Blog: मानव 'मन' |
![]() ![]() देर रात जब मोहब्बत नेदस्तक दी चौखट परमैनें अपनी रूह को जलादिल को रोशन कर दियालफ्ज़ दर लफ्ज़ चमकने लगे ज़हन मेंमैनें एक एक करकेइश्क़ के सभी हर्फ़ पढ़ डालेइश्क़ मेहरबान हुआ मुझ परदुआएं कबूल हुईं मेरीहर्फे- मोहब्बत मेंतेरा नाम लिखा पाया...!!देर रात जब मोहब्बत नेदस्तक दी चौखट प... Read more |
![]() ![]() बहुत देर हुई,होंठों पे नज़्म का ज़ायका महसूस किएख़ामोशी कब्र सी ना जाने कब से बिखरी है.. रातें देर तक ऊँघती हैं,पड़ी रहती है छत पर सितारे ओढ़े मगर इन सितारों में भी अब कोई चेहरा नहीं बनता कोई नज़्म कोई ख़याल दिल में नहीं आता |दिन बूढ़ा सा खस्ता सी हालत में आता है .. चला जाता है मायूस स... Read more |
![]() ![]() किताबें धूल फांकती है शेल्फ परअरसा हो गया है उन्हें पढ़े हुए मैं नहीं खोलता अब उनके वर्क –कि अब उन लफ्ज़ों में ठहरता नहीं है मन रात जब मद्धम करके रौशनी को अपनी टेबल पर बैठता हूँ तो उन किताबों से खुद ब खुद निकल कर आ बैठते हैं कुछ अल्फाज़ मेरे ज़ेहन में बहुत शोर करती है लफ्ज़ों क... Read more |
![]() ![]() ख़ामोशीपरत दर परतजमती जाती हैएहसासों पर...सन्नाटा लफ़्ज़ों परगिरफ्त बढ़ा हैलम्हा लम्हाहमारे बीच की आवाजेंअब दफ़न हो रही हैं.......!!!!मानव मेहता 'मन' ... Read more |
![]() ![]() ख़ामोशीपरत दर परतजमती जाती हैएहसासों पर...सन्नाटा लफ़्ज़ों परगिरफ्त बढ़ा है लम्हा लम्हाहमारे बीच की आवाजेंअब दफ़न हो रही है... Read more |
![]() ![]() जिंदगी दर्द में दफ़न हो गई इक रात,उदासी बिखर गई चाँदनी में घुल कर....!!चाँद ने उगले दो आँसू,ज़र्द साँसें भी फड़फड़ा कर बुझ गयी......!!इस दफा चिता पर मेरे-मेरी रूह भी जल उठेगी.........!!मानव मेहता 'मन' ... Read more |
![]() ![]() कल मैंने मेरी बड़ी बहन समान नीलीमा शर्मा जी के इनबॉक्स में कुछ लिखा कि दीदी देखो कैसा लिखा हम दोनों अक्सर इस तरह अपना लिखा एक दुसरे को दिखाते रहते हैं फिर क्या जुगलबंदी हुयी आपकी नजर पेश हैं ..............~~तुमने सुना तो होगाजब चलती हैं तेज़ हवाएंफड़फड़ा उठता हैस... Read more |
![]() ![]() शौक...बस शौक ही था तुम्हेंहवाओं पे पैर रख करआसमान पे चलने का...तेज़ तेज़ क़दमों सेचल करजाने किस मंजिल पर पहुँचना था तुम्हें...तुë... Read more |
![]() ![]() पंजाबी नज़्म और उसका हिंदी में अनुवाद...ਤੇਰੀ ਖਾਮੋਸ਼ੀ ਦੇ ਇੱਕ ਇੱਕ ਅਖੱਰਮੈਂਨੂੰ ਵਾਜਾਂ ਮਾਰਦੇ ਨੇ, ਬੁਲਾਓਂਦੇ ਨੇਤੇ ਮੈਂ ਵੀ ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਗੱਲਾਂ ਕਰਦੀ ਕਮਲੀ ਹੋਈ ਫਿਰਦੀ ਹਾਂ ...ਰਾਤ ਦੀ ਕਾਲੀ ਚਾੱਦਰ ਉਤੇੱਮੈਂ ਰੋਜ਼ ਬਿਛੌਂਦੀ ਹਾਂ ਇਹਨਾਂ ਅੱਖਰਾਂ ਨੂੰ ਪੁਛੱਦੀ ਹਾਂ ਤੇਰਾ ਹਾਲਕੁੱਝ ਅਪਣਾ ਸੁਨਾਨੀ ਹਾਂ ...ਤੇ ਇਹ ਅੱਖਰ ... Read more |
![]() ![]() पंजाबी नज़्म और उसका हिंदी में अनुवाद...ਤੇਰੀ ਖਾਮੋਸ਼ੀ ਦੇ ਇੱਕ ਇੱਕ ਅਖੱਰਮੈਂਨੂੰ ਵਾਜਾਂ ਮਾਰਦੇ ਨੇ, ਬੁਲਾਓਂਦੇ ਨੇਤੇ ਮੈਂ ਵੀ ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਨਾਲਗੱਲਾਂ ਕਰਦੀ ਕਮਲੀ ਹੋਈ ਫਿਰਦੀ ਹਾਂ ...ਰਾਤ ਦੀ ਕਾਲੀ ਚਾੱਦਰ ਉਤੇੱਮੈਂ ਰੋਜ਼ ਬਿਛੌਂਦੀ ਹਾਂ ਇਹਨਾਂ ਅੱਖਰਾਂ ਨੂੰਪੁਛੱਦੀ ਹਾਂ ਤੇਰਾ ਹਾਲਕੁੱਝ ਅਪਣਾ ਸੁਨਾਨੀ ਹਾਂ ...ਤੇ ਇਹ ਅੱਖਰ ਮ... Read more |
![]() ![]() हर बारआती हुई लहरमुझे छू करले जाती है मुझसेमेरा थोड़ा साहिस्सा_दूर कहीं सागर मेंछोड़ देती है...कतरा कतराहर बारयूँ ही बिखरते हुएसमा जाऊंगा इसमें!!सारे का सारा...और दूर जहाँ मिल रहे है सागर और आकाशएक दूजे में....मैं भी वहीँ कहींहो जाऊंगा विलीन....।... Read more |
![]() ![]() लफ्ज़ दिल का आईना होते हैंदिल खुशगवार हो तोखुशबू से बिखरते है लफ्ज़और निखर आती है खुशनुमा पेंटिंग...और दिल गर उदास हो तोलफ्ज़ दर्द में भीगे सेकुछ यूँ उतरते हैं कागज़ परकि जैसे 'मोनालिसा का उदास चेहरा'...... Read more |
![]() ![]() तुम... तुम तो चली गयी थी ना... फिर कैसे आई हो तुम... क्यूँ आई हो तुम... तुम्हे मेरे सामने आने में ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं हुई?... क्या देखने आई हो तुम भला... यही ना कि तुम्हारे बिना कैसे जी रहा हूँ मैं... या ये देखने आई हो कि कितना मर चुका हूँ तुम्हारे न होने पर... तुम खामोश क्यूँ हो... अब जु... Read more |
![]() ![]() रात भर झांकता रहा चाँदमेरे दिल के आँगन में.......कभी रोशनदान सेतो कभी चढ़ कर मुंडेरों पेकोशिश करता रहामेरे अंदर तक समाने की.....जाने क्या ढूँढ रहा थागीली मिट्टी में...!!तेरी यादों को तो मैंनेसंभाल के रख दिया थाइक संदूक में अरसा पहले......फिर भी न जाने कैसेउसे उनकी महक आ गई...चलो अब ... Read more |
![]() ![]() मैले कुचैले कपड़ों में लिपटीएक बूढ़ी औरत सर से लेकर पाँव तक झुकी हुई एक वक्त की रोटी भी नसीब नहीं जिसको हाथ बाए खड़ी है चौराहे पर पेट भरने के लिए मांगती है भीख |मुरझाई हुई सी इन बूढ़ी आँखों को चंद सिक्कों के आलावा तलाश है कुछ और |झाँका करती है अक्सर आते जाते लोगों के चेहरो... Read more |
![]() ![]() रुखसत होने को अब चंद ही लम्हें बचे हैं .....मेरे जिस्म से निकला है लावा इक शोला बैठ गया है छिप कर -रूह के पिछले हिस्से में इक खला सी बस गयी है ...... ना उदासी है ना हैरानी है न ख़ामोशी , न तन्हाई सीला सा मौसम है बस...!न धूप है ना बारिश बस चिपचिपे से लम्हें बरसते जाते हैं ब... Read more |
![]() ![]() रात तारों ने फांसी लगा ली...चांदनी का कफ़न ओढे-चाँद सोता रहा ।दर्द चिपचिपाते रहे आपस में...उमस भरी रात जख्म कुरेदती रही...अँधेë... Read more |
![]() ![]() .......कभी गरम धूप सी चुभती है जिंदगी,कभी हसीं शाम सी कोमल लगती है जिंदगी....कभी मासूम सुलझी सी दिखती है जिंदगी,कभी उलझनों के जाले बुनती है जिंदगी......कभी लगता है कि ये अपनी ही हो जैसे,कभी गैरों सी अजनबी लगती है जिंदगी......कभी झरनों सा तूफान लगती है जिंदगी,कभी नदी सी खामोश लगती है ज... Read more |
![]() ![]() इस हवा के बदन पर मैंने अपनी मुहब्बत का इत्र छिड़का है .... और भेजा है तेरी ओर बंद लिफ़ाफे में भर कर ..... जब मिल जाए तो इसको धीरे से खोलना महसूस करना मेरी वफ़ा को और भर लेना साँसों में अपनी .... नई सुबह फिर से नया पैगाम भेजूँगा ....... तब तक अपने जिस्म को महकाए रखना इससे .... !!'मन'... Read more |
![]() ![]() चमन में फूल खिल गए हैं , बहार आने परहमारे नसीब खुल गए हैं , आपके आने परयूँ मिले हो हमसे,जिस कदर कोई मिलता है अपनामिल गया है हमें कोई अपना, आपके आने परये मरासिम रहे बरकरार यूँ ही, ये तमन्ना है मेरीये जगह हो गई है दुर्खरे-महफिल, आपके आने परचाह थी हर वक्त, कि कोई हमें समझे अपनामि... Read more |
![]() ![]() अभी अभीपीपल की झड़ी पत्तियों कोएक तरफ रख करजला कर बैठा ही था किउसके धुएं में भीतुम्हारा ही चेहरा नज़र आयाकल भी कुछ ऐसा ही हुआ थाजब रोशनदान सेसूरज की रोशनीमेरे कमरे में पहुँची थी तो लगा थाकि तुम आए होतुम हर जगह दिखती हो मुझकोतुम नहीं होपर...हर वक़्त तुम्हारा एहसासमेरे स... Read more |
![]() ![]() ना राह ना मंजिल, कुछ ना पाया जिन्दगी मेंना जाने कैसा मोड़ ये आया जिन्दगी मेंतकलीफ,दर्द,चुभन,पीड़ा सब कुछ मिले इससेफ़कत एक खुशी को ही ना पाया जिन्दगी मेंवक़्त के मरहम ने सभी घाव तो भरे मेरेमगर जख़्मों से बने दाग को पाया जिन्दगी मेंऔरों की खुशी के लिए अपनी खुशी भूल गएमुस्... Read more |
![]() ![]() मानो इक ही कहानी का हक़दार था मैं...साल दर साल गुजरते गए,हर लम्हे को पीछे छोड़ा मैंने,मगर आज तक ये मलाल है मुझको,कि मेरी जिंदगी कि किताब के हर सफ्हे पर;एक सी ही लिखावट नज़र आई है मुझे...गम ; अफ़्सुर्दगी ; रंज ; और तन्हाई;बस इन्ही लकीरों में जिया जाता हूँ हर लम्हा...और मजबूरी के आल... Read more |
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