Blog: मन पाए विश्राम जहाँ |
![]() ![]() यह विश्वास रहे अंतर मेंशायद एक परीक्षा है यहजो भी होगा लायक इसके, उसको ही तो देनी होगी शायद एक समीक्षा है यह ! जीवन के सुख-दुखका पलड़ा सदा डोलता थिर कब रहता, क्या समता को प्राप्त हुआ हैशेष रही अपेक्षा है यह !तन दुर्बल हो मन भी अस्थिर किन्तु साक्षी भीतर बैठा, शायद यही पूछन... Read more |
![]() ![]() वह मन को ख्वाब दे खोया हुआ सा लगता खोया नहीं है जो, जिसे पाने की तमन्ना पाया हुआ है वो ! वही श्वास बना तन में जीवन को आंच दे,वही दौड़ता लहू संग वह मन को ख्वाब दे ! जो अभी-अभी यहीं था फिर ढक लिया किसी ने, जैसे छुप गयी किरण हो बदलियों के पीछे !उसे ढूंढने न जाना जरा थमे रहना धी... Read more |
![]() ![]() वर्षा थमी पंछी छोड़ नीड़ निज चहकें मेह थमा निकले सब घर से, सूर्य छिपा जो देख घटाएँ चमक रहा पुनः चमचम नभ में !जगह जगह छोटे चहबच्चे फुद्कें पंछी छपकें बच्चे, गहराई हरीतिमा भू की शीतलतर पवन के झोंके !पल भर पहले जो था काला नभ कैसा नीला हो आया, धुला-धुला सब स्वच्छ नहा कर कुदरत ... Read more |
![]() ![]() अमृत स्रोत सीएक दिन नहीं वर्ष के सारे दिन हमारे हैं,हर घड़ी, हर पल-छिन हमने जगत पर वारे हैं !माँ सी ममता छिपी नन्ही बालिका में जन्मते ही बहना के दुलार का मूर्त रूप है नारी सारे जहान से अनायास ही नाता बना लेती चाँद-सूरज को बनाकर भाईपवन सहेली संग तिरती !हो बालिका या वृद्धा... Read more |
![]() ![]() आने वाला है महिला दिवस मात्र नारी शक्ति का प्रतीक नहीं है बल्कि याद दिलाता है यह दिवस कि अभी भी हो रहे हैं उनपर अत्याचार इक्कसवीं सदी में भी हो रहा है आए दिन ही उनके साथ दुर्व्यवहार अखबार के पन्नों पर तो कुछ ही खबरें आ पाती हैं मगर उन खबरों की हकीकत भीतर तक डरा जाती है ... Read more |
![]() ![]() मन सुमन बना खिलना चाहे इस पल में कल को ले आना बीती बात को दोहराना दिलों की पुरानी आदत है !जीवन प्रतिक्षण कुछ और बने रहो गतिशील बस यही कहे मुड़ देखे, मन की चाहत है !हर घटना कुछ दे मुक्त हुई वह घड़ी स्वयं में रिक्त हुई जा टिकना मिथ्या राहत है ! नव जीवन में जगना चाहे मन सुमन ... Read more |
![]() ![]() दूजा निज आनंद में डूबापंछी दो हैं एक बसेरा एक उड़े दूसरा चितेरा, निज प्रतिबिम्ब से चोंच लड़ाताकभी जाल में भी फंस जाता !कड़वे मीठे फल भी खाये बार-बार खाकर पछताए,इस डाली से उस शाखा पर व्यर्थ ही खुद को रहा थकाए !कुछ पाने की होड़ में रहता क्षण-क्षण जोड़-तोड़ में रहता, कभी तके दूजे ... Read more |
![]() ![]() जो बरसती है अकारण छू रहा है मखमली सा परस कोई इक अनूठा, बह रहा ज्यों इक समुन्दर आए नजर बस छोर ना !काँपते से गात के कण लगन सिहरन भर रही हो, कोई सरिता स्वर्ग से ज्यों हौले-हौले झर रही हो !एक मदहोशी है ऐसी होश में जो ले के आती, नाम उसका कौन जाने कौन जो करुणा बहाती !बह रही वह पुण्... Read more |
![]() ![]() उसे बहने दोवह बहना चाहता है निर्विरोध निर्विकल्प हमारे माध्यम से प्रेम और आनंद बन पाहन बन यदि रोका उसका मार्ग तो वही बहेगा रोष और विषाद बनकर !वह हजार-हजार ढंग से प्रकट होता है यदि राम बनने की सम्भावना न दिखे तो रावण बन सकता है वह उस ऊर्जावान नदी की तरह है जिसे मार्ग न ... Read more |
![]() ![]() शरण गए बिन बात न बनती अंधकार मन का जो हरता ज्ञान मोतियों से उर भरता उसकी महिमा कही न जाती गुरुद्वार पर भीड़ उमड़ती शरण गए बिन बात न बनती शरण गए बिन बात न बनती !हर पीड़ा का कारण जाने भीतर बाहर वह पहचाने परम सत्य तक खुद ले जाता उसके निकट अभय मन पाता आँखों से शुभ कृपा झलकती शर... Read more |
![]() ![]() नाविक भी हो मीत पुरानासुख का सागर सभी चाहते दुःख के ग्राह वहीं रहते हैं,नैया एक अगर पा जाएँ उस तट पहुँचें यह कहते हैं !हो नाव में सुराख़ न कोई नाविक भी हो मीत पुराना,लहरों पर उठते-गिरते ही कट जायेगा सफर सुहाना !देह ही तरणि मन है नाविक अब सब जांच परख लें ऐसे, मिले प्रकृति से ... Read more |
![]() ![]() जाने कैसी लीला अद्भुत भोली सी मुस्कान ओढ़कर सेल्फी तो इक ले डाली,पर दीवाने दिल से पूछा है क्या वह अपने से राजी !जिसने देखे स्वप्न सलोने या जो ख्वाबों में रोया था, उस छलिया से कुछ तो पूछो कब वह चैन से सोया था !‘उसको’ तो बस तकना आता टुकुर-टुकुर देखा करता है, मन बेचारा किसकी ... Read more |
![]() ![]() अब भी उस का दर खुला है खो दिया आराम जी का खो दिया है चैन दिल का,दूर आके जिंदगी से खो दिया हर सबब कब का !गुम हुआ घर का पता ज्योंभीड़ ही अब नजर आती,टूटकर बैठा सड़क पर घर की भी न याद आती !रास्तों पर कब किसी के फैसले किस्मत के होते, कुछ फ़िकर हो कायदों की हल तभी कुछ हाथ आते !दूर आके अब ... Read more |
![]() ![]() ब्रह्म मुहूर्त का कोरा पल सोये हैं अभी पात वृक्ष के स्थिर जैसे हों चित्रलिखित से किन्तु झर रही मदिर सुवास छन-छन आती है खिड़की से निकट ही कंचन मौन खड़ा है मद्धिम झींगुर गान गूँजता पूरब में हलचल सी होती नभ पर छायी अभी कालिमा एक शांत निस्तब्ध जगत है ब्रह्म मुहूर्त का कोर... Read more |
![]() ![]() बहा करो उन्मुक्त पवन सम अनल, अनिल, वसुधा, पानी से जीवन का संगीत उपजता, मिले-जुले सब तत्व दे रहे संसृति को अनुपम समरसता !हर कलुष मिटाती कर पावनचलती फिरती आग बनो तुम, अपनेपन की गर्माहट भर कोमल ज्योतिर राग बनो तुम !बहा करो उन्मुक्त पवन सम सूक्ष्म भाव अनंत के धारे, सारे जग क... Read more |
![]() ![]() आस्था का दीप वक्त पर जो थाम ले गिरते हुए को बढ़े आगे हाथ दे हिलते हुए को,जो गमों की धूप से दिल को बचाएज्ञान वह जो डूबते के काम आये !ज्ञान भरता है उजाला पथ अँधेरे जब मिलें खिला देता पुष्प, पत्थर जब कभी पथ पर मिलें, जब कभी संशय सताये राही कोई पथ न पाए काट देता हर विभ्रम को ज्ञा... Read more |
![]() ![]() दिल्ली देश की राजधानी बनने की बड़ी ही भारी कीमत चुकाई है अतीत में भी अनेकों बार दिल्ली ने ! एक बार फिर सुबह की शांत दिल्ली दोपहर को बदल गई जैसे एक युद्ध क्षेत्र में ! लालकिले पर नृशंसता से चढ़ती हुई भीड़ और हथियारों का प्रदर्शन खुलेआम ! जैसे कोई दुश्मन सेना चढ़ आयी हो निरंक... Read more |
![]() ![]() गणतन्त्र दिवस पर शुभकामनायें गणपति के देश में फलता-फूलता रहा है गणतन्त्र शताब्दियों से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं उन गणराज्यों की अनेक गाथाएं जहाँ भारत ने विकास के चरम को छुआ था लोकतान्त्रिक गणतन्त्र यह देश बना है मिसाल दुनिया के लिए जहाँ जनता सर्वोपरि है जिसक... Read more |
![]() ![]() हवा का सागर हवा की सरगोशियाँ गर कोई सुन सके पल भर भी तन्हा छोड़ती न रब हो जैसे लिपट जाती परस उसका फूल जैसा जिंदगी को राह देती श्वास बनकर झूमते वट, वृक्ष, जंगल, लता, पादप, फूल सारे लहर दरिया, सिंधु के तन पर उठातीसरसराती सी कभी कानों को छूले सुनो ! कहती मत कहो, तुम हो अकेले ! वह ... Read more |
![]() ![]() कुछ ख्याल ‘कुछ’ होने से ‘कुछ नहीं’ हो जाना इश्क का इतना सा ही तो फ़साना चुप रहकर ही यह बयां होता है आवाजों में बस रुसवा होता है सुनो, सुनो और कुछ न कहोउसी धारा में चुपचाप बहो उससे बढ़कर न कुछ था न होगा जमाने में उसी को आने दो हर बात, हर तराने में लाख पर्दों में छिपा हो हीरा... Read more |
![]() ![]() बस इतना सा ही सरमायागीत अनकहे, उश्ना उर की बस इतना सा ही सरमाया ! काँधे पर जीवन हल रखकर धरती पर जब कदम बढाये कुछ शब्दों के बीज गिराकर उपवन गीतों से महकाए ! प्रीत अदेखी, याद उसी की बस इतना सा ही सरमाया ! कदमों से धरती जब नापीअंतरिक्ष में जा पहुँचा मन कुछ तारों के हार पिरोय... Read more |
![]() ![]() कोई जानता हैमन के ‘परदे’ पर यादों की फिल्म चलती है ‘वह’ उसी तरह रहता है अलिप्त जैसे आँख के पर्दे पर चित्र बने अग्नि का तो जलती नहीं न ही भीगती समुन्दर की लहरों को घंटों देखते हुए स्मृतियों के बीज हमने संभाल कर रखे हैं वर्तमान और अनेक जन्मों के उन्हें स्वयं ही बोते है... Read more |
![]() ![]() तुम यदि तुम यदि बन जाओ सूत्रधार तो सँवर ही जायेगा जीवन का हर क्षण मुस्कान झरेगी जैसे झरते हैं फूल शेफाली के अनायास ही हवा के हल्के से झोंके की छुअन से या सूरज की पहली किरण आकर जगाती है तो हो जाते हैं समर्पित अस्तित्त्व को सहज ही !तुम यदि बनो जीवन आधारतो निखर ही जायेग... Read more |
![]() ![]() सहज है जीवन भूल गए जग को जहाँ सँवारा हमने मन पर धूल गिरी थी आकर, जग पानी पी-पी कर धोया मन का प्रक्षालन भूल गए !नाजुक है जो जरा ठेस से आहत होता किरच चुभे गर, दिखता आर-पार भी इसके कांच ही है यह भूल गए !तुलना करना सदा व्यर्थ है दो पत्ते भी नहीं एक से, व्यर्थ स्वयं को तौला करते स... Read more |
![]() ![]() जब नया साल आने को है हर भोर नयी हर दिवस नया हर साँझ नयी हर चाँद नया,हर अनुभुव भी पृथक पूर्व से हर स्वप्न लिए संदेश नया !हम बंधे हुए इक लीक चलें प्रतिबिम्ब कैद ज्यों दर्पण में,समय चक्र आगे बढ़ता पर ठिठक वहीं रह जाते तकते !नयी चुनौती, नव उम्मीदें करें सामना नई ललक से, बीता क... Read more |
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