Blog: चिकोटी |
![]() ![]() सफलता का शार्ट कट होता है। लेकिन जो यह कहते हैं कि सफलता का कोई शार्ट कट नहीं होता, वे दरअसल बेवकूफ हैं। शार्ट कट के साथ सफलता पाना उतना ही आसान है, जितना लेखन में पुरस्कार पाना। शार्ट कट के लिए भी मेहनत करनी पड़ती है। बिना मेहनत करे तो आजकल बाप भी अपने बेटों को जायदाद में हिस्सा नहीं देता। मेरे दिल में उन लोगो... Read more |
![]() ![]() अमां, छोड़िए भी- क्या कीजिएगा इतनी प्राइवेसी का! व्हाट्सएप या फेसबुक पर रहकर प्राइवेसी पर चिंता जतलाना हमें शोभा नहीं देता। वहां हमने प्राइवेसी लायक कुछ रख छोड़ा ही नहीं फिर काहे की हाय-हाय, काएं-काएं। व्हाट्सएप अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन देकर कह तो रहा है कि सबकी प्राइवेसी सुरक्षित है, तो मान लीजिए- है। ह... Read more |
![]() ![]() भावनाएं चारों तरफ आहत हो रही हैं। किसी की ज्यादा, किसी की कम। भावनाएं भी इतना नाजुक हो गई हैं कि बात-बात पर आहत हो बैठती हैं। सोचती ही नहीं कि कब किस बात पर आहत होना है। बस आहत होने से मतलब। कुछ की भावनाएं तो इस बात पर ही आहत हो जाती हैं कि व्हाट्सएप पर संदेश देखने के बाद भी जवाब क्यों नहीं दिया। तो कुछ की इस बात प... Read more |
![]() ![]() भावनाएं चारों तरफ आहत हो रही हैं। किसी की ज्यादा, किसी की कम। भावनाएं भी इतना नाजुक हो गई हैं कि बात-बात पर आहत हो बैठती हैं। सोचती ही नहीं कि कब किस बात पर आहत होना है। बस आहत होने से मतलब। कुछ की भावनाएं तो इस बात पर ही आहत हो जाती हैं कि व्हाट्सएप पर संदेश देखने के बाद भी ... Read more |
![]() ![]() न न कोई न रो रहा। न कोई सरकार को कोस रहा। हर कोई खुश है। जिंदगी को अच्छे से एन्जॉय कर रहा है। जरा-बहुत ही तो तेल और सिलेंडर के दाम बड़े हैं। इतना तो आम जनता झेल सकती है। क्या पहले की सरकारों में दाम नहीं बढ़ते थे? बढ़ते थे, खुब बढ़ते थे। तब भी जनता झेल लेती थी, अब भी झेल रही है। लोकत... Read more |
![]() ![]() प्रेमिका जब भूतपूर्व हो जाती है तब वह अधिक आकर्षित करती है। उसके प्रति चाह और चार्म बढ़ जाता है। नॉस्टेल्जिया बना रहे ऐसा मन करता है। जीवन में उमंग और तरंग वापस लौट आती है। तब बीवी का भी इतना डर नहीं रहता। बार-बार दिल करता है वेलेंटाइन डे भूतपूर्व प्रेमिका संग ही सेलिब्रेट किया जाए। बता दूं कि मैं- जमाने की ... Read more |
![]() ![]() सोशल मीडिया के खेल निराले हैं। यहां अक्सर कुछ न कुछ 'हास्यास्पद'चलता ही रहता है। यह भी दो धड़ों में विभक्त हो गया है। एक धड़े में 'ट्विटरजीवी हैं तो दूसरे धड़े में 'कूजीवी'। सत्ता के साथ तालमेल बैठाई सहमत आवाजें धीरे-धीरे 'कू'पर अपना अड्डा जमा रही हैं। मगर असहमत आवाजें अब भी ट... Read more |
![]() ![]() तो, किसान आंदोलनकारी नहीं आंदोलनजीवी हैं! और उनके समर्थक परजीवी। देश में सचमुच रामराज्य आया हुआ है। कोई किसी को कुछ भी कह-बोल सकता है। ध्यान केवल इस बात का रखना है कि स्वर में असहमति या आलोचना का पुट न हो। नहीं तो भक्त मंडली तैयार खड़ी है समझाने को। उनके समझाने में भी प्रायः दादागिरी झलकती है। मगर झेलिए कि आप ... Read more |
![]() ![]() भीतर से अर्थव्यवस्था की हालत जो हो पर बाहर से टनाटन बनी हुई है। बढ़ते सेंसेक्स ने अर्थव्यवस्था को पहाड़ पर चढ़ा दिया है। दलाल पथ पर रौनक बढ़ गई है। तेजड़ियों के चेहरे खिल गए हैं। ठंड में गर्मी का एहसास हो रहा है। शेयर सोना उगल रहे हैं। मगर देश की धरती के सोना उगलने वाले किसान 60 दिन से आंदोलनरत हैं, उनकी चिंता किसी क... Read more |
![]() ![]() इतिहास गवाह है, बचपन से लेकर जवानी तक मैंने एक भी टीका नहीं लगवाया। डॉक्टर्स ने भतेरा समझाया, घर वालों ने खूब जिद की लेकिन मैं अड़ा रहा। क्यों लगवाऊं टीका? नहीं लगवाता। मेरी मर्जी। कान खोलकर सुन ले हर कोई मैं कोरोना का टीका भी नहीं लगवाऊंगा। ईश्वर जाने टीके में क्या हो! टीका लगते ही कहीं मैं बुद्धिजीवी बन गय... Read more |
![]() ![]() ठंड आतंक मचाए हुए है। रजाई से बाहर निकलने का मन नहीं करता। न नहाने का दिल करता है। जी करता है पूरे टाइम रजाई में सिकुड़े पड़े रहो। लेकिन मैं दाद देता हूं उन चोरों को जो भीषण ठंड में भी चोरी कर रहे हैं। ठंड में चोरी करना आसान काम नहीं। जब लोग अपनी-अपनी रजाइयों में छिपे-दुबके बैठे होते हैं, तब चोर उनके घरों में चोरी ... Read more |
![]() ![]() बाजार को पूरा बजट समझ आ गया। सेंसेक्स ने दो कों के गाल सुर्ख हो गए। अर्थव्यवस्था को पंख लग गए। सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई। फिलहाल, मैं यह समझने की जुगत में जुटा हूं कि बजट में ऐसा क्या खास रहा, जो सेंसेक्स ताबड़तोड़ बढ़ लिया। वैसे, सेंसेक्स के गिरने और बढ़ने का कोई गणित नहीं है। यह कब किस बात पर ढह जाए और किस बात पर ब... Read more |
![]() ![]() अक्सर रात में मुझे भूतों के दिलकश सपने आते हैं। डरिए मत। मैं सच कह रहा हूं। लगता, मैं भूतों के बीच हूं। उनसे बातें कर रहा हूं। वे मुझसे गप्पे लड़ा रहे हैं। देश-दुनिया का हाल-चाल मुझसे ले रहे हैं। ये वो भूत नहीं होते, जो अक्सर फिल्मों और किस्से-कहानियों में देखने व सुनने क... Read more |
![]() ![]() प्रिय सेंसेक्स,बहुत दिन हुए तुम्हारा हालचाल लिए। आशा है, स्वस्थ व प्रसन्न होगे। तुम भी सोचते होगे, साल-छह महीने बाद ही मैं तुमसे रू-ब-रू होता हूं। लेकिन यकीन मानना तुम्हारा ख्याल मुझे रहता हर पल है। तुम्हारा दिन कैसा गुजरा मुझे खबर रहती है। तुम्हारा मूड इन दिनों कैसा ... Read more |
![]() ![]() आखिर मैं भी 'इंस्टाग्राम'पर आ ही गया। मेरे मोहल्ले के बहुत लोग इस पर हैं। सुना है, मोहल्ले के वरिष्ठ कवि और जूनियर जेबकतरा भी इंस्टाग्राम पर आ गए हैं। दोनों की अच्छी खासी फॉलोइंग बन गई है। जब देखो तब हाथ में मोबाइल थामे कुछ न कुछ इंस्टा पर पोस्ट करते ही रहते हैं। इंस्टा... Read more |
![]() ![]() 'अच्छे संस्कारों'का रास्ता अपने लिए मैंने हमेशा ही रोके रखा। हालांकि घर वाले चाहते थे कि मुझमें 'अच्छे संस्कार'पड़ें। घर-परिवार और समाज के बीच मैं 'संस्कारी व्यक्ति'के तौर पर जाना व पहचाना जाऊं। लेकिन संस्कारी होने-बनने का मोह मैंने खुद ही त्याग दिया। संस्कारी होना ब... Read more |
![]() ![]() बरेली के बाजार में गिरे झुमके का न मिल पाना और रसोड़े में कौन था का रहस्य न मालूम चल पाना देश की बड़ी समस्याएं हैं। मगर अफसोस इन समस्याओं की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं। बस ऐसे ही तो समस्याएं जमा होती रहती हैं। जनता सवाल पूछती है पर जवाब किसी के पास नहीं होता। सरकार की किरक... Read more |
![]() ![]() काश! मैं मोर होता! मगर दुर्भाग्य से हो इंसान गया। मुझे इंसान नहीं होना था। इंसान होने में बड़ी कठिनाइयां हैं। पल-पल संघर्ष है। जीवन अपना न होके, गिरवी का सा लगता है। न दिन में चैन रहता है न रात सुकून से कटती है। बस यही डर लगा रहता है कि डर को मात कैसे दी जाए। इधर चार-पांच मह... Read more |
![]() ![]() जिनके पास 'मीडिल फिंगर'होती है वे धन्य होते हैं। चूंकि मेरे पास मीडिल फिंगर है इस नाते मैं भी धन्य हुआ।आज की पीढ़ी के लिए मीडिल फिंगर जरूरी औजार है। जहां जिस बात या व्यक्ति पर नाराजगी जतानी चाहिए तुरंत मीडिल फिंगर निकाल कर दिखा दी। एक तीर से दो निशाने आराम से सध जाते हैं... Read more |
![]() ![]() लोग क्षुब्ध हैं। कह रहे हैं, तालाबंदी के बीच शराब बिक्री की छूट नहीं दी जानी चाहिए थी। इससे समाज और घरेलू हिंसा में वृद्धि होगी। बताइए, यह भी कोई बात हुई भला! आटा, दाल, चावल आदि बिक्री की छूट है पर शराब बिक्री पर 'हंगामा'बरपा हुआ है। दारू प्रेमियों पर लानत भेजी जा रही है। लो... Read more |
![]() ![]() लॉकडाउन जब से चालू हुआ है, घर में खाना खाना बंद कर दिया है। जब भी भूख लगती है, फेसबुक पर चला आता हूं। यहां घर से कहीं अधिक स्वादिष्ट भोजन देखने को मिल जाता है। इतनी तरह के व्यंजन होते हैं कि समझ नहीं आता क्या देखूं और क्या छोड़ दूं! खाने से भी इतनी तृप्ति न मिले, जितना देखकर म... Read more |
![]() ![]() बेमतलब सड़कों पर टहलने वाले कवि आजकल घरों में कैद हैं। घरों में रहकर 'कोरोना पर कविताएं'लिख रहे हैं। एक से एक धाकड़ कविताएं लिखी जा रही हैं। जो कभी कहानी, व्यंग्य, उपन्यास लिखा करते थे, वे भी कोरोना पर कविताएं खींच रहे हैं। कविताएं फेसबुक पर चढ़ाई जा रही हैं। इन-बॉक्स में लि... Read more |
![]() ![]() थूकना अब 'जुर्म'है। यों, यहां-वहां, जहां-तहां अब कोई नहीं थूक सकता। सरकार थूक और थूकने वाले पर 'सख्त'हो गई है। सुना है, कोरोना थूक से भी फैल सकता है! इसीलिए पान-गुटके पर रोक लगाई गई है। न कोई इन्हें खाएगा, न सार्वजनिक जगहों पर थूक की चित्रकारी करेगा। थूक को इससे पहले इतना 'संद... Read more |
![]() ![]() आजकल घर पर 'खाली'रहने का 'लुत्फ'उठा रहा हूं। सुबह से लेकर रात तक खाली ही रहता हूं। खाली रहने को छोटा काम न समझें। यह बहुत बड़ा काम है। बड़ा काम करने से मैं कभी पीछे नहीं हटता।मैं इतना खाली रहता हूं कि 'वर्क फ्रॉम होम'भी नहीं कर पाता। क्या करूं, टाइम ही नहीं मिलता। खाली रहने में... Read more |
![]() ![]() इन दिनों मैंने लिखना-पढ़ना, घूमना-फिरना एकदम बंद कर दिया है। दिनभर घर पर ही रहता हूं। दफ्तर से आदेश मिला है, घर से काम करें। इसीलिए ज्यादातर समय या तो हाथ धोता हूं या फिर मुंह पर मास्क चढ़ाए एकांत में बैठता हूं। जीवन में शायद ही पहले कभी इतनी दफा हाथ धोए हों, जितना अब धो रहा हूं। रात में सपने भी हाथ धोने के आने लगे ... Read more |
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