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आज एकदुष्कर्म पीड़ित की मौत नहीं हुईमौत हुई हैएक सभ्यता कीएक संस्कृति कीनारी की अस्मिता कीहर मां मरी है बेवक्तहर बहन का आंचल हुआ है तार-तारदफन हुई हैं भावनाएंवासना के कौफीन मेंसारी चिरैया उड़ चुकी हैंमां के आंगन सेतिनके चुगने भी नहीं उतरेंगीधरा परकहीं फिर से ना फंस ... Read more |
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मुझसे किसी ने कहाकविता हैपार्थिव शब्दों का संसारमैं नहीं मानतीइन शब्दों में भरी हैमकरंद की मिठाससुमन की गंध की महकप्रिया के श्रंगार कारोमांच भरता संसारप्रियतम के हाथों का स्पर्शइन शब्दों में बसी हैमां का ममताबहन का प्यारपिता की छांवभाई का सहारादुखों की वेदनारू... Read more |
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बहुत प्रयास किया सुखा सकूंगरीबी से झरते आंसूसुखाड़ ने सुखा दिएखेत-खलिहान सारेकाश! झरने-सा बहता ये खारा पानीसींच सकता बंजर धरा कोतो खिल उठती मुस्कुराहटों की फसललहलहा उठतीदूर क्षितिज तक फैली वसुधाबहुत प्रयास कियागरीबों को दे सकूंदो जून की रोटीताकि सो सकें वो एक रात ... Read more |
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समय ने आज फिर दिखाया दर्पण मुझेकितना बदल गया है चेहरा मेरावो भाववो मासूमियतवो अल्हड़पनवो बचपनकहीं छूट गया पीछेमैं अभी भी भाग रही थीउन्हीं संबंधों के पीछेजिनके सिरेबंधे हुए थे बचपन सेअकेलेपन के आंगन मेंकितना रीता-सा हो गया है जीवनपरछांई बनकर चलने वाले रिश्तेकहीं ग... Read more |

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9:35am 6 Dec 2012 #
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मित्रों यहां रांची में नेशनल बुक फेयर चल रहा है. कल वहां कवयित्री सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें मैने भी कविता पाठ किया. प्रस्तुत है हिंदी दैनिक प्रभात खबर, दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण में छपी खबरें.... Read more |

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1:44pm 5 Dec 2012 #
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मित्रों,सभी को दीवाली की हार्दिक शुभ कामनाएं...दीपकों के प्रकाश से आपकी राह का अंधकार दूर हो..भविष्य उज्जवल हो, यही कामना है. कुछ समय पूर्व मैने एक सूचना पोस्ट की थी. कुछ लखनऊ के काम ऐसे रहे जिसके चलते हर महीने लखनऊ के चक्कर लगते रहे और मेरी मां को भी दोबारा फ्रैक्चर हो गया ... Read more |

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10:42am 16 Nov 2012 #
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मित्रों कल मेरे काव्य संग्रह 'मचलते ख्वाब'और रश्मि प्रभा जी के संपादन में संपादित 'अनुगूंज'और 'खामोश खामोशी और हम' का विमोचन हुआ. आज विभिन्न समाचार पत्रों में उसकी विस्तृत खबर छपी....... Read more |

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9:29am 9 Oct 2012 #
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प्रिय मित्रों,नमस्कार।काफी लम्बे अंतराल बाद आपसे मुखातिब हूं. दो बातें हैं जो आपसे साझा करनी हैं.पहली ये कि रांची में 8 अक्टूबर को सायं 5 बजे विकास भारती सभागार में मेरे काव्य संग्रह मचलते ख्वाब का और दो अन्य कविता संग्रहों जिनमें मेरी भी कविताएं संकलित हैं, का विमोचन ह... Read more |

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3:43am 5 Oct 2012 #
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आजकल भागता है मन तुम्हारी तरफअधिकार नहीं रहास्वयं परप्रत्येक क्षणमिलने की प्रबल इच्छातुम्हें देखने की चाहततुम्हारी बाहों में स्वयं को पाने का आभासजानती हूंसम्भव नहीं यहजो सम्भव नहींमन क्यों भागता है उसी तरफक्यों चाहता है तोड़नासारे बंधनक्यों चाहता है उड़नास... Read more |
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ज्ञान का भंडार हैंये पुस्तकेंबंद हैहमारा भविष्य इनमेंनन्हें हाथों की शक्तिआने वाले कल की तस्वीर है इनमेंइन्हें खोले औरगहराई में उतरे बिनाहम नहीं कर सकतेअपने कल का निर्माणकल के सवालों के उत्तर मिलेंगे यहां-वहां बिखरीसजी किताबों मेंलेकिन हमारे पाससमय कहां हैहम त... Read more |
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घुटन भरी थी वो रातजिसने छेड़ी तेरी बातमन की यादों में सिमटे हैंपल जो साथ बिताए रातमरते दम तक साथ रहेगीतेरी चाहत की सौगातचंदा को भी तरसेगी अबझिलमिल तारों की बारातमन की प्यास बढ़ा जाएगीजब-जब आएगी बरसात... Read more |
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आज से 11 साल पहले 23 तारीख को ही पापा हम सबको रोता-बिलखता छोड़कर परमात्मा में लीन हो गए थे...मुझे हमेशा लगता रहा है वो आज भी मेरे पास हैं और मुझे हर मुसीबत से उन्होंने बचाया...तभी कहते हैं कि माता-पिता रहे या न रहें उनकी आत्मा हमेशा बच्चों के पास रहती है...यह रचना पहले भी पोस्ट क... Read more |
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क्या भाता हैक्या नहीं भातामन सम्भवत: नहीं जानताक्योंकिजो भाता हैसमय आने परवह नहीं भाताभाने और न भाने के मध्य हैंकुछ परिस्थितियांजो आएंगी अवश्यजिन्हें आना ही हैदेश,काल,वातावरण कीशरीर की, आत्मा कीजिन्हें हमेंसहना ही हैजो देंगीनई दिशाहमारे भाने कोयही कारण हैप्रकृत... Read more |
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इसी घर के किसी कोने मेंउस मां नेझेली होगीप्रसव पीड़ानौ महीने पेट में रखने के बादपाला होगा लाड़-प्यार सेआंचल फाड़करढांपा होगा अपने लाल को सिमटते हुएगुजारी होंगी रातें उसनेदूध की जगह पिलाया होगाअपना लहूनिचुड़ गईं होंगी छातियां उसकीक्षीण हो गई होगी काया उसकीनिवा... Read more |
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वो रोज जलाती है चूल्हायादों की लकड़ियों सेभावों के कंडे परसेंकती है रोटी मुस्कुराहटों कीपकाती है भातअरमानों केअश्कों से पकाती है दालरख देती है कल के लिएअच्छे खाने कालालच देकरबांट देती है रोटीसिल पर घिसकरचटनी की सुगंध के साथखुद चाट लेती है सिलपीकर पानीबुझा लेती ... Read more |
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आज है द्वंद्वयुवा मानस में सत्य का, संघर्ष काकर्त्तव्य का अनभिज्ञ चाहत काद्वंद्वजो पलता हैअस्थिरता मेंअनुगामी है चिंतन काआकांक्षाएंउड़ान भरती हैंअभिलाषाएंवीथिका ढूंढती हैंवीथिका जो अग्रसर हैंअनभिज्ञ लक्ष्य की ओरमनसब कुछ पाना चाहता हैअल्प अवधि मेंपांवपार कर... Read more |
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धरा से जुड़ी हकीकतहोती हैनभ से ऊंचीप्यार की पूजाहोती हैईमान से ऊंचीएक बार केवलएक बारजुड़ के देखोधरा सेडूब के देखोप्यार मेंआत्मीयता मेंपाओगे खुद को ऊंचाआकाश सेगहराई में उतर जाओगेपाताल कीबिना पंखछुओगे ऊंचाई गगन कीनापोगे गहराईसमुंदर कीआकाश धरतीदिल के संगम सेमिले... Read more |
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आज मैं कोई रचना नहीं पोस्ट कर रही हूं बल्कि इस ब्लॉग जगत को लेकर कुछ और विचार आपसे बांटना चाहती हूं...। हालांकि मैंने काफी पहले ब्लॉग बनाया था और बनाकर कुछ खास पोस्ट नहीं किया....मगर पांच-छ: महीने पहले ही सक्रिय हुई हूं...यानि दोबारा ब्लॉग जगत से जुड़ी हूं...मुझे कुछ बहुत अच... Read more |
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