Blog: Prem Patrika-Hindi Poems ,Comedy,love,Dard ,Hindi Love Stories,Hindi love poems
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 nishikant tiwari
उसकी आँखों में कितना प्यार कितनी सच्चाई दिखती मेरी कितनी चिंता थी, कितना ख्याल रखती जुदा होने की सोच के कैसे घबरा जातीऐसे गले लगती कि मुझमे समा जाती उसके प्यार रस में भीग, लगता सब सही है कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |कितने साल महीने हर पल उस पर मरते रहे अपनी खुशनसीबी समझ... Read more |
 nishikant tiwari
लहराती हो जब आँचल तो पेड़ झूमते हैंछुप छुप के देखते हम पेड़ो को चूमते हैंउन्हें पहली बार देखते हीं मर गये थेखुद को रोग कैसा लगाकर उस दिन घर गए थेनींद में हैं मुस्कुराते, जागते हुए रोते हैपागलपन को अपने मोहब्बत का नाम देते हैं खुद की लगाई आग में हर पल ये... Read more |
 nishikant tiwari
यह न थी हमारी किस्मत कि विसाल-ऐ -यार होता ,अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता !ये मेरे भाग्य में नहीं था कि मैं अपने प्यार से मिल पाऊं |मुझे उस घड़ी का इंतज़ार रहता अगर मैं उस समय तक जीता |तेरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूठ जाता,मैं खुशी से मर न जाती अगर ऐतबार ह... Read more |
 nishikant tiwari
हर शाम जब भी मैं छत पे टहलने जाताउसे सामने की छत पे मटकते पाताकभी शर्मा के देखती, कभी देख के शर्मातीकिताब लिए मुझे देख हमेशा कुछ रटती रहती |मैं था निपढ मुर्ख बाल ब्रह्मचारीवो कहाँ कोई साधारण नारीलड़की देख तो मुझे आये पसीनामोह... Read more |
 nishikant tiwari
रूठी तो कई बार थी मुझसे ,पर इतना दर्द तो ना होता था ,जिस प्यार की खातिर किये कितने समझौते ,वो प्यार खुद में एक समझौता था |दूर होके वो मुझसे कितनी खुश है ,पहले तो यकीं नहीं होता था ,टूटे सपनो की चीखें सोने नहीं देतीं ,उसके अदाओं में खोया पहले भी कहाँ सोता था |उस घर के आते हीं मेर... Read more |
 nishikant tiwari
छू कर तेरे गालों को ,क्या मिला मुझे इनकी कोमलता छीन कर बिखरा के कजरा आंसुओ से अब इन्हें और न मलिन कर हर सदमे से उबर जाऊँगा ,सदा की तरह मेरा आज भी यकीन कर |अपनी खुशियों का बलिदान देकर ,मात-पिता को खुश करने चली है जीवन जितना जटिल है, उतनी ही तू भोली पगली है इस वियोग में कितना तड़प... Read more |
 nishikant tiwari
जब याद करके तेरा उदास मुखड़ा हृदय फटने लगता है और अपनी रिश्ते की अनिश्चिताओं में मन भटकने लगता है काम करते करते ,सब के सामने जब आँखों में नमी सी उभरने लग जाती है एक समझौता कर लेता हूँ रोने का भी वक्त कहाँ ,दो चार आहें भर लेता हूँ |थक कर जब तेरे कंधे पर सर रख के सोने का मन करता ... Read more |
 nishikant tiwari
कितना भी यत्न कर लूंटीस है जो कम होती नहीं हैरोता है रोम रोम मेरा
बस ये आँखें हैं जो रोती नहीं हैं |रोज़ सोचता हूँ कि आज सोऊंगा चैन सेओढ़ कर सपनों की चादर
पावँ हो गए है लम्बे मेरेये चादर भी पूरी होती नहीं है |देख कर खुद को यकीं होता नहीं हैक्या से क्या हो गया मै ,क्या ये सही ... Read more |
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