Blog: मनवा लेखक हम तो सेवक
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 Praveen Sharma
तेरे आसरे की आसने आंसू रोकेवर्ना इस ख़्वार को जीने की वजह क्या होतीमेरा हर दर्द दुआ बनके मिला है तुझसेतेरे बिन रूह के जखî... Read more |

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10:22am 13 Dec 2018 #
 Praveen Sharma
जब मुलाकात हो तब बताना उसे मेरी हर एक बफा दे के आना उसे मै तरसता हु जितना बरसना वहां अपनी बूंदों से कम ही भिगाना उसे मेर... Read more |

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8:27am 24 Aug 2017 #
 Praveen Sharma
रहा तनहा हूँ बहुत कोई बड़ी बात नहीं रंज किस किस का करूं कोई नई बात नहीं हाल ख़ुद कहता हूँ खुद सुनता हूँ खुद सहता हूँ खुदा से जि... Read more |

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2:10pm 7 May 2015 #
 Praveen Sharma
हर वक़्त सोचता हूँ टीस कहीं होती हैअश्क बहते नहीं पर सांसे सर्द होती हैवक़्त कटता नहीं बस काटता ही रहता हैप्यार का ऐसा अक्स प्रीत होती है मोहब्बत कितनी करो काफी नहीं होती इस गुणा भाग में सांसे बाकी नहीं होतीउम्र घटती तो जुड़ता है आशियाना रात को जिस्म सोता है मगर बाह... Read more |

195 View
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10:04am 24 May 2013 #
 Praveen Sharma
ये जो नजरें मिली ये लगा दिल गया एक तू जो मिला ये जहाँ मिल गयाहर छुअन में बफा है हवा में महक, हर तरफ तू ही तू में मेरा 'मैं' गया कल तलक ये हवा ये फिजा और थी रातें छोटी थी काली अदा और थी अब जुदा है समां रातें रंगीन है, जैसे इसको तेरा आसरा मिल गया जाने कितने मिले जाने कितने गए भूल ... Read more |

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9:59am 24 May 2013 #
 Praveen Sharma
नादानों की बस्ती में कुछ राज नहीं होता हर फूल में खुशबू का एहसास नहीं होता ये पूरी होगी कैसे जन्न्त की चाह आखिरजब सजदा ए खुदा में बिश्वास नहीं होता हम जान गवा बैठे की वो मेरा महताब हैसुर्ख गालों पर मेरी खातिर शवाव हैना जानना ही चाहा न जान ही हम पायेमेरी जान के चे... Read more |

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9:15am 24 May 2013 #
 Praveen Sharma
इस समाज की खातिर बस हमें शोर मचाना आता हैनई सदी का नया हो सूरज दिल बहलाना आता है जिम्मेदारी किस पर डालें ये चर्चा है हर बस्ती में भाड़ न भोंडे चना अकेला ये समझाना आता है मेरे जिन्दा होने का सबब पूछो नाकब लगे लब से ये लब पूछो नाजवां थी आग कब तक न पूछो फायदा क्याये श... Read more |

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8:52am 24 May 2013 #
 Praveen Sharma
"बेशर्म जमाना " कहता है ये बेटी किसकी कौन है ये जज्बाती है, नादाँ है ये गूंगी तो नहीं पर मौन है ये ये बातें सुनती रिश्तों की तो कांप उठे कर नैन सजलकिस्से पूछू कोई बतला दो पहचानो रुदन हाँ कौन है ये कोरा काजल बन बही है ये श्रंगार नहीं बन पाई है जीवन में अश्रुधार सिवा कोई राग नह... Read more |
 Praveen Sharma
** मेरे बच्चो को रुलाना छोड़ दे, मै हिंदुस्तान हू मुझको सताना छोड़ दे । मेरे हाथो में बरदान है, अभिशाप भी है; मेरी मोह्हब्बत को आजमाना छोड़ दे। । मेरे कश्मीर से तेरी कराची दूर कब थी; बस मेरी बस्ती के घर जलाना छोड़ दे । आह सुन बच्चो की तेरे, कितने चूल्हे बंद है; सीख कुछ, उधार का बारू... Read more |

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7:12am 12 Jan 2013 #
 Praveen Sharma
** मेरे बच्चो को रुलाना छोड़ दे, मै हिंदुस्तान हू मुझको सताना छोड़ दे । मेरे हाथो में बरदान है, अभिशाप भी है; मेरी मोह्हब्बत को आजमाना छोड़ दे। । मेरे कश्मीर से तेरी कराची दूर कब थी; बस मेरी बस्ती के घर जलाना छोड़ दे । आह सुन बच्चो की तेरे, कितने चूल्हे बंद है; सीख कुछ, उधार का बारू... Read more |

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7:12am 12 Jan 2013 #
 Praveen Sharma
उठ खड़े हुए है हम, नए साल के स्वागत में ।कोई अभाव न रह जाये, नब आगत के स्वागत में ।।आंखे मलता सूरज आया फैले किरणों सी खुशियाँ ।जीवन तरंग बज उठे गगन , नब आगत की आहट में ।।उज्जवल भविष्य के आने पर अधरों पर मुस्काने तैरे ।ढांढस बंध पाए मानव को, दिए जले गर्त अंधियारों में ।।इस जीव... Read more |

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5:31am 1 Jan 2013 #
 Praveen Sharma
उठ खड़े हुए है हम, नए साल के स्वागत में ।कोई अभाव न रह जाये, नब आगत के स्वागत में ।।आंखे मलता सूरज आया फैले किरणों सी खुशियाँ ।जीवन तरंग बज उठे गगन , नब आगत की आहट में ।।उज्जवल भविष्य के आने पर अधरों पर मुस्काने तैरे ।ढांढस बंध पाए मानव को, दिए जले गर्त अंधियारों में ।।इस जीव... Read more |
 Praveen Sharma
ये 'दामिनी' ये 'अंजलि' ये किसकी है बेटियाँ जब प्यार ममता चाहिए, किसकी शिकार ये बेटियां ।नादान ये या हम सभी जो देखकर अनजान है हम मूंद कर आँखे समझते बच गई सब बेटियां ।हिंसक पशु पर हम दया करते नहीं फिर आज क्योँ इन घूमते नरपशुओं से आओ बचा लें बेटियाँ ।जब रोज चिंगारी उठे क... Read more |
 Praveen Sharma
ये 'दामिनी' ये 'अंजलि' ये किसकी है बेटियाँ जब प्यार ममता चाहिए, किसकी शिकार ये बेटियां ।नादान ये या हम सभी जो देखकर अनजान है हम मूंद कर आँखे समझते बच गई सब बेटियां ।हिंसक पशु पर हम दया करते नहीं फिर आज क्योँ इन घूमते नरपशुओं से आओ बचा लें बेटियाँ ।जब रोज चिंगारी उठे... Read more |
 Praveen Sharma
बाजार में आया हू मैं भी बिक ही जाऊंगा ,मै कितना भी ना कहू आखिर संभल न पाउँगा ।ये देश ये दुनिया सभी दौलत के आगे 'ढेर' है , इस रात के अँधेरे में कब तक दिया दिखाऊंगा ।।नादान आँखों में मेरे सपने अगर मर भी गए ,इंसान ही सब मर रहे तो इनको क्या बचाऊंगा ।।तेरा दर्द मेरा दर्द है फिर भी ख... Read more |

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5:11am 29 Dec 2012 #
 Praveen Sharma
बाजार में आया हू मैं भी बिक ही जाऊंगा ,मै कितना भी ना कहू आखिर संभल न पाउँगा ।ये देश ये दुनिया सभी दौलत के आगे 'ढेर' है , इस रात के अँधेरे में कब तक दिया दिखाऊंगा ।।नादान आँखों में मेरे सपने अगर मर भी गए ,इंसान ही सब मर रहे तो इनको क्या बचाऊंगा ।।तेरा दर्द मेरा दर्द है फिर भी ख... Read more |
 Praveen Sharma
कुदरत के कानून को तोडा मत इंसान ।तुम दोगे तो ही मिले जीवन का सम्मान ।।ये धरती तेरी नहीं बस कब्ज़ा कुछ रोज । क्यूँ खोया है ख्वाब में रख ले कुछ तो होश ।।जंगल धरती ये नदी देते जीवन दान ।क्यूँ उजाड़ कर भूमि का करता है अपमान ।।धरती माँ ने पाल कर कर दिया पूरा फ़र्ज़ ।दूध नहीं तो ... Read more |

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5:53am 28 Dec 2012 #
 Praveen Sharma
कुदरत के कानून को तोडा मत इंसान ।तुम दोगे तो ही मिले जीवन का सम्मान ।।ये धरती तेरी नहीं बस कब्ज़ा कुछ रोज । क्यूँ खोया है ख्वाब में रख ले कुछ तो होश ।।जंगल धरती ये नदी देते जीवन दान ।क्यूँ उजाड़ कर भूमि का करता है अपमान ।।धरती माँ ने पाल कर कर दिया पूरा फ़र्ज़ ।दूध नहीं तो गोद... Read more |

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5:53am 28 Dec 2012 #
 Praveen Sharma
कूड़े के ढेर पर नंगे पैर, चल रहा मगर फिर भी बचपन। गंदे ये हाथ पर मन तो साफ, जल रहा मगर फिर भी बचपन ।। छोटा ये पेट रोटी को देख मन की दीवारों से टकराए,पैसे से भूख न पैसा भूख हाथों में झोला पकडाए ,आंखे ढूंढे कोई अपनापन ।बेटा कहता दिल में रहता बालों में हाथ फिराता कोई,कोई नहलाता लो... Read more |

177 View
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5:38am 28 Dec 2012 #
 Praveen Sharma
कूड़े के ढेर पर नंगे पैर, चल रहा मगर फिर भी बचपन। गंदे ये हाथ पर मन तो साफ, जल रहा मगर फिर भी बचपन ।। छोटा ये पेट रोटी को देख मन की दीवारों से टकराए,पैसे से भूख न पैसा भूख हाथों में झोला पकडाए ,आंखे ढूंढे कोई अपनापन ।बेटा कहता दिल में रहता बालों में हाथ फिराता कोई,कोई नहलाता लो... Read more |

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5:38am 28 Dec 2012 #
 Praveen Sharma
क्या कहूं दुखी अंतर्मन है ,जैसे खुशियों से अनबन है ।जिसने सीखा चलना मुझसे, उस लाल से मेरी अनबन है ।।मै कहाँ मांगता रात और दिन बस पास बैठ मेरे पल छिन,क्या जिन्दा हो मेरे बाबू जी बस यही पूछ ले तू हर दिन ,कुछ दिन से न आया देखन है ।।मैं देख रहा उसका बचपन कैसे जागे उन बातों को ,क... Read more |

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5:20am 28 Dec 2012 #
 Praveen Sharma
क्या कहूं दुखी अंतर्मन है ,जैसे खुशियों से अनबन है ।जिसने सीखा चलना मुझसे, उस लाल से मेरी अनबन है ।।मै कहाँ मांगता रात और दिन बस पास बैठ मेरे पल छिन,क्या जिन्दा हो मेरे बाबू जी बस यही पूछ ले तू हर दिन ,कुछ दिन से न आया देखन है ।।मैं देख रहा उसका बचपन कैसे जागे उन बातों को ,कह... Read more |

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5:20am 28 Dec 2012 #
 Praveen Sharma
आ बापस तू आजा, ओ बचपन दीवाने, न तोडू मै तुझसे ये रिश्ते पुराने ।तू साथी है तब का जो कुछ था वो छोटा, न आता समझ में जो दुनिया में होता, तू ही मुझको समझा तू ही मुझको जाने, दवे पाव से बैठा करता सिरहाने ।मेरे होंठ सुबके हुआ दुःख तुझे भी, मै संभला तेरे संग तेरे संग गिरा भी, दिखाता था ... Read more |

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12:00am 1 Jan 1970 #
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