Blog: !!♥๑۩۞۩๑मन-दर्पण๑۩۞۩๑♥!!
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 akshay-man
इस ज़माने को मैं कैसे जमाना कह दूँ जमाना तो वो था जिसमे हम जवान हुएवो मीठे बोल में छुपी शरारतें और वो सुहावनी रातें वो चाँद की ही गोद थी जिसमे हम जवान हुए अब कहाँ सुनता हूं मैं वो पाजेब की छन-छन मिटटी का वो आगन था जिसमे हम जवान हुए ना पडोसी से है कोई रिश्त... Read more |

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5:39pm 22 Jul 2011 #
 akshay-man
बेखुदी में भी क्या खुमारी है ये ज़िन्दगी अब कहाँ हमारी है मर तो जाते हम बरसो पहले भूल जाते गर,ये जान तुम्हारी है बेखुदी में भी क्या खुमारी है ये ज़िन्दगी अब कहाँ हमारी है आहिस्ता से इन धडकनों को छ... Read more |

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3:41pm 22 Jul 2011 #
 akshay-man
अनोखा आभासएकरूप थी एक रंग थी मैं शब्दों से अतरंग थीपीड़ा की डोर बंधी उड़ती बहती बेकल पतंग थीजीवन मेरा, जो एक वृक्ष सा अटल खड़ा थापल दो पल का साथी हर पत्ता ,ना कोई उमंग थी व्याकुल है आतुर है ये कोरा कैसा आभास हैनिशब्द पड़े कुछ पन्ने कलम पड़ी बेरंग थीभीगे भीगे नयनो से जब वो लम्... Read more |

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6:16pm 20 Apr 2010 #
 akshay-man
अँधेरी राहों से मैंने तुमको जब गुज़रते हुए देखाचाँद कि परस्तिश में जैसे चांदनी को जलते हुए देखायूँ दिल में दबा नहीं सकते उन दहकते शोलों कोवो रंजिश-ओ-ग़म तेरी आँखों में सुलगते हुए देखावक़्त के साथ यूँ तो बढ़ जाएगी सासें मेरीहर लम्हे को जिंदगी ने मगर,थमते हुए देखाइस तन्ह... Read more |

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1:00pm 30 Jan 2010 #
 akshay-man
कितनी तन्हाई,कितने थे आंसू कितना उदास था मैंतुझसे बिछड़ के तू ही बता दे कितना पास था मैंचाँद भी,आसमा भी और हैं सितारे सब वहांतेरी धरती पर फलक की अनबुझी प्यासथामैंवो आँगन,वो दीवारें,वो तख्त-ओ-ताज-ओ-महलवो दरवाजे वो खिड़कियाँ और इंतज़ार की आस था मैंरिश्तों के दायरों ने कुछ ... Read more |

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1:51pm 13 Nov 2009 #
 akshay-man
बदल गया है रात का रंग सुबह का रंग क्या होगाबचपन अपना भूल गया जवानी का रंग क्या होगासिमट गए हैं सपने सभी एक फटी-पुरानी चादर मेंरात की सोती सड़कों पर उन सपनो का रंग क्या होगावक्त कहीं गया नही फिर भी वक्त की कमी क्यूँ है आजजिंदगी जी ली जैसे-तैसे अब मौत का रंग क्या होगाहर पल ह... Read more |

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10:40pm 8 Nov 2009 #
 akshay-man
कितने लोगों में अकेला नज़र आता है ये वक़्ततनहा कितनीजिंदगियाँ जी जाता है ये वक़्त जब हों पैरों में पत्थर,तो हाथ नही बढतेठोकर लगे तो उठना सिखाता है ये वक़्तप्यार-मोहब्बत में मजहब,उम्र और जात की बातेंदुआ मिलकर करोगे तुम,तो हाथ उठाता है ये वक़्तकिसी ने मेरा बचपन तो किसी न... Read more |

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4:08am 2 Jul 2009 #
 akshay-man
मौसम को देखते कुछ उसका रूप शब्दों से निखारा हैहमने देखें हैं कई रंग तुम्हारे मगर ये रंग हमारा हैबरसोंमेघा,बरसोंमेघाआजधरायेप्यासीहैनील-गगन में,नील-गगन मेंक्यूँ छाई गहरी उदासी है ।झोंका पवन का आने सेपत्ता कोई शर्माता हैप्यार बरसा कर इस धरा परदेख गगन मुस्काता है ।भी... Read more |

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11:11am 28 Jun 2009 #
 akshay-man
पत्थरोंमेंभीजानहोतीहैयेमैंनेतुमसेजानाहैइस पत्थर को जीवित कर दिया तुमने अपनी कला से...रंगों में भी पहचान होती है ये मैंने तुमसे जाना हैइन रंगों को नया नाम दिया तुमने अपनी कला से....हाथों में भी दुआ होती हैं ये मैंने तुमसे जाना हैइन हाथों से संसार संवार दिया तुमने अपनी ... Read more |

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3:14am 25 Jun 2009 #
 akshay-man
मेरेशब्दोंनेमुझेनईपहचानदीयामेरेदर्दनेकहनाजरामुश्किलहैलेकिनतुमकहोमैंतुमसेपूछनाचाहताहूंतुम्हारादर्दकितनागहराहैकितनीगहराईमेंडूबेहैंतुम्हारेशब्द,अपनेहीशब्दइनकोरेपन्नोपरभरतेहुएक्यातुमतन्हाहोतेहो?क्याउसीतन्हाईमेंतुम्हारीआत्माजीवितहोतीहैजोजा... Read more |

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9:30pm 20 Jun 2009 #
 akshay-man
मेरे इस दिल में तुम्हारा कुछ समान पड़ा हैकुछ यादें,कुछ जज़्बात और टूटे-फूटे से कुछएहसास...जिनपर बेदर्द इस वक्त की गर्द जमी पड़ी हैअब मैं चाहता हूं ये गर्द,ये यादें हमेशा के लिए इस बेरूह जिस्म के साथअपना दम तोड़ दें फ़ना हो जायें और तुम एक रात का अधूरा ख्वाब बनकर इन अंधेरों मे... Read more |

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2:51am 16 Jun 2009 #
 akshay-man
अंतर्मनकेभावोंसेह्रदय-अमुक परिभाषित होगाअग्न लगाते शब्दों काअर्थ कोई अभिशापित होगा ।जीवन-मृत्यु की पहेलियाँसुख-दुःख के भ्रम को सुलझाती हैकाटों में जैसे अधखिली कलियाँखिल-खिलकर मुरझाती हैं ।ह्रदयमेरा निस्पंद हुआ हैअटकी सांसें प्राणों मेंक्या हैं वो सब सत्य गाथ... Read more |

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5:46am 12 Jun 2009 #
 akshay-man
जिसवक्ततुमइसआईनेमेंख़ुदकोदेखाकरतीहोउसवक्ततुममुझसेकमख़ुदसेज्यादामोहब्बतकरतीहो :)अरे ! रहमकरो,मेहरबानीकरो,गुनाहहमाराहैतोहमसेकहोहमबन्देहैंखुदाकेऔरतुमखुदासेहीशिकायतकरतीहोहकीक़तमेंतोहमनेतुम्हेभुलादियाहैबरसो-सालोंसेमगरख्वाबोंमेंआ-आकरतुमफिरसेशरारत... Read more |

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9:17am 10 Jun 2009 #
 akshay-man
वहां देखो वो खड़ी अभिलाषा है,जिंदगी नेधिक्कारा उसे परन्तु जीने की आशा हैनारी है लाचारी है,पहने फटी-पुरानी साड़ी हैअपना तन न ढक कर अपना बच्चा,अपना आँचल संभाली है.......दुखों के सागर मेंसुखों का किनारा नहीडूबती है हर पलउसे तिनके का सहारा नही...इसके पश्चात् भी उसके नयनों मेंको... Read more |

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10:50pm 7 Jun 2009 #
 akshay-man
मैंखानेमेंआजमैकशोंकीकोईकमीनहीये आब-ए-हमदर्द पीकर देखूं तो कुछ हुआउसकी नशीली आंखें साकी जो बनी हैं आजहर नज़र से मिले दो जाम,पीकर देखूं तो कुछ हुआआईने भी अब लड़खड़ाते हैं मुझे देख-देखकरहर आईने से जाम टकरा पीकर देखूं तो कुछ हुआमेरे लबों को छुने से पहले हर बूंद वो पाकीजा ... Read more |

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12:12pm 1 Jun 2009 #
 akshay-man
(१)हर रात वो मोती जैसा चमकता हैजब-जब चांदनी उसके चहरे पर पड़ती हैबस अमावस की रात ही पता नही चलता की वो आज रोया है या नही ।(२)इन हवाओं के साथ तेरी खुशबू अब क्यूँ आती हैतेरा जिस्म मुझको अब क्यूँ महसूस होता हैशायद शमशान में तेरी राख अब भी बाकी है,हवाओं का रुख बदलना पड़ेगा ।(३)हमे... Read more |

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8:56am 29 May 2009 #
 akshay-man
हमें शराब पीने की अज़ब ये अच्छी आदत हुईहकीक़त को हकीक़त बोल बैठे ना जाने कौन-सी आफत हुईआबाद हैं अभी हम,हमको तबाह ना समझो मगर हाँ ये सच हैबे नज़ीरइस विलायती मोहब्बत में बस गरीब ये चाहत हुईकोई कायदा भी है कुछ उसूल भी, हम बड़े मासूम गुनाहगार भीहमको मालूम नहीं जुल्म भी अपना,... Read more |

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8:55am 26 May 2009 #
 akshay-man
खामोश पड़ी उन आवाज़ों ने मुझसे पूछा मैं कौन हूंतनहाइयाँ बटोरती उन दीवारों ने मुझसे पूछा मैं कौन हूंबनती-बिगड़ती उन तकदीरों ने मुझसे पूछा मैं कौन हूंबिलगते बचपन की कुछ तस्वीरों ने मुझसे पूछा मैं कौन हूंभूख में हुए कुछ गुनाहों ने मुझसे पूछा मैं कौन हूंमुझको भटकाती जात... Read more |

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3:11am 26 Apr 2009 #
 akshay-man
आँखे हैं बंजर दर्द कामौसम अभी आया नहींयादों के खुले आसमान परबादल अभी मंडराया नहींआँखे हैं बंजर दर्द कामौसम अभी आया नहींबहुत अजीब सा लगता हैसच ना जाने क्यूँ छुपता हैमैं अकेला हूं आज इसलिएमैंने कभी कुछ छुपाया नहींआँखे हैं बंजर दर्द कामौसम अभी आया नहींदोस्त कभी दो... Read more |

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5:59am 8 Feb 2009 #
 akshay-man
ये मेरा दिल है समंदर देखोये भी रोता है छूकर देखो !पत्थरों से दोस्ती की सजालहरों से तुम पूछकर देखो !तन्हाईयां फेली हैं मीलों तकदो पल तुम ठहरकर देखो !होसलों पर गर अपने हो यकीनसमंदर पर तुम चलकर देखो !गहराईयों की तासीर गर मालूम न होमेरे दिल में तुम उतरकर देखो !अक्षय-मन... Read more |

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12:06pm 26 Jan 2009 #
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