Blog: हरीश...उन्मुक्त उड़ान |
![]() ![]() दर्द के बादल पिघलते नहीं चांद बचपन के ढलते नही खिलौने बदतमीज हो गये हैचाबी ना भरुं तो चलते नहीं किताबों से बस्ते फट भी गयेआज पैसों से झोले भरते नहीं बूढी मां की बाहों में फिर बिखर जाऊंखिलौने टूट गये है बचपन भूलते नहीं अांगन में तितलियां अब कहां आती हैं'हरि'बरसा... Read more |
![]() ![]() अंत नहीं आरम्भ लिखूंगाफ़ुर्सत में प्रारंभ लिखूंगा ख्वाहिश में विश्वास लिखूंगा आस नहीं प्रयास लिखूंगा क्रांति का आकार लिखूंगा शून्य नहीं विस्तार लिखूंगा इन्कलाब को पत्र लिखूंगा शास्त्र नहीं मैं शस्त्र लिखूंगा फ़ितरत के विरुद्ध लिखूंगा छाँव नहीं मैं धूप लिखूंगा ह... Read more |
![]() ![]() मैं अन्तर्मन तेरा, मैं ख़्वाब भी तेरा हूँ विश्वास करो मेरा, मैं साँझ सवेरा हूँ बनजारें भी अब तक, घर लौट गये होंगे मैं बीच रास्ते का, लूट गया जो डेरा हूँ कुछ दर्द उधारी के, कुछ अश्क़ मुनाफे केमैं इश्क़ का राजा हूँ, जो कुछ हूँ तेरा हूँ 'हरि'स्याह अँधेरे की, परछाई मेरी तस्वीर इक र... Read more |
![]() ![]() ना दरिया ना मौज़ की बात करता हूँ मुट्ठी में है चाँद मर्ज़ी से रात करता हूँ ये झूठ है मेरा कि मंजिल नहीं मिली सच में तो हर रोज़ मुलाकात करता हूँ रात में हर ख्वाब, ख़फ़ा करने के लिए शाम से पहले कत्ले-जज़्बात करता हूँ जब से उनके ख्वाब आकर टूटने लगे हैं हर सहर बिस्तर की शिनाख्त करता ह... Read more |
![]() ![]() ना दरिया ना मौज़ की बात करता हूँ मुट्ठी में है चाँद मर्ज़ी से रात करता हूँ ये झूठ है मेरा कि मंजिल नहीं मिली सच में तो हर रोज़ मुलाकात करता हूँ रात में हर ख्वाब, ख़फ़ा करने के लिए शाम से पहले कत्ले-जज़्बात करता हूँ जब से उनके ख्वाब आकर टूटने लगे हैं हर सहर बिस्तर की शिनाख्त क... Read more |
![]() ![]() कृष्ण कहो श्री हरि कहो या तीन लोक का ग्वाला राधे...राधे...राधे...राधे मन मौजी मतवाला कृष्ण कन्हैया मेरा प्यारामोहन मुरली वाला...! अंग अंग मेरा रोम रोम मेरे पिय दर्शन का प्यासा मयकशी मतवाली मूरत बृज का नन्हा लाला कृष्ण कन्हैया मेरा प्यारा मोहन मुरली वाला...!... Read more |
![]() ![]() मेरा नाम उनकी जुबान पर है जैसे कोई दरिया उफ़ान पर है इस बस्ती के लोगों के उसूल मत पूछो पैर जमीं पे इरादे आसमान पर है वारदाते-क़त्ल उनके शहर में हुई मगर इल्जाम मुझ सुल्तान पर है हारे हुए सिकंदरों को कौन पूछता है फतह के तमाम झंडे मेरे मकान पर है मेरा नाम उनकी... Read more |
![]() ![]() कोरे कागज़ पर तू लिख रहा था कुछ कुछ हंसी गुम थी उदास दिख रहा था कुछ कुछ खुश तो था कि दुआएं मुकम्मल हुयी थी फिर भी मन ही मन चिढ़ रहा था कुछ कुछ थोड़े आंसू गिरे थे मेरे हर सवाल पर कागज़े दिल तेरा भीग रहा था कुछ कुछ एक झोंका हवा का गुजर भी गया सुर्ख पत्ता अभी भी हिल रहा था कुछ कुछ फ़ास... Read more |
![]() ![]() किसी रोज़ जिंदगी बिखर जाएगी उड़ती पतंगे आसमां से उतर जाएगी इस ओर कुछ दूरियाँ ज़ायज हैं वर्ना उस ओर मुहब्बत की खबर जाएगीमैंने देखा है मुहब्बत के गुलाबों का अंजाम अश्कों में नहलाकर किताब निगल जाएगी इस बुढ़ापे में इश्क की ख़ता न करो दोस्तज़ात-ऐ-बुजुर्ग बे आबरू होकर जाएगी ग... Read more |
![]() ![]() नासाज तबियत थोड़ी ठीक हो जाय आओ हम ग़म में चूर चूर हो जायबंजारों से कह दो हम उनसे वाबस्ता नहीं ये दिन आराम के है तो कुछ आराम हो जाय वक़्त कहता है तो कोई नयी दुनिया बसा लेतुम जमीं हो जाओ हम आसमां हो जाय मेरे गांव के पंछी साँझ को घर नहीं लौटते जरुरी है तेरे ग... Read more |
![]() ![]() कभी अपने ख्यालों की मैं सुनता हूँ तो कभी ख्याल मेरी अपनी सुनते है इसी सिलसिले के दरमियाँ आजकल जो हालात मेरे और मेरे ख्यालों के बीच बन पड़े है वो इस 'उत्सवी' ग़ज़ल में पेश करता हूँ...!अब परस्तिश ना रही भगवानों की तबाह हुयी तासीर मेरे फरमानों की गफ़लत में इनाद आदमी... Read more |
![]() ![]() ''कोई कसक दिल में दबी रह गयी ...!'' ऐसे गीत मुझसे गाये नहीं जाते हा मगर दिल के ज़ज्बात अक़सर अल्फाजों की शक्ल-औ-सूरत अख्तियार कर ही लेते है ...मगर यही मेरी बेबसी है और मेरी अनकही आरज़ू भी ...आज मुल्क के हालात के लिए अगर मैं बेबस हूँ तो मेरे अल्फाज़ भी...! 'ज़श्न -ऐ-आज़ादी' से क्या होग... Read more |
![]() ![]() ''कोई कसक दिल में दबी रह गयी ...!''ऐसे गीत मुझसे गाये नहीं जाते हा मगर दिल के ज़ज्बात अक़सर अल्फाजों की शक्ल-औ-सूरत अख्तियार कर ही लेते है ...मगर यही मेरी बेबसी है और मेरी अनकही आरज़ू भी ...आज मुल्क के हालात के लिए अगर मैं बेबस हूँ तो मेरे अल्फाज़ भी...! 'ज़श्न -ऐ-आज़ादी'से क्या होगा.... Read more |
![]() ![]() इस जिंदगी के नाम इक जाम हो जायेकुछ रात मयखाने में आराम हो जायेहम उनसे ये कहकर घर से निकले थे इंतजार ना करना चाहे शाम हो जाए वो इतना हसीं है की गम न होगा गरउससे मुहब्बत करके बदनाम हो जाए क्यू करे मुहब्बत छुप-छुपकर जहाँ से हर राज बेनकाब सरे-आम हो जाए इक मुलाकात उनसे जरुर... Read more |
![]() ![]() इक कसम ऐसी भी अब खा ली जाये जिससे दोस्ती-दुश्मनी संभाली जाये टूटी तस्वीर से आंसू टपकते देखकर किसी कलंदर की दुआएं बुला ली जाये अब कोई ताल्लुक न रहा उसका मुझसेहो सके इश्क की अफवाहें दबा ली जाये खबर है तूफां जानिबे-समंदर निकले हैं वक़्त पर टूटी कश्तियाँ सजा ली जाये इन... Read more |
![]() ![]() मुहब्बत का तिलिस्मी अफ़साना हो जाये चाँद भी तेरे हुस्न का गर दीवाना हो जाये इस नादान दिल को सुकूँ भी मिल जायेगा हर रोज तेरा मेरे घर आना जाना हो जाये ये लंबा सफ़र है जीने का आखरी सांस तक जिंदगी को लम्हों में बांटकर जीना हो जाये अब मजे की बात नहीं रही ते... Read more |
![]() ![]() मुहब्बत भी एक किस्म की फकीरी है जनाबफुरकते-महबूब में तड़पना मझबूरी है जनाब सूखे पत्तों की खबर अंधड़-तूफानों से पूछिये बेसहारा जिंदगी की हर सांस आखिरी है जनाब वो कहते रहे गैरों से दिल की बाते रो-रो कर जैसे इश्क की बातों में अश्क जरुरी है जनाब ये चाँद ये सितारे ये जमीं आस... Read more |
![]() ![]() दोस्तों!ग़ज़ल सूफी फकीरों की दौलत है जो शायरों को विरासत में मिली है। ये जागीर ही ऐसी है जिसे हर कोई अपनी मुहब्बत और गमदीदा माहौल में इस्तेमाल करता है। मुहब्बत-गम और शायरी इस जहाँ की एक अटूट तिगडी है जिसकी खूबसूरती का चर्चा वक़्त की पगडंडियों पर सरे-राह होता रहा है...। ... Read more |
![]() ![]() नकाब में हुस्न की मूरत हो तुमरंगे-खुशबू सी खुबसूरत हो तुमजिंदगी की बेनजीर जागीर हो किसी गरीब की दौलत हो तुम हो उजली ठंडी बूंद बारिश की बंजर जमीं की जरुरत हो तुम बुरा मानने का जिक्र क्यों करूंमीठी-मीठी सी शरारत हो तुम दर्द का दरिया सुकूं का साहिल कश्ती में बिखरी मुहब... Read more |
![]() ![]() उसका रूठ जाना तबाही से कम नहींलिबासे-ख़ामोशी झूठी गवाही से कम नहीं अब न रोना है उसका न खिलखिलानावो गुजरे लम्हे भी शायरी से कम नहीं तमाम उम्र भी कम है शिकवों के लिए जिंदगी के शिकवे जिंदगी से कम नहींपंछी भी उड़ते-उड़ते दम तोड़ देते है आसमां की कीमत जमीं से कम नहीं... Read more |
![]() ![]() जिन्दा हूँ मगर आज भी गम के लिबास में बिखरी हुई कहानियाँ जिस्मे-अलफ़ाज़ में आखिरी ख्वाहिश ये मेरी नाम-ऐ-साकी है तमाम ईंट-ऐ-कब्र नहला दो शराब मेंन जाने किसके गले से आगाज़-ऐ-क़त्ल हो बेहिसाब फिक्रमंद है लोग बिखरी कतार मेंबदनामियों का डर महज उनको ही होगावे अजनबी जो ठह... Read more |
![]() ![]() जिन्दा हूँ मगर आज भी गम के लिबास में बिखरी हुई कहानियाँ जिस्मे-अलफ़ाज़ में आखिरी ख्वाहिश ये मेरी नाम-ऐ-साकी है तमाम ईंट-ऐ-कब्र नहला दो शराब मेंन जाने किसके गले से आगाज़-ऐ-क़त्ल हो बेहिसाब फिक्रमंद है लोग बिखरी कतार में ख़त्म हो भी तो कैसे हो परेशानियां 'हरीश'सवा... Read more |
![]() ![]() जिंदगी जीने के जो आसां तरीके है मौत की चौखट पे मुद्दतों से सीखे है तू ही था जिस पर मुझे नाजिश था कभी आज तेरे ख्याल भी खामोश फीके है होश में रहना गज़ब हुनर की बात है इश्क की शराब जो हम पी के बैठे हैं परेशाँ है बादशाहों के महल घर-बार बेफिक्र चैन-औ-सुकूँ से फकीर लेटे है क्य... Read more |
![]() ![]() जिंदगी के मसलों की ज़ीनत जरुरी है जागीरे-बख्शीस की कीमत जरुरी है...नफरतों की गुस्ताखी हर रोज करता हूंमुहब्बत करने को तो फुर्सत जरुरी है... जंग का मैदान जख्मे-जमीं हो गया अब अमनौ-चैन की हरकत जरुरी है...आँख का मतलब नहीं हर वक़्त रोया जाय अश्क की बारिश को फुरकत जरुरी है... मुहब... Read more |
![]() ![]() बेक़सूर निगाहों के मसलें चश्मदीद गवाह हो गये हम इतना डूबे उसकी चाहत में कि दरिया हो गये मुहब्बत की बाँहों में सिसककर गम शुकून पाता है अश्कों में नहाकर बेआबरू तमाम शिकवा हो गये एक बार जो उसकी खैर ली तो वो लिपट के रो पड़ा बातों बातों में हम भी गमे-यार के हिस्सेदार हो ग... Read more |
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