 सुशान्त
हवा के थपेड़ों से गिरता रहा इधर-उधर मकसद क्या था,कहाँ था जाना कुछ खबर न थी बस बहता रहा इस नदी से उस नदी तक इस डगर से उस डगरजिसने जिधर चाहा बहा लियाअपने रास्तों को पहना दिया ठहरना चाहता था मैलौटना था वापस अपने शून्य में या पाना था उस शिखर को जहाँ पहुँच कर जीवन की तमाम उलझनो... Read more |

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8:48pm 24 Aug 2018 #
 सुशान्त
बांध दिए जाने और ख़त्म हो जाने की बीच से जाने वाली संकरी गलियों में वो जूझता रहा शब्दों के तहखाने से बहुत दूर निकल चुका वापसी में अपने ही पदचिन्हों को ढूंडने की नाकाम कोशिश करता बहुत कुछ पाने की चाहत में उसने जो बचाया था वो भी ख़त्म कर दिया और अब अपनी ही बनाई भूलभुलैया ... Read more |

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11:53am 10 Sep 2017 #

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7:24pm 27 Mar 2017 #
 सुशान्त
संवारता हूँ तुझको तेरी जुल्फों से खेलता हूँ तेरी माथे की लकीरों को पढता हूँ बार बार और अपने ख्यालों को उनमें पिरो देता हूँ फिर एक छोटा सा काला टीका लगा सारी दुनिया से छुपा लेता हूँ तुमको इस तरह हर बार जब देखता हूँ आईने में खुद को नज़र तुम आती होढलती शाम यादों की तश्तरी लेक... Read more |

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12:37pm 26 Feb 2017 #

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6:52pm 10 Jun 2016 #
 सुशान्त
मेरा सबसे प्यारा तोहफा हो तुम,जिस दिन से तुम्हे पाया हैजीवन की निराशाओं को आशाओं में बदलते देखा है मैंने,मेरे होने का मतलब शायद तुझमें ही तो छुपा हैतुम लडती-झगडती ,हंसती–खिलखिलाती मेरे जीवन को धाराप्रवाह बनाती होऔर मै बहता हूँ बिना किसी रूकावट केकभीलगता है जैसे की मै ... Read more |

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6:41pm 20 Jan 2016 #
 सुशान्त
चलो साथी तुमको साथ लेकर कहीं दूर चलूँ इस शोर से दूर किसी एकांत में ,जहाँ हम जी भर कर बातें करेंगे प्यार से भरी बातें नफरत का एक भी शब्द हम अपने आवाज़ में नहीं आने देंगेलेकिन तुम रोना नहीं तुम्हारे रोने से मुझे उस शोर में लौटने का भय दिखाई देने लगता है तुम मुझे अपने खुशि... Read more |

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6:37pm 20 Jan 2016 #
 सुशान्त
अप्रदर्शित स्नेह सा है हमारे दरमियां, एक दूसरे का साथ और प्यारा सा अहसास अब है हमारे दरमियां ,गुज़ारे हैसाथ बहुत से हसीन लम्हे हमने ,इन लम्हों के बागबान अब है हमारे दरमियां,बीते दिनों कि यादों का अम्बार सा लगा है ,इन या... Read more |

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6:30pm 20 Jan 2016 #
 सुशान्त
गर पडोसी मुल्कों से युद्ध करकेही बदलाव संभव है,गर हथियारों से ही विकास संभव हैगर युद्ध करके ही हम खुद को बचा पाएंगेऔर इसी से हम भ्रष्टाचार भी मिटा पाएंगे,पित्रात्मक सत्ता को ललकार पाएंगे,मजदूरों की आवाज बुलंद कर पाएंगे,कोख में मरती बेटियों को बचा पाएंगे,गरीबों का शोष... Read more |

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10:56am 13 Nov 2013 #
 सुशान्त
गर पडोसी मुल्कों से युद्ध करके ही बदलाव संभव है,गर हथियारों से ही विकास संभव हैगर युद्ध करके ही हम खुद को बचा पाएंगे और इसी से हम भ्रष्टाचार भी मिटा पाएंगे,पित्रात्मक सत्ता को ललकार पाएंगे,मजदूरों की आवाज बुलंद कर पाएंगे,कोख में मरती बेटियों को बचा पाएंगे,गरीबों का शो... Read more |

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11:14am 11 Nov 2013 #
 सुशान्त
बिखरी पड़ी है हर ओर यादों कि परछाइयाँ ,कुछ साथ गुज़ारे लम्हों कि मीठी सी अंगडाईयाँ,यहाँ की हर गलियों ,हर क्लास रूम में, बना इतिहास हमारा,भविष्य की कल्पनाओं का बना अदभुद संसार हमारा ,इस छोटे से संसार में है यादों की अम्बार सा, जहाँ कभी सेशनल का डर सताता था, तो कभी सेमेस्टर ... Read more |

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6:03pm 6 May 2013 #
 सुशान्त
जिंदगी जीने के बहाने ना ढूंढिए,जमीं पर हर तरफ आग है,कश्तियो में बैठ किनारा ना ढूंढिए,बहुत खलिश है जस्बातों में अब ,विश्वास को तराजू में ना तोलिये,बहुत गहरी हैं नफरत-ए- दरमियां, .हमारी रूह की गहराइयों को ना टटोलिए ,उदासी का आलम फ़ैल जायेगा चारों ओर,मेहरबानी कर उन जख्मों को... Read more |

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9:46am 16 Oct 2012 #
 सुशान्त
मैं जाति ,वर्ग ,वर्ण ,सम्प्रदाय में बांटा गया हूँ,मैं देश-परदेस ,प्रान्त-राज्य,स्त्री-पुरुष तक में बांटा गया हूँ,मेरे हजारों टुकड़े किए गए हैं,पर फिर भी मैं मौन हूँ,मैं मौन हूँ इंसानियत की बर्बरता पर,अन्धविश्वास की ऊँचाइयों पर ,भेद-भाव से भरे सामाजिक गलियारों पर ,मानव के ... Read more |

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1:06pm 6 Sep 2012 #
 सुशान्त
अंधकार बढ़ता ही जाता है ,अब तो ये अँधेरा भी खुद में ही घुटा जाता है ,बहुत से अंतर्द्वंद जब आपके ह्रदय में ,दे गवाही आपके गुनाह की ,तब अवसाद बढ़ता ही जाता है ,और आपके अंदर का इंसान बहुत छटपटाता हैन सोता न जागता है ,न रोता न हँसता है,न कुछ कहता न ही सुनता है,बेबात की उलझनों में ... Read more |

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6:33pm 20 Jun 2012 #
 सुशान्त
अंधकार बढ़ता ही जाता है ,अब तो ये अँधेरा भी खुद में ही घुटा जाता है ,बहुत से अंतर्द्वंद जब आपके ह्रदय में ,दे गवाही आपके गुनाह की ,तब अवसाद बढ़ता ही जाता है ,और आपके अंदर का इंसान बहुत छटपटाता हैन सोता न जागता है ,न रोता न हँसता है,न कुछ कहता न ही सुनता है,बेबात की उलझनों म... Read more |

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6:33pm 20 Jun 2012 #
 सुशान्त
ये अंधकार बढ़ता ही जाता है,अब तो ये अँधेरा खुद में ही घुटा जाता है ,बहुत से अंतर्द्वन्द जब आपके ह्रदय में ,दे गवाही आपके गुनाह की ,तब अवसाद बढाता हि जाता है ,और अपने अंदर का इंसान बहुत छटपटाता है ,न सोता न जागता है,न रोता न हँसता है ,न ही कुछ कहता न सुनता है ,बेबात की उलझनों मे... Read more |

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6:26pm 20 Jun 2012 #
 सुशान्त
उड़ना है पर 'पर ' नहीं ,देखने है सपने पर,आँखों में नींद नहीं ,दौड़ कर पानी है रफ़्तार पर ,पैरों में दम नहीं ,सोचना है अपने बारे में पर ,मस्तिष्क एकाग्र नहीं ,करना है चिंतन पर ,यहाँ शांति है नहीं ,बोलना है सच पर ,मुख में स्वर नहीं ,करनी है कुछ बात पर ,आप साथ है नहीं ,उड़ना है पर'पर... Read more |

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3:43pm 29 Apr 2012 #
 सुशान्त
आज ,आज का दिन बहुत खास है ,तो क्यों न ,एक शुरुवात करो ,नए आयाम नए लक्ष्य बनाकर ,ठान लो आज अपने मन में ,बदलाव की आंधी उठाने की ,कुछ पाने की कुछ कर दिखने की ,एक नया संसार बनाने की ,ये वक्त ,ये वक्त ठहरने का नहीं है ,ये वक्त है आगे बढ़ने का ,तो आज , आज शुरुवात करो ,तारों सा जगमगाने की ,ह... Read more |

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7:17pm 2 Apr 2012 #
 सुशान्त
ये झरने जो है बहते ,ये अपनी दास्ताँ है कहते ,ये क्या-क्या है सहते,ये कल-कल क्यों कहते ,ये क्यों यु ही बहते ??ये सहते है चोटें जो पत्थर से खाई ,ये कहते है कल-कल की ,कल पाउँगा में खुशी हर भुलाई ,ये यूँ ही बहते ही रहते ,की किसी मोड पर होगी मंजिल से मुलाकात ,हमसफ़र मिलेंगे ,मिलकर बाते... Read more |

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5:35pm 15 Mar 2012 #
 सुशान्त
कोई अपना-पराया न रहा ,क्या खुशी के दो पल भी हमें गवारा न रहा ?कोई तो आएगा इन सूनी गलियों में, बहुत दिए दिलासे मैंने इस दिल को , पर क्यों , किसी का आना- जाना न रहा ?चल पड़ा हूँ ऐसी मंजिल को ,जिसके न रास्ते रहे ,न ठौर-ठिकाना रहा ,जिंदगी पूछती है ये सवाल अक्सर ,क्या नई दुनिया में अब क... Read more |

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11:33am 11 Mar 2012 #
 सुशान्त
लक्ष्य अब ऐसा है बनाया ,लड़ेंगे,मरेंगे हिम्मत अब ना हारेंगे ,लक्ष्य अब ऐसा है बनाया ,मुश्किलों के उस सफर पर ,काँटों से भरी डगर पर ,जिंदगी से लड़-झगड कर ,दूर मंजिल की तरफ हम बढ़ चलेंगे ,लक्ष्य अब ऐसा है बनाया,आग फिर बरसाए जीवन ,राह ना दिखलाये जीवन ,जाल गर फैलाये जीवन ,कर शपथ हम ... Read more |

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3:20pm 7 Mar 2012 #
 सुशान्त
सावन के झोंके में ,बारिश की वो घटा ,कह रही थी मुझसे ,उठ अब नाम कर ,नित नए काम कर ,मेरे कानो पर आहट ना हुई ,सावन गुज़रा तो ,मै उठा देखा तो ,ठंड की हवाएं कह रही थी मुझसे ,अभी समय है शेष ,दौड पकड़ ले रफ़्तार ,मै रजाई से ना निकला,ठंड भी गई बीत ,गर्मी ने अब दस्तक दी ,कहा समय हुवा समाप्त ,पं... Read more |

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6:29am 6 Mar 2012 #
 सुशान्त
कहाँ से करू शुरू ,सब अंत सा लगने लगा ,ना जाने क्यों ,जिस्म का हर दाग अब,ज़ख़्म सा लगने लगा ,लोग कहते है सब ठीक होगा ,ये शब्द भी अब ,भ्रम सा लगने लगा ,जब मुसाफिर ही रुक जाए अपने रास्ते पर,तब हर शख्स ,कुछ गरम सा लगने लगा ,दुनिया को देखने का नजरिया भी ,कुछ बदला बदला सा लगने लगा ,हर वक्... Read more |

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2:39pm 5 Mar 2012 #
 सुशान्त
उलझनें यूँ उलझ गई है ,की अब सुलझती नहीं ,कभी हँसता हूँ तो लगता है कोई देख ना ले ,कोई नज़र ना लगा दे ,जिंदगी यूँ उदास हो गई है,की मुस्कुराती नहीं,वही दुःख भरे मंज़र नज़र आते है हर वक्त ,हर पहेर ,वक्त कुछ ठहर सा गया है ,की अब बढता नहीं ,हमें अपनी जिंदगी से ना कोई गम ,ना शिकवा रहा क... Read more |

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8:36pm 24 Feb 2012 #
 सुशान्त
कभी बारिश की बूंदों में नहा कर तो देखो ,अपने मन की प्यास बुझा कर तो देखो ,देखो सपने सब हो अपने ,सभी को अपना बना कर तो देखो ,माँ से बिछड़े बच्चों को ,कभी गले लगा कर तो देखो ,सदियों से बंद इन कमरों में कभी ,धूप की एक किरण ला कर तो देखो ,सूखे मुरझाये पौधों में कभी ,पानी की फुहार डाल क... Read more |

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3:01pm 15 Feb 2012 #
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