Blog: साहित्य प्रसून |
![]() ![]() (सारे चित्र''गूगल-खोज'से साभार) दरिद्रता-दुःख-दीनता, निर्धनता की मार !कितना पीड़ित विश्व में, है आधा संसार!!पुत्र कुबेरों केकई, कारूँ के कुछ लाल!जिनकी जेबों में भरा, बहुत मुफ़्त का माल!!उल्टे-सीधे मद्य-मद, मदिरा–चरस–अफ़ीम !पीते खाते डोलते, कुछ मरियल कुछ भीम !!कपट-जालले ढू... Read more |
![]() ![]() (सारे चित्र''गूगल-खोज'से साभार)धन-बल, जन-बल, राज-बल, की हो गयी शिकार !नारी पशुतासे दबी, विवश अर्द्ध संसार!!मुस्तण्डे-गुण्डेकई, कई कु–धर्म-महन्त!पाखण्डों का है नहीं, जिनके कोई अन्त !!निसन्तान कुछ नारियाँ, फँस कर इनके जाल!सम्मोहित तन सौंपतींहोतीं पूत-निहाल!!ढोंगों के ऐसे खुल... Read more |
![]() ![]() अति आधुनिकसमाज है, इतना हुआ सुधार!देखो यौवनबेचता, है आधा संसार !!शराब-खाने, जुवा-घर, में मर्यादा नग्न !सुरा पिलाती, रूप-रस,से कर सब को मग्न!!काल-गर्लका नाम धर, होती वेश्या-वृत्ति!धन की भूखी सुन्दरी, जहाँ कमाती वित्त!!और इस तरह हो रहा, है तन का व्यापार !देखो यौवनबेचता, है ... Read more |
![]() ![]() गंगा-स्नान/नानक-जयन्ती(कार्त्तिक-पूर्णिमा) की सभी मित्रों को वधाई एवं तन-मन-रूह की शुद्धि हेतु मंगल कामना ! (सारे चित्र''गूगल-खोज'से साभार)नम्बर दो के माल से, कर कुछ सिक्के दान !मन की धोने मैल तू, कर गंगा-स्नान !!दाम क... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार) नशा, व्यसन के हैं कई, कामी जनबीमार !छलके फन्देमें फँसा, है आधा संसार!!लोलुप-लम्पट ... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार) चोरी से बिकता जहाँ, है आधा संसार |वित्तकमाने के लिये,लगा रूप... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार) कुछ पश्चिम की सभ्यता, कुछ अभाव का भार!फँसा वासना-जालमें, है आधा संसार!!महानगर में देखिये, अजब निराली शाम !सस्ती महँगी बि... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार) डाल के चारा लोभ का, धनिकों ने लीं पाल !फँसीप्रीति की मछलियाँ, कई काम के जाल!!अपना हीरा लाज का, बेचा सस्ते मोल!ऐसी दौलतखो रहीं, जिसकी कहीं न तोल!!ग्राहकरीझें सौंपती, हैं सोल... Read more |
![]() ![]() वाह !वाह !! क्या खूब है, यह युग का बदलाव!हारे हैं इंसानसे, कूकर और बिलाव!!कैट-वाक में देखिये, ललनाओं का रूप!खुले खुले मैदानकी, कामुक कामुक धूप!!छुपे हुये हर हर अंगपर, दो अंगुल का चीर’ !भर भर अंजुलि’ पीजिये, खुला रूप का नीर!!हर आयु में झेलिये, यौवन का सैलाव!हारे हैं इ... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार) छोट-बड़े का भेद तज, हों सब आज समीप !भेद-भाव को त्याग कर, साथ जलायें दीप !!दूर हुये जो रूठ कर, उन्हें मनायें आज !टूटन-टूटन में बंटा, जोड़ें सकल समाज !!प्रेम-नगाड़े पर लगे, ऐसी प्यारी थाप !आवाजों पर खुलें दिल, हर कुण्ठा हो साफ़ !!एक साथ झूमें सभी, निर्धन य... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार) रात मिटायें नर्क की, जगा स्वर्ग का भोर !नर्कासुर-वध कीजिये, सारी शक्ति बटोर !!लक्ष्मी उलूक पर चढ़े, घर-घर जाए नित्य |ताकि स्वेच्छाचार से, करे न ओछे कृत्य ||ब्रह्मा जागें, हरि जगें, जागें शिव हर देश !त्रिदेव सत्पथ पर चलें, धर मानव का वेश !!ऐसा पनपे... Read more |
![]() ![]() रोग हरें, सब दुःख हरें, हे प्रभु देर-अबेर ! कृपा करें सब पर अरे, धन्वन्तरी- कुबेर !! निर्धनता लक्ष्मी हरें, सुखी करें सम्पन्न ! सारे लोग प्रसन्न हों, मत हों कहीं विपन्न !! व... Read more |
![]() ![]() त्याग आवरण लाज का, शील के वसन उतार !रति मदिरा पी कर चली,लिये वासना-ज्वार!!घर के बेटे-बेटियाँ, अल्पायु में आज |ढूँढ रहे हैं भोग सब, दूषित बाल-समाज ||नृत्य-कला के नाम पर, नग्नवाद का नाच |कामुक मुद्रा दिखाते, नर्त... Read more |
![]() ![]() मन-सु-गगन में काम-घन, उठे निरंकुश आज |जगी वासना की तड़ित, पशुवतमनुज-समाज ||तज कर सात्विक भोज को, अति तामस आहार |अधिक मद्य पी ‘मद’-भरे, ‘पशुओं’से ‘व्यवहार’ ||कामोत्तेजक चित्र लख , उठा वासना-ज्वार |फिर ‘संयम के बाँध’ की, टूट गयी दीवार ||भ... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार) तन के आधेआवरण, देखो दिये उतार !बना शील का आभरण. खुला रूप-बाज़ार!!इन वस्त्रों का देखिये, क्या ही अजब कमाल !ह्रदय फाँसने के लिये, बने हुये ये जाल!!शायद कोई भी जगह, तन की रही न श... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार) सु-सभ्यताकारख लिया, असभ्यताने नाम !चम्पा-पादपमें लगे, कनक-कु-फलउद्दाम !!पंखउठा कर तितलियाँ, रहीँ इस तरह नाच !मर्यादायें टूटतीं, जैसे कच्चा काँच!!भ्रमरों की गुंजारकी, जगह कु-कर्कश राग!तोते- मैनाकी जगह, घुसे ‘बाग’ में ... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार) मिटी सादगी ह्रदय के, उथले हुये विचार !मानवता में पनपते, पशुता के व्यवहार!!काम-कला का प्रदर्शन, खुले में करते लोग !पशुओं जैसा चाहते, मुक्त यौन के भोग !!ये मानवता के सभी, नि... Read more |
![]() ![]() यौन-क्रान्तिके नाम पर,ओढ़ेमलिन विचार |आठो रतियाँ’ कर रहीं, कामातुर व्यवहार !!काम-वासना के लिये, बन कर के सामान!रतिखुल कर के आ गई, खो कर निज सम्मान!!इन्सानी जज्वात में, कामुक ज़हर उंडेल|नागिन बन कर वासना, खेल रही है खेल ||संयम&... Read more |
![]() ![]() (गान्धी जयन्ती पर विशेष !) (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार) दिलों में झुलसे हुये अनुराग रोकिये !भारत में लगी, बापूजी, आग रोकिये !! मुहँ बाये हुये दैत्य से दहेज़ देश में |नारी के सुख पे लगे बन्देज़ देश में ||पापों के घड़े हो रहे लवरेज देश में |ज्वाला सी जली, फूलों की सेज देश में ||वीर... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार)कितने मैलेहो गये, प्रेम-हँस के पंख !सदाचार की वायुमें, उछली इतनी पंक!!सम्बन्धों की नाव है, रिश्तों की पतवार |दोनों टूटे किस तरह, पार करें मझधार!!सीताओंको मिल रहा, घर में ही वनवास!कौशल्याभी बन गयीं, क... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार)नग्नवाद ने आजकल, किये कलुष व्यवहार !गंगाजल में घुल गयी, है मदिरा की धार!!लाज-शील के देखिये, टूटे नाज़ुक तार!चीर-हरण के लिये खुद, द्रौपदियाँतैयार !!बहुत भला होता नहीं, यह जीने का ढंग |आचरणों की सतह पर,&... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार)परिवर्तनके देखिये, बड़े निराले ढंग |दाँव-पेच से कट रही, मर्यादा की पतंग ||हुई प्रदूषित-विषैली, स्वाति-नखत-जल-धार |प्रेमी-चातकपी इसे, है मन का बीमार ||संयमके वन-मोरको, आने लगती आँच |पंखउठा कर मोरनी, रति कीउठतीनाच ||यौन की कामी-क्रान्तिसे, बागीहुआ अ... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार)कभी बन गया नक़ली नेता, कभी लालची लाला यह |भेष बदल कर दानव आया, उजाले कपड़े वाला यह || खाता फिरता है हराम की | करे न मेहनत यह छदाम की ||कपट तपस्वी,असत्-पुजारी, जपता माला फिरे राम की !!कभी बन गया मौनी बाबा, लगा के मुहँ पे ताला यह |चेले धूर्त्त बटोरे इ... Read more |
![]() ![]() (सरे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार)‘यौन-क्रान्ति’ की ‘आड़’में, हुई ‘नग्न’‘तहज़ीब’ |हम ‘हैरत’में पड़ गये, लगता बहुत ‘अजीब’ ||‘कलियाँ’ कई ‘’गुलाब’ की, ‘पंखुरियों’ से तंग |हैं दिखलाती चाव से, खुले अधखुले ‘अंग’ ||विज्ञापन के बहाने, अपने ‘वसन’ उतार |सुन्दर-सुन्दर ‘रूप’का, करती हैं ‘... Read more |
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