास पहुँची ,असली इक हकदार की ...| ... |
श्रृंगार को वो हथियार बना के चल दिए ... अंगार को वो यार बना के चल दिए... छिपा के असली पहचान अपनी... दिल के दरवाजे पर एक प्रहार कर के चल दिए .......... |
गाँव हमारो वृन्दावन है |प्यारी-प्यारी चितवन ,न्यारी-न्यारी छुअन |रंग में ढल जाए ,खिल जाए... सारो उपवन |गलियां-गलियां गोरी |मुरली धुन पर नाचे गुजरी....हो नाचे गुजरी, भर-भर अंजुरी...होली खेले सखी री... |रंग-गुलाल उड़ाए सखी री,वो गाए फ़ाल्गुनी|झम -झम झूमे गुजरी,रंग-रंग में छिप जाए,मोहे ... |
दूरियों से तो यूँ हम बिखर जाएगे !पास आओ जरा हम सम्भल जाएगे !तेरी आँखों का अन्जन मैं ही बनूँ !कुछ पल के लिये तो ठहर जाएगे!आँसुओं में तेरे हम नजर आएगे!हर दरद में तेरे हम छलक जाएगे !यादों में तेरी हम रचेंगे एक गजल !गीत में ही सही गुनगना दे गजलगीत की इस लहर में हम मचल जाएगे !पास आओ... |
Tag :darpan sare............
हम आम हैं भई आम ,हम तो आम हो गए |आशिकी के चर्चे ,सरेआम हो गए |वक्त के दायरे में ,कुछ इल्जाम हो गये |चन्द खुशी में इक दोयूँ ही जाम हो गए |हम आम हैं भई आम ,हम तो आम हो गए |डूबकर मदहोशी में ,कुछ ऐसे काम हो गए |जगह जगह जिरह जिरह में,मेरे नाम के पर्चे,खुलेआम हो गए|हम तो.................. |
छिप छिप कर वो निकल गये,छतरी की छहराई में !मै निपट अकेला खड़ा रहा,उस छतरी की परछाई में !वो गुजर गए ,दिल में उतर गए !मानसमन की अमराई में ,दिल की गहराई में !कुछ छन्द बने ,कुछ बंद बने !इस व्याकुलता की लहराई में 1छतरी भी इतराई है ,यौवन की अंगड़ाई में ,हुस्न की अरूणाई में !!कान्ति मुखों की... |
पनाह देकर भी क्यो मुझको, जीवन दे नही पाई !रखा जो कोख में तुमने ,वो पीड़ा मोह नही पाई !सजा दी किस कर्म की ,जो दुनिया देख नही पाई 1यह पापों का समन्दर है,लहरे छू हमे पाई...!डूबना हर किसी को है, तैरना सीख नही पाई ! चाहत थी मेरे दिल मे ,कि एक बचपन सजाना है 1खुदा-ए-बेरूखी तेरी ,या उनका कर्म स... |
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February 25, 2013, 7:49 pm |
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