 दिनेशराय द्विवेदी
गुरुशरण सिंहनाटककार गुरशरण सिंहभगतसिंह के क्रांतिकारी विचारों तथा संघर्ष की परंपरा को अपने नाटकों के ज़रिए आगे बढ़ाने वाले पंजाब के ही प्रतिबद्ध सांस्कृतिक योद्धा गुरुशरण सिंह ने अपने उसूलों के साथ कभी समझौता नहीं किया। गुरुशरण सिंह होने का मतलब यही है और कला को ... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
डॉ. इन्द्र बिहारी सक्सेना का एक गीतआने वाले सालघात लगाए जहां भेडि़ए, मुंह बाए घडि़याल,कैसे फिर मंगलमय होंगे आने वाले साल।।बैठ पंक्ति में अब कौवों की, कोयल ने स्वर बदले,हंसों के आदर्श बन गए मिथ्याचारी बगुले।अब तो संसद भी लगती है कुंजड़ों की चौपाल।।घने हुए बरगद, आंगन की ... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
वीरेन्द्र आस्तिक के दो गीतकूटाशीषबहरों के इस सभागार मेंकहने की आजादीइसका सीधा अर्थ यही है -शब्दों की बरबादीआओ! बोलो वहाँ, जहाँशब्दों को प्राण मिलेपोथी को नव अर्थों मेंपढ़ने की आँख मिलेबोलो आम-जनों की भाषाख़ास न कोई बाकीतोड़ो वह भाषा, जिससेलोक मूक हो जातेउठते हुए मस्... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
शान्ति सुमन के दो गीतइसी शहर मेंइसी शहर में ललमुनिया भीरहती है बाबूआग बचाने खातिर कोयलाचुनती है बाबूपेट नहीं भर सकारोज के रोज दिहाड़ी सेमन करे चढ़कर गिरजाये उंची पहाड़ी सेलोग कहेंगे क्या यह भी तोगुनती है बाबूचकाचौंध बिजलियोंकी जब बढ़ती है रातों मेंखाली देह जला--कर... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
शिवराम की स्मृति में दो दिवसीय आयोजनजन-गण के पक्ष में रचनाकर्म करने के साथ उन तक पहुँचाना भी होगाकिसी ने कहा शिवराम बेहतरीन नाटककार थे, हिन्दी नुक्कड़नाटकों के जन्मदाता, कोई कह रहा था वे एक अच्छे जन-कवि थे, किसी ने बताया शिवराम एक अच्छे आलोचक थे, कोई कह रहा था वे प्रखर वक... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
अर्जुन कवि के दोहे( अर्जुन कवि ने अपने जीवन में दस लाख दोहे लिखे। उनका नाम ‘वर्ल्ड गिनीज बुक’ में शामिल किया गया। कबीर की तरह वे भी किसी विद्यालय में नहीं पड़े, किन्तु अपने अनुभव से अनीश्वरवाद की समझ तक पहुंचे। )अर्जुन अनपढ़ आदमी, पढ्यौ न काहू ज्ञान।मैंने तो दुनिया पढ़ी... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
लोकतंत्र में शिक्षा के साथ षड़यंत्रयादवचन्द्र‘‘विद्यालय से सीखा हुआ सब कुछ भूल जाने के बाद भी जो बच जाता है, वही शिक्षाहै।.... किसी मनुष्य का मूल्य इससे तय किया जाना चाहिये कि वह कितना देता है, न कि वह कितना पा सकने में सक्षम है।’’‘‘हम विद्यालय को, नई पीढ़ी तक अधिक से अधि... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
धन दौलत गर पास नहीं, किरदार सुदामा जैसा रख तेरा चाहने वाला कोई मोहन भी हो सकता है - रोशन अभी पिछली 1 जुलाई 2011 को हमारे नगर के वरिष्ठ एवं उस्ताद शायद रोशन कोटवी ने अपने निवास पर जीवन के 83 वर्ष पूरे करने के उपलक्ष में प्रो. एहतेशाम अख्तर की अध्यक्षता में एक वृहद् काव्य-ग... Read more |

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11:42am 26 May 2012 #
 दिनेशराय द्विवेदी
डॉ. शान्तिलाल भारद्वाज ‘राकेश’ का जन्म 24 जून 1932 को झालावाड़ जिले की खानपुर तहसील के एक ग्राम जोलपा के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। डॉ. राकेश ने विषम पारिवारिक परिस्थितियों के होते हुए भी उच्च शिक्षा कोटा, जयपुर, उदयपुर में की। डॉ. राकेश अपने जीवन के विद्यार्थी काल से ही सा... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
डॉ. शान्तिलाल भारद्वाज ‘राकेश’ का जन्म 24 जून 1932 को झालावाड़ जिले की खानपुर तहसील के एक ग्राम जोलपा के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। डॉ. राकेश ने विषम पारिवारिक परिस्थितियों के होते हुए भी उच्च शिक्षा कोटा, जयपुर, उदयपुर में की। डॉ. राकेश अपने जीवन के विद्यार्थी काल से ही सा... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
डॉ. शान्तिलाल भारद्वाज ‘राकेश’ का जन्म 24 जून 1932 को झालावाड़ जिले की खानपुर तहसील के एक ग्राम जोलपा के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। डॉ. राकेश ने विषम पारिवारिक परिस्थितियों के होते हुए भी उच्च शिक्षा कोटा, जयपुर, उदयपुर में की। डॉ. राकेश अपने जीवन के विद्यार्थी काल से ही सा... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
मशहूर शायर शहरयार हाल ही में हमारे बीच से गुजर गये। उन्होंने प्रगतिशील शायरी के कलात्मक-पक्ष को गहरा किया। फिल्म ‘उमरावजान’ के लिए लिखी गई ग़ज़लों व नज़्मों से उन्हें विशेष ख्याति मिली। मिर्ज़ा गालिब एवार्ड एवं भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया ग... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
मशहूर शायर शह्रयार हाल ही में हमारे बीच से गुजर गये। उन्होंने प्रगतिशील शायरी के कलात्मक-पक्ष को गहरा किया। फिल्म ‘उमरावजान’ के लिए लिखी गई ग़ज़लों व नज़्मों से उन्हें विशेष ख्याति मिली। मिर्ज़ा गालिब एवार्ड एवं भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया ... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
शहरयारमशहूर शायर शहरयार हाल ही में हमारे बीच से गुजर गये। उन्होंने प्रगतिशील शायरी के कलात्मक-पक्ष को गहरा किया। फिल्म ‘उमरावजान’ के लिए लिखी गई ग़ज़लों व नज़्मों से उन्हें विशेष ख्याति मिली। मिर्ज़ा गालिब एवार्ड एवं भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित क... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
(अदम गोंडवी भी नहीं रहे। साहित्यिक प्रतिष्ठानों और प्रतिष्ठित साहित्यिकों की उपेक्षा और अवमानना को दरकिनार करते हुए सिर्फ मजलूम और साहिबे किरदार के सामने सर झुकाने वाले, अदम्य वैचारिक और जनपक्षीय प्रतिबद्धता से ओत-प्रोत अदम गोंडवी एक असाधारण रूप से साधारण इंसान थे... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
(अदम गोंडवी भी नहीं रहे। साहित्यिक प्रतिष्ठानों और प्रतिष्ठित साहित्यिकों की उपेक्षा और अवमानना को दरकिनार करते हुए सिर्फ मजलूम और साहिबे किरदार के सामने सर झुकाने वाले, अदम्य वैचारिक और जनपक्षीय प्रतिबद्धता से ओत-प्रोत अदम गोंडवी एक असाधारण रूप से साधारण इंसान थे... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
इस बार अभिव्यक्ति के 38वें अंक से हाड़ौती भाषा जो राजस्थानी का ही एक रूप है का एक गीत प्रस्तुत है। इस गीत में मिट्टी का ढ़ेला आप से अपनी बात कर रहा है कि वही है जिस से सारी सृष्टि का निर्माण हुआ है। हाड़ौती (राजस्थानी) गीत ढेकळ (मिट्टी का ढ़ेला) विष्णु 'विश्वास' बना रूप ... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
इस वर्ष ख्यात कवि कुबेरदत्त को हमारे बीच नहीं रहे। इस आलेख में 'रामकुमार कृषक' उन की कविता का एक संक्षिप्त मूल्यांकन प्रस्तुत करते हैं। कुबेर की धरती ... ... रामकुमार कृषक कोईभीकवि अपने काव्य-सरोकारों और शिल्प-संरचना से पहचान... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
'श्रद्धांजलि'भूपेन हजारिका हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उन का संगीत और गायन हमारे बीच सदैव बना रहेगा। सही मायने में जो लीक से हट कर संगीत है उसमें भूपेन हजारिका का संगीत शामिल है। भूपेन हजारिका की आवाज में बुलंदी के साथ साथ एक विशिष्ट गूँज शामिल है जो श्रोता को चकित कर... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
"श्रद्धाञ्जलि"साथी शफीक ‘बनारसी’ को क्रान्तिकारी नमन!अनुभव दास शास्त्रीशफीक बनारसीहिन्दी-भाषाभाषी क्षेत्र में साम्यवादी आंदोलन के साथ-साथ जनवादी साहित्यिक-सांस्कृतिक आंदोलन में जीवन पर्यन्त अग्रणी भूमिका निभाने वाले साथी शफीक बनारसी का 26 जुलाई, 2011 को 70 वर्ष की आय... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
सामाजिक यथार्थवादी साहित्य की पत्रिका अभिव्यक्ति के मार्च, 2012 में प्रकाशित 38वें अंक से इस पोस्ट में प्रस्तुत है आपका तिस्ता हिमालय के संपादक राजेन्द्र प्रसाद सिंह का नववर्ष पर लिखा एक विशेष आलेख... 1 जनवरी 2012, नये साल का प्रथम दिन। नये साल की खुशी में एक रोज पहले से ही लो... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
सामाजिक यथार्थवादी साहित्य की पत्रिका अभिव्यक्ति के मार्च, 2012 में प्रकाशित 38वें अंक से इस पोस्ट में प्रस्तुत है शिवदत्त चतुर्वेदी का एक ब्रज गीत .. बावरिया -शिवदत्त चतुर्वेदी खर्चा कम कर मॅंहगौ है गयौ तेल बावरिया!जैसे भी होय यै जिन... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
हम इस पोस्ट से महेन्द्र नेह के संपादन में प्रकाशित सामाजिक यथार्थवादी साहित्य की पत्रिका अभिव्यक्ति के मार्च, 2012 में प्रकाशित 38वें अंक की सामग्री को आप के समक्ष प्रस्तुत करना आरंभ कर रहे हैं। इस पोस्ट में प्रस्तुत है इस अंक का संपादकीयवैश्विक बाजार व्यवस्था और विकास... Read more |
 दिनेशराय द्विवेदी
बेईमान सजे बजे हैं,तो क्या हम मान लें कि बेईमानी भी एक सजावट है? कातिल मजे में है तो क्या हम मान लें कि क़त्ल एक मजेदार काम है?मसला मनुष्य का है इसलिए हम को हरगिज न मानेंगे कि मसले जाने के लिए ही बचा है मनुष्य !!-वीरेन डंगवाल... Read more |
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