Blog: मैं और मेरी कवितायेँ...
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 sandhya sharma
सक्षम / सृजक संस्कारों एवंसृष्टि का आधार जिम्मेदार/समझदारप्रकृति का अनमोल उपहारपालनहारमौन/प्राण/ अपान ममता/सत्य ललकारक्षमताओं से परिचितसंदेहों से प्रभावितअधिकारों से वंचितनारी नहीं देवी हो तुम... Read more |
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सीने में गर है तुम्हारे दिलतो दर्द से तड़पकर दिखाओ गर तुम्हे कोई इंसा कहे तोमन में दर्द-ए-अहसास जगाओकिसी ठोकर से गर टूटे दिलनगमा मोहब्बत का सुनाओनफ़रत-ए-खंजर लिए लोगों कोअपनी ठोकरों से धूल चटाओ गर अमन से बना सको तुम इस जहान को जन्नत बनाओ है दम अगर डूबने से पहले मझधार से ... Read more |
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ऐसी ही है वहखूब बोलना चाहती हैपर बोलती नहींजब बोलने को कहोकह देती हैकुछ नहीं कहनाहाँ लेकिन उसी वक़्तउन मुरझाई आँखों सेटपक जाती हैं दो बूंदें........!बिलकुल दर्पण की तरह जिसमे झलकता हैउसका प्रतिबिंब झुर्रियों भरा चेहरास्पष्ट उभर आती हैंअनगिनत रेखाएंआखिर उन बूंदों परइ... Read more |
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वक़्त कल तुमसे हिसाब मांगेगा सुलगते सवालों का जवाब मांगेगाक्यों बैचैन हो गया है बचपन क्यों है जवानों के चहरे पर उलझन क्यों खनकते नहीं बाँहों में कंगना क्यों पलाश फूलते नहीं अंगना क्यों हो रहा है हर तरफ भेदभाव क्यों है भाई का भाई से मनमुटाव क्यों ... Read more |
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मज़बूत विश्वास की जड़किसी तूफ़ान बहाव सेनहीं हिलतीविश्वासपानी में उठताबुलबुला नहींजो मिट जाये एक पल में ही विश्वाससिद्धांतों से अडिग हैं जो नहीं बदलतेकिसी भी प्रयोग से....... Read more |
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विषयुक्त वातावरण में, अमृत कलश खोज लूँ जरा.क्षण के इस जीवन का मंथन कर, दो घूंट अमृत के पी लूँ जरा. शब्दों में समेट दूँ साँसों को,गीतों में संवेदना भर लूँ जरा.दुःख के अंधियारे आसमान में, ध्रुवताराअमन का ढूंढ़ लूँ जरा.प्रश्नों और समाधानों का, सत्यान्वेषण कर लूँ जरा.जीवन - म... Read more |
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अपना वादा ऐसे निभाते हैं सदा ख्वाबों में आते-जाते हैं, अपने आने का अहसास देकर,मीलों के फ़ासले मिटाते हैं. रजनीगंधा की खुश्बु बनकर, मेरी साँसों में सिमट जाते हैं. अपनी यादों का हौसला देकर, राह मंजिल की वो दिखाते हैं. मेरी सादा सी सूरत को भी, ... Read more |
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बीते साल की विदा बेलानए साल का आगमनआओ हिलमिल महका देंखुशियों का आँगन.समय है यह , सफर क्षण -क्षण का " भूतो न भवति , ना भविष्यत् "आता है यह और जाता है चला ....!हम सभी हैं इस स्थिति से अवगत "खूब कोशिश की सब कुछ पाने कीपर कुछ भी नहीं निकला सार"क्या है यह दुनिया , क्या अपनी किस्मत ऐसे वा... Read more |
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चलो तुम कुछ शुरुआत करो जहां तक बने कुछ बात करो बहुत हो चुकी जहां की बातें अब अपने मन की बात करो चलो तुम... Read more |
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सृष्टि के अंतिम दिनउसके और हमारे बीचकोई नहीं होगातब मृत्युएक कविता होगी एक अंतिम कविताबिना किसी भेद-भाव केस्वागत करेगी सबकाउस दिन यह दुनियान तेरी होगीन मेरी होगीजब धरा लुढ़क रही होगीखुल जायेगासिन्धु का तट बंधबिखर जायेगा अम्बर प्यारा अंधकार के महागर्त मेंखो जायेग... Read more |
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तारों में हँसतीफूलों सी खिलतीआज भी इस मन मेंबसती है तूमिट्टी की खुश्बूअब भी तुझे लुभाती हैपहिली बारिश में अब भी भीगती है तूअब भी संग मेरे धूप में चलती हैआँचल की शीतल छाँव अब भी करती है तूमेरी अंखियों के झरोखों से अब भी झांकती है तूअब भी मन की देहरी परदीप जलाती है तूबोलत... Read more |
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कभी कविता मिल जाती थीविद्यार्थियों के अल्हड चेहरे परकोतुहल भरे भाव दिखते थेनन्ही सी सुन्दर आँखों मेंअब ना चेहरे पर पहचान हैना ही आँखों में हैं भावसिर्फ बढ़ते ही जा रहे हैंऊंचाई में, आयु मेंसिर्फ शरीर सेखोखली संवेदना लिएकविता से दूरपरीक्षा में अंको के लिएयाद कर लेत... Read more |
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