Blog: प्रणय - प्रेम - पथ |
![]() ![]() प्रेम में हैं विभोर हम दोनों,हो गए हैं किशोर हम दोनों.चैन आराम लूट बैठे हैं,बन गए दिल के चोर हम दोनों,रूह से रूह का हुआ रिश्ता,भावनाओं की डोर हम दोनों,अग्रसर प्रेम के कठिन पथ पे,एक मंजिल की ओर हम दोनों,किन्तु अपना मिलन नहीं संभव,हैं नदी के दो छोर हम दोनों..... Read more |
![]() ![]() देह का घर दाह करके,पूर्ण अंतिम चाह करके,जिंदगी ठुकरा चला हूँ,मौत के सँग ब्याह करके,खूब सुख दुख ने छकाया,उम्र भर गुमराह करके,प्रियतमा ने पा लिया है,मुझको मुझसे डाह करके,पूर्ण हर कर्तव्य आखिर,मैं चला निर्वाह करके,पुछल्ला :-यदि ग़ज़ल रुचिकर लगे तो,मित्र पढ़ना वाह करके,... Read more |
![]() ![]() गीत:-गुण अवगुण के मध्य भिन्नता को समझाना भूल गए।नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए।।अनहितकारी है परिवर्तन भाषा और विचारों में,कड़वाहट अपनों के प्रति ही भरी हुई परिवारों में।संबंधो के मीठे फल का स्वाद चखाना भूल गए।नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए।।अंधका... Read more |
![]() ![]() संकलन व विशेषांक‘शब्द व्यंजना’ मासिक ई-पत्रिका हिन्दी भाषा व साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए दृढ संकल्पित है. पत्रिका ने लगातार यह प्रयास किया है कि हिन्दी साहित्य के वरिष्ठ रचनाकारों के श्रेष्ठ साहित्य से पाठकों को रू-ब-रू कराने के साथ नए रचनाकारों को भी मंच प्र... Read more |
![]() ![]() मिट्टी से निर्मित इस तन में,एक तुम्हीं केवल जीवन में,अंतस में प्रिय विद्यमान तुम,तुम ही साँसों में धड़कन में,अधरों पर तुम मुखर रूप से,अक्षर अक्षर संबोधन में,सुखद मिलन की स्मृतियों में,दुखद विरह की इस उलझन में,मधुर क्षणों में तुम्हीं उपस्थित,तुम्हीं वेदना की ऐठन में,प्र... Read more |
![]() ![]() झाँसी की रानी पर आधारित 'अखंड भारत'पत्रिका के वर्तमान अंक में सम्मिलित मेरी एक रचना. हार्दिक आभार भाई अरविन्द योगी एवं सामोद भाई जी का. सन पैंतीस नवंबर उन्निस, लिया भदैनी में अवतार,आज धन्य हो गई धरा थी, हर्षित था सारा परिवार,एक मराठा वीर साहसी, 'मोरोपंत'बने थे तात,धर्म प... Read more |
![]() ![]() मुग्धकारी भाव आखर अब कहाँ,प्रेम निश्छल वह परस्पर अब कहाँ,मात गंगा का किया आँचल मलिन,स्वच्छ निर्मल जल सरोवर अब कहाँ,रंग त्योहारों का फीका हो चला,सीख पुरखों की धरोहर अब कहाँ,सभ्यता सम्मान मर्यादा मनुज,संस्कारों का वो जेवर अब कहाँ,सांझ बोझिल दिन ब दिन होती गई,भोर वह सुखमय ... Read more |
![]() ![]() नेता जी :-जनता की सेवा में अर्पण नेता जी,ईश्वर जैसा रखते लक्षण नेता जी,मधुर रसीले शब्द सजाये अधरों पर,मक्खन मिश्री का हैं मिश्रण नेता जी,छीन रहे सुख चैन हमारे जीवन से,घर घर करते दुख का रोपण नेता जी,रोजी रोटी की कीमत है रोज नई,महँगाई का करते वितरण नेता जी,जोड़ बहुत है पक्का इ... Read more |
![]() ![]() ग़ज़ल :बह्र : रमल मुसम्मन महजूफमध्य अपने आग जो जलती नहीं संदेह की,टूट कर दो भाग में बँटती नहीं इक जिंदगी.हम गलतफहमी मिटाने की न कोशिश कर सके,कुछ समय का दोष था कुछ आपसी नाराजगी,आज क्यों इतनी कमी खलने लगी है आपको,कल तलक मेरी नहीं स्वीकार थी मौजूदगी,यूँ धराशायी नहीं ये स्वप्न ह... Read more |
![]() ![]() परस्पर प्रेम का नाता पुरातन छोड़ आया हूँ,नगर की चाह में मैं गाँव पावन छोड़ आया हूँ,सरोवर गुल बहारें स्वच्छ उपवन छोड़ आया हूँ.सुगन्धित धूप से तुलसी का आँगन छोड़ आया हूँ,कि जिन नैनों में केवल प्रेम का सागर छलकता था,हमेशा के लिए मैं उनमें सावन छोड़ आया हूँ,गगनचुम्बी इमारत की लिए ... Read more |
![]() ![]() जबसे तुमने प्रेम निमंत्रण स्वीकारा है,बही हृदय में प्रणय प्रेम की रस धारा है,मधुर मधुर अहसास अंकुरित होता है,तन चन्दन की भांति सुगंधित होता है,जैसे फूलों ने मुझपर गुलशन वारा है,बही हृदय में प्रणय प्रेम की रस धारा है.मनभावन मनमोहक सूरत प्यारी सी,मधुर कंठ मुस्कान मनोरम ... Read more |
![]() ![]() गीतपुलकित मन का कोना कोना, दिल की क्यारी पुष्पित है.अधर मौन हैं लेकिन फिर भी प्रेम तुम्हारा मुखरित है.मिलन तुम्हारा सुखद मनोरम लगता मुझे कुदरती है,धड़कन भी तुम पर न्योछावर हरपल मिटती मरती है,गति तुमसे ही है साँसों की, जीवन तुम्हें समर्पित है,अधर मौन हैं लेकिन फिर भी प्रे... Read more |
![]() ![]() बदला है वातावरण, निकट शरद का अंत ।शुक्ल पंचमी माघ की, लाये साथ बसंत ।१।अनुपम मनमोहक छटा, मनभावन अंदाज ।ह्रदय प्रेम से लूटने, आये हैं ऋतुराज ।२।धरती का सुन्दर खिला, दुल्हन जैसा रूप ।इस मौसम में देह को, शीतल लगती धूप ।३।डाली डाली पेड़ की, डाल नया परिधान ।आकर्षित मन को करे, फू... Read more |
![]() ![]() छल कपट लालच बुराई को निकाला दे,जग हुआ अंधा अँधेरे से, उजाला दे,झूठ हिंसा पाप से सबको बचा या रब,शान्ति सुख संतोष देती पाठशाला दे,शुद्धता जिसमें घुली हो जिसमें सच्चाई,प्रेम से गूँथी हुई हाथों में माला दे,स्वर्ण आभूषण की मुझको है नहीं चाहत,भूख मिट जाए कि उतना ही निवाला दे,जि... Read more |
![]() ![]() कहानी प्रेम की लिख दो,ह्रदय का पृष्ठ सादा है,यही दिल की तमन्ना है,तुम्हारा क्या इरादा है,सुनो पर छोड़ मत देना,इसी का डर जियादा है,कभी ये कह न देना तुम,कि वादा सिर्फ वादा है,जुए की तुम महारानी, बेचारा दिल तो प्यादा है...............................................................................................गिला शिकवा शिकायत है,म... Read more |
![]() ![]() ओ बी ओ छंदोत्सव अंक ३२ में सादर समर्पित कुछ दोहे...दो टीलों के मध्य में, सेतु करें निर्माण ।जूझ रही हैं चींटियाँ, चाहे जाए प्राण ।1।दो मिल करती संतुलन, करें नियंत्रण चार । देख उठाती चींटियाँ, अधिक स्वयं से भार ।2।मंजिल कितनी भी कठिन, सरल बनाती चाह ।कद छोटा दुर्बल मगर, साहस भ... Read more |
![]() ![]() ...................... दोहे ......................मन से सच्चा प्रेम दें, समझें एक समान ।बालक हो या बालिका, दोनों हैं भगवान ।।उत्तम शिक्षा सभ्यता, भले बुरे का ज्ञान ।जीवन की कठिनाइयाँ, करते हैं आसान ।।नित सिखलायें नैन को, मर्यादा सम्मान ।हितकारी होते नहीं, क्रोध लोभ अभिमान ।।ईश्वर से कर कामना, उपजे... Read more |
![]() ![]() अंतस मन में विद्यमान हो,तुम भविष्य हो वर्तमान हो,मधुरिम प्रातः संध्या बेला,प्रिय तुम तो प्राण समान हो....अधर खिली मुस्कान तुम्हीं हो,खुशियों का खलिहान तुम्हीं हो,तुम ही ऋतु हो, तुम्हीं पर्व हो,सरस सहज आसान तुम्हीं हो.तुम्हीं समस्या का निदान हो,प्रिय तुम तो प्राण समान हो..... Read more |
![]() ![]() बह्र : हज़ज मुसम्मन सालिम१२२२, १२२२, १२२२, १२२२, ....................................................हमेशा के लिए गायब लबों से मुस्कुराहट है,मुहब्बत में न जाने क्यों अजब सी झुन्झुलाहट है,निगाहों से अचानक गर बहें आंसू समझ लेना,सितम ढाने ह्रदय पर हो चुकी यादों की आहट है,दिखा कर ख्वाब आँखों को रुलाया खून के ... Read more |
![]() ![]() ग़ज़लबह्र : हज़ज़ मुरब्बा सालिम 1222 , 1222 ,.........................................................बँधी भैंसें तबेले में,करें बातें अकेले में,अजब इन्सान है देखो,फँसा रहता झमेले में, मिले जो इनमें कड़वाहट,नहीं मिलती करेले में,हुनर जो लेरुओं में है, नहीं इंसा गदेले में, भले हम जानवर होकर,यहाँ आदम के मेले में,गुरु तो ह... Read more |
![]() ![]() नमन कोटिशः आपको, हे नवदुर्गे मात ।श्री चरणों में हो सुबह, श्री चरणों में रात ।।नमन हाथ माँ जोड़कर, विनती बारम्बार ।हे जग जननी कीजिये, सबका बेड़ापार ।।हे वीणा वरदायिनी, हे स्वर के सरदार ।सुन लो हे ममतामयी, करुणा भरी पुकार ।।केवल इतनी कामना, कर रखता उपवास ।मन में मेरे आपका, इ... Read more |
![]() ![]() ग़ज़ल (बह्र: हज़ज़ मुसम्मन सालिम )१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन ..........................................................अयोध्या में न था संभव जहाँ कुछ राम से पहले,वहीँ गोकुल में कुछ होता न था घनश्याम से पहले,बड़े ही प्रेम से श्री राम जी लक्ष्मण से कहते हैं,अनुज बाधाएँ आती हैं भले ... Read more |
![]() ![]() आल्हा छंद - 16 और 15 मात्राओं पर यति. अंत में गुरु-लघु , अतिशयोक्ति दादाजी ने ऊँगली थामी, शैशव चला उठाकर पाँव ।मानों बरगद किसी लता पर, बिखराता हो अपनी छाँव ।।फूलों से अनभिज्ञ भले पर, काँटों की रखता पहचान ।अहा! बड़ा ही सीधा सादा, भोला भाला यह भगवान ।।शिशु की अद्भुत भाषा शैली,... Read more |
![]() ![]() शिशु बैठा है गोद में, मूंदे दोनों नैन ।मात लुटाती प्रेम ज्यों, बरसे सावन रैन ।।जननी चूमे प्रेम से, शिशु को बारम्बार ।ज्यों शंकर के शीश से, बहे गंग की धार ।।माँ की आँचल के तले, बच्चों का संसार।धरती पर संभव नहीं, माँ सा सच्चा प्यार ।।माँ तेरे से स्पर्श का, सुखद सुखद एहसास ।... Read more |
![]() ![]() दूरियों का ही समय निश्चित हुआ,कब भला शक से दिलों का हित हुआ,भोज छप्पन हैं किसी के वास्ते,और कोई स्वाद से वंचित हुआ,क्या भरोसा देश के कानून पर,है बुरा जो वो भला साबित हुआ,बेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,मैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,सभ्यता की देख उड़ती धज्जियाँ,मन ह्रदय मेरा बहु... Read more |
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