Blog: अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ) |
![]() ![]() "वासंती फरवरी"कम-उम्र बदन से छरहरीलाई वसंत फिर फरवरी।शायर कवियों का दिल लेकरशब्दों का मलयानिल लेकरगाती है करमा ब्याह-गीतपंथी पंडवानी भरथरीलाई वसंत फिर फरवरी।गुल में गुलाब का दिवस लिएइक प्रेम-दिवस भी सरस लिएहै पर्यावरण प्रदूषित परबातें इसकी हैं मदभरीलाई वसंत फि... Read more |
![]() ![]() # मधुर छत्तीसगढ़ी गीतों का स्वर्णिम इतिहास #"मोर संग चलव........" (भाग - 2)मोर संग चलव श्रृंखला भाग 1 के अंत में मैंने लिखा था -"मोर संग चलव"गीत ने वर्ष 1982 में छत्तीसगढ़ी गीत और संगीत को न केवल छत्तीसगढ़ के गाँव-गाँव तक पहुँचाने में क्रांतिकारी भूमिका निभायी बल्कि देश की सीमाओं से... Read more |
![]() ![]() 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹विगत पाँच दशकों से छत्तीसगढ़ी गीत और संगीत के शिखर पर विराजमान "जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया की 71 वीं जन्म-जयंती (07 जून 2020) के अवसर पर छत्तीसगढ़ के 32 नवोदित समर्थ कवियों ने अपने गीतों व छन्दों के माध्यम से कुल 64 काव्य-सुमन समर्पित किए"। यह ऐतिहासिक संकलन आपके... Read more |
![]() ![]() सम्हलने, समझने, सीखने, सुधरने का संकेत समझा रहा है कि.........समझ प्रकृति के तेवर -Now Or Neverकाम नहीं आएंगेधन, संपत्ति और जेवर- अरुण कुमार निगम#कोरोना-कहर... Read more |
![]() ![]() प्रकृति-सौंदर्य के कुशल चितेरे, छायावाद के प्रमुख स्तंभ कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती पर कुछ अरुण-दोहे :पतझर जैसा हो गया, जब ऋतुराज वसंत।अरुण! भला कैसे बने, अब कवि कोई पंत।।वृक्ष कटे छाया मरी, पसरा है अवसाद।पनपेगा कंक्रीट में, कैसे छायावाद।।बहुमंजिला इमारतें, खातीं ... Read more |
![]() ![]() "लोकल"लोकल में है दम बहुत, लोकल के कम दामदे हाथों को काम यह, आता भी है काम।आता भी है काम, सम्हालता अर्थ-व्यवस्थाहै लोकल की आज, बड़ी दयनीय अवस्था।चलो विदेशी जिन्न, भरें फिर से बोतल मेंमानें मेरी बात, बहुत दम है लोकल में।।- अरुण कुमार निगमआदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)... Read more |
![]() ![]() "श्रमिक दिवस की शुभकामनाएँ"छत्तीसगढ़ी कविताओं में मजदूर - छत्तीसगढ़ी किसानों और मजदूरों का प्रदेश है। यहाँ के कवियों ने किसानों और मजदूरों की संवेदनाओं को महसूस किया है और उन्हें अपनी कविताओं और गीतों के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। इन कविताओं और गीतों में कर्म की आर... Read more |
![]() ![]() "पृथ्वी दिवस - अर्थ डे"हरी भरी वसुंधरा पर नीला नीला ये गगनकि जिसपे बादलों की पालकी उड़ा रहा पवनदिशाएँ देखो रंग भरी चमक रहीं उमंग भरीये किसने फूल फूल से किया श्रृंगार हैये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार ?(भरत व्यास)नील गगन के तले, धरती का प्यार पले(साहिर लुधियानवी)वसुन्धर... Read more |
![]() ![]() पिता ….मैं क्या जानूँ गंगा-जमुना, सरस्वती है मेरे मन मेंमैं ही जानूँ कब बहती है, यह अन्तस् के सूने वन में।।पारस हूँ, पाषाण समझ कररौंद गए वे स्वर्ण हो गएउनमें से कुछ तो दुर्योधनकुछ कुन्ती कुछ कर्ण हो गए।मैं बस बंशी रहा फूँकता, चारागाहों में निर्जन मेंमैं क्या जानूँ गंगा-... Read more |
![]() ![]() ❤💞💓😘😍🥰🚘🚑🚑😪😢😭💔💔"प्रॉमिज़-डे"का "प्रॉमिज़"❤💞💓😘😍🥰🚘🚑🚑😪😢😭💔💔"प्रॉमिज़-डे"पर "डे"का "प्रॉमिज़""लंच-ब्रेक"में "ब्रेक"हुआ।प्यार-मोहब्बत की गाड़ी का, "फ्रण्ट-ग्लास"ही "क्रेक"हुआ।।"एक्सीडेंट"भी "एक्सीलेन्ट"था,आशिक़, शायर बन बैठा।"प्रेम-फरारी"का बेचारा,"पंचर-टायर"बन बैठा।।"हन... Read more |
![]() ![]() ROSE DAY पर एक रचनामेरे गीतों में गुलाबों की महक पाओगेरोज़ डे तुम तो मनाना ही भूल जाओगे ।खार की कुछ तो चुभन हाँ ! तुम्हें सहनी होगीबाद में तुम भी गुलाबों से खिलखिलाओगे ।साथ पूरब के रहो आसमाँ पे दमकोगेराह पश्चिम की धरे, तय है डूब जाओगे ।अरुण कुमार निगमआदित्य नगर, दुर्ग(हमारे आँ... Read more |
![]() ![]() कम-उम्र बदन से छरहरीलाई वसंत फिर फरवरी।शायर कवियों का दिल लेकरशब्दों का मलयानिल लेकरगाती है करमा ब्याह-गीतपंथी पंडवानी भरथरीलाई वसंत फिर फरवरी।गुल में गुलाब का दिवस लिएइक प्रेम-दिवस भी सरस लिएहै पर्यावरण प्रदूषित परबातें इसकी हैं मदभरीलाई वसंत फिर फरवरी।इसकी भी ... Read more |
![]() ![]() "ग़ज़लनुमा दोहा छन्द"-इर्द गिर्द उनके फिरें, ऐसे वैसे लोगसम्मानित होने लगे, कैसे कैसे लोग ।।मूल्यवान पत्थर हुआ, हुए रत्न बेभावगुदड़ी में ही रह गए, हीरे जैसे लोग।।चन्दा लेकर हो रहा, प्रायोजित सम्मानवहाँ लुटाने जा रहे, अपने पैसे लोग।।कुछ हंसों के बीच में, बगुले भी रख साथखुशि... Read more |
![]() ![]() अब की बार दीवाली में........(विष्णु पद छन्द)अब की बार दीवाली में हम, कुछ नूतन कर लेंकिसी दीन के घर में जाकर, उसका दुख हर लें ।अब की बार दीवाली में हम, देशी अपनाएँलुप्त हो रही परम्परा को, फिर से सिरजाएँ ।अब की बार दीवाली में हम, यह संकल्प करेंदूषित वातावरण हो रहा, कायाकल्प करें।अ... Read more |
![]() ![]() "दीप-पर्व की शुभकामनाएँ" - "अप्प दीपो भव"मशीखत के जहाँ जेवर वहाँ तेवर नहीं होतेजमीं से जो जुड़े होते हैं उनके पर नहीं होते।जिन्हें शोहरत मिली वो व्यस्त हैं खुद को जताने मेंवरगना आपकी नजरों में हम जोकर नहीं होते।अहम् ने इल्म पर कब्जा किया तो कौन पूछेगाहरिक दिन एक जैसे तो क... Read more |
![]() ![]() दोहा छन्द - सम्मान मांगे से जो मिल रहा, वह कैसा सम्मान।सही अर्थ में सोचिये, यह तो है अपमान।।राजाश्रय जिसको मिला, उसे मिला सम्मान।किसे आज के दौर में, हीरे की पहचान।।आज पैठ अनुरूप ही, होता है गुणगान।अनुशंसा से मिल रहे, इस युग में सम्मान।।मूल्यांकन करता समय, कर्म न जाता व्य... Read more |
![]() ![]() "अलविदा अमन"अपनी लाश का बोझ उठाऊं, नामुमकिनमौत से पहले ही मर जाऊं, नामुमकिन- अमन चाँदपुरीआज मन बहुत ही विचलित है। कल ही कुंवर कुसुमेश जी ने उनकी हालत का जिक्र किया था। शाम को मुकेश कुमार मिश्र ने फोन पर हालत का नाजुक होना बताया था और आज सुबह अमन के निधन के अविश्वसनीय सम... Read more |
![]() ![]() पिछले साल किसे मारा था ?फिर रावण को मार रहे हो !पिछले साल किसे मारा था ?देख सको तो देखो अब भी, कितने रावण घूम रहे हैं।धन-सत्ता की मदिरा पीकर, अपने मद में झूम रहे हैं।।अब भी रावण जीवित है तोतुमने किसको संहारा था ?फिर रावण को मार रहे हो !पिछले साल किसे मारा था ?विजयादशमी आई जब-जब... Read more |
![]() ![]() "तब के गीत और अब के गीत"मित्रों का सहमत होना जरूरी नहीं है किंतु मेरा मानना यह है किश्वेत-श्याम फिल्मों के दौर में जिंदगी के रंगों को सिनेमा के पर्दे पर सजीव करने के लिए गायक, गीतकार, संगीतकार, निर्देशक और कलाकार बेहद परिश्रम करते थे। परिश्रम का यह रंग ही श्वेत-श्याम फिल्... Read more |
![]() ![]() आज 26 सितम्बर 2019 को भारतीय फिल्म संगीत के महान संगीतकार और गायक हेमन्त कुमार की पुण्यतिथि है। उनका निधन 26 सितम्बर 1989 को हुआ था। संजोग से उनमें निधन के समाचार की पेपर कटिंग मुझे मेरी फाइलों में मिली है, साझा कर रहा हूँ .....हम अपने प्रिय संगीतकार व गायक हेमन्त कुमार की पुण्यति... Read more |
![]() ![]() गीत - "क्या जाने कितने दिन बाकी"क्या जाने कितने दिन बाकीछक कर आज पिला दे साकी।।आगे पीछे चले गए सब, मधुशाला में आने वालेधीरे-धीरे मौन हो गए, झूम-झूम के गाने वाले।अपनी बारी की चाहत में, बैठा हूँ मैं भी एकाकी।।क्या जाने कितने दिन बाकीछक कर आज पिला दे साकी।।जाने वाले हर साथी क... Read more |
![]() ![]() चुटकुलों से हँसाने लगे हैं।मंच पे खूब छाने लगे हैं।।इल्म तो है नहीं शायरी का।खुद को ग़ालिब बताने लगे हैं।।हुक्मरानों पे पढ़ के कसीदे।खूब ईनाम पाने लगे हैं।।मसखरे लॉबियों में परस्पर।रिश्ते-नाते निभाने लगे हैं।।जुगनुओं की हिमाकत तो देखो।आँख "अरुण"को दिखाने लगे हैं।।- ... Read more |
![]() ![]() विश्व फोटोग्राफी दिवस पर मेरे मोबाइल के कैमरे से खींची गई एक तस्वीर। यह वृक्ष न जाने कितने पंछियों का बसेरा है और न जाने कितने जीवों को शीतल छाँव प्रदान कर रहा है।फोटो खींचने की तारीख - 08 जून 2019अरुण कुमार निगमआदित्य नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़... Read more |
![]() ![]() 221 2122 221 2122होगा किसान भूखा किस काम की तरक्कीकागज के आँकड़ों में बस नाम की तरक्की।खलिहान की फसल को तो ले गया महाजनइस साल फिर हुई है गोदाम की तरक्की।शहरों पे ध्यान सबका पनपे महानगर नितहरदम रही उपेक्षित हर ग्राम की तरक्की।नित भाषणों की खातिर पंडाल मंच सजतेदेखी नहीं अभी तक ख़य... Read more |
![]() ![]() 221 1222 221 1222जो चैन से सोने दे उस धन को कहाँ ढूँढेंसंसार में भटका है उस मन को कहाँ ढूँढें।वन काट दिए सारे हर सू है पड़ा सूखाअब पूछ रहे हो तुम सावन को कहाँ ढूँढें।माँ-बाप की छाया में, बचपन को बिताया थाउस घर को कहाँ ढूँढें आँगन को कहाँ ढूँढें।पढ़ने की न चिन्ता थी साथी थे खिलौने थेना... Read more |
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