Blog: Kora Kagaj (कोरा काग़ज) |
![]() ![]() मेरे मन!तूँ किस पिछड़ी हुई सभ्यता का हिस्सा है ?जो चाँद में तुझे अपनी माशूका का चेहरा दिखता है;जो उसे घंटों इस हसरत भरी निगाह से देखता है की - वह छोटा सा चाँद तेरी आँखों में उतर आये ;जो उसकी मध्धम सी चाँदनी में तूँ डूब जाना चाहता है ;जो सहम जाता है तूँ -उसे किसी दैत्याकार प्रा... Read more |
![]() ![]() तुझे मेरे लिये नदी बनाना होगा प्रिये !उनका बहाव भी और कल-कल स्वर भी ;फूल भीपत्ते भीडालियाँ भीऔर पूरा का पूरा पेड़ भी ;घाँस भीउनपर पड़ी ओस की बूँदें भीऔर उनमे प्रतिबिम्बित स्वर्ण रश्मियाँ भी;रात भीचाँद भीऔर चांदनी भी ;धूप भी सूरज भीउषा में उसका आगमन भीऔर संध्या ... Read more |
![]() ![]() सोंचता हूँ बहने दूँ मन कोइन मदमस्त हवाओं के साथके शायद खुद ढूँढ़ सकेकि यह क्या चाहता है।के शायद कहीं इसके सवालों काजवाब मिल जायेके शायद कहीं इसके ख्वाबों कोपनाह मिल जायेया फिर यह भूल करउन ख्वाबों कोउन सवालों को रम जाये नए नजारों में।या घूम आए पूरी दुनियादेख आये पूर... Read more |
![]() ![]() ओ री नदी !तूँ मुझमें रीतने से पहले जग को हरियाली देती आना ।मुझे तेरे जल की प्यास नहीं तूँ मेरे लिए खाली हाथ ही आ तूँ हर तरह मेरी है बस हृदय में प्रेम लाना ।प्रेम :- अहं का लोप - सीमाओं का घुल जाना - किनारों से परे विस्तृत होते चले जाना और निर्माण एक डेल्टा प्... Read more |
![]() ![]() तुम भोले होदर्द से अनजान दिल की भाषा क्या जानो ।दिल दर्द में पक कर समझने लगता है दिलों की भाषा-सुन पता हैदिलों में स्पंदित दर्द;सम्प्रेषित कर पाता हैअपनी विश्रान्त सहानुभूति- कभी आँखों के माध्यम से  ... Read more |
![]() ![]() ऐसे गुजरे वो दिनजिस दिन मुझे जाना हो -कि तेरी एक मुस्काती सी छविसारे दिन फंसी रहेमन के किसी कोने में ।कुछ बातें कर लूँ अपनों से;दुआ कर सकूँ उनके खैरियत की।न कोई जल्दी होयहाँ से जाने की , और न कोई टीसयहाँ कुछ छूट जाने की ।हाँ, उस रोज जरूर देख सकूँसूरज को उगते हुए ; जर... Read more |
![]() ![]() हाँ, आज तुम बाहें पसारेआनंद ले लोबारिश की बूंदों में भींगने का; कल जब तुम्हारे सर पेछत नहीं होगी, तो पूछूँगा -कि भीगते बिस्तर पेकैसे मजे में गुजरी रात !आज देख लो ये रंगीन नजारेये बागीचे, ये आलीशान शहर;कल जब लौट के आने कोकोई ठिकाना नहीं होगा, तो पूछूँगा-चलो कहाँ चलते हो घू... Read more |
![]() ![]() अंधेरों की सनसनाहटसंगीत नही, भयानक शोरजो फाड़ डाले कान के परदों को -अचानक थम जाती है । …शायद कोई आसन्न ख़तरा घुल रहा है हवाओं में ।… के शायद कोई नाग निकल पड़े झाड़ियों से;या और कुछ ।… के शायद मुझे भी चुप हो जाना चाहिए ;इस विलाप को बंद करकेसतर्क हो जाना चाहिएउस आसन्न खतरे के प... Read more |
![]() ![]() बीच चौराहे पे पड़ी थी उसकी लाशजो चीख़ -चीख़ बताए जा रही थी हत्यारों के नाम।लोगों में आक्रोश था;चारों ओर भयानक शोर था;कोई नहीं सुन पा रहा था वो भयानक चीखजो बेतहासा भागदौड़ में दब गई थी।चप्पे-चप्पे में दहशत और वहशत फैलता जा रहा थाऔर लाशों की संख्या बढ़ रह... Read more |
![]() ![]() माँ! जगाओ राम कोजग छा रही रजनी अँधेरी ।अतल-तम संधान हेतुफूंक दे रण-बिगुल, भेरी॥दीप नयनों में जला दे,चेतना में ओज भर दे।काट दे तम-पाश को,फिर भोर-नव को एक स्वर दे ॥ सड़ित-लोकाचार, जड़ताव्यूह घिर निश्चल पड़ा जग।प्रात-नव में नव-धरा परनव किरण संचार कर दे॥ …व्यक्ति-व्यक्ति की मह... Read more |
![]() ![]() मेरे अंक मेतेरे प्यार की थाती नहींमेरे कल का सहारा नहींएक नया जीवन हैजो मुक्त हैभूत की परछाइयों सेऔर भविष्य की अपेक्षाओं से।... Read more |
![]() ![]() http://marciokenobi.files.wordpress.com/2012/03/6369830-md.jpgएक झीनी सी दीवारजिसके आर पारकितने भरे हुए हम दोनों ;बस मौन-मुग्ध इंतजारएक हल्के से हवा के झोंके काजो उस दीवार को ढ़हा देऔर छलका कर दोनों गागर का जलहमारे अहम्- वहम् सबकुछउसमें बहा दे । ... Read more |
![]() ![]() http://www.awesomegalore.com/wp-content/uploads/images/2012/june/lava_meets_water.jpgधरतीचाहे आग में जलेया डूब मरेचाँद की मुस्कराहट कभी कम नहीं होती ।क्या इसलिए कि वो है हमसेइतनी दूरी पर -जहाँ से देख सकता हैहमारा भूत भविष्य वर्तमानसब एक साथ एक विस्तृत परिप्रेक्ष्य में-एक दार्शनिक-आध्यात्मिक ऊँचाई ?या महज एक आडंबरछिपा... Read more |
![]() ![]() चुप!अब केवल मैं बोलूँगी ।बहुत हो गया कहना-सुनना - सुन मेरी अब सिंह-गर्जना ।"खड़े-खड़े बस बातें करना" "सिर से पाँव स्वार्थ में डूबे धरे हाँथ पर हाँथ विचरना "-खिन्न मंद मैं हँस देती थी ।मगर बाँध अब टूट चूका है-अट्टहास मम सुन कराल यह तेरे पाँव उखड़ जाएँगे ;खिसकेगी कदमों के न... Read more |
![]() ![]() (आज सुबह से ही वह कुछ अजीब सा महसूस कर रहा था- कुछ बँटा-बँटा सा। पहले से चली आ रही उदासी भी, और उसको झुठलाती हुई, उसको चीड़ती हुई एक ताजगी भी। आइने में भी उसने ख़ुद को कुछ बदला हुआ सा पाया। अचानक आइने में उसके दो-दो अक्श उभर आये- वह मू्क दर्शक बना खड़ा रहा । दोनो अक्श, एक हारा ह... Read more |
![]() ![]() आ !आज हम मिलकर रो लें, जो यादों के भँवर ने हमें एक दूसरे के इतना पास ला छोड़ा है । डूबते उतरते हुए, इस भँवर में,कभी तो आ जाएगा हमें तैरना-ताकि हम तय कर सकें सफ़र अपने वजूद से तेरे वजूद के बीच का ... * * *याद है ?जब एक पुल हुआ करता था हमारे वाजूदों को जोड़ता हुआ जिस पर बैठे... Read more |
![]() ![]() पर्दा अभी उठा नहीं था । पर्दे के पीछे से आवाजें आ रही थी - " भौं ... भौं ... भौं ... भौं ...!!! " " भौं ... भौं ... भौं ... भौं ...!!! " ....... आवाजें धीरे-धीरे नजदीक आती हैं और अंततः पर्दे के पास तक पहुँच जाती हैं । पर्दा उठता है । मंच पे हल्की ग्रे लाईट है । वीरान और अस्त व्... Read more |
![]() ![]() वह नॉर्मली पार्टियों में नहीं जाता, बड़ा अनकम्फर्टेबल फील करता है । आज ही पता नहीं कितने दिनों बाद दोस्तों के साथ पार्टी में आया था । दोस्त क्या! colleague थे, अचानक ज़िद कर बैठे और वह मना नहीं कर पाया। वह खुद भी आखिर इस trauma से तो निकलना ही चाहता था। आखिर कब तक यूँ दुनियां से भ... Read more |
![]() ![]() एक मूरत थी मैंमाटी कीसुन्दर सी, सलोनी सी।मुझे हर पल बनाया गया था,सजाया गया था तेरे लिए।थी अमानत मैं कुम्हार कीया कहो जिम्मेदारी थी.. फिर उस दिन जाने क्या हुआकी अब से मैं तुम्हारी थी।(शायद मुझपे मालिकाना हक बदल गया था। )मैं कोई खुश तो नहीं थीआशंकित थी,पर एक संतोष था-की शाय... Read more |
![]() ![]() न बंधने दें रंगों को रूढ़ प्रतीकों में-गोरा - सांवला उजला - काला भगवा - हरा लाल - नीला या और भी कई ।सबको मिलने दें आपस में मुक्त होकर उनके प्रतीकों के द्वन्द से ।जरूरी नहीं है कि वो मिलें इस तरह कि हो जाएँ एकरूप,क्योंकि इस तरह जन्म लेगाफिर कोई नया रंगअपने नए प्रतीकों- सि... Read more |
![]() ![]() उस लम्हे पेवक़्त तो ठहरा था कुछ पल के लिए ; पर हम ही आशंकित हो-उसके भीतर छुपी संभावनाओं से,उसे अपना न सके । Time waits for a whilebut we diffidentlyrun awayinstead ofkissing ahead our way.... Read more |
![]() ![]() आज आवाज दूँ तुमको-तो कहो आओगे ?जब तलक मैंतेरे साथ चलता रहातूने सब ठोकरों मेंसम्हाला मुझे ।तूने मेरे लिएकितने जोखिम लियेऔर सब मुश्किलों सेनिकाला मुझे ।कैसी आँधी चली ! क्या बवंडर उठा ! दूर मुझसे हुआवो सहारा मेरा ।डूबता जा रहा हूँ,बचाओगे ?आज आवाज दूँ तुमकोतो कहो आओगे ? * ... Read more |
![]() ![]() हर तरफ विस्तार तेरा यह सकल संसार तेरा ।तेरी ही हैं सब दिशाएंक्षितिज के उस पार तेरा ।।सूर्य तेरा, चन्द्र तेरानक्षत्रों का हार तेरा ।नदी पर्वत सब तुम्हारेप्रकृति का श्रृंगार तेरा ।।भ्रमर का गुंजार तेराहर कली का प्यार तेरा ।चहकते कलरव तुम्हारेआद्र आर्त पुकार तेरा ।... Read more |
![]() ![]() अभी-अभी सुनीता रूम से बाहर गई थी की मैं रूम में आया, देखा टेबल पर एक दो पुरानी कॉपियाँ पड़ी थी। एक कॉपी से एक फ़ोटो बाहर झाँक रहा था। मैंने फ़ोटो निकालने के लिए कॉपी खोला तो पहचाने से अक्षरों में कुछ लिखा था ..... दो पल की मुलाकात,औरवो मुझमे उतर गयाझील में गिरेकिसी पत्थर की ... Read more |
![]() ![]() मैं चला अबबांध के सामान अपना ;आप आओमंच पर मेले लगाओ ।आप की महफ़िलबड़ी गुलज़ार होगी ;है दुआ किआप जग में जगमगाओ ।वक़्त आने पर मगर जोदर्द की फ़सलें उगेंगीकाट कर उनकोकमर से बांध लेना ;(यह खजाना साथ रखनापर किसी को मत दिखाना )।वक़्त जब फिर आपकोनेपथ्य के पीछे पुकारे ;साथ ले उस दर्द कोम... Read more |
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