Blog: तन्हा राही का सफरनामा........... |
![]() ![]() एक खूबसूरत गीत है, उसकी शुरूआती पंक्तियाँ उस से भी अधिक खूबसूरत।"जे मैं तैनूं बाहर ढूँढाँ तो भीतर कौन समाया। जे मैं तैनूं भीतर ढूँढाँ , बाहर किस दी है माया। "इस खूबसूरत पंक्ति को हम मानव चरित्र के हर पहलू के साथ जोड़ सकते हैं। यदि आप ईश्वर को मानते तो इसे ईश्वर के साथ जो... Read more |
![]() ![]() मेरे जूनून का नतीजा भले कुछ भी हो पर एक बात सच है कि जीवन खाली और अधूरा न होगा।अपह्लिज व्यथा से गुजर जरूर रहा हूँ पर उस व्यथा से भी कुछ न कुछ निकल कर ही आएगा। आज के दिन मैं अपनी इस छोटी सी कुर्सी पर बैठा अपनी जिंदगी के साथ तालमेल बिठाने का प्रयास कर रहा हूँ। आज आशातीत सफलता ... Read more |
![]() ![]() तमन्ना आज बगीचे में अकेली घूम रही थी. सामने उसका पसंदीदा पौधा था; बेहद सुन्दर रंग वाले फूल खिलते थे उसपर. केवल एक ही समस्या थी; उसमें कांटे थे...बहुत पैने कांटे जो कभी भी चुभ सकते थे. पर तमन्ना को वह पौधा जान से प्यारा था. आज उसने फूलों से छेड़खानी की ठान ली थी. जैसे ही उसने छून... Read more |
![]() ![]() धर्म और नैतिकता में से क्या बड़ा है? यह एक बेहद गंभीर प्रश्न है जिससे मैं इस समय रूबरू हो रहा हूँ एक पुस्तक में। मैं नास्तिक हूँ या आस्तिक तो भी नैतिक हो सकता हूँ, पर धार्मिक नहीं। यदि मैं सही मायने में धार्मिक हूँ तो नैतिकता को अपने अन्दर समाहित कर लेता हूँ, पर नैतिक होने ... Read more |
![]() ![]() साधक बोलो दुर्गम पथ पर तुम न चलोगे कौन चलेगा?कदम कदम पर बिछे हुए है, तीखे तीखे कंकर कंटक।भ्रांत भयानक पूर्वाग्रह है, और फिरते हैं वंचक।पर साथी इन बाधाओ को तुम न दलोगे कौन दलेगा?अम्बर में सघनघन का, कोई भी आसार नहीं है।उष्ण पवन है तप्त धरा है, कोई भी उपचार नहीं है।इस विकट वे... Read more |
![]() ![]() न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुमसफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी।सदा जो जगाये बिना ही जगा हैअँधेरा उसे देखकर ही भगा है।वही बीज पनपा पनपना जिसे थाघुना क्या किसी के उगाये उगा हैअगर उग सको तो उगो सूर्य से तुमप्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी॥सही राह को छोड़कर जो मुड़ेवही देखकर दूसरो... Read more |
![]() ![]() मैनें कई बार कोशिश की हैतुम से दूर जानें की,लेकिन मीलों चलनें के बादजब मुड़ कर देखता हूँतो तुम्हें उतना ही करीब पाताहूँ |तुम्हारे इर्दगिर्द वृत्त कीपरिधि बन कर रह गयाहूँ मैं ।कवि अज्ञात ... Read more |
![]() ![]() हमारे जीवन की विशिष्टता इस बात में है कि हम असंभव एवं मुश्किल परिस्थितियां का सामना किस प्रकार करते हैं। लघु बुद्धि वाला मनुष्य स्वयं को इस प्रकार की परिस्थितियों में समाप्त कर लेता है तथा स्थिर बुद्धि वाला मनुष्य इस प्रकार की परिस्थितियों में स्वयं को संयमित रख ज... Read more |
![]() ![]() याद है, तुम और मैं पहाड़ी वाले शहर की लम्बी, घुमावदार,सड़्क परबिना कुछ बोलेहाथ में हाथ डालेबेमतलब, बेपरवाह मीलों चला करते थे,खम्भों को गिना करते थे,और मैं जब चलते चलतेथक जाता थातुम कहती थीं ,बसउस अगले खम्भे तक और ।आज मैं अकेला हीउस सड़्क पर निकल आया हूँ , खम्भे मुझे अजीब निग... Read more |
![]() ![]() समस्त ज्ञान असत्य है एवं समस्त सत्य ज्ञान का स्वरुप है। समस्त सांसारिक ज्ञान केवल मात्र तर्क की शक्ति पर टिका है एवं जब तक वह तर्क की सीमा को पार नहीं कर देता उसे संसार ज्ञान की श्रेणी में नहीं रखता। श्री रामकृष्ण परमहँस कहते हैं कि ज्ञान विश्वास से पैदा होता है न कि ... Read more |
![]() ![]() अकेला चलना क्यों इतना महत्त्वपूर्ण है यह इस बात से साबित होता है कि न केवल आप इस जीवन में अकेले आते हैं ; अपितु आपकी अंतिम यात्रा भी अकेली ही रहती है। श्री कृष्ण गीता के सन्देश में केवल इतना ही कहते हैं कि हे पार्थ तूँ मुझमें है और मैं तुझमें। अन्य किसी और के बारे में मत ... Read more |
![]() ![]() If you can keep your head when all about youAre losing theirs and blaming it on you,If you can trust yourself when all men doubt you,But make allowance for their doubting too;If you can wait and not be tired by waiting,Or being lied about, don’t deal in lies,Or being hated, don’t give way to hating,And yet don’t look too good, nor talk too wise:If you can dream — and not make dreams your master;If you can think — and not make thoughts your aim;If you can meet with Triumph and DisasterAnd treat those two impostors just the same;If you can bear to hear the truth you’ve spokenTwisted by knaves to make a trap for fools,Or watch the things you gave your life to, broken,And stoop and b... Read more |
![]() ![]() तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रेफिर चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रेओ तू चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रेतेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रेफिर चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रेयदि कोई भी ना बोले ओरे ओ रे ओ अभागे कोई भी ना बोलेयदि सभी मुख म... Read more |
![]() ![]() कदम उसी मोड़ पर जमे हैंनज़र समेटे हुए खड़ा हूंजुनूं ये मजबूर कर रहा है पलट के देखूंखुदी ये कहती है मोड़ मुड़ जाअगरचे एहसास कह रहा हैखुले दरीचे के पीछे दो आंखें झांकती हैंअभी मेरे इनतज़ार में वो भी जागती हैकहीं तो उस के गोशा-ए-दिल में दर्द होगाउसे ये ज़िद है कि मैं पुकारूंमुझे त... Read more |
![]() ![]() के जिस मंजिल के लिए चले थे हम। वो मंजिल अभी नहीं आई। तन्हा राही चलते हुए इक पड़ाव पर पंहुचा। चारों तरफ सब वैसा ही था जैसा वह च... Read more |
![]() ![]() तन्हा राही राह चलता जाएगा; अब तो जो भी होगा देखा जाएगा। नेताजी सुभाष चन्द्र बॉस के जीवन चरित्र पर बनी एक फिल्म के गीत के उपरोक्त बोल एक ऐसे बाग़ी के हैं जिसने स्वयं की राह चुनी एवं उस राह पर चल दिए। इन्हें न मंजिल की फ़िक्र थी और न ही रास्ते की। इन्हें यह भी फ़िक्र नहीं थी कि क... Read more |
![]() ![]() दुःखेष्वनुद्विग्मनाः सुखेषु विगतस्पृहः।वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते।।2/56 (गीता)भावार्थ: जो दुःख में विचलित न हो तथा सुख में प्रसन्न नहीं होता , जो आसक्ति, भय तथा क्रोध से मुक्त है, वह स्थिर बुद्धि वाला मनुष्य ही मुनि कहलाता है।ईश्वर कहते हैं कि मुनि अर्थात म... Read more |
![]() ![]() I am honored to be with you today at your commencement from one of the finest universities in the world. I never graduated from college. Truth be told, this is the closest I've ever gotten to a college graduation. Today I want to tell you three stories from my life. That's it. No big deal. Just three stories.The first story is about connecting the dots.I dropped out of Reed College after the first 6 months, but then stayed around as a drop-in for another 18 months or so before I really quit. So why did I drop out?It started before I was born. My biological mother was a young, unwed college graduate student, and she decided to put me up for adoption. She felt very strongly that I ... Read more |
![]() ![]() अविराम चलता यह जीवनइक नए मोड़ पर खड़ा है।पूछता है क्या किया जोमुझे कोसते होकब मैंने तुम्हें हराया;कब तुम्हारा दिल दुखायाकब किस्मत के लेखे को;मैं बदल पाया!मैंने कहा ऐ जीवन;कोसता यूं नहीं मैं के मैंने ठोकर खाई है;कोसता यूं नहीं के मैं आज हारा हुआ हूँ;कोसता यूं हूँ के भाग्... Read more |
![]() ![]() एक उपन्यास का लेखन प्रारम्भ कर रहा हूँ। आशा करता हूँ कि अपेक्षा अनुरूप उसे सही रूप दे पाऊंगा। उस उपन्यास में एक ऐसे रिश्ते का दर्द छिपा है जिसकी न कोई सामाजिक स्वीकार्यता है और न ही उसका कोई मूल्य है। मूल्य उसका केवल मात्र उन इंसानों के लिए है जिनके लिए उस रिश्ते की क... Read more |
![]() ![]() हमदीवानों की क्या हस्ती, हम आज यहाँ कल वहां चलेमस्ती का आलम साथ चला,हम धूल उडाते जहाँ चलेआए बनकर उल्लास अभीआँसू बनकर बह चले अभी,सब कहते ही रह गए,अरे तुम कैसे आए, कहाँ चले?किस ओर चले? यह मत पूछो,चलना है, बस इसलिए चले,जग से उसका कुछ लिए चले,जग को अपना कुछ दिए चले।दो बात कही, दो ब... Read more |
![]() ![]() आज अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्लाह खान की पुण्य तिथि है। उनकी पुण्य तिथि पर मैं राम प्रसाद बिस्मिल की लिखी कविता जो लहू में उबाल ला देती है; उसे पेश कर रहा हूँ:हैफ़ हम जिसपे कि तैयार थे मर जाने कोजीते जी हमने छुडाया उसी कशाने कोक्या न था और बहाना कोई तडपाने को... Read more |
![]() ![]() हे वीर बन्धु ! दायी है कौन विपद का ?हम दोषी किसको कहें तुम्हारे वध का ?यह गहन प्रश्न; कैसे रहस्य समझायें ?दस-बीस अधिक हों तो हम नाम गिनायें।पर, कदम-कदम पर यहाँ खड़ा पातक है,हर तरफ लगाये घात खड़ा घातक है।घातक है, जो देवता-सदृश दिखता है,लेकिन, कमरे में गलत हुक्म लिखता है,जिस पाप... Read more |
![]() ![]() बादशाह अकबर और उनके दरबारी एक प्रश्न पर विचार कर रहे थे जो राज-काज चलाने की दृष्टि से बेहद अहम न था। सभी एक-एक कर अपनी राय दे... Read more |
![]() ![]() अपना भारत वो भारत है जिसके पीछे संसार चला। आज बड़े दिन के बाद पूर्व और पश्चिम का यह गीत सुना। हम कहाँ थे और कहाँ पंहुच गए! भारत अर्थात आर्यावर्त; न केवल इसकी भाषा अपितु इसकी संस्कृति, वेशभूषा, धर्म, मान्यताएं और यहाँ तक कि नागरिक भी एक गंभीर खतरे से रूबरू हैं और इसे कोई ... Read more |
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