Blog: कुछ अलग सा |
![]() ![]() प्रयाग के तटवर्ती प्रदेश में सुदूर तक फैले श्रृंगवेरपुर राज्य के राजा निषादराज हिरण्यधनु के पुत्र एकलव्य से जुडी घटना को कुछ लोगों ने गलत अर्थों में लिया और उस बात को बड़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करके समाज में विभाजन की नींव डाल दी ! जबकि कुछ विद्वानों का मत है कि ... Read more |
![]() ![]() आज बहुत से लोग एक दल और उसके अनुयायियों को नेहरू विरोधी बता कटुता फैलाने की कोशिश में हैं ! उनसे भी एक सवाल है कि क्या नेहरू विरोध इन्हीं कुछ वर्षों से आरंभ हुआ है ? पहले क्या उनका विरोध कभी नहीं हुआ ? यदि वे सर्वमान्य नेता थे ! उनका हर कदम देश की भलाई के लिए था ! यदि वे सिर्फ... Read more |
![]() ![]() मेरे चेहरे पर प्रश्न सूचक जिज्ञासा देख उसने कहा, अंदर आने को नहीं कहिएगा ? उनींदी सी हालत, अजनबी व्यक्ति, सुनसान माहौल !! पर आगंतुक के व्यक्तित्व में कुछ ऐसा आकर्षण था कि ऊहापोह की स्थिति में भी मैंने एक तरफ हट कर उसके अंदर आने की जगह बना दी। बैठक में बैठने के उपरांत मैंन... Read more |
![]() ![]() ये तो सिर्फ एक बानगी है कि कैसे, ऐसे कुछ ज्ञानियों ने दूध का दही और दही का रायता बना दिया होगा ! क्यूँ-कब-कैसे धीरे-धीरे कुछ का कुछ हो जाता है, क्या से क्या हो जाता है, महसूस ही नहीं हो पाता ! कब असल एक किनारे हो नए को जगह दे देता है, एहसास ही नहीं होता ! और एक बार चलन ... Read more |
![]() ![]() ऐसी अनगिनत कहावतें, लोकोक्तियाँ या मुहावरे हैं जिनके शब्द कुछ और होते हैं पर अर्थ कुछ और ! कहती कुछ और हैं, समझाती कुछ और ! नाम किसी का लेती हैं काम किसी और का करती है ! यानी कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना...............!#हिन्दी_ब्लागिंग वर्षों से चली आ रही बहुतेरी कहावतों या मुह... Read more |
![]() ![]() सरकार बिल्कुल बेकार है ! इस बार इनको वोट ही नहीं दूंगा ! ऐसा क्यों पूछने पर बोले, डीए ही नहीं बढ़ाया ! इतनी मंहगाई है कुछ सोचते ही नहीं ! पिछले वाले बढ़ाते रहते थे ! वे ठीक थे ! जब उन्हें कोई नए कर ना लगाने, करोड़ों लोगों को साल भर मुफ्त खाने तथा अन्य सुविधाओं का हवाला दिय... Read more |
![]() ![]() शुरुआत में नौसिखिए खिलाड़ियों के मारे गए बेतरतीब शॉट्स के कैच लपक जो वाम पंथी पूरी तरह से मैच पर हावी हो, उद्दंडता, हठधर्मिता के बाउंसर फेंक रहे थे; दर्शक-दीर्घाओं से अपने लिए समर्थन जुटा रहे थे, वे मैदान के बाहर हो गए ! सारा परिदृश्य ही बदल गया। परिस्थिय... Read more |
![]() ![]() जहां और जैसे मेरे फोन के तार जोड़े गए हैं वहाँ कोई जोर से छींक भी देता है तो मेरा फोन बेचारा किसी अनिष्ट की आशंका से अपने खोल में सिमट जाता है। अब जब फोन बंद हो जाता है तो इन भले लोगों की शर्त है कि खराबी की शिकायत भी BSNL के फोन से ही होनी चाहिए। अब इस कंपनी का फोन तो चिर... Read more |
![]() ![]() अब ! आप तो स्तब्ध !! कहीं और से भी कुछ इंतजाम नहीं हो सकता ! फोन पर चिल्लाने का भी कोई फायदा नहीं ! हालांकि आपके पैसे वापस मिल जाएंगें ! आप कहीं कम्प्लेन भी दर्ज करवा देंगे ! पर उस समय सर पर आई मुसीबत का क्या ! अच्छे-खासे माहौल-मूड का सत्यानाश ! हार -थक कर वही ब्रेड-बटर, नमकीन और ... Read more |
![]() ![]() शाम की भड़काऊ वार्ता का सीधा अर्थ था कि जमावड़े की मंशा हंगामा मचाने की है और यह बात सभी को मालुम थी, ऐसे लोगों पर तुरंत कार्यवाही होनी चाहिए थी ! दूसरे दिन और कहीं ना सही लाल किले की सुदृढ़ व्यूह रचना जरूर की जानी चाहिए थी ! क्यों ट्रैक्टर पर तिरंगे के होने भर से शा... Read more |
![]() ![]() सोशल मीडिया पर तो इसकी भरमार दिखती है, आज हमारे बेटे ने यह किया ! आज तो बेटू ने कमाल ही कर दिया ! मैं जो आज तक नहीं कर पाया, बेटेराम ने चुटकियों में कर डाला ! इस बात में दादियां, माएं, बुआएं भी पीछे नहीं हैं, उनकी बातों में ज्यादातर मोबाइल फोन का जिक्र रहता है कि हमें तो कु... Read more |
![]() ![]() सोशल मीडिया पर तो इसकी भरमार दिखती है, आज हमारे बेटे ने यह किया ! आज तो बेटू ने कमाल ही कर दिया ! मैं जो आज तक नहीं कर पाया, बेटेराम ने चुटकियों में कर डाला ! इस बात में दादियां, माएं, बुआएं भी पीछे नहीं हैं, उनकी बातों में ज्यादातर मोबाइल फोन का जिक्र रहता है कि हमें तो कु... Read more |
![]() ![]() युवा पीढ़ी यदि अपने कर्मों से तत्काल फल दे सकती है तो बुजुर्ग अपने अनुभवों की छाया से उन्हें लाभान्वित कर सकते हैं। इसलिए जरुरी है कि इस प्रवृति से बचा जाए। क्योंकि कठिन समय, संकट और मुश्किलात में बुजुर्गों की नसीहत, उनकी बुद्धिमत्ता और उनके अनुभव ... Read more |
![]() ![]() आजकल माउंट एवरेस्ट का नाम बदल कर माउंट राधानाथ करने की बात की जा रही है ! अच्छी बात है। पर ऐसा होना क्या आसान काम है ! यह कोई देश की सड़क, प्रांत या रेलवे स्टेशन का नाम तो है नहीं कि जिसे हम अपनी मर्जी से जब चाहें, जो चाहें रख लें ! ऐसा करने के पहले कई-कई देशों, यूनेस्को ... Read more |
![]() ![]() वे ''जननी जन्मभूमिश्च....''को तो सिरे से नकार गए, पर उन्हें ''वसुधैव कुटुम्बकम्''का ख्याल बहुत भाया ! उन्हें लगा कि जब सारी दुनिया ही हमारा परिवार है, तो हमें काम करने की क्या जरुरत है ! परिवार के सदस्य के नाते उन सबकी कमाई पर हमारा भी हक़ है ! ऐसे खुदगर्ज लोगों को ... Read more |
![]() ![]() हमारे देश के कई भागों में चावल के उपयोग की प्राथमिकता पीढ़ियों से चली आ रही है। चूँकि हमारे यहां संयुक्त परिवार तथा मेहमानवाजी का चलन भी सदा से रहा है, इसलिए कुछ अतिरिक्त चावल बनाना एक नियम सा बन गया था, जिससे किसी के देर से या अचानक आने पर उसे तुरंत भोजन करवाया जा ... Read more |
![]() ![]() सृष्टि की सृजन क्रिया में जीवाणु से लेकर मनुष्य तक, तथा एल्गी-कवक से लेकर वृक्ष-वनस्पतियों तक करोड़ों तरह के उत्पाद अस्तित्व में आए। जिनके संरक्षण के लिए जल-थल -आकाश-अग्नि -वायु का सहयोग लिया गया। इन सब में संतुलन बनाए रखने के लिए एक सुसम्बद्ध ... Read more |
![]() ![]() बॉक्सिंग डे को मनाने का कोई बहुत ही कठोर नियम नहीं है। कभी-कभी जब 26 दिसम्बर को रविवार पड़ जाता है तो इसे अगले दिन अर्थात 27 दिसम्बर को और यदि बॉक्सिंग दिवस शनिवार को पड़ जाये तो उसके बदले में आने वाले सोमवार को अवकाश दिया जाता है। परन्तु यदि क्रिसमस शनिवार को हो ... Read more |
![]() ![]() विश्व में केवल संस्कृत ही ऐसी भाषा है जिसमें सिर्फ "एक अक्षर, दो अक्षर या केवल तीन ही अक्षरों"से पूरा वाक्य बनाया जा सकता है। यह विश्व की अकेली ऐसी भाषा है, जिसमें "अभिधान-सार्थकता"मिलती है। यानी किसी वस्तु की संज्ञा या नाम क्यों पड़ा यह विस्तार से बताती है। जैसे... Read more |
![]() ![]() इस चतुर इंसान ने मौका ताड़ा और रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से बात की और फिर हो गया, डिब्बों का रंग नीला। उनका तर्क था की लाल रंग क्रोध, उत्तेजना व आवेश का रंग है, इसी कारण रेल एक्सीडेंट होते हैं ! नीला रंग शांति का प्रतीक है इसलिए दुर्घटनाओं का ख़तरा बिल्कुल कम हो जाएग... Read more |
![]() ![]() किसान की जिंदगी का हाल उजागर करती 1953 में फिल्म आई ''दो बीघा जमीन !'' उसके बाद भी हमारे देश के ''सुखी-खुशहाल, चिंता-फ़िक्र से मुक्त, उल्लास से नाचते-गाते किसानों''पर, मदर इंडिया, हीरा-मोती, उपकार, कड़वी हवा, लगान, पीपली लाइव, किसान जैसी अनेक फ़िल्में आईं। पर समय एक सा क... Read more |
![]() ![]() किसान आंदोलन कुछ भी हो, है तो दुखदाई ! कठिन परिस्थितियां ! गहराती ठंड ! खुला आसमान ! हैं तो वे भी इंसान ही !कुछ लोगों का कहना है कि यह सिर्फ पंजाब के किसानों की बात है ! यदि ऐसा है भी तो वे भी तो हमारे अपने हैं ! उनकी दुःख-तकलीफ को दूर करने की जिम्मेदारी भी तो हमारी ह... Read more |
![]() ![]() पर दिलीप कुमार तो दिलीप कुमार ! उन्हें पता था कि फिल्म नायिका पर केंद्रित है, सारा श्रेय उसे ही मिलने वाला है ! तो भाई ने जगह-जगह कहानी में ज़रा-ज़रा सा बदलाव लाने का सुझाव देना शुरू कर दिया ! फिर इतने से भी काम नहीं बनता दिखा, तो उन्होंने अपने लिए डबल रोल की फरमाइश कर डाली। प... Read more |
![]() ![]() पर दिलीप कुमार तो दिलीप कुमार ! उन्हें पता था कि फिल्म नायिका पर केंद्रित है, सारा श्रेय उसे ही मिलने वाला है ! तो भाई ने जगह-जगह कहानी में ज़रा-ज़रा सा बदलाव लाने का सुझाव देना शुरू कर दिया ! फिर इतने से भी काम नहीं बनता दिखा, तो उन्होंने अपने लिए डबल रोल की फरमाइश कर डाली। प... Read more |
![]() ![]() इसीलिए वे या वैसे लोग जो अपने बच्चों के बचपन के क्रिया-कलापों को पास से देखने से किसी भी कारणवश वंचित रह गए थे, उनके लिए तो अपने पौत्र-पौत्रियों की गतिविधियों को देख पाना किसी दैवीय वरदान से कम नहीं होता ! यही वह अलौकिक सुख है जिसकी खातिर उनका प्रेम, उनका स्नेह, उनका ... Read more |
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