Blog: Sarasach.com |
![]() ![]() मांग करने लायककुछ नहीं बचामेरे अंदरना ख्याल , ना हीकोई जज्बातबस ख़ामोशी हैहर तरफ अथाह ख़ामोशीवो शांत हैंवहाँ ऊपरआकाश के मौन मेंफिर भी आंधी, बारिशधूप ,छाँव मेंअहसास करता हैखुद के होने काउसके होने पर भीनहीं सुन पाती मैंवो मौन ध्वनिआँधी में उड़तेउन पत्तों में भी नहीं... Read more |
![]() ![]() स्त्री होने का दर्दकसिटता हैकचोटता है मन के भीतरअनगिनत तारों कोवो रो नहीं सकतीकुछ कह नहीं सकतीबाहर निकली तोमर्यादा का डर ,सबसे ज्यादा घर से मिलेसंस्कारों का डरतो कभीआलोचना का डर ,नियमों का डर ,कायदों का डरजो गिर देता हैं आत्मविश्वासफिर भी हँसती हैवो छटपटाती है औरअपन... Read more |
![]() ![]() मैं लम्बे समय से दाम्पत्य सलाहकार के रूप में जरूरतमंदों को अपनी सेवाएँ प्रदान करता रहा हूँ। जिससे प्राप्त अनुभवों को मैं विभिन्न सन्दर्भों में व्यक्त करता रहता हूँ! इसी कड़ी में यहाँ कुछ विचार व्यक्त हैं:- हमारे देश में आदिकाल से सतीत्व को स्त्री का आभूषण माना जाता ... Read more |
![]() ![]() तू क्या हैं /?? क्या होना चाहता था अभी !इंसान के बोलने से पहले इश्वर खेल खेल गया~~कैसे तेल का दिया जलाऊ अपने आँगन मेंउनके घर का तो चिराग ही बुझ गया~~अभी तक सिर्फ पठारों में जीते थे हमअब तो सीने पर ही पत्थर रख दिया~~रोती हुए आवाज़े सिसकियो मैं बदल रही हैंलोग कहते हैं उसने अब सब्... Read more |
![]() ![]() आवाज़ जोधरती से आकाश तकसुनी नहीं जातीवो अंतहीन मौन आवाज़हवा के साथ पत्तियोंकी सरसराहट मेंबस महसूस होती हैपर्वतों को लांघकरसीमाएं पार कर जाती हैंउस पर चर्चायें की जाती हैंपर रात के सन्नाटे मेंवो आवाज़ सुनी नहीं जातीदबा दी जाती हैसुबह होने परघायल परिंदे कीअंतिम सा... Read more |
![]() ![]() जब अन्याय और अत्याचार चर्म परपहुँचता है तो नक्सलवाद जन्मता है! महाराष्ट्र के एक गॉंव में एक आततायी द्वारा कई दर्जन महिलाओं के साथ जबरन बलात्कार किया जाता रहा। पुलिस कुछ करने के बजाय बलात्कारी का समर्थन करती रही। अन्तत: एक दिन सारे गॉंव की महिलाओं ने मिलकर उस बलात्कार... Read more |
![]() ![]() एक पूरी की पूरी स्पेशल ट्रेन को रेलवे की भाषा में सेलून कहते हैं। बिटीश जमाने में अंग्रेज अधिकारी इसमें सफर किया करते थे। आज भी रेल मंत्री , रेल राज्य मंत्री , रेल महाप्रबंधक व रेलवे बोर्ड के अधिकारी इसमें यात्रा करते देखे जाते थे। ऐसे ही र्बिटेन में एक सनकी व्यक्ति ने ... Read more |
![]() ![]() तुम स्त्री हो!माँ !तुम दुनिया की सबसे सुंदर स्त्री होऔर तुमसे ही मैं हूँयह मैंने कब कहालेकिन फिर भी पत्नी ने सुन लियाहे मेरी प्राण प्रिये!दिल से कहते -सुनते हुए भीमुखर होयह मैंने कब कहाकिसी अपरिणीता कोलेकिन फिर भी माँ ने सुन लियाहे स्त्री!इसी तरह बेटी ,बहिन ,बहू,दादी ,बु... Read more |
![]() ![]() जो भी हो देश के सामने ये बात स्पष्ट हो गयी कि राजनीति में अब न तो नैतिक मुद्दे कोई मायने रखते हैं और न हीं बड़े राजनेता। यदि कुछ बड़ा है तो वह है-एक मात्र ‘‘सत्ता’’ पाना। जिसके लिये कभी भी और किसी भी किसी भी सिद्धान्त को तिलांजलि दी जा सकती है। ये भाजपा ही नहीं हर पार्टी मे... Read more |
![]() ![]() यारों इस बरसतो गर्मी खूब हैइसी लिए अपनेदिमागी की बत्तीएकदम फ्यूज हैकशमकश मेंअपनी ज़िन्दगी हैदिल का करेंवो भी कन्फूज हैकनेक्ट करने कीजो कोशिश कीहर कनेक्शन काफ्यूज भी लूज़ हैआलम अब तोज़िन्दगी का जे है कीअपनों के साथ भीडिस-कनेक्शनहो रहा हैकहीं भी कुछ भीक्लिक नहीं हो ... Read more |
![]() ![]() खुरचे हुए शब्दनाखूनों से , दांतो सेऔर निगाहों सेबेजान हैं जान नहीं बचीवो अंडे भी तो टूट चुके हैंउस घोंसले में बेवक़्तऔर ढो रहा है भारवो घोंसलाउन टूटे अंडों काऔर तब से अब तक उसमेंकोई नया अंडा नहीं जन्माकहीं खुरच तो नहीं गया ??वो घोंसला भीशब्दों की तरहये शब्द तो पढे नहीं ... Read more |
![]() ![]() मित्रों, पितृ दिवस पर कितने ही लोगों ने लिख डाला है। पाश्चात्य का एक और प्रभाव लोगों के दिलो दिमाग पर राज करने लगा है। क्या पिता को मनाने के लिए किसी खास दिन की जरुरत होती है? यह नई सोच पता नहीं कहां से उपजी है। हमारे ग्रंथ एवं विद्वानों का मानना है कि माता धरती के समान है, ... Read more |
![]() ![]() एक छाँव का छाता कड़ी धूप से बचाताएक प्रबल सबल प्राय: दोनो हाथ लुटाताएक पर्वत अचल अडिग साहस जगाताएक चमकीला सूर्य रोशनी का अंबार लगाताएक अनंत आकाश ऊँचाई की राह बताताएक कठोर शिला नाजुक क्षणो... Read more |
![]() ![]() कब तक बदहवास मेंचलती रहोगीएक ही धूरी सेएक ही रेखा परधागे भी टूट जाते हैंसीधा खींचते रहने परअंधेरा नहीं हैतो पैर नहीं डगमगायेंगेपर ये धूरी बदल रही हैसीधी ना होकर गोल हो गयी हैतुम्हारी चाल के अनुरुपउसी दिशा में प्रत्यक्षतुम्हारी धूरी परबस मैं ही खडा हूँ । -दीप्ति शर्... Read more |
![]() ![]() इस समतल पर पॉव रखवो चल दी है आकाश की ओरहवाओं का झूला औरघाम का संचय करशाम के बादलों से निमित्त रास्ते सेअपने गूंगेपन के साथवो टहनियों में बांधकरआंसूओं की पोटली ले जा रही हैटटोलकर कुछ बादलों कोवो सौंप देगी ये पोटलीफिर चली आयेगी उसी राह सेफडफडाती आंखों की चमक के साथइसी उ... Read more |
![]() ![]() मेरे ब्लॉग के पिछले पोस्ट पर मेरे एक बेटे का कहना था कि कहानी के पात्र को बदल दिया जाये तो पुरुष की जगह महिला होगी सज़ा की हकद्दार ….उन्हे कहना चाहती हूँ …. किसी भी ऐसी घटना में दोषी दोनों होते हैं , बराबर के …. क्यूँकि ऐसी किसी वारदात तो दोनों के शामिल होने से ही घटित होती ह... Read more |
![]() ![]() ध्यान(योग)की सारी विधियाँ जागरण की विधियाँ ही होती हैं ….कैसे भी हो बस जाग जाना है ….कोई अलार्म लगा कर जाग जाता है … कोई पड़ोसी से कह देता है कि द्वार पर दस्तक दे दे कर जगा दे ….कोई अपने घर के ही अन्य सदस्य को कह देता है कि आँख पर ठंढे पानी की छीटें मार-मार कर जगा दे ….और जिसे ... Read more |
![]() ![]() एक पत्नी जब भी अपने पति का mobile छूती …. उसके पति झपाटा मार कर mobile छिन लेते और अक्सर डांट पड़ती पत्नी को कि वो पति का mobile ना छूए …. किसी का फोन आए तो वह फोन ना उठाए …. ऐसा मौका कम ही मिलता …. जब कभी वो mobile छूए और उसके पति आस-पास ना हों …. लेकिन पत्नी को भी ,पति का फोन छूना – देखना अपना हक़ स... Read more |
![]() ![]() रामायण में एक प्रसंग है कि राम जब वनवास में थे और एक बार नदी पार करने के क्रम में मल्लाह उनके पैर धो कर नाव में चढ़ने का अनुरोध करता है ,क्यों कि राम जी पैर के धूल लगने से पत्थर भी औरत हो गई थी ….खैर ….प्रश्न उठता है कि दूसरी स्त्री क्यों किसी विवाहित पुरुष को चुनती है ?इसके क... Read more |
![]() ![]() दिल लगे तब दुःख होता हैदुःख होता है तो तू रोता हैजो रोता है तो चैन से सोता हैसोता है तो सपनो में खोता हैबातें जो तप चुकी दिन मेंशब्द जो पक चुके मन मेंअब सपनो में दिख जाते हैसियाह रात में बहे जाते हैबाल सफ़ेद हो गए तेरेकाले अनुभवों के लिए घेरेकब तक तू यह सह पायेगा ?क्या आं... Read more |
![]() ![]() (डॉ. नीरज भारद्वाज) 21वीं सदी के भारत में विकास को लेकर बहुत सारी बातें हो रही है। 21वीं सदी को लोग सूचना, विज्ञान, प्रौद्योगिकी आदि की सदी भी कह रहे हैं। इतना ही नहीं लोग चारों ओर अपने लाभ तथा विकास की बातें कर रहे हैं। सरकारें विकास के नाम पर वाह-वाई लूट रही हैं। लेकिन विकास... Read more |
![]() ![]() कल मोनू रास्ते में मिला और मुझसे पूछा, कि भैया पुलिस में भर्ती होना चाहता हूँ. मैंने कहा अच्छी बात है तैयारी करो. उसने पूछा कि पुलिस में भर्ती होने के लिए क्या-क्या करना पड़ेगा? मैंने उससे बोला कि वह इस बारे में अपने पिता से क्यों नहीं पूछता, तो वह बोला, “ पिता जी पूछा था, ले... Read more |
![]() ![]() परिवार ,समाज की एक इकाई अंग है ….. परिवार , हर इन्सान की जन्म-से मृत्यु तक की जरुरत है …. जैसा परिवार ,वैसा उस परिवार में रहने वाले इन्सान का व्यक्तित्व होता है …..घर में दिया न जलाया और मंदिर में दिया जलाने पहुँच गए तो वो कुबूल नहीं होता है …परिवार की ही बात करनी है ….. क्यूँ न... Read more |
![]() ![]() बृहत् प्रामाणिक हिंदी कोश की समीक्षारिपोर्टः- शीर्षकः- बृहत् प्रामाणिक हिन्दी कोश। प्रकाशनः- लोकभारती प्रकाशन, दरबारी बिल्डिंग, एम. जी. रोड़, इलाहाबाद।मूल संपादकः- आचार्य रामचन्द्र वर्मा।संशोधन-परिवर्धनः- डॉ. बदरीनाथ कपूर।पृष्ठ संख्याः- 1088.शब्द संख्याः- लगभग 49000.शब... Read more |
![]() ![]() वर्तमान समय में शिक्षक को लेकर बहुत सारे नए मत और विचार उभर कर आ रहे है। उन विचारों तथा विषयों पर चर्चा, परिचर्चा आदि भी हो रही है। लेकिन इन सब बातों से दूर एक विचार यह भी है कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है। इस विचार से यह स्पष्ट होता है कि एक शिक्षक अपने पूरे जीवन का... Read more |
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