Blog: "कुछ कहना है" |
![]() ![]() चढ़ा शिखर पर कल कलश, लेकिन आज मलीन।चमक द्वेष-छल ने लिया, कुछ वर्षों में छीन।।पनघट पर घटना घटी, मचा भयंकर शोर।कलस लिए कटि कलसिरी, करे कलह पुरजोर।नहीं जबरदस्ती सटो, मिले न रविकर चैन।रहो दूर राजी-खुशी, पथ ताकेंगे नैन।।हिंसक-पशु से भी बुरा, रविकर कपटी दोस्त।करे बुद्धि को भ्र... Read more |
![]() ![]() बाधाओं से क्यों डरे, रे जिंदा इन्सान।अर्थी के पथपर कभी, आते क्या व्यवधान ??जब चोट जिभ्या पर लगे, उपचार क्या करना अहो।वह खुद-ब-खुद ही ठीक होगी, बस जरा पीड़ा सहो।यदि चोट जिभ्या से लगे, उपचार ही कोई नहीं-बस पीर प्राणान्तक सहो, सहते रहो कुछ मत कहो।।😊😊बी पी अनिद्रा चिड़चिड़ापन, और ... Read more |
![]() ![]() घर मेरे माँ-बाप का, बेगम करे बखान।झगड़ा मत करना यहाँ, रखना सबका मान।रखना सबका मान, मियाँ का चढ़ता पारा।बात तुम्हारी ठीक, बोलकर ताना मारा।क्यों देती हो छेड़, वहाँ पर झगड़ा अक्सर।लगता क्या कुरुक्षेत्र, हमारे अब्बू का घर।।(2)😊😊😊😊😊😊😊😊😊नहलामेरे पिताजी का भवन, घुसते हुए पत्न... Read more |
![]() ![]() "-- "आई आई टी धनबाद के ब्वायज-हॉस्टल ||रूबी और रोजलिन गर्ल्स हॉस्टलरविकर दुनिया तो सदा, कहे ओल्ड इज गोल्ड।डायमंड कहला रहा, किन्तु यहाँ का ओल्ड।।(1)दिखे जब फोर-फादर को, नजारे क्लोज कैम्पस में।करें दिल खोलकर चर्चा, मगर फिर भी कशमकश में।।बने फुटपाथ अब लम्बे, मगर पग फूँक कर धरना-... Read more |
![]() ![]() जब से झोंकी आँख में, रविकर तुमने धूल।अच्छे तुम लगने लगे, हर इक अदा कुबूल।।भाषा वाणी व्याकरण, कलमदान बेचैन।दिल से दिल की कह रहे, जब से प्यासे नैन।।जिसपर अंधों सा किया, लगातार विश्वास।अंधा साबित कर गया, रविकर वह सायास।।नहीं हड्डियां जीभ में, पर ताकत भरपूर |तुड़वा सकती हड्ड... Read more |
![]() ![]() शिशु चार वर्षों का अगर, चड्ढी नहीं गीली करे। यदि वृद्ध अस्सी साल का, पतलून ना पीली करे। हो आठ वर्षों का बदन या हो पचहत्तर साल का। यदि खुद ब खुद वह हाट से घर लौट कर नित आ सका। तो व्यक्ति सचमुच में सफल है। कल कल रहा था आज कल है।। जो मित्र बारह में बनाये, याद सत्तर तक रहे। दुख सु... Read more |
![]() ![]() किसी की माँ पहाड़ों से हुकूमत विश्व पर करती।बुलावा भेज पुत्रों के सिरों पर हाथ है धरती।किसी की मातु मथुरा में भजन कर भीख पर जीवितनहीं सुत को बुला पाती, अकेली आह भर मरती ।।कभी पूरी कहाँ होती जरूरत, जिंदगी तेरी।हुई कब नींद भी पूरी, तुझे प्रत्येक दिन घेरी।करे जद्दोजहद रवि... Read more |
![]() ![]() करके परीक्षण भ्रूण-हत्या कर रहे जो नर अभी।वे पुत्रवधु के हाथ से पानी न पायेंगे कभी।कोई कहीं दुर्गा अगर, अब देश में रविकर मरीतो पाप का परिणाम दुष्कर, दंड भोगेंगे सभी ।मजबूर होकर पाठशाला छोड़ती यदि शारदा।करना सुनिश्चित नारि-शिक्षा हाथ में लेकर गदा।लक्ष्मी कभी क्यों खर्... Read more |
![]() ![]() कभी पूरी कहाँ होती जरूरत, जिंदगी तेरी।हुई कब नींद भी पूरी, तुझे प्रत्येक दिन घेरी।करे जद्दोजहद रविकर, हुई कल खत्म मजबूरी।अधूरी नींद भी पूरी, जरूरत भी हुई पूरी।अच्छे विचारों से हमेशा मन बने देवस्थली।शुभ आचरण यदि हैं हमारे, तन बने देवस्थली।व्यवहार यदि अच्छा रहे तो धन ब... Read more |
![]() ![]() पहली प्रस्तुति कुछ नगद बाकी उधारीहाथ पीले पैर भारीशीघ्र ही उतरी खुमारीहै प्रसव का दर्द जारीक्षीण होती शक्ति सारीमाँ बनी बेटी तुम्हारी-किन्तु नानी याद आये।माँ हमारी मुस्कुराये।।हो चुका शिशु माह भर का।खुशनुमा माहौल घर का।किन्तु मेरी नींद खोईरात भर जागी न सोईजन्... Read more |
![]() ![]() रस्सी जैसी जिंदगी, तने तने हालात |एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे औकात ||पहली कक्षा से सुना, बैठो तुम चुपचाप।यही आज भी सुन रहा, शादी है या शाप।।रहा तरस छह साल से, लगे निराशा हाथ |दिखी आज आशा मगर, दो बच्चों के साथ ||धत तेरे की री सुबह, तुझ पर कितने पाप।ख्वाब दर्जनों तोड़ के, लेती रस्... Read more |
![]() ![]() चंद चुनिंदा मित्र रख, जिंदा रख हर शौक।हारे तब बढ़ती उमर, करे जिक्र हर चौक।|कह दो मन की बात तो, हो फैसला तुरंत।वरना बढ़ता फासला, हो रिश्ते का अंत।।अपनी हो या आपकी, हँसी-खुशी-मुस्कान।रविकर को लगती भली, प्रभु-वंदना समान।।रखी ऐस ट्रे बोतलें, पियें ग्लास दर ग्लास।लेकिन तेरा हुश... Read more |
![]() ![]() रविकर संस्कारी बड़ा, किन्तु न माने लोग।सोलहवें संस्कार का, देखें अपितु सुयोग।।जीवन-फल हैं शक्ति धन, मूल मित्र परिवार।हो सकते फल बिन मगर, मूल जीवनाधार।।कहो न उसको मूर्ख तुम, करो न उसपर क्रोध।आप भला तो जग भला, रविकर सोच अबोध।।भूतल में जलयान के, बढ़े छिद्र आकार।छिद्रान्वेष... Read more |
![]() ![]() बच्चों को नहला धुला, करता हूँ तैयार। फिर भी नहला पर रही, बीबी दहला मार।।रहे पड़ोसी तभी कुँवारा।पति पहली तारीख पर, पाता छप्पन-भोग।भोग रहा फिर माह भर, कर कर गृह उद्योग।।हाय हाय रे पति बेचारा।दही जमाना छोड़ के, रही जमाती धाक।रहा जमाना देखता, रविकर की औकात।।दैव दैव आलसी पुक... Read more |
![]() ![]() रखे व्यर्थ ही भींच के, मुट्ठी भाग्य लकीर।कर ले दो दो हाथ तो, बदल जाय तकदीर।।प्रेम परम उपहार है, प्रेम परम सम्मान।रविकर खुश्बू सा बिखर, निखरो फूल समान।।फेहरिस्त तकलीफ की, जग में जहाँ असीम।गिनती की जो दो मिली, व्याकुल राम-रहीम।।दिया कहाँ परिचय दिया, परिचय दिया उजास।कर्म... Read more |
![]() ![]() किसी की राय से राही पकड़ ले पथ सही अक्सर।मगर मंज़िल नही मिलती, बिना मेहनत किए डटकर।तुम्हें पहचानते होंगे प्रशंसक, तो कई बेशकमगर शुभचिंतकों की खुद, करो पहचान तुम रविकर।।बहस माता-पिता गुरु से, नहीं करता कभी रविकर |अवज्ञा भी नहीं करता, सुने फटकार भी हँसकर।कभी भी मूर्ख पाग... Read more |
![]() ![]() भँवर सरीखी जिंदगी, हाथ-पैर मत मार।देह छोड़, दम साध के, होगा बेडा पार ।।चार दिनों की जिन्दगी, बिल्कुल स्वर्णिम स्वप्न।स्वप्न टूटते ही लुटे, देह नेह धन रत्न।।प्रश्न कभी गुत्थी कभी, कभी जिन्दगी ख्वाब।सुलझा के साकार कर, रविकर खोज जवाब।।रस्सी जैसी जिंदगी, तने तने हालात |एक सि... Read more |
![]() ![]() अलमारियों में पुस्तकें सलवार कुरते छोड़ के।गुड़िया खिलौने छोड़ के, रोये चुनरियाओढ़ के।रो के कहारों से कहे रोके रहो डोली यहाँ।माता पिता भाई बहन को छोड़कर जाये कहाँ।लख अश्रुपूरित नैन से बारातियों की हड़बड़ी।लल्ली लगा ली आलता लावा उछाली चल पड़ी।।हरदम सुरक्षित वह रही सानिध्य ... Read more |
![]() ![]() (1)विदेशी आक्रमणकारी बड़े निष्ठुर बड़े बर्बर |पराजित शत्रु की जोरू-जमीं-जर छीन लें अकसर |कराओ सिर कलम अपना, पढ़ो तुम अन्यथा कलमा जिन्हें थी जिंदगी प्यारी, बदल पुरखे जिए रविकर ||(2)उमर मत पूछ औरत की, बुरा वह मान जायेगी।मरद की आय मत पूछो, उसे ना बात भायेगी।फिदाइन यदि मरे मारे, मि... Read more |
![]() ![]() दरमाह दे दरबान को जितनी रकम होटल बड़ा।परिवार सह इक लंच में उतनी रकम दूँ मैं उड़ा।हाहा हहा क्या बात है। उत्पात है।तौले करेला सेब आलू शॉप पर छोटू खड़ा।वह जोड़ना जाने नहीं, यह जानकर मैं हँस पड़ा।हाहा हहा क्या बात है। औकात है।।जब शार्ट्स ब्रांडेड फाड़कर घूमे फिरे हीरोइने।तो क... Read more |
![]() ![]() अपेक्षा मत किसी से रख, किसी की मत उपेक्षा कर ।सरलतम मंत्र खुशियों का, खुशी से नित्य झोली भर।समय अहसास बदले ना, बदलना मत नजरिया तुमवही रिश्ते वही रास्ता वही हम सत्य शिव सुंदर।।आलेख हित पड़ने लगे दुर्भाग्य से जब शब्द कम।श्रुतिलेख हम लिखने लगे, नि:शब्द होकर के सनम। तुम सा... Read more |
![]() ![]() चले जब तीर्थ यात्रा पर मुझे तुम साथ लोगे क्या।सदा तुम धर्म व्रत उपक्रम मुझे लेकर करोगे क्या।वचन पहला करो यदि पूर्ण वामांगी बनूँगी मैंबताओ अग्नि के सम्मुख, हमेशा साथ दोगे क्या।।सात वचन/2कई रिश्ते नए बनते, मिले परिवार जब अपने।पिता माता हुवे दो दो, बढ़े परिवार अब अपने।करो... Read more |
![]() ![]() है भविष्य कपटी बड़ा, दे आश्वासन मात्र।वर्तमान से सुख तभी, करते प्राप्त सुपात्र।।मक्खन या चूना लगा, बोलो झूठ सफेद।यही सफलता मंत्र है, हर सफेद में भेद।चढ़े बदन पर जब मदन, बुद्धि भ्रष्ट हो जाय।खजुराहो को देखते, चित्रकूट पगलाय।।समय सुनाता फैसला, हर गवाह जब मौन।सजा मिली थी द... Read more |
![]() ![]() अमीरी में गरीबी में बराबर ही पली खिचड़ी।तभी तो देश को लगती हमेशा ही भली खिचड़ी।लिया जब पूर्व से चावल, नमक घी तेल पश्चिम से।मिलाया दाल उत्तर की, मसाला मिर्च दक्षिण से।उड़ीसा ने दिया हल्दी, करी पत्ता दिया केरल।लिया पंजाब का पानी, पतीले में पके पल पल।।समन्दर पार भारत से निकल... Read more |
![]() ![]() प्रश्न कभी गुत्थी कभी, कभी जिन्दगी ख्वाब।सुलझा के साकार कर, रविकर खोज जवाब।।फूले-फूले वे फिरें, खुद में रहे भुलाय |उसको फिर भी दूँ दुआ, फूले-फले अघाय ||दीदा पर परदा पड़ा, बहू न आये बाज।परदा फटते फट गया, परदादी नाराज।।दो मन का तन तनतना, लगा जमाने धाक।उड़ा जमाने ने दिया, बचा न एक... Read more |
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