 B.G.Sharma
- तरुण कुमार दाधीच
भारतीय
शिल्प शास्त्रों, पौराणिक शास्त्रों व अन्य प्रतिमा विषयक
ग्रंथों में देव प्रतिमाओं के विविध स्वरूपों का शास्त्रोक्त वर्णन मिलता है ।
इसके अलावा ’विष्णुधर्मोत्तर पुराण’, ’अपराजितयच्छा’,
’मत्स्य पुराण’, ’मानसार’, ’मयमत’, ’अग्नि पु... Read more |
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- सीताराम दाधीच
( लेखक सुजानगढ़ के मूल
निवासी हैं। आप हमारे लेखक परिवार के अग्रणी, आदरणीय सदस्य व
विद्वान विचारक हैं। आप शिक्षा विभाग राजस्थान को
बतौर उपनिदेशक व ब्राह्मी विद्या पीठ लाडनूं को बतौर प्राचार्य अपनी सेवाएं दे
चुके हैं )
श्रीमद्भागवद्गीता
सर्व... Read more |
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-देवदत्त शर्मा.अजमेर
विष्णु पुरूषार्थ के प्रतीक हैं तथा हमारे
हाथ पुरूषार्थ के माध्यम। इसीलिए वेदों में यह उक्ति है - ‘कराग्रे वसति
लक्ष्मी’
धन! अर्थात् लक्ष्मी की
आकांक्षा प्रत्येक प्राणी को होना स्वाभाविक है, क्योंकि
यही जीवन का आधार है। यही विकास की रीढ... Read more |
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- शास्त्री कोसलेन्द्रदास
(
दधिमती लेखक परिवार की निष्ठावान एवं समर्पित विद्वत्मन्डली के उज्ज्वल एवं प्रखर
नक्षत्र, रामानंद विश्व विद्यालय में दर्शन साहित्य
के आचार्य, शास्त्री कोसलेंद्रदास ने दीपावली के विभिन्न
अर्थ एक दार्शनिक अंदाज में किये हैं। तम के विरुद्ध... Read more |
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-देवदत्त शर्मा
(कई बार जो सत्य हम जानते
हैं उसे ही अंतिम एवं निरपेक्ष सत्य मान बैठते है, पर
ऐसा नहीं होता |. ज्यों ही हमारी जानकारी के परे कोई
नयी बात हमारे समक्ष उद्घाटित होती है, वह हमें पहले स्तंभित करती है, फिर चकित एवं
विस्मित करती है एवं अंत में हमें मुदित करती ह... Read more |
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- देवदत्त शर्मा
दशग्रीव रावण ने घोर तपस्या द्वारा इच्छित वरदान प्राप्त कर
विश्वविजयी अभियान चलाया था। उसने अपने अहंकार के कारण सारे विश्व को त्रस्त कर
दिया था। कौशल नरेश ‘अनरण्य’ का वध करके उसने अयोध्या पर विजय
प्राप्त करके समस्त देवताओं के अस्तित्व पर आघात क... Read more |
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-तरुण कुमार दाधीच
(
धरती चपटी है, यह स्थापित मान्यता थी।
किन्तु नव खोज एवं अनुसन्धान ने सिद्ध किया कि धरती गोल है। ठीक वैसे ही स्थापित
मान्यता है कि रावण के दस सिर थे। किन्तु दधिमती लेखक परिवार से हाल ही में जुड़े
विद्वान लेखक श्री तरुण कुमार दाधीच का यह अनुसंधानपरक ल... Read more |
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‘‘धरती पर प्रत्यक्ष रूप से अगर पवन-पुत्र हनुमान जी
के दर्शन करने हो तो देव भूमि हिमाचल की राजधानी शिमला जरूर जावें’’ यह बात अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातनाम न्यूरो सर्जन जो कि मेरे मित्र हैं, डॉ. नगेन्द्र शर्मा ने कही। तभी से मैंने
निश्चय कर लिया कि मुझे देवभूमि जाकर रा... Read more |

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12:01pm 14 Oct 2012 #
 B.G.Sharma
( जीवन दर्शन )
- रामकुमार तिवाड़ी, लाडनूं
( है तो यह विडम्बना पर है सच
कि अधिकांश व्यक्ति अपने दुःख से दुखी कम व दूसरों के सुख से दुखी ज्यादा होते हैं,. ऐसे परस... Read more |

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2:38am 11 Oct 2012 #
 B.G.Sharma
-देवदत्त दाधीच "छोटी खाटू वाले"
जग में जीवन श्रेष्ठ वही जो फूलों सा मुस्काता है
अपने गुण सौरभ से जग के कण-कण को महकाता
है।
जग तो एक सराय अनोखी, सुख-दुख इसमें हैं भरपूर
सुख देने से सुख मिलता है, दुख दे तो
दुःख से हो चूर।
ये कुछ पल की जिन्दगी है, जाना सबको ... Read more |

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4:40pm 7 Sep 2012 #
 B.G.Sharma
राजस्थानी कविता
प्रेषक-गौरी शंकर शर्मा
(ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था पूर्णतः वर्षा आधारित है। पर जब
वर्षा अर्थात बादल दगा दे जाए तब गांव की, विशेषतः कृषक महिलाओं की क्या
स्थिति होती है, का करुण चित्र इस कविता में
खींचा गया है। इस वर्ष मानसून के आने में विलम्ब स... Read more |

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6:16pm 16 Aug 2012 #
 B.G.Sharma
- देवदत्त शर्मा
(यह शोध परक लेख श्री देवदत्त शर्मा , अजमेर ने भेजा है, जो मूलतः रेवेन्यू बोर्ड
अजमेर में एडवोकेट हैं। वकालत के नीरस पेशे का साहित्य रसास्वादन एवं सृजन, अध्यवसाय से दूर दूर का वास्ता नहीं होता किन्तु व्यक्ति के भीतर रस का
सोता कहीं सोता हो तो अवसर पात... Read more |

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6:55pm 15 Aug 2012 #
 B.G.Sharma
अंकुरित अन्न आहार
( दधिमति पत्रिका के पाठकों को
कुछ उपयोगी सामग्री इसके "सेहत और खानपान" स्तंभ के माध्यम से प्रस्तुत
की जाये,इस भाव से प्रेरित व अनुप्राणित होकर लिखा गया यह
सर्वथा मौलिक लेख आप के लिए आपकी सेहत से जुड़े विषय पर प्रस्तुत है, इस आशा के साथ कि यह आपकी खान... Read more |

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3:25am 3 Aug 2012 #
 B.G.Sharma
बाल जिज्ञासा
( प्रकृति की निर्दोष रचना बच्चे
व अनुपम देन माँ ! प्रस्तुत
कविता इन दोनों को समर्पित )
पापा ज्यूँ ही घर आते हैं
हम सब सहमे चुप हो जाते
माँ तू है मूरत ममता की
तुम से ज़रा ना भय हम खाते -1
प्रश्न प्रश्न व प्रतिप्रश्नों की
जब ... Read more |

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2:39am 3 Aug 2012 #
 B.G.Sharma
देने का सुख
[आलेख मूलतः दधिमती पत्रिका के सम्पादकीय के लिए लिखा गया और तदनुसार प्रकाशित भी हुआ ! कालांतर में निरंतर चिंतन से विषय विकसित विस्तारित व ज्यादा स्पष्ट होकर वर्तमान स्वरुप में आप के समक्ष है व इस में विषय से सम्बद्ध अन्य पहलुओं को शामिल किया गया है, जो सम्प... Read more |

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11:55pm 2 Mar 2012 #
 B.G.Sharma
देने का सुख
[ आलेख मूलतः दधिमती पत्रिका के सम्पादकीय के लिए लिखा गया और तदनुसार प्रकाशित भी हुआ ! कालांतर में निरंतर चिंतन से विषय विकसित विस्तारित व ज्यादा स्पष्ट होकर वर्तमान स्वरुप में आप के समक्ष है व इस में विषय से सम्बद्ध अन्य पहलुओं को शामि... Read more |

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12:51pm 2 Mar 2012 #
 B.G.Sharma
दधिमती (जनवरी २०१२ )
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 B.G.Sharma
[ सहज नहीं है काव्य सृजन,सहज है तो आलोचना ! काव्य सृजन की क्या परिस्थिति होती है, क्या कवि की मनस्थिति होती है व कैसे होता है काव्य सृजन, से आप सुधि पाठकों को रू-ब-रू कराने को प्रस्तुत है यह कविता - बी जी शर्मा ]
कविता का जन्म
मन मे भरी हो विरह वेदना, या प्रिय से मिलने का उल... Read more |
 B.G.Sharma
[ दधिमती मासिक पत्रिका के स्तम्भ "बाल फुलवारी" के लिए मकर संक्रांति के अवसर पर बाल मनो विज्ञान को ध्यान में रख कर लिखी गयी कवितायें ! चूँकि यह सृजन बच्चों के लिए है अतः बाल सुलभ मनोरंजन ही इन में देखें न कि बौद्धिकता ! हालांकि कवितायें शिक्षा प्रद व संदेशपरक है !]
आओ पतं... Read more |
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