 Sachchidanand Tiwari
ये सफर चलता रहेगा ,मोड़ आयेंगे नये ,राह के राही डटा रह ,मेघ छाएंगे नए । जलजलों का खौफ या हो गर्म सेहरा की तपिश ,पाँव को आगे बढ़ाना ,सहर आयेंगे नए । काफिले हर मोड़ वीथी पर सदा मिलते रहेंगे ,हर तरह के साथियों के साथ हम चलते रहेंगे । क्या हुआ जो साथ छूटे ,डोर रिश्तों की न टूट... Read more |

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11:26am 21 Apr 2013 #
 Sachchidanand Tiwari
आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !! दोस्तों !जिन्दगी के रहगुजर पर चलते हुए आज हम फिर से एक पड़ाव को पार कर रहें हैं ।जहाँ बीता हुआ वर्ष कुछ खट्टी ,कुछ मीठी तथा कुछ कड़वी यादों को हमारे जेहन में वसाकर हम सभी को अलविदा कह रहा है ,वहीँ एक नया साल कुछ पीड़ा को सजो... Read more |

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4:24pm 31 Dec 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
आज दिल्ली की सड़कों पर एक बार फिर सरकार पर प्रदर्शनकारियों का गुस्सा फूट पड़ा ।हजारों लोगों के समूह ने जनपथ ,राष्ट्रपतिभवन ,मंत्रियों तथा सोनिया गाँधी के आवास का घेराव किया ,और दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने तथा भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोक... Read more |

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3:01am 23 Dec 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
तेरे बाद इस तूफां का मंजर कम नहीं होता ,उमड़ते हैं जवां रातों में काले मेघ यादों के ।दरिया के पुराने पुल से ,बैठे फेंकते पत्थर ,सहर के लाल आंचल के तले ,हम-तुम नहाए से ।शबा चलती थी ,पंखुड़िया लरजती ,तेरे जुल्फों की ,बिखरती शाम के साये में ,प्याले तेरे हाथों के ।निखरती है कभी ... Read more |

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6:19pm 21 Dec 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
कुछ तुड़े से ,कुछ मुड़े से ,और कुछ,तनकर खड़े सेक्यारियों के ,फूल है ये ।हो कहानी,प्रेम की ,या मगजमारी ,क्षेम की ,हर जगह ,उल्लास की ,उठती हुई सी ,धूल है ये ।समिति हो ,संवेदना की ,इष्ट के ,आराधना की ,आर्त के ,मुश्किल क्षणों मेंनित्य चुभते ,शूल है ये ।राजपथया राजघाट ,या कभीशमशान घाट... Read more |

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1:51pm 16 Dec 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
हमारे अन्तर्मन की ,ये रात गहराती जा रही है ।ये घुप अँधेरा ,जो हमारी त्वचा से होकर ,दिल की गहराइयों तक उतर चुका है ।कभी भागता था ,हमारे शरीर के संसार में प्रकाशित ,अनुभूतियों के सूरज से ।अनगिनत अणुओं के संलयन से ,उपजित होती असीमित किरणें ,जो करती थी रौशन ,अपने को ,अपने चारों ... Read more |

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8:41pm 9 Dec 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
कहा जाता है की अब तक ज्ञात सभी तंत्रों में जनतंत्र अथवा लोकतंत्र ही एक ऐसी शाशन-पद्धति है ,जिसमें लिए गए निर्णय वास्तविक रूप से रूप से जनता की अभिव्यक्ति तथा जनभावनाओं का प्रतिनिधित्व करते है ।प्रत्यक्षतः जब इस काम को करने में जनता असमर्थ होती है ,तब जनप्रत... Read more |

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6:10pm 6 Dec 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
निगाहों में समाया था, कभी ये ख्वाब मेरे भी ,रौशन इस फिजाँ में कोई ,अपना आशियाँ होगा ।चमकती रेत ,सूरज की तपिश है ,सारे आलम में ,खुदा जाने यहाँ दरिया में अब ,पानी कहाँ होगा ।नहीं होंगी दरकती डोरियाँ ,रिश्तों की आपस में ,बहेगा खून ना सरहद पे ,राह-ए-राजदां होगा ।रहेंगीं साथ साहिल... Read more |

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2:26pm 6 Dec 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
विचरण करते नभ मंडल में ,खग वृन्दों की उन्मुक्त उड़ान ।लघु कोमल चंचल पंखों से ,मापन करते सारा जहान ।।असीमित संसार है इनका ,मजहब की दीवार नहीं है ।जांति -पांति ना भेद -भाव है ,कलुषित द्वेश विकार नहीं है ।।अपने दानों से मतलब है ,अम्बर के दीवानों को ।सृजित करते पत्तों -तिनकों ... Read more |

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5:18pm 5 Dec 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
जन्म लेते ही, हमारा कागजीकरण कर दिया गया |तत पश्चात थमा दिया गया कागजो का एक बण्डल ,और कहा गया कि रट डालो इन्हें , यह तुम्हारे बेहतर जीवन के लिए है |कागजो के वे बण्डल जीवन का हिस्सा होते चले गए ,बाद में पता चला,ये कागज दूसरे कागजो को पाने के लिए है |हमारे बेहतर जीवन के लिए ह... Read more |

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4:11pm 5 Dec 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
खोजता रहता हूँ ,इक नाम इसी मेलें में ।था कोई अपना भी ,दुनिया के इस झमेले में ।खोजता -------------जैसे आता है चाँद ,शाम घिरने पर आँगन में ,और चला जाता है ,नित शहर के उजाले में ।खोजता -----------जैसे कलियों पर ,शबनम की चमकती बूंदें ,खो जाती है कहीं ,उषा किरण के रेले में ।खोजता --------------आ जाओ फिर क... Read more |

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4:17pm 4 Dec 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
शहर की गलियों -कूचों पर ,छात्रों के मन मष्तिस्क पर ,आइ-नेक्सट,जागरण ,उजाला और हिन्दुस्तान के पृष्ठों पर ,कॉलेज की ऑटोनोमी छाई हुई थी ।हमने भी पूछा यार ये ,ऑटोनोमी कौन सी चिड़िया का नाम है ?अपने गोरखपुर की आइआइटी में ,उसका भला क्या काम है ??सब बोले यार अपने इन छोटे-छोटे खयालों... Read more |

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12:19pm 18 Nov 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
गाँव चोर और नगर चोर सब जनप्रतिनिधि हो बैठें हैं ,खाकर जनता का ही पैसा जनता से ही अब ऐठें हैं ।बस पांच साल दे दो हमको ,तस्वीर बदल देंगे हम ,आते चुनाव ही मिमियाते ,तकदीर पलट देंगे अब हम।तस्वीरें तकदीरें तो इनकी पांच साल में चमक गयी ,बैठा प्यारा भारत महान और लोग यहाँ के बैठें ... Read more |

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3:35pm 16 Nov 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
तिनका हूँ ,हवावों में उड़ा जाता हूँ ।खामोश होकर ,तूफानों से लड़ा जाता हूँ ।देख मत ,ये रौद्र रूप हवावों का ,पीछे जिनके ,वीरान खड़ा पाता हूँ ।।शांत रह ,ये तूफां तो कुछ पल का है ।छंट जायेगा ,आसमां में जो धुंधलका है ।दिया मालिक ने ,लघुरूप तो क्या हुआ ?ये इम्तहान ,तेरी हिम्मत ,आत... Read more |

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7:17pm 30 Oct 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
अपने कॉलेज के पुरातन छात्र समारोह में कल मैंने देखा 1987 ,सिविल इंजीनियरिंग बैच के रवि राय सर को ।सिंगापुर में कुछ साल तक इंजीनियरिंग की सर्विस के बाद ,अपने देश के लिए कुछ करने का जज्बा लिए वापस चले आये ।आज वो गरीब ,अनाथ तथा असहाय बच्चों को उनका अधिकार एवं खुशियाँ... Read more |

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1:44pm 28 Oct 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
पड़ोस में उतरते हुए गुड़ की वो भीनी सी महक ,दौड़ा ले जाती थी हमको ,चेनगे की तलाश में ।आम के बौरों के रस से ,पेड़ों के नीचे लसलसाई पत्तियाँ ,जो हमारे पैरों में ,चिपक जाया करती थी ।और उठती थी ,एक मीठी सी महक ,जब पुरवाई छूकर हमारे शरीर को ,सर्र से निकल जाया करती थी ।ओसारे में लगा ... Read more |

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2:38am 24 Oct 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
रक्षाबंधन की छुट्टियों की वजह से मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग का रमन छात्रावास लगभग खाली सा हो गया है ।अधिकांश छात्र अपने घर जा चुके हैं और कुछ जाने की तैयारी में लगे हुए है। रमन भवन के छोर पर स्थित कमरा नंबर 126 में खिड़की के पास बैठा मै बाहर खेल के मैदान को तथा छ... Read more |

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8:01pm 22 Oct 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
घनघोर अँधेरी रातों में ,इन तीखे झंझावातों में ।जलता रह दीपक बुझ ना तू ,विपरीत विकत हालातों में ।।है काल रात्रि चंहु ओर तमस ,सूरज का निकलना बाकी है ।दमकी दामिनि ,अति तीव्र पवन ,हे दिये !तू ही एकाकी है ।।बुझ गए सकल साथी तेरे ,आगे तूफान भयंकर है ।गिरती उठती तेरी लौ है ,अब और न क... Read more |

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6:15pm 21 Oct 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
(माननीय मुख्यमंत्री जी के कॉलेज दौरे पर ,इस राज्य सरकार के इंजीनियरिंग कॉलेज की नवनिर्माण प्रक्रिया को देखकर मन कुछ कहे बिना ना रह सका )मुख्यमंत्री आ रहें हैं ,मुख्यमंत्री आ रहें हैं ।छात्र ,अध्यापक ,चपरासी ,कर्मचारी ,सभी एक स्वर में गा रहे हैं ।।मुख्यमंत्री आ रहें हैं ... Read more |

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10:51am 20 Oct 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
नित बदलती इस धरा का रूप अब क्या हो गया है ।थे शुशोभित हरित उपवन नाश सबका हो गया है ।।सप्त स्वर से गूंजते वे पक्षियों के मधुर कलरव ,मंद शीतल वायु के झोंको से विचलित पेड़ पल्लव ।हरित उपवन से शुशोभित ,काले बदरों से अलंकृत ,इस धरा और आसमां का रंग क्या अब हो गया है ।नित बदलती --------... Read more |

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6:56am 20 Oct 2012 #
 Sachchidanand Tiwari
######## मुसाफ़िर यादों के हंसी गुलशन में जीना सीख लेना तुम ,हवाओ के सदिश रुकना व चलना सीख लेना तुम |कभी खुशियों के मेले आयेंगे तुझको हंसायेगे ,कभी गम से भरे सागर यहाँ तुझको रुलायेंगे ||मिलेंगे हर कदम पर हर तरह के लोग इ... Read more |

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4:47am 20 Oct 2012 #

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12:00am 1 Jan 1970 #
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