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12:01pm 23 Mar 2014 #
 सुनीता जोशी
फिर से याद आए..खोए हैं जो अपनेंफिर से दोहराएं टूटे है जो सपनें फिर से याद आए.....रहते थे कभी साथ हंसी में खुशी मेंछोडा हमको तन्हा गम की मायूसी मेंअब क्यूं याद आए खोए है जो अपनेअब क्यूं दोहराएं टूटे है जो सपने फिर से याद आए.....साथ-2 होता था हंसना चहकनाबात ... Read more |

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5:44am 9 Mar 2013 #
 सुनीता जोशी
कुंठित मन और संकुचित जीवनअस्त- व्यस्त सा है तन- मनना कोई सुनता व्यथा ह्र्दय कीबिखरा है जीवन में गमजीवन में थी अद्भुत आभालीन थे हर पल हर दम हमकिसे पता लाएगी एक दिनआंधी पतझड का मौसमअपनों ने ही लूटा हमकोगैरों में था कहां ये दमघर का भेदी लंका ढावे... Read more |

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2:37pm 26 Dec 2012 #
 सुनीता जोशी
क्यों कहते हो सब समान हैसब ईश्वर की संतान हैगर ऐसा है तो है क्यों नहींसबके सब धनवान हैकोई जी रहा बिन रोटी केकोई फांकता पकवान हैगर पूछो ये बात तो कहतेमेरा भारत महान हैकोई है जीता भूखा नंगाकोई ओढे रेशमी परिधान हैराज है क्या इस विडम्बना काक्या ये राष्ट्र की शान है ?कर ल... Read more |

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12:00am 1 Jan 1970 #
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