Blog: यादें - अमरेन्द्र शुक्ल -अमर |
![]() ![]() यही कहीं बाँध कर, छोड़ा था मैंने तुम्हारी यादों को और यही कही तुमने भी,लपेट कर सफ़ेद चादर में,दफनाया थामेरी यादों को,मैं आज फिर सेलौट आयीं हूँ,तुम्हारी यादों कोसमेट करले जाने को,क्या तुम भीलौट आओगे,सब भूलकरमुझे अपनाने,याद रखना,गलतियाँ करनाइंसानी फितरत हैऔर उन्... Read more |
![]() ![]() ये जो तुम बात बात पे रूठ जाते हो न,अच्छी बात नहीं घर की छोटी -छोटी बातो को घर के बाहर तक ले जाते हो ये भी अच्छी बात नहीं ......देख लेना एक दिन ऐसे ही दो -दिलो में तल्खिया बढ़ जाएँगी हम कितना भी चाहेंगे इन्हें दूर करना दरारे फिर भी रह जाएँगी ......सुना है तुम तो बड़े ... Read more |
![]() ![]() हा........, आज ,बहुत दिनों के बाद ,तुमसे बात करने को जी चाहातो सोचा पूछ लू तुमसे, की ,तुम कैसे हो, कुछ याद भी है तुम्हेया सब भूल गए -----वैसे,तुम्हारी बातें मुझेभूलती नहीं,नहीं भूलते मुझे तुम्हारे वो अहसासजो कभी सिर्फ मेरे लिये थेनहीं भूलते तुम्हारे "वो शब्द"जो कभी तुमने मेरे लि... Read more |
![]() ![]() हा........, आज ,बहुत दिनों के बाद ,तुमसे बात करने को जी चाहातो सोचा पूछ लू तुमसे, की ,तुम कैसे हो, कुछ याद भी है तुम्हेया सब भूल गए -----वैसे,तुम्हारी बातें मुझेभूलती नहीं,नहीं भूलते मुझे तुम्हारे वो अहसासजो कभी सिर्फ मेरे लिये थेनहीं भूलते तुम्हारे "वो शब्द"जो कभी तुमने मेरे लिए ... Read more |
![]() ![]() तुम्हारा ही कहना हैउजालो से डर लगता हैफिर तुम ही कहोकैसे न मैं रात बन जाऊ !बिखर जाऊ मैं शबनमी बूंदों साये चाहत है गर तुम्हारीफिर तुम ही कहोकैसे न मैं पिघल पिघल जाऊटूट कर चाहू तुम्हेचाहे जैसे धरती को रात रानीफिर तुम ही कहो कैसे न मैं टूट - टूट जाऊसाथ चल सकू हर पल तुम्हारे... Read more |
![]() ![]() कल रात से ही आसमा में काले घनेरे मेघो का जमावड़ा किसके लिए -------आज सुबह से ही हर तरफ , हर गली चीखते -चिल्लाते लोग,त्राहिमाम- त्राहिमाम --------एक -एक तिनका तोड़कर-जोड़कर ,अपने सपनो को संजोकर रखा था करीने से, अलमारियों में बीती रात की बेला सब बहा कर ले गयी संग अ... Read more |
![]() ![]() कल रात से ही आसमा में काले घनेरे मेघो का जमावड़ा किसके लिए -------आज सुबह से ही हर तरफ , हर गली चीखते -चिल्लाते लोग,त्राहिमाम- त्राहिमाम --------एक -एक तिनका तोड़कर-जोड़कर ,अपने सपनो को संजोकर रखा था करीने से, अलमारियों में बीती रात की बेला सब बहा कर ले गयी संग अपने अलमारियों से... Read more |
![]() ![]() ओ मेरे कान्हा !अब समय आ गया हैतुम्हारे वापस आ जाने काऔर मुझे पता हैतुम आ भी जाओ, शायदपर क्या तुमइस सांझ की बेला मेंवो महक ला सकोगेजो तुम्हारे जाने से पहले थीक्या तुम वो बीते पल ला सकोगेजो मैंने बगैर तुम्हारे तनहा sगुजारेमेरे उन आंसुओ का हिसाब दे सकोगेजो दिन रत अनवरत बहत... Read more |
![]() ![]() अभी कल ही तो खरीदी है हमने दो-चार पल की खुशियाँ कुछ हसीकुछ गमऔर साथ में----------थोड़े से आँसू,!!देखते है कितने दिन चलती है पर हा, अब मैं किसी से कुछ साझा नहीं करता तुम भी मुझसे कुछ सांझा करने को मत कहना अब मैं इस मामले में थोडा स्वार्थी हो गया हूँ !!इस महंगाई क... Read more |
![]() ![]() अभी कल ही तो खरीदी है हमने दो-चार पल की खुशियाँ कुछ हसीकुछ गमऔर साथ में----------थोड़े से आँसू,!!देखते है कितने दिन चलती है पर हा, अब मैं किसी से कुछ साझा नहीं करता तुम भी मुझसे कुछ सांझा करने को मत कहना अब मैं इस मामले में थोडा स्वार्थी हो गया हूँ !!इस महंगाई के ज़माने में अब क... Read more |
![]() ![]() देव ! आज तुम कोशिश भी न करना इन्हें (समय के घाव), छूने की -------निकालने की तो,सोचना भी नहीं बहुत तकलीफ होगी -----तुम्हे भी और मुझे भी, बड़े ही जतन से,सहेज कर रखा है इन्हें मैंने -------अपने ही भीतर, आत्मसात सा कर लिया है, क्यूंकि, अब, ये मुझे नहीं जीते, मैं इन्हें जीती हूँ हाँ सच !इन्हें ही... Read more |
![]() ![]() “मीलों लम्बे सफ़र मीलो लम्बे कारवां, तलाशते जिंदगी अनाड़ियों की तरह”“पंखो की थकानमन का भटकाव, एक अंतहीन सफ़र पानी के बुलबुलों की तरह”“तेज बहती धारामंद –मंद बहती हवा, सोते हुए लोग भागते तेज बदलो की तरह”“पैगाम एक दुसरे का एक-दुसरे की जुबान पर, अस्थिर जीवन फीकी र... Read more |
![]() ![]() "एक तुम्हारे, न कह देने भर से तो सब ख़त्म नहीं हो जाता एक तुम ही तो नहीं जिसने रिश्तों को जिया मैंने भी तो ,तुम्हारे हर सुख-दुःख में,तुम्हारा साथ दिया,स्थितियां कैसी भी रही हों ,कभी उफ़ तक न की,तुम्हारे साथ बराबर की भागीदार बनी रहीहाँ सच सुना तुमने"बराबर की भागीदार"आज बरा... Read more |
![]() ![]() "एक तुम्हारे, न कह देने भर से तो सब ख़त्म नहीं हो जाता एक तुम ही तो नहीं जिसने रिश्तों को जिया मैंने भी तो ,तुम्हारे हर सुख-दुःख में,तुम्हारा साथ दिया,स्थितियां कैसी भी रही हों ,कभी उफ़ तक न की, तुम्हारे साथ बराबर की भागीदार बनी रही हाँ सच सुना तुमने "बराबर की भागीदार"आज... Read more |
![]() ![]() मै मान भी लूँ कि तुम्हे प्यार नहीं मुझसे जो भी था,सब एक छलावा मात्र था पर इसमें मेरा तो कोई दोष नहीं मैंने तो तुम्हे ही चाहा था चुन लिया था तुम्ही को सदा के लिए फिर इस बार भी मै ही सजा क्यूँ भुगतूं हे प्रभु तुम बार-बार मुझे ही क्यूँ चुनते हों अपनी भृ... Read more |
![]() ![]() सच, यही बात है न, की,मैं एक औरत हूँबस यही कसूर है मेराबस इसीलिए मेरा सच्चा स्वाभिमानतुम्हारे झूठे अभिमानके आगे न टिक सकामुझे झुकना ही पड़ेगातुम्हारेझूठे दंभ और अहंकार के आगेसदियों से यही होता आयासीता ने राम के लिएतोराधा ने श्याम के लिएक्या कुछ न सहाफिर मेरी क्या बिसा... Read more |
![]() ![]() "मैं कोई किताब नहीं,जिसे जब चाहोगे, पढ़ लोगे तुममैं कोई असरार नहीं,जिसे जब चाहोगे, समझ लोगे तुम ,मैं हु, तुम्हारे दिल की धड़कन,जिसे सुनना भी चाहो, तो न सुन सकोगे तुमकितना ही शोर, हो, तुम्हारे चारो तरफन सुन सकोगे तुम ,कितनी ही उजास हो तुम्हारी रातें,न सो सकोगे तुम,पल भर में खी... Read more |
![]() ![]() "मेरी बेटी-मेरा प्रतिबिम्ब"साँसें ठहरी रही,मेरे सीने मेंएक लम्बे अरसे तक,जैसे,एक तेज महक की घुटन ने,मानो जिंदगी को जकड रक्खा हों,मैंने भी ठान रक्खी थी जीने की,और अपने आप को (मेरी बेटी) जिन्दा रखने की,इसी जद्दोजहद में ...मुझ पर हकीकतों के लबादे चढ़ते रहे,और मेरे आँगन में ... Read more |
![]() ![]() "मेरी बेटी-मेरा प्रतिबिम्ब"साँसें ठहरी रही,मेरे सीने मेंएक लम्बे अरसे तक, जैसे,एक तेज महक की घुटन ने,मानो जिंदगी को जकड रक्खा हों,मैंने भी ठान रक्खी थी जीने की,और अपने आप को (मेरी बेटी) जिन्दा रखने की,इसी जद्दोजहद में ...मुझ पर हकीकतों के लबादे चढ़ते रहे,और मेरे आँगन में अ... Read more |
![]() ![]() हमारे रिश्ते, जैसे लोथड़े हो मांस के खून से सने, लथपथ....बिखरे, सड़क किनारे ... जिन्हें देखते, हमअपनी ही बेबस आँखों से बहता हुआ......वही कुछ दूर पे बैठा हाफंता,इक शिकारी कुत्ता ,जीभ को बाहर निकालेतरसता भोग -विलासिता को .......बचे है पिंजर मात्र,हमारे रिश्त... Read more |
![]() ![]() हमारे रिश्ते, जैसे लोथड़े हो मांस के खून से सने, लथपथ....बिखरे, सड़क किनारे ... जिन्हें देखते, हमअपनी ही बेबस आँखों से बहता हुआ......वही कुछ दूर पे बैठा हाफंता,इक शिकारी कुत्ता ,जीभ को बाहर निकालेतरसता भोग -विलासिता को .......बचे है पिंजर मात्र,हमारे रिश्तो के .......जिनमे अब भीकही-... Read more |
![]() ![]() 'सफ़ेद हंस' इक दिनरह जाओगे ,समुंदर में मोती की तरह बेशकीमती, पर,कैद अपने ही दायरे में अपनी ही तनहाइयों के साथ ..........कितनी ही परते चढ़ी होंगी तुम पर ,कितने ही कठोर बन चुके होंगे तुम फिर भी ढून्ढ ही लेगा मोती चुगने वाला 'सफ़ेद हंस' तुम्हे, तोडकर तुम्हारा अभिमान बिखर... Read more |
![]() ![]() मेरे घर का वही जाना पहचाना एहसास आज भी है, जैसा तुम्हारे जाने से पहले था बस,तुम्हारे जाने के बाद अब वो बहार नहीं आती...... हा खिल जाते है कभी कभीतुम्हारी ही यादों के सतरंगी फूल और खेलते है मेरे साथ, तुम्हारी ही तरह, जैसे की तुम खेला करती थी जैसे ही मै उन्हें अपने ख्वाबों ... Read more |
![]() ![]() मेरी साँसों के स्पंदन तेज होने लगे है,जब से,चिर-परिचित कदमो की आहट सुनाई दी है वो आयेंगे न, या, ये मेरे मन की मृग-मरीचिका है, मेरे कानो ने, सुनी है जो आहटकही वो दूर से किसी का झूठा आश्वाशन तो नहीं कही मेरी प्रतीक्षा मेरा विश्वाससब निराधार तो नहीं,.........नहीं उन्हें आना ही ... Read more |
![]() ![]() दूर, बहुत दूर, मेरी यादों के झुरमुटों में झीने कपड़े से बंधा मेरी साँसों के सहारे तेरी यादों का वो गट्ठर, जिन्हें वक्त के दीमक ने अंदर ही अंदर खोखला कर दिया है,बचा है जिसमेसिर्फ और सिर्फ ,मेरी अपने अकेले की साँसों का झीनापन जो शायद , किसी भी वक्त, निकल कर गठरी से तड़... Read more |
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