Blog: JHAROKHA |
![]() ![]() (आज 11 मार्च को मेरे श्वसुर हिंदी के प्रतिष्ठित कहानीकार एवं बाल साहित्यकार श्रद्ध्येय श्री प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी का जन्म दिवस है।इस अवसर पर उन्हें स्मरण करते हुए प्रस्तुत है उनके लिए उनकी पुत्रियों द्वारा लिखा गया यह आत्मीय संस्मरण।यह संस्मरण डा०कविता श्री... Read more |
![]() ![]() (आज 31 जुलाई को मेरे बाबू जी प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार आदरणीय प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी की पुण्य तिथि है।2016 की 31 जुलाई को ही 87 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था।इस बार कोरोना संकट को देखते हुए हम सभी उनकी स्मृति में कोई साहित्यिक आयोजन भी नहीं कर स... Read more |
![]() ![]() फोटो क्रेडिट:हेमंत कुमार यात्राएंये यात्राएं भीकितनी अजीब होती हैं।जैसे हम गुजरते हुएटेढ़े मेढे रास्तों सेनदी नालों पहाड़ों के सौन्दर्य को देखते सराहते,आश्चर्यचकित होते अपने पीछे छोड़ते हुएआगे बढ़ते जाते हैंअपनी अपनी मंजिल की ओर।ठीक वैसे हीहमारी जिन्दगी का सफ़र भी... Read more |
![]() ![]() (कल 31जुलाई को मेरे स्व०पिताजी(श्वसुर जी)आदरणीय श्री प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी की तीसरी पुण्य तिथि है।इस अवसर पर पाठकों के लिए प्रस्तुत है उनकी एक कहानी “बेटी”।यह कहानी पिता जी ने सन 2010 में लिखी थी।बेटियों को समाज में उचित स्थान दिलाने के एक प्रयास वाली यह कहानी आज भी उ... Read more |
![]() ![]() (हिन्दी के प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार हमारे पिताजी आदरणीय श्री प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी की आज पुण्य तिथि है।आज 31 जुलाई 2016 को वो हम सभी को छोड़ कर परमपिता के चरणों में समाहित हो गए थे।आज वो भौतिक रूप से हमारे बीच उपस्थित नहीं हैं लेकिन उनकी रचनात्मकता तो हर समय हमारा म... Read more |
![]() ![]() (हिन्दी के प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार हमारे पिताजी आदरणीय श्री प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी का आज 89वां जन्म दिवस है।वो भौतिक रूप से हमारे बीच उपस्थित नहीं हैं लेकिन उनकी रचनात्मकता तो हर समय हमारा मार्ग दर्शन करेगी .उन्होंने बाल साहित्य के साथ ही प्रचुर मात्रा में बड़ों... Read more |
![]() ![]() माँ तुझे प्रणामशत शत नमन कोटि प्रणाम माँ तुझे प्रणाम ।जब मैं तेरी कोख में आई तूने स्पर्श से बताया था ममता का कोई मोल नहीं तूने ही सिखलाया था ।माँ तुझे प्रणाम ।थाम के मेरी उंगली तूने इस दुनिया से मिलवाया था सूरज चाँद और धरती तारे सबके गीत सुनाया था माँ तुझे प्रणाम ।क... Read more |
![]() ![]() टी-पाटकहानी-पूनम श्रीवास्तव छनाक की तेज आवाज हुयी और उज्ज्वला कुछ लिखते लिखते चौंक पड़ी।फिर बोली क्या हुआ?क्या टूटा ?अन्दर से डरी सहमी सी आवाज आई,“जी मेम साब वो-वो कहते-कहते वो चुप हो गयी।उज्ज्वला ने कहा—“रुक ... Read more |
![]() ![]() घनन घनन अब बरसो बदरवाधरती का हियरा तड़पत हैखेतिहर की अंखियां हरदमअंसुअन से अब भीगत हैं।राह निहारे पंख पसारेपाखी एकटक देखत हैंअब बरसोगे तब बरसोगेमन में आस लगावत हैं।बिन पानी सब सूना सूनाजीव सभी अब भटकत हैंदिखे पानी की एक बूंदसब पूरी जान लगावत हैं।बड़ी बेर भई बादल राजा... Read more |
![]() ![]() वो अनाथ हो गया था जब उसकी उम्र आठ साल की थी।सर पर से मां-बाप दोनों का साया उठ गया।बिखर गया था उसका बचपन और वो रह गया था अकेला इस पूरी दुनिया की भीड़ में। वो था बहुत ही गरीब परिवार का।किसी ने भी आगे बढ़ कर उसका हाथ नहीं थामा।किसी ने उसके आंसू नहीं पोंछे।पर जब लोग उस मासूम ... Read more |
![]() ![]() पितृ दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। आज में आपको पढ़वा रही हूं प्रदीप सौरभ की एक बहुत भावनात्मक कविता।पिता हो गये मांपिता दहा्ड़तेमेरा विद्रोह कांप जातामां शेरनी की तरह गुत्थमगुत्था करतीबच्चों को बचातीदुलरातीपुचकारतीमां की मृत्यु के बादपिता मां हो गये।पिता ... Read more |
![]() ![]() जिसे तुम खोज रहे होवो मिला नहींअब तक शायदवक्त आगे निकल गयाऔर फ़िर तुम पीछे रह गयेतुम वक्त का इन्तजार कर रहे थे पर वक्त किसी का इन्तजार नहीं करतावो निरन्तर हर पलआगे ही आगे चलतारहता है।लाख वक्त को पकड़नेकी कोशिश कर लेंपर वो तो यूं फ़िसल जाता हैहथेली से ज्यूंबंद मुट्ठी से र... Read more |
![]() ![]() जिन्दगी इक बोझ सी लगने लगती है जबजिन्दगी का रुख अपनीतरफ़ नहीं होताव्यर्थ और निरर्थकपर तभी अचानक से रुख पलट जाता हैखुशियों के कुछसंकेतों सेऔर फ़िरहम जिन्दगी सेप्रेम करने लगते हैं और चल पड़ती हैजिन्दगी खुशियों का निमन्त्रण पाकरआगे मंजिल की तरफ़एक अन्तहीन यात्रा परउल्ल... Read more |
![]() ![]() खिल रही कली कलीमहक रही गली गलीचमन भी है खिला खिलाफ़िजा भी है महक रही।दिल से दिल को जोड़ दोसुरीली तान छेड़ दोप्रेम से गले मिलोहर जुबां ये कह रही।कौन जाने कल कहांहम यहां और तुम वहांपल को इस समेट लोवक्त मिलेगा फ़िर कहां।मिलेगी सबको मंजिलेंनया बनेगा आशियांकदम कदम से मिल रहेक... Read more |
![]() ![]() कलम चल रही जरा धीरे धीरेभाव बन रहे मगर धीरे धीरे।उम्मीदों की जिद कायम है अब भीशब्द बंध रहे हैं जरा धीरे धीरे।कसक उठ रही मन में जरा धीरे धीरेइक धुन बन रही है जरा धीरे धीरे।सबने मिलकर तरन्नुम जो छेड़ाकि गज़ल बन रही है जरा धीरे धीरे।जिन्दगी के साज बज रहे धीरे धीरेहुआ सफ़र का ... Read more |
![]() ![]() लाला जी की पगड़ी गोलपगड़ी के अंदर था खोलपगड़ी में से निकला देखोरूपया एक पचास पैसा।हंसने लगे सभी बच्चेबजा-बजा के तालीलाला जी की पगड़ीरहती खाली-खाली।लाला जी शरम सेहो गये पानी-पानीकंजूसी की उनकीखुल गई थी कहानी।0000000000पूनम श्रीवास्तव... Read more |
![]() ![]() दर्पण जो आज देखा वो मुंह चिढ़ा रहा थाचेहरे की झुर्रियों से बीती उम्र बता रहा था।कब कैसे कैसे वक्त सारा निकल गया थाकुछ याद कर रहा था मैं कुछ वो दिला रहा था।नटखट भोला भाला बचपन कितना अच्छा होता थाजब बाहों में मां के झूले झूला करता था।धमा चौकड़ी संग अल्हड़पन कब पीछे छूट गया थ... Read more |
![]() ![]() पापा जी ऐसी कुर्ती ला दोजिसमें कलफ़ लगी कालर होझिलमिल झिलमिल तारों वालीलटकी उसमें झालर हो।पहन के कुर्ती को जबमैं निकलूंगा घर से बाहरदेख के मुझको लोग कहेंगेलगता प्यारा है राजकुवंर।बैठूंगा मै फ़िर घोड़ी परसाथ चलेंगे बाजे गाजेपरी लाऊंगा परी लोक सेकहलायेगी वो घर की रानी... Read more |
![]() ![]() चल पड़े बाराती लेकरअपने बंदर मामाशेरवानी पहनी थी ऊपरनीचे था पाजामा।आगे आगे चले बारातीपीछे मामा जी की कारधूम धड़ाका बैण्ड बाजाबजता रहता बार बार।नाचते गाते चली बारातपहुंची बंदरिया के द्वारस्वागत हुआ सभी लोगों कापूरा हुआ उनका व्यवहार।जब आई जयमाल की बारीबंदरिया थी छो... Read more |
![]() ![]() बात न पूछो आजादी के मस्तानों कीदीवानों की नादानों की परवानों की।जो बचपन में ही कूद पड़ेक्रान्ति की अलख जगाने मेंवो टूट पड़े थे फ़ूट पड़े थेआजाद हिन्द को करने कोजां की परवाह न की जिन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ीपल पल जीते रहे वोहरदम आजाद देश को करने को।फ़ूट पड़ी थी ज्वालाजब क्रान... Read more |
![]() ![]() चंदा मामा दिन बहुत हुएबात न तुमसे होती हैआज और कल करते करतेमुलाकात न तुमसे होती है।मां भी रोज बुलाती तुमकोदूध और भात खिलाने कोलुका छिपी खेलो बदली संगपर नाम न लेते आने का।रूठे रूठे क्यों लगते मुझसेइतना तो बतला ही दोहो गई हो गर गलती कोईतो माफ़ी मुझको दे ही दो।हंस कर बोले ... Read more |
![]() ![]() कानन वन में भालू और बिल्ली की दोस्ती मशहूर थी।दोनों हमेशा साथ रहते।भालू थोड़ा गंभीर था पर बिल्ली थी नटखट और चुलबुली। साथ ही खेलते और साथ ही स्कूल भी जाते। कभी किसी जानवर ने उन्हें लड़ते हुए नहीं देखा था। एक दिन भालू और बिल्ली स्कूल के सामने वाले मैदा... Read more |
![]() ![]() तुम धीरे-धीरे आनातुम चुपके –चुपकेतुमछइयां छइयां आनाना धूप लगे डर जाना ।तुम बन के चंचल हिरनीवन वन में कुलांचे भरनामत अंखिया तुम बंद करनाशिकारी बन कर रहना ।कुछ पांव तले गड़ जायेना फ़िकर कोई तुम करनातुम आगे- आगे चलनाना पीछे मुड़ते रहना।तुम अपना पँख फैलानाबन आजाद परिन्दाच... Read more |
![]() ![]() फ़िलहाल कुछ महीने बीते हो गये इस घटना को।पर मेरे मानस पटल पर वो घटना आज भी अंकित है।जब जब वो वाकया याद आता है दिल में एक बेचैनी सी उठती है। जैसा कि नव रात्रि के दिनों में घर घर में देवी ... Read more |
![]() ![]() तुम याद बहुत आती हो मांतुम याद बहुत आती हो मां---।बचपन में तुम थपकी दे करमुझको रोज सुलाती मांअब नींद नहीं आने परतेरी याद बहुत आती है मां।पग-पग पर तेरी उंगली थाम केचलना हमने सीखा था मांथक जाते थे जब चलते चलतेआंचल की छांव बिठाती थी मां।तन पर कोई घाव लगे जबझट मलहम बन जाती थी ... Read more |
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