Blog: अंजुमन |
![]() ![]() रचनाकार : डॉ. गायत्री गुप्ता ‘गुंजन’-----------------------------------------------------तुमने बेचैन होके इस कदर पुकारा मुझको।साहिल पे छोड़ गई मझधार की धारा मुझको॥कैसे देगा कोई इस भँवर में सहारा मुझको।जबकि अपना ही ग़म अब तो है प्यारा मुझको॥उसको दुनिया की सारी रस्में जो निभानी थीं।अक्श़ ही छोड़ गया मेर... Read more |
![]() ![]() आदिम सभ्यताओं से गुजरते हुयेअहसासों को जगह-२ महकते देखा..सभ्यताएँ वहाँ वस्त्रों की ओट में सिसकते हुयेदम नहीं तोड़तींबल्कि नग्न सौन्दर्य से उठतीसलीके की मादक गन्ध में मदमस्त हो नृत्य करती हैं..भावनाओं को बहने के लिएशब्दों के पुल की आवश्यकता नहीं होतीवे तो एक-दूजे के ग... Read more |
![]() ![]() कविताएँ : रूमीअनुवाद : डॉ. गायत्री गुप्ता ‘गुंजन’------------------------------------------कोई ये ना सोचे कि हम बुरी तरह टूट चुके हैं;कि हममें दरारें पड़ चुकी हैंहम तो केवल अपनी पत्तियाँ गिरा रहे हैं,आने वाले वसन्त के लिए...* * *‘बुरा वक़्त’ सामने से आकर डराता है;पर इसे गुज़र ही जाना है, क्योंकिहर निराशा... Read more |
![]() ![]() ‘तेरे-मेरे दरमियां’ : निज़ार कब्बानीअनुवाद : डॉ. गायत्री गुप्ता ‘गुंजन’---------------------------------------तेरे-मेरे दरमियांसाल दर साल पिघलते रहेऔर होंठ थरथराते रहे, लरज़ते रहेअपनी-अपनी जुम्बिशों के बीच..किन्तु जब वे मिलेतो शताब्दियाँ ठहर गईंऔर ज़िन्दगी काँच की तरह झरती रहीलम्हा-लम्हा...त... Read more |
![]() ![]() ‘पथिक’ : स्टीफ़न क्रेनअनुवाद : डॉ. गायत्री गुप्ता ‘गुंजन’------------------------------------------------ पथिक..ये देखकर आश्चर्यचकित था, किसत्य की ओर ले जाने वाले मार्ग परपरत दर परत मातम ही पसरा था...‘ओह!’, वह बोला;‘सदियाँ हुईं यहाँ से कोई नहीं गुजरा’..किन्तु जब उसने प्रत्येक परत में एक धारदार चाकू पाया... Read more |
![]() ![]() ‘यदि’ : रूडयार्ड किपलिंगअनुवाद : डॉ. गायत्री गुप्ता ‘गुंजन’यदि तुम उस समय भी धैर्य रख सको, जब तुम्हारे आसपास, लोग अपनी असफ़लताओं का दोष तुम पर मढ़ें;यदि तुम उस समय भी खुद पर विश्वास रख सको, जब सब तुम्हें सन्देह की नज़रों से देखें,साथ ही, उनके सन्देह को भी जगह दो;यदि तुम प्रतीक... Read more |
![]() ![]() मैं फ़िर भी बढ़ूँगी : माया एंजेलो(अनुवाद : डॉ. गायत्री गुप्ता ‘गुंजन’)भले तुम इतिहास बना दो मुझकोअपने कड़वे और सफ़ेदपोश झूठ सेजमीन पर गिराकर धूल होने तकलेकिन फ़िर भी, धूल होकर भीमैं आगे बढ़ूँगी..क्या मेरी मुखरता सताती है तुम्हें?या घिर आये अँधेरों से भी डर लगता है?क्योंकि ... Read more |
![]() ![]() फ़िर से बख्शे हैं तूने नेमतों के गुलदस्तेफ़िर से उट्ठे हैं मेरे हाथ दुआओं के लिए॥१॥फ़िर से महके हैं किसी नज़्म के हँसी दस्तेफ़िर से आया है कोई, बज़्म में अल्फ़ाज़ लिए॥२॥फ़िर से दी है तूने आवाज मेरे सैदाईफ़िर से आए हैं, फ़ना होने को जज़्बात लिए॥३॥फ़िर चमक उट्ठा है आकाश किसी लौ की तरह... Read more |
![]() ![]() आज लिखा जीवन के पट परयारों मैंने गीत नयानई सुगन्ध है, नई किरण हैजीवन मुझको नया मिला..अब न रुकुँगी जीवन-पथ परप्रण मैंने है आज कियाजितने कंटक और शूल थेआज सभी को पार किया..आँखों में अब नहीं याचनान ही अश्रु की है धारासाँसों में है नई ताज़गीशब्दों में जीवन-धारा..साथ चलेगा जग मे... Read more |
![]() ![]() पाओगे कैसे हमें उनकी निगाहों में कहोजबकि हम उनकी धड़कनों में बसा करते हैं..हमने अपनी हर एक साँस वार दी उन परएक वो हैं, जो दो-चार धड़कनों का गुमां करते हैं..ठहरो, बालिश्तों से क्या नापोगे तुम कद मेराहम वो ज़र्रा हैं, जो तूफ़ानों सा दम भरते हैं..तुमने तो कह ली अपनी, और बस कहते ही गए... Read more |
![]() ![]() “ हो s s, रघुनन्दनजी घर आए, सजाओ बन्दनवार जी..सब मिल के दीप जलाओ, गाओ मंगलचार जी...”********हो s जी... रघुनन्दन जी की भाँवर, पड़न लागीं, सियाजी के संग.....हो जी, आवहु मैया-बाबुल करहु दान कन्या ... Read more |
![]() ![]() हमरे तो पीर आवे, ननदी हँसत डोले-२प्यारे सैंया, भोले सैंयाननदी विदा करोआज विदा करो, अभी विदा करोहमरे तो पीर आवे...साड़ी कढ़न गई, ब्लाउज सिलन गयोगंगा-जमुना चढ़ रही हैंकैसे विदा करूँ..लेने कोई आया नहीं हैकैसे विदा करूँ..हमरे तो...साड़ी मैं अपनी दूँगी, ब्लाउज तो रानी का हैगंगा-जमुन... Read more |
![]() ![]() आओ हम ताना बुनेज़िन्दगी के करघे परएक हाथ तुम्हारा, एक मेराऔर रंग तो प्यार के ही होंगे ना?और हाँ,कुछ बूटेनोक-झोंक,मान-मुनहार के भी बनानातभी तो खिलेगी नाहमारी, प्रीत की झीनी चदरिया...देखो,तुम रोते बहुत होऐसा मत करनावरना रंग बह जाएँगेमुझे हल्के रंग पसन्द नहीं..वैसे भी,जो खु... Read more |
![]() ![]() तू काहे फ़िरे इतराता बन्ने मेरा बादशाही...माली गली मत जइओ बन्ने मेरा बादशाहीये मालन बड़ी मिजाजन रे सेहरे को देर लगाईतू काहे फ़िरे.....॥१॥दर्जी गली मत जइओ बन्ने मेरा बादशाहीये दर्जन बड़ी मिजाजन रे जामे को देर लगाईतू काहे फ़िरे.....॥२॥सुनार गली मत जइओ बन्ने मेरा बादशाहीये सुनारन... Read more |
![]() ![]() राही पथ ना जाना भूल..जो पथ सत् कारहे अटल वोकभी ना तेरा मन भटकेहों कितने ही कष्ट मार्ग मेंपग-पग पर हों बाधाएँकिन्तु कभी ना डगमग होनाना निराश निज मन को करना..भले असत् मार्ग अपनाकरजो है सरल, मनोहर, सुन्दरतू पग-पग पर गर्वित हो लेकिन्तु अन्त में पछताएगाखुद से हारा कहलाएगा..हो... Read more |
![]() ![]() ऐ ज़िन्दगी! तुझे क्या कहूँ, मेरा सूरज है या चाँद कहूँ.....सूरज की तपिश है तुझमें तो, चन्दा सी शीतलता भी है।इनसे है जगमग दुनिया तो, मेरे दिल की रौनक तुझसे है।मेरा सूरज है और चाँद भी तू, ऐ दिल बता ... Read more |
![]() ![]() जे हारें खितवा काटन जातीं...भुनसारें सें चकिया पीसैंतनक नहीं अलसातीं॥१॥ जे हारें...चनन की भाजी चटनी-मिर्चाले लई रोटी ताती॥२॥ जे हारें...एक तो धर लओ टुकना ऊपरदूजो काँख कँखियातीं॥३॥ जे हारें...नारायण-२ इतनों करतींतऊँ नईं सुख पातीं॥४॥ जे हारें... **********... Read more |
![]() ![]() जे हारें खितवा काटन जातीं...भुनसारें सें चकिया पीसैंतनक नहीं अलसातीं॥१॥ जे हारें...चनन की भाजी चटनी-मिर्चाले लई रोटी ताती॥२॥ जे हारें...एक तो धर लओ टुकना ऊपरदूजो काँख कँखियातीं॥३॥ जे हारें...नारायण-२ इतनों करतींतऊँ नईं सुख पातीं॥४॥ जे हारें... **********... Read more |
![]() ![]() ख़ुदा मेरे अता कर दे, तू मुझको बस नज़र इतनी।कि हर वो शख़्श, जो देखूँ मैं, तो बस तू नज़र आए॥१॥+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++मुझे अब सीखना होगा, हुनर सबसे छुपाने का।कि हर इक लम्हा, यहाँ दिल में, किसी की याद रहती है॥२॥+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++तुझे देखूँ, न देखूँ तो, किधर देखूँ बता यारम।कि हर इक शख़्स में... Read more |
![]() ![]() मेरी लाडो रूप-सरूपकि वर मिले.....हरे-२कि वर मिले सांवरिया.....लाडो की दादी यों कह बैठींवर को देओ लौटाय..अन्दर से वो लाडो बोलीमैं तो मरुँगी विष खायकि भाँवर लूँगी..... हरे-२कि भाँवर लूँगी सांवरिया...मेरी लाडो रूप-सरूप.....॥१॥लाडो की बुआ यों कह बैठींवर को देओ लौटाय..अन्दर से वो लाडो ब... Read more |
![]() ![]() तुम रोज कहतेकल बिताओगेअपना पूरा वक्तमेरे साथऔर मैंज़िन्दगी सेअपने आज कोधीरे से बुहार देती...अब तो इस रोज-२ की बुहार सेज़िन्दगी इस कदरनिर्विकार हो गई हैकिअब तो इसमेंमेरे दु:ख के स्याह टुकड़ेभी नहीं दीखतेऔर अश्रु भीकहीं मलिन होकरदुबक गए हैं.....!! ********... Read more |
![]() ![]() सौंठ के लड्डू चरपरे हैं...इक लड्डू मेरी सासुल ने माँगा..बहू जरा दीजो, कस बने हैं..आधा देत मोरी अँगुरी दु:खत हैं..पूरो दियो ना जाए-गरी के गोला नौ पड़े हैं..पसेरिन इनमें घी भरो है..छुआरे-मेवा सब पड़े हैं..सौंठ के लड्डू चरपरे हैं.....॥१॥इक लड्डू मेरी जिठनी ने माँगा..छोटी जरा दीजो, कस बन... Read more |
![]() ![]() वो जो कहते हैं किहमें उनमें कुछ नज़र नहीं आतावो क्या जानें किहमारी नज़रों में,वे सितारे से रवाँ होते हैं..वो जिनके आने की आहट से हीचटक जाती हैं, मदमस्त कलियाँ।उनको शिकायत है किअनजाने ही हम,गुल-ओ-बाग के पतझड़ की वजह होते हैं..हमें उलझन है किवो क्यों, कुछ नहीं कहतेउनको फ़क है कि... Read more |
![]() ![]() बजा नगाड़ा प्रेम का, बन्ना ब्याहन आया !!सड़कों आया री, गोरी का बन्ना सड़कों आया।घोड़े पे हो सवार, बरात बन्ना ले कर आया॥१॥बजा नगाड़ा..........गलियों आया री, गोरी का बन्ना गलियों आया।हाथ फ़ूलों के गाजरे, बन्ना ले कर आया॥२॥बजा नगाड़ा..........मण्डप आया री, गोरी का बन्ना मण्डप आया।हाथ सिंदूर क... Read more |
![]() ![]() ऐ लड़की, सुनो...!तेरी बातें लोगों को चुभती क्यों हैं?तेरे हर सवाल पे समाज चुप क्यों है?हो सके तोइन बातों को समझ लेअपने मन में हीइन्हें गुन ले...वरना ये समाज हीतुझ पे हँसेगातुझे ही अपने फ़ंदे में कसेगा...तू अन्दर सेइस तरह छिल जाएगीअपने आँसुओं को ही खारा बताएगी...समय रहते सहेज ले... Read more |
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