 Anoop Kumar
This decision will be of utmost importance to the Indian masses. It’s also a thrash on the faces of those who think that Indiais a country, where money and power decide the future of the justice. As our Supreme Court has rightly upheld the conviction of the former MP, Anand Mohan, I am glad that such a major jolt has been felt by the blind politicians. But still I am not satisfied by the judgment as I think that the decision should not have been much delayed also the culprits must have been granted much harsher punishment - as this cases, in my opinion falls in the rare of rarest cases.Following is the report from Zee News website:SC upholds life term to Anand Mohan in murder case New Del... Read more |
 Anoop Kumar
सूरज की गर्मी से जली फिर आज ये अपनी धरती है सूखी अब फसलें हैं पड़ी भूखी अब जनता मरती है ऊंची खड़ी इमारतों ने हवा का रुख़ फिर रोका है हम पूछ रहे हैं अब खुद से कि कहाँ हवा का झोंका है बारिश की बूंदों से फिर धरती की तपिश है थमी रही पर बादलों की आँख मिचौली से आँखों में नमी रही ... Read more |
 Anoop Kumar
तू रुका है पर टूटा तो नहीं था साथ जो कल छूटा तो नहीं तेरी कोशिश से खुश हैं सभी तुझसे है कोई रूठा तो नहीं आगे बढ़ने के लिए भी एक ठहराव जरूरी है एक ठहराव जरूरी है रहता नहीं सबकुछ पहले सा हर पल भी कभी टिकता ही नहीं जो अभी है तारा अम्बर का वो सुबह में तो दिख... Read more |
 Anoop Kumar
रिश्ते नातों को कफ़न दिएअरमानों को दफ़न कियेवो चला जा रहा है वो चला जा रहा है भूल के वो सबकी बातेंकरके अनसुनी कुछ फरियादेंदेकर आंसू इन आँखों में जो यार था मेरा लाखों मेंओझल हो गया वो नज़रों सेन पता मिला फिर खबरों से समेट के सारे सपनों कोभूल के सारे अपनों को वो चला जा रहा ह... Read more |
 Anoop Kumar
गिरते संभलतेयूं ही चलते चलते तूने है जीना सिखा दिया राहों में मेरे थे जब भी अँधेरे तूने है रस्ता दिखा दिया एक तू ही है मेरा हमसफ़र एक तू ही है मेरा हमसफ़र चलने से पहले पूछा जो खुद से क्यों है तू अकेला राहों में फिर तेरी पनाहें मुझे मिली तूने है थामा फिर बाहों में मुश्... Read more |
 Anoop Kumar
आवाज़ उठी जो सही के लिए हुकूमतों ने दफ़न किया उठ गया भरोसा वादों से जिनका उन सब ने गबन किया कुछ सन्नाटों में चीखें थी जिनको किसी ने भी न सुना फरियादें जब हुयी अनसुनीतब मैंने हथियार चुनाएक सुनहरे कल का ख्वाब जो देखाइस दिल में कई उमीदें थीएक नयी सोच से सजी हुयी मेरी आँखो... Read more |
 Anoop Kumar
न दिखता है रस्ता कोई धुंधला सा यहाँ सवेरा है है दिशा कहाँ मुझको न पता ये कहाँ कारवाँ मेरा है एक रौशनी की है तलाश कब ये तलाश पूरी होगी कब बीतेगी ये रात अँधेरी कब दूर ये बेनूरी होगी हो घना अँधेरा कितना भी छटता है सुबह के होने पे रौशनी का एक ज़र्रा भी आता है रात के सोने पे ... Read more |
 Anoop Kumar
एक परिंदा अब न रहा एक परिंदा अब न रहा जिसने देखे थे ख्वाब कई जिसकी यादें पीछे रह गयी जो खुला आसमां समझ के उसने अपनी एक परवाज़ चुनी टूट गए अरमां उसके न किसी ने उसकी आह सुनीउड़ न सका है वो फिर कभी जबसे सपने क़ुर्बान हुए ख्वाब थे जितने आँखों में सब उससे अन्जान हुए एक परि... Read more |
 Anoop Kumar
उन बातों को हम भूल गए जिन बातों से तकरार बढ़ी उन दीवारों को तोड़ गए जो सबके थी बीच खड़ीकब तक रखें उन बातों को छुपा के अपने दिल में हम जिनसे हम कोसों दूर रहे जिसने की सबकी आँखें नमक्या खोया सब भूल के हम लें एक दूजे की बाहें थाम भुला के सारी नफरत को एक नयी सुबह को करें सलाम... Read more |
 Anoop Kumar
जिस धड़कन में बहती थी कभी एक सोच वो क्रांति को लाने कीउसको है अब जंग लगी उसकी है घड़ी थम जाने की हम कोसते हैं उस गद्दी को जिसपे बैठे हैं भ्रष्ट सभी जिनके वादे भी अधूरे हैं पूरे न होंगे वो भी कभी हैं उम्मीदें उनसे ही जुड़ीजो बदलें नीव जमाने कीहैं उनकी ही कोशिश पे टिकी एक सोच ... Read more |
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