Blog: Falsafa |
![]() ![]() antardwand: एक लम्बा सफ़र तय कर लिया है मैंने, पर मन के अन्दर...: एक लम्बा सफ़र तय कर लिया है मैंने, पर मन के अन्दर झांकती हूँ, तो खुद को वहीँ खड़ा पाती हूँ, जहाँ से चलना शुरू किया था, वक़्त बदलता ह...... Read more |
![]() ![]() falsafa -e-jindgi: परालौकिक विषयों पर बहुत खोज की गई है और बहुत से दा...: परालौकिक विषयों पर बहुत खोज की गई है और बहुत से दावे भी किये जा चुके है। लेकिन मृत्यु के बाद मनुष्य कहाँ जाता है ,आत्मा कहाँ विचरण करती है...... Read more |
![]() ![]() falsafa -e-jindgi: मैं हमेशा से ही भाग्यवादी रही हूँ। मेरा मानना है क...: मैं हमेशा से ही भाग्यवादी रही हूँ। मेरा मानना है कि जीवन में जो भी घटित होता है वह पूर्वनिर्धारित होता है। फिर उसे हम किसी भी सूरत में परिव...... Read more |
![]() ![]() falsafa -e-jindgi: उसकी आँखों की चमक ने मुझे हैरान कर दिया। यह वही ते...: उसकी आँखों की चमक ने मुझे हैरान कर दिया। यह वही तेज है जो किसी विदुषी के चेहरे पर होता है। साधारण से कपड़ों में भी उसकी सुंदरता नज़र आ रही ...... Read more |
![]() ![]() falsafa -e-jindgi: मोनिका के बारे में मेरी प...: मोनिका के बारे में मेरी पोस्ट के बाद बहुत से मित्रों ने मेरे इनबॉक्स में आकर उसके बारे में और जानना चाहा। तो लीज...... Read more |
![]() ![]() falsafa -e-jindgi: कुल चौदह साल की थी जब पहली बार ओशो को पढ़ा। और उन्...: कुल चौदह साल की थी जब पहली बार ओशो को पढ़ा। और उन्नीस साल की उम्र में उनको समझा , जब बड़े भाई को एक एक्सीडेंट में खो बैठी। तब उन दिनों लग...... Read more |
![]() ![]() falsafa -e-jindgi: वृन्दावन में हमारे घर के बाहर एक साधु बाबा बैठे रह...: वृन्दावन में हमारे घर के बाहर एक साधु बाबा बैठे रहते थे। वो हमेशा एक वाक्य को दोहराते रहते थे। '' घट रही है , बढ़ रही है'...... Read more |
![]() ![]() परालौकिक विषयों पर बहुत खोज की गई है और बहुत से दावे भी किये जा चुके है। लेकिन मृत्यु के बाद मनुष्य कहाँ जाता है ,आत्मा कहाँ विचरण करती है ये आज भी हम सब के लिए कौतहूल का विषय है। क्या जीवन के उपरांत भी कोई संसार है? जहाँ वास्तव में हमारे अच्छे और बुरे कर्मों का निर्धारण ह... Read more |
![]() ![]() kadambari: अली सरदार जाफरी: खून की गर्दिश , दिल की धड़कन , सब रंगीनियाँ खो जायेंगी, लेकिन मैं यहाँ फिर आऊँगा , मैं एक गुराइज़ा लम्हा हूँ, आयाम के फसूखाने में, मैं...... Read more |
![]() ![]() आईपीएल के दिन हैं। पूरा मोहाली आईपीएल के रंग में रंगा हुआ है। मोहाली स्टेडियम घर से बस थोड़ी ही दूर है। रोज स्कूल से लौटते में बच्चे बस की खिड़की से उसे निहारते हैं। घर आते ही बच्चे मुझसे मैच देखने जाने की जिद करने लगते हैं। यूँ तो मुझे क्रिकेट की एबीसीडी भी समझ नहीं... Read more |
![]() ![]() antardwand: भीड़ है पर कहाँ ,मुझे तो दूर तककोई साया भी नज़र...: भीड़ है पर कहाँ , मुझे तो दूर तक कोई साया भी नज़र नहीं आता , आधे सोये हुए बेजान पुतले हैं चारो तरफ , जिन्दगी का कोई नामोनिशान नहीं आता...... Read more |
![]() ![]() अपने जीवन में बहुत सी सशक्त महिलाओं से मेरा परिचय हुआ। कई उच्चशिक्षित, आत्मनिर्भर ,बुद्धजीवी एवं दबंग महिलाओं से मेरा संपर्क रहा है,लेकिन जीवन जीने की कला को सीखने में जिन्हें मैंने अपनी प्रेरणा म... Read more |
![]() ![]() बच्चों के एक्जाम्स क्या ख़त्म हुए मानो मेरा सरदर्द शुरू हो गया । मुद्दा वही एक कि आखिर फ्री टाईम में करें तो क्या करें ? एक के बाद एक फरमाइशों कि लिस्ट आने लगीं। मुझे प्ले-स्टेशन कि नई सीडी चाहिए, मुझे ड... Read more |
![]() ![]() "हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे ,कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़-ए-बयां औऱ !"यूँ ही लोकल अख़बार के पन्ने पलटते हुए पढ़ा कि मेरे घर के पीछे की गली में स्थित ग़ालिब की हवेली यानि इंद्रभान गर्ल्स इंटर कॉलेज में मिर्ज़ा ग़ालिब की स्मृति में एक कार्यक्रम आयोजि... Read more |
![]() ![]() antardwand: परिवर्तनयदि जीवन में दुःख और सुख कीपरिवर्तनशीलत...: परिवर्तन यदि जीवन में दुःख और सुख की परिवर्तनशीलता न होती तो शायद कविता भी न होती , क्योंकि कोई कहा तक लिखेगा प्रकति पर, मौसमो...... Read more |
![]() ![]() falsafa -e-jindgi: ख्वाहिशों का राशिफल: वक़्त के साथ-साथ इंसान का जीवन के प्रति नजरिया भी बदलता रहता है। इंसान की उम्र और उसका अनुभव उसकी सोच पर निश्चित रूप से असर दिखाता है। उदाह...... Read more |
![]() ![]() वक़्त के साथ-साथ इंसान का जीवन के प्रति नजरिया भी बदलता रहता है। इंसान की उम्र और उसका अनुभव उसकी सोच पर निश्चित रूप से असर दिखाता है। उदाहरण के लिए जब हम टीनएज या यंगस्टर होते हैं तो अपने डेली होरोस्कोप में लव और रोमांस वाले सेक्शन को सबसे पहले पढ़ते हैं और उसे ही ... Read more |
![]() ![]() falsafa -e-jindgi: माँ की आँखों से कुछ नहीं छुप सकता । माँ की आँखें ...: माँ की आँखों से कुछ नहीं छुप सकता । माँ की आँखें सब कुछ देख लेती हैं, समझ लेती हैं बिना बताये ही, दो बच्चों की माँ होने पर भी जिस बात को म...... Read more |
![]() ![]() आज हरियाली तीज है। बाहर मूसलाधार बारिश हो रही है। सुबह सोचा कि क्लास न लूं, लेकिन कुछ स्टूडेंट्स आ गए तो मन न होते हुए भी क्लास ली। उसके बाद चाय का कप लेकर मैंने लैपटॉप पर अपना एक बहुत ही पसंदीदा गाना लगाया। बाबुल मोरा …… नैहर छूटो ही जाये…. , जगजीत और चित्रा ... Read more |
![]() ![]() गर्मी की छुट्टियाँ खत्म , फिर से जिन्दगी अपने उसी पुराने ढर्रे पर चल पड़ी है। खूब सोये, फिल्में देखीं, किताबें पढी , घूमे फिरे और मज़ा किया । पर हमेशा तो ये सब नहीं चल सकता है न। तो फिर शुरू हो गया काम का सिलसिला।। सुबह जल्दी उठ कर बच्चों को स्कूल भेजना, पति... Read more |
![]() ![]() गर्मी की छुट्टियाँ खत्म , फिर से जिन्दगी अपने उसी पुराने ढर्रे पर चल पड़ी है। खूब सोये, फिल्में देखीं, किताबें पढी , घूमे फिरे और मज़ा किया । पर हमेशा तो ये सब नहीं चल सकता है न। तो फिर शुरू हो गया काम का सिलसिला।। सुबह जल्दी उठ कर बच्चों को स्कूल भेजना, पति... Read more |
![]() ![]() माँ,जब भी मैं तुम्हारी प्रतिमा को देखती हूँ तो ,एक प्रश्न उठता है मन में,तुम शक्ति का स्वरूप हो ,खडग,त्रिशूल, गदा धारण किये,सिंह पर सवार हो,पुरुष तुम्हारे आगे शीश झुकाते हैं,लेकिन तुम्हारी ही जैसी तुम्हारी बेटियाँ फिर क्यों इतनी कमजोर हैं,दबी हुई ,डरी हुई ,पुरुषों के आ... Read more |
![]() ![]() अब के हम बिछड़े तो शायद फिर ख़्वाबों में मिले।...... क्या हमने कभी सोचा था कि ये बात गलत साबित हो जाएगी। अब वो जमाना नहीं रहा कि प्यार करने वाले लोग एक बार बिछड़ते थे तो फिर कभी नहीं मिलपाते थे। फेसबुक और ऑरकुट जैसी साइट्स ने हमारे जीवन से विरह रस को तो जैसे स्टीम इंजन क... Read more |
![]() ![]() खूंटे से बंधी गाय को देखा है कभी?निःशब्द निर्विरोध करती रह्ती है भरण पोषण ,अपने बछड़ो का ही नहींदूसरों के बच्चों का भी,भूखे पेट रह कर भीलाठियां सह कर भीनहीं करती प्रतिकार,क्योंकि उसे मालूम है किउसका जन्म ही हुआ है दूसरों के लिए,कहलाती है मातापूजी जाती है यदा कदा ,उप... Read more |
![]() ![]() कभी कभी ऐसा लगता है की दिमाग विचारों की एक फैक्टरी है जिसमें से हर रोज बेतहाशा हजारों विचार निकलते रहते हैं।बहुत कोशिश करती हूँ खुद को व्यस्त रख कर दिमाग के प्रोडक्शन हाउस से होने वाली विचारों की इस अनलिमिटिड सप्लाई को रोकने की लेकिन ये है कि रूकती ही नहीं। और विचा... Read more |
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