Blog: फ़लसफ़े |
![]() ![]() सवेरे उठकर अगर बस कोई एक चीज़ चाहिए तो वह है चाय। दिन की शुरुआत हो गरमा गर्म बेड टी से तो आगे का दिन लगता है अच्छा ही बीतेगा। अगर खुदा न खास्ता उसमें ज़रा सी देर हो जाए तो मूड ख़राब,अपना भी बाकी घरवालों का भी। चाय का नशा ऐसा होता है कि पूछिए मत। इस नशे को करने की सबका अपना तर... Read more |
![]() ![]() तुम ऊपर से देख रहे होगे न इन काले बादलों के बीच से कहीं नीचे फैले शांत कोलाहल को रुई से बादलों में स्थिर अडिग नीचे सब डगमग डगमग उस फीकी रोशनी की लकीर के बीच से कहीं नीचे स्याह,मलिन तुम्हारी दुनिया पेड़ तुम्हारे,हवा तुम्हारी नीचे एक काला साया?कितना ... Read more |
![]() ![]() जब शाहजहाँ आगरा छोड़ दिल्ली बसने चले तो यमुना के तट पर मिली उन्हें माकूल जगह एक नया घरोंदे बनाने की। लाल किले का निर्माण शुरू हुआ और आबाद होने लगी आसपास की बस्ती। लोग आने लगे तो पालनहारी का आशीर्वाद मिले यह भी ज़रूरी था। यही मजमून था बीते रविवार की पैदल यात्रा का। दिल्ल... Read more |
![]() ![]() गर्मी तेज़ है। जैसी ही सर्दियां कम हुईं मैंने चिड़ियों और अन्य जीव जंतुओं के लिए एक बड़े से मिट्टी के बर्तन में पानी रख दिया था।आगे पीछे दोनों।बड़े इतरा कर मैं कहती हूँ दिल्ली के एक ख़ास इलाके में रहती हूँ। घर की चारदीवारी के अंदर ही बहुत से पेड़ हैं। पशु पक्षियों दोनों... Read more |
![]() ![]() मिट्टी का मोल अमोल,क्या कहती,क्या सुनती है। कहती है जो खुशबू मेरी,और कहीं न मिलती है । बारिश की वह पहली बूँदें,जब मिलती हैं कण कण से सोंधी सोंधी महक लिए, यह रची बसी है रग रग में । गगरी देखो,देख सुराही,देखो गाँव की डगर डगर मन में तेरे गहरे बसे हैं,द... Read more |
![]() ![]() हम हैं तो दुनिया हैं,हम हैं तो रंग हैं ,हम है तो जीवन चक्र हैहम हैं तो सहारे हैं। हम से ही परम्परा है हम से ही नवीनता हैहम से ही स्थिरता हैहम से ही हैं नयी उड़ानें।हम से रास्ते के उजाले हैंहम में अंधेरों के गलियारे हैं।हम से कायम हैं रिश्ते बहुतहम से अपना रिश्ता है अह... Read more |
![]() ![]() कल रात सिम्बा नहीं रहा। वहां चला गया जहाँ उसे कोई कष्ट नहीं होगा। बीमार और कष्ट में तो वह कुछ महीनों से था पर पिछले एक महीने से अपने आप उठने में असमर्थ था। उसके पिछले पैर अशक्त हो गए थे और उसे उठाना पड़ता था। उसकी विवशता बहुत दुखदायी थी।पर उठाने के बाद वह वही पुराना जोशी... Read more |
![]() ![]() लखनऊ है तो महज़ गुम्बद-ओ मीनार नहीं,सिर्फ एक शहर नहीं,कूचा ओ बाज़ार नहीं, इसके दामन में मोहब्बत के फूल खिलते हैं, इसकी गलियों में फरिश्तों के पते मिलते हैं,'लखनऊ हम पर फ़िदा, और हम फिदाए लखनऊ क्या है ताकत आसमां की, जो छुडाये लखनऊलखनऊ कह लें या नखलऊ........ अवध के नवाबों ने बड़े नाज़... Read more |
![]() ![]() आज शाम बहुत सी मुस्कराहटेंइधर उधर से उड़ती हुईंमेरी बगिया में आईं।कुछ हंसती चहकती अंदर आईंकुछ सकुचाती मुस्कराहट थी ,कुछ खामोशकुछ में सहमा सा डर था,कुछ में दिल्लगीपर मुस्कराहटें सब थीं।फूलों,कलियों,पेड़ के दरख्तों ,वो वहां टिकी साईकिल,उधररखा एक छाता एक एक कर सब पर बै... Read more |
![]() ![]() किसी भी शहर के बारे में शायद ही हममें से किसी को पूरी जानकारी नहीं होती है। और अगर वह शहर दिल्ली हो जिसके परत दर परत खोलते जानते कई ज़माने गुज़र जायेंगे तो आप जितना जानेंग उससे कहीं अधिक अनजान रह जाएंगे।दिल्ली को जानने पहचानने के एक मुहिम चल रही है "डेल्ही वॉक फेस्टिवल "&nbs... Read more |
![]() ![]() बदल गयी है दुनिया कैसे , कैसे अजब नज़ारे हैं आसमान में धुंधले अब तो, दिखते भी सितारे हैं। हर तरफ है धुआं फैला हर तरफ कुछ मैला है हर इंसान को दिखता जब सिर्फ पैसों का थैला है !अभी सड़क बनी नहीं कि पड़ने लगीं दरारें हैं तारकोल जैसा भी हो लालच की खूब मिसालें हैं पैर त... Read more |
![]() ![]() पुराने कैलेंडर को उतार लगने जा रहा हैअब एक नया कैलेंडर पिछले पर बहुत हिसाब किताब लिखे हैं कुछ खास काम लिखे हैं। कब कामवाली छुट्टी से वापस आएगी ,कब गैस जल्दी ख़त्म हो गयी किस महीने ज़्यादा चली कब किसी के घर दावत है घर की दावत का मेनू क्या है। किस की अ... Read more |
![]() ![]() एक दिन सवेरे चाय बनाने रसोई में गयी तो दो आँखों को खिड़की से झांकते हुए देखा। हरी आँखों में कौतूहल था और थोड़ा भय भी। मैं चाय बनाने में लग गयी। क़ुछ देर बाद देखा चार आँखें अंदर ताक रही थीं। याद आया कुछ दिन पहले एक बिल्ली को तीन छोटे बच्च... Read more |
![]() ![]() कुछ दिनों पहले घर मिनट की एक लघु प्रस्तुति की थी। उस पावर पॉइंट प्रस्तुत को वीडियो में रूपांतरित किया पर पार्श स्वर का चित्रों के साथ तालमेल नहीं बैठ पाया. बहरहाल ,स्वच्छता दिवस के सन्दर्भ में , अभी तो इसे यहां पर डाल दे रही हूँ। फिर बाद में इसका तालमेल ब... Read more |
![]() ![]() जीवन का एक अध्याय दूसरे से कितना भिन्न हो सकता है ,यह कल्पना से भी परे की बात है। कल जो जीने का तरीका था आज सिर्फ एक स्मृति बन कर रह जाता है । कल आफिस और घर की व्यस्तता सवेरे की चाय को सड़क पर हरी होती ट्रेफिक लाइट पर आगे निकलने की होड़ में भागती हुई ... Read more |
![]() ![]() पेटूनिया चंचल पग दीपशिखा के धरगृह मग वन में आया वसंत।सुलगा फागुन का सूनापनसौंदर्य शिखाओं में अनंत।सौरभ की शीतल ज्वाला से फैला उर-उर में मधुर दाह आया वसंत भर पृथ्वी परस्वर्गिक सुंदरता का प्रवाह।(सुमित्रानन्दान पंत ) वसन्त ऋतु क्या आयी हवा में एक स्निग्धत... Read more |
![]() ![]() जादू की पुड़िया है ,जीवन का यह खेला जिसको भी देखो वह आया अकेला फिर यह साथ दिखता कैसे यह रेला लोगों की भीड़ है रिश्तों का एक मेला ! इस जादू की पुड़िया में होता कुछ गजब है आते सब इंसान है जुड़ जाता एक मज़हब है इंसानियत के मतलब हो जाते बेस... Read more |
![]() ![]() बसंत की दोपहरी कुछ अलग सी है जब हवा छूकर कहती है किसी के साथ की आस हो दिल कुछ गुनगुनाए कभी ठंडी एक बयार ,कभी गर्म हवा का झोंका न करार दे, न बेकरारी ही बने रहने दे। पैरों तले घास की नमी और दिल में घुसती हवा के साथ आयी प्यार की गर्मी। करार भी देती ... Read more |
![]() ![]() बीते साल को मुड़कर देखा , हँसते देखा ,रोते देखामौला के रहम को देखा ,इंसानों के करम को देखा।आपस के मसलों को लेकर बंटती सांझी ज़मीन को देखापैसे की लालच के पीछे लुटती हुई ज़मीर को देखाहिम्मत बांधे एक हुजूम को सडकों पर उतरते देखासत्ता के बंद गल... Read more |
![]() ![]() थाईलेंड ,कम्बोडिया ,वियतनाम और चीन से घिरे इस देश में शायद सैलानी के तौर पर जाने की बात हमारे ज़हन में न आये ,पर आफिस के काम से मुझे वहां जाने का मौका मिला. दिल्ली से बेंगकोक और फिर वहां से लाओ एरलाईन से पाक्से . बंगकोक से एक छोटे एटीआर जहाज से हम पहुंचे पाक्से .हवाई अड... Read more |
![]() ![]() 2006 से इस ब्लॉग की शुरुआत हुई थी।हिन्दी ब्लॉग जगत में हरकत होनी तब शुरू ई हुई थी। कुछ चंद लोग थे ,एक परिवार सा लगता था. नारद मुनि का साथ था अब तो महासागर है, कुछ पुराने अभी भी चले आ रहे है ,बहुत रास्ते में रुक गए , कुछ बेतहाशा दौड़ते जा रहे हैं। मेरा भी यह प्रयास कभी त... Read more |
![]() ![]() कुछ दिन पहले एक मौक़ा मिला . इलाहाबाद के एक प्रतिष्ठित स्कूल में भौतिक विज्ञान के शिक्षक पद के लिए इंटरव्यू था. एक पद कक्षा दस के लिए और एक पद ,कक्षा ११ और 1२ के लए खाली था. साक्षात्कार के लिए ४ -४ अभ्यर्थी .सभी भौतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर थे. अनेक सवाल पूछे गये. शुरुआत ... Read more |
![]() ![]() कल एक पत्रिका में पढ़ रही थी कि दुनिया में तीन देशों को छोड़ बाकी जगह पोलियो मुक्त हो गए हैं . य़ह तीन देश हैं अफगानिस्तान ,पाकिस्तान और नाइजीरिया . अपने स्कूल के दिनों की याद आई .हमारे साथ थी तस्नीम थी जिसका पैर पोलियो ग्रस्त होने के कारण बंधा रहता था. पहले काफी बच्च... Read more |
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