उसने मुझसे वह कभी नहीं कहा,जो वह कहना चाहती थी,जब भी मिली,उसने कभी मुझसे बात नहीं की,बस निहारती रही,अपनी बड़ी बड़ी आँखों से मुझे,आज फिर मैं वहीँ खड़ा हूँ,जहाँ वह मुझसे मिलती थी,चुपचाप अपनी आँखों से कुछ कहती हुई,भला क्यूँ नहीं समझ पाया,मैं नयनों की भाषा,या समझकर भी बना रहा म... |
|
|
January 22, 2013, 9:39 pm |
एक सनसनी,एक लड़की,निर्वस्त्र,ब्लर्ड चेहरा,छाई हुई है हर न्यूज़ चैनल पर................।----------------------------------------------------------------------------------------कल रात,शहर के एक मुख्य चौराहे पर,वह खड़ी थी,कहीं से आई हुई थी,बस ने उसे उसके गंतव्य तक पहुँचाने का जिम्मा पूरा कर दिया था,रात के उस पहर पर,खाली था वह चौराहा,सूनसान स... |
|
|
January 21, 2013, 4:41 pm |
गूगल से साभार। क्या मैं वो हो सकता हूँ,जो मैं नहीं हूँ?एक विचार , एक सोच, जो मेरी नहीं है,क्या हो सकती है मेरी?क्या शामिल हो सकती है मेरी शख्सियत,अनजान पन्नों की फड़फड़ाहट में?या फिर गुम्बद के नीचे गूंजती,अनजान आवाजों में ढूंढता ही रहूँगा,मैं अपनी आवाज़?सोचता हूँ, समझता हूँ, ... |
|
|
January 14, 2013, 9:04 am |
कल तुमसे पूछा था,नया क्या है?तुमने मुझे देखा,पूरे घर को देखा,और बढ़ा दी ऊँगली,दीवार पर टंगे कैलेंडर की ओर,मैंने फिर तुम्हे देखा,कुछ कहना चाहा,और तुम्हारी आँखों से एक आंसू,चुपके से मेरी मुठ्ठी में आकर बंद हो गया,दीवाल की सीलन,बाहर की ठंढ,बिस्तर की सिलवटें,सब कुछ तो पुराना ह... |
|
|
January 8, 2013, 10:57 am |
खाली कैनवास ठीक वैसा ही होता है,जैसे कोरे कागज़,जो चाहो लिख डालो,जैसे गीली मिटटी,जैसा चाहो रूप दे दो,एक नयी रचना को निमंत्रण देता हुआ,और उसके बाद की खुशियों में घुलता हुआ,पर खाली कैनवास दर्द भी देता है,सालता रहता है रह रह कर,अगर कुछ रह जाये अधूरा, छूटा हुआ,मिट्टी के महीन कण... |
|
|
January 7, 2013, 11:36 am |
रात हो चुकी थी,सड़कों पर कहीं अँधेरा तनहा था,तो कहीं रौशनी चुपचाप सूनसान सी बिखरी हुई थी,और ऊपर आकाश में चाँद टंगा हुआ,न जाने क्या देख रहा था/चुपचाप/शांत,गंगा रह रह कर कभी हिलकोरें ले लेती थी,और लहरों की आवाज़ दूर तक फ़ैल जाती थी,खुशबू बनकर,और शांत निश्चल धारा में,रेंग रही ... |
|
|
January 5, 2013, 11:51 am |
मैं तम,तुम प्रकाश,हमेशा ऐसा क्यूँ?मैं बहस,तुम समाधान,भला ऐसा क्यूँ?कैसे हो जाती हो तुम ऐसा भला,बताओ न,कैक्टस के काँटों पर उग लेती हो,मखमल सी मुस्कुराती हुई,पीला फूल।-नीरज ... |
उस शहर की पगडंडियां भले ही खो गयी हों,तारकोल की कालिख में,पर धूल अब भी याद करती हैं,तुम्हारे पगों के निशान,जो बना आई थी तुम उनके दिलों पर,गिरती हुई ओस,अब भी गुमती है,तुम्हारे सांसों की गर्म एहसासों के बीच,भले हो खो गयी हो वो,खेतों की पुरवाई,पछुआ अब भी तुम्हारी राह देखती है,... |
कुछ अधूरी बातें हैं,कुछ अधूरे ख्वाब,कुछ अनछुए सपने हैं,कुछ छिपे हुए संताप,कुछ लालसाएं हैं,खोयी सी,कुछ अनसुलझे सवाल,कुछ धागे हैं,रेशम के,करघो पर लिपटे हुए,कर रहे इंतज़ार,कोई कील है,दीवाल से सर निकाल कर,झांकती हुई,क्षितिज के उस पार,अनमनी पसरी हुई परछाईं है,लम्बवत गिरती हु... |
|
|
December 31, 2012, 9:03 am |
अगर सच पूछा जाये तो प्रेम का भूगोल बदल गया है और प्रेम अब सिर्फ प्रेम न रहकर दिखावे और लाइफ स्टाइल का पूरक हो गया है। प्रेम के इन्ही रंगों को देखते समझते जो खीझ होती है वह असहनीय है, प्रेम मिलन है, प्रेम शक्ति है न कि धोक ज़माने का जरिया, प्रेम अब बिकता है, हर गली हर नाके पर, ... |
|
|
December 26, 2012, 3:47 pm |
आज मैं खुश नहीं हूँ,मेरी हंसी को खुशी मत समझ लेना,मैं रो रहा हूँ खून के आंसूं,इस हंसी की बनावटी परतों के पीछे।आज नज़रें नहीं मिला पा रहा मैं तुमसे,और डर के मारे काठ मार गया है मुझे,आज कोस रहा हूँ कहीं उस दिन को,जब तुम आई थी,सबसे ज्यादा खुश मैं ही तो था,लेकिन आज उतना ही दुखी हूँ,... |
|
|
December 19, 2012, 2:14 pm |
पता है तुम्हे,सुनो कहाँ जाती हो,रुको,देखो तो सही,क्यूँ नहीं देखती,अपने आपको तुम?बिखरी पड़ी थी तुम,नग्न,खून से सनी हुई,दिल्ली की अधजली, खूंखार सड़कों पर,नुची चुथी हुई,जर्जर,सुन लो,अब भी कहता हूँ,बार बार कहता रहा हूँ,लेकिन तुम हमेशा टाल जाती हो,मुझे नहीं पता,कि उस समय क्या हुआ ... |
|
|
December 19, 2012, 8:49 am |
गूगल से साभार कल बैठा हुआ था जब,सब कुछ छोड़ छाड़ के,दीन दुनिया से बेखबर,अपने सपनों के संसार में,तुम आई थी मेरे सिरहाने,मेरे बालों को छुआ था,देखा था मेरी आँखों में,और चली गयी थी,बंद आँखें क्या कुछ कहती हैं?नहीं पता मुझे,लेकिन तुम मेरी बंद आँखों से होते हुए,उतर आई थी मेरे सपनो... |
|
|
December 17, 2012, 9:23 am |
गूगल से साभार भावनाएं, या फिर संवेदनाएं,आंधी की तरह आती हैं,पल भर में झिंझोरकर सब कुछ उड़ा ले जाती हैं,छोड़ जाती हैं अपने पीछे अपने निशान,उम्र भर दिल के किसी कोने में,जब तब सालने के लिए,कभी पानी बनकर झर जाती हैं,और कभी धूप बनकर रोशन कर जाती हैं,मन की बंद कोठरियों को,लेकिन रह... |
|
|
December 14, 2012, 11:44 am |
गूगल से साभार वह हमारे घर के पास ही रहती थी,शायद बगल में फैली हुई झोपड़पट्टियों में कहीं,जब तब बच्चों के साथ आकर खेल जाती थी,और साथ में अपना छोटा सा बचपन छोड़,जाती थी उनके पास,घुटनों के ऊपर तक की फ्रॉक,वो भी मैली कुचैली और फटी हुई,शायद किसी की दी हुई ही थी,नहाती भी थी या नहीं,... |
|
|
December 14, 2012, 11:36 am |
गूगल से साभार तुम्हारी हर एक मुस्कान पर हंसा मैं,ना चाहते हुए भी,हर दर्द को चाहा बाँटना,तुम्हारे सर को रखा हमेशा अपने कंधे पर,या सच कहो तो तुम्हे एक घुट्टी बना के पी गया मैं,जहाँ तुम्हारा उसरपन मुझे भी बंजर करता था,तुम्हारे गालों पे ढुलका आँसूं का कतरा,मेरे भी गालों को त... |
|
|
December 14, 2012, 11:35 am |
गूगल से साभारएक कटी पतंग,और दौड़ चले कई पाँव,मिलना सिर्फ एक को ही था,पतंग की तो आज किस्मत ही खुल गयी थी,लहराती हुई, चिढाती हुई,वह चल पड़ी,दीवालें, छत, पेंड-पौधे,फर्लान्गती हुई,लेकिन यह क्या,वह तो किसी को न मिली,चुपचाप मेरे छत पर,अपने सर को रखकर सो गयी,देखती रह गयीं कुछ निगाहें,... |
|
|
December 13, 2012, 9:18 am |
गूगल से साभारजब भी लगी होगी हलकी सी चोट,तुमने झट से भर लिया होगा,मुझे अपने आँचल से,हर बल्लैया ली होगी तुमने मेरी अपने ऊपर,कितने ही आंसू झरे होंगे तुम्हारे,मेरी छोटी छोटी चोटों पर,पर देखो,आज मैं नहीं था,नहीं था मैं,जब मुझे होना चाहिये था,तुम्हारे पास,कितना दर्द हुआ होगा,मु... |
|
|
December 13, 2012, 9:12 am |
गूगल से साभार1)बीत गया इतवार,और शुरू हो गयी कच मच पहले जैसे ही,न तुम्हारे पास समय है,और न ही मेरे पास तुम्हे देने को,ऑफिस में पहुँचकर तुमने एक फोन कर दिया था,वह दिलासा थी शायद,तुम्हारे होने की और लाखों पदचापों के शोर के मध्य,तुम्हारा और मेरा वजूद,वैसे ही दिखते हैं अब,जैसे ल... |
|
|
December 11, 2012, 9:28 am |
बीत गया वह वक़्त भी,जब रात बीत जाती थी,आँखों में,और हाथों की सिगरेट,जलती रह जाती थी,खिड़की के पास बैठ कर,बरसती हुई बारिश में तुम्हारा चेहरा देखने की कोशिश में।बूंदों से बनते हुए बुलबुले,तुम्हारे पैरों के पास पैदा होते ही,मचलकर मिट जाते थे,और मैं व्यथित हो उठता था,जैसे ही दि... |
|
|
December 11, 2012, 9:23 am |
[ Prev Page ] [ Next Page ]
|
|
|