Blog: अभिव्यंजना |
![]() ![]() मनहरण धनाक्षरी में ...देश भक्ति गीत तन मन प्राण वारूँ वंदन नमन करूँ , गाऊँ यशोगान सदा मातृ भूमि के लिए .. पावन मातृ भूमि ये , वीरोंऔर शहीदों की जन्मे राम कृष्ण यहाँ हाथ सुचक्र लिए , ये बेमिशाल देश हैसंस्कृति भी विशेष हैं , पूजते पत्थर यहा... Read more |
![]() ![]() नस्कार मित्रो। नव वर्षा की शुभकामनाओं के साथ मै सर्दी का एक तौहफा लेकर आई हूँ सर्दी ने ढाया सितमठिठुरती काँपती ऊँगलियाँ माने नहीं छूने को कलमकैसे लिख दूँ अब कविता मैंअजब सर्दी ने ढाया सितमशब्द मेरे ठिठुरे पड़े हैं भाव सभी शुन्य से हुए हैंकंठ से स्... Read more |
![]() ![]() रे मन धीरज रख ज़रा ,समय बड़ा बलवान. मिलना हो मिल जाएगा,बात यही तू मान | पढ़ना लिखना आगया ,कहते हो विद्वान ,राग द्वेष मन में बसा .कैसा है ये ज्ञान |तितली बोली फूल से ,दिन मेरे दो चार ,जी भर के जी लूँ ज़रा बाँटू,रंग हजार |श्वेत वस्त्र धार... Read more |
![]() ![]() वो शाम ..... हरे भरे लहलहाते गेहूँ के खेत ,उन खेतों के बीच थोड़ी सी चौड़ी पगडंडीनुमा कच्ची सड़क जो मुझे गाँव की याद दिला रही थी | इस खुबसूरत सी जगह जिसे बंजारावाला नाम से जाना जाता है | ये जगह मेरे लिए एकदम नयी थी घर ढूढने में मुझे परेशानी ... Read more |
![]() ![]() फूलों से मुस्काता उद्यान होप्रेम का जहाँ मधु रस पान होन मज़हब की कही बात हो धर्म हर इंसान का इंसान हो लिख दूँ लहू से वो गीत अमरजिस पर माँ तुझे अभिमान हो हर हाथ में फहराएं पंचम तेराहर तरफ़ तेरा ही यश गान हो जय हिंद म कनेरी... Read more |
![]() ![]() कतरा कतरा बन गिरता रहा, मेरे वक्त का एक एक पल लम्हा लम्हा बन ढलता रहामेरा हर दिन प्रतिदिन कुछ नए सपने संजोए कुछ आस उम्मीदें बटोरे आ गया फिर नया वर्ष नए अंदाज में नए आगाज में देखते ही देखते सब कुछ बदलने लगा जो बीत गया वो या... Read more |
![]() ![]() न लाठी चली न आवाज हुई मगर नोट पर चोट करारी है सोच समझ कर खामोशी से की गई ये तैयारी हैसंभल जाओ ये गद्दारो जाने अब किसकी बारी है बज उठा बिगुल नव भारत का देश बदलने की तैयारी है *****महेश्वरी कनेरी ... Read more |
![]() ![]() माँतूबोलीथी नजब बाबातेरेआएंगेढेरखिलौनेलाएंगेपरवो तोखालीहाथ लिए तिरंगा ओढेसोएहुएहैंमाँ ! क्या हुआ है बाबा को क्यों बाहरइतनीभीड़लगीहैंजयजय सबक्योंबोलरहेहैअंदरदादीरोएरहीहैतूकाहेबेहोशपडीहैउठयेतोबतलादे माँक्याहुआहैबाबाकोतूबोलीथीनजबबाबातेरेआएंगेबिठा... Read more |
![]() ![]() होली पर … (कह मुकरी ) शुभ कामनाओ सहित(१) घर घर में उल्लास जगाता प्रेम रंग चुपके से लाता बरबस करता रहे ढिढोली क्या सखि साजन..? ना सखी होली (२) हर फागुन में वो आजाता प्रे... Read more |
![]() ![]() जिन्दगी यूँ ही चलती रहती है ( कहानी ) सर्दी हो,गर्मी हो या फिर बरसात ,देहरादून में तीनों ही मौसमों का अपना अलग ही अंदाज है और हमेशा ही अपनी विशेष पहचान बनाए रखते हैं यहाँ के जाड़ों का तो जवाब ही नही ,रात को र... Read more |
![]() ![]() तुम एक माँ होहर आह्ट पर काँपते हाथों सेजब भी तुम दरवाजा खोलती होगीदेख फिर सूने आँगन कोमन मसोर कर रह जाती होगीबार-बार न जाने कितनी बारतुम दरवाजे तक आती और जाती होगीउधर आस लगाए बाबा जब भी पूछ्ते,कौन है ? तुम धीरे से, कोई नही कहकामों में लग जाती होगी बुझे हुए मन से, जब भी... Read more |
![]() ![]() हिन्दी ने पंचम फहराया,देश मेरा उठ आगे आयाअखण्ड़ जोत जली हिन्दी की,हर अक्षर में माँ को पायासहज सरल है माँ सी हिन्दी,है मॄदुल अमृत रस खानभर आँचल में प्यार बाँटती,देती निजता की पहचाननिर्मल श्रोत है ग्यान अपार,सुगम इसका हर छंद विधानवेद पुराणों की वाणी ये ,बसा हर अक्षर में भग... Read more |
![]() ![]() मित्रों आज बहुत दिनो बाद ब्लांग मे आना हुआ...यहा बहुत कुछ बदला हुआ सा है ..कितनो के ब्लांग मे कोमेन्ट के लिए जगह ही नही मिली..बहुत कुछ समझ नही आया खैर किसी तरह ये पोस्ट डाल रही हूं..आगे ्से यहां निरन्तर बनी रहुँगी,,,, फुहार पर कुछ हायकू लेकर प्रस्तुत हूँफुहार१गाएं फु... Read more |
![]() ![]() तेरी गोद से उतर कर,तेरी अंगली पकड़ कर मां… मैंने चलना सीख लिया मत हो उदास, देख मैं चल सकता हूं…दुनिया के इस भीड़ के संग, भले ही मैं दौड़ नहीं पातापर, धीरे धीरे चल कर, पहुंच ही जाऊंगा वहां जहां तू मेरे लिए अकसर सपने बुना करती है ये नीला आसमान कब से मुझे, ललकार रहा हैएक बार उसे... Read more |
![]() ![]() यादों के कुछ अनमोल सफर सफेद धोती ,कुर्ता सिर पर गाधी टोपी, गले में मफलर, गेहुँआ रंग,चमकती आँखें, चेहरे में निश्छल सी हँसी,चाल में गजब की फुर्ती और बातों में अपनापन ऐसे व्यक्तित्व से जब मैं पहली बार मिली मेरा मन श्रद्धा से नतमस्तक ह... Read more |
![]() ![]() फागुन पर कुछ हाइकु आप की नजर रंग बिखराखिला मन आँगनआया फागुनआया फागुनझूमे है कण कणधरती मगनढोल मृदंगबाजे है घर घरनाचे अम्बरलिखी हैपातीउर रंग भिगोयेकब आओगे******** ... Read more |
![]() ![]() पाखी की पंखुरी (कहानी) जैसे ही मैंने डोरबैल पर अपनी अँगुली रखी ट्रिनन ट्रिनन कर वो इतनी जोर से चीखी जैसे किसी ने उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया हो । ।मैने झट से हाथ हटा लिया , तभी अंदर से धीमी सी आवाज सुनाई दी, ‘आरहे हैं….. ‘मैं थोड़ी सी सतर्क हो कर खडी़ ह... Read more |
![]() ![]() स्वागत नववर्ष पन्ने पलटते गएदिन बदलता रहातारीखें बदलने लगीऔर साल बदल गयाबीता वर्ष यादें बन गईकुछ खट्टी ,कुछ मीठीहर पल इतिहास बनज़हन में सिमटने लगेफिर नई- नई बातनई सी शुरुवातआशाएं पनपने लगीमन गुनगुनाने लगास्वप्न बुनते रहे उम्मीदें बढ़ने लगीखिलने लगा मन सारा का स... Read more |
![]() ![]() माँ के माथे की बिन्दीगोल बड़ी सी बिन्दीकान्ति बन,माथे परखिलती है बिन्दीमाँ के माथे की बिन्दीसजाती सवाँरतीपहचान बनाती बिन्दीमान सम्मान आस्था है बिन्दीशीतल सहज सरलकुछ कहती सी बिन्दीमाँ के माथे की बिन्दीथकान मिटा,उर्जा बन मुस्काती बिन्दीपावन पवित्र सतित्व की सा... Read more |
![]() ![]() गाय माता (भुजंगप्रयात छन्द ) गले से लगा बाँटते प्यार देखाजुबा मौन है बोलते भाव देखायही भक्ति आस्था यही धर्म मानायही प्रीत प्यारी यही छाँव जानाबड़े प्यार से दूध माँ तू पिलातीतभी गाय माता सदा तू कहातीदही दूध तेरा सभी को लुभावेअभागा वही है इसे जो न प... Read more |
![]() ![]() अटूट बंधनकल रात भर आसमान रोता रहाधरती के कंधे पर सिर रख कर इतना फूट फूट कर रोया कि धरती का तन मन सब भीग गयापेड़ पौधे और पत्ते भीइसके साक्षी बनेउसके दर्द का एक एक कतराकभी पेडो़ं से कभी पत्तों में से टप-टप धरती पर गिरता रहाधरती भी जतन से उन्हें समेटती रही,सहेजती रहीऔर.... Read more |
![]() ![]() पीपल (छन्द - गीतिका) ऐतिहासिक वृक्ष पीपल, मौन वर्षो से खड़ेपारहे आश्रय सभी है ,गोद में छोटे बड़े मौन साधक तुम, हे तरुवर , श्रृष्टि का वरदान होहे सकल जग प्राणदाता, सद् गुणों की खान होहो घरोहर पूर्वजों का ,... Read more |
![]() ![]() कतरा कतरा बन जि़न्दगी गिरती रहीसमेट उन्हें,मै यादों में सहेजती रहीअनमना मन मुझसेक्या मांगे,पता नहींपर हर घड़ी धूप सी मैं ढलती रही रात, उदासी की चादरउढा़ने को आतुर बहुतपर मैं तो चाँद में ही अपनी खुशी तलाशती रहीऔर चाँदनी सी खिलखिलाती रही********महेश्वरी कनेरी... Read more |
![]() ![]() कुछ नई सी बात है आज सुरमई प्रभात हैउम्मीद नहीं विश्वास हैएक अच्छी शुरुवात हैएक पग आगे बढ़ाकोटि पग भी बढ़ चलेहाथों से हाथ मिलेदिलों के तार जुड़ते चलेये भी जज्बात हैएक अच्छी शुरुवात है……….जैसे छिप गया हो तमकिरणों की बौछार सेनवल कोंपलें खिल उठींबसंत की पुकार सेये प्रकॄतिक... Read more |
![]() ![]() इंसान का कद इंसान का कद आज इतना ऊँचा हो गयाकि इंसानियत उसमें अब दिखती नहींदिल इतना छोटा होगया कि भावनाएं उसमें अब टिक पाती नहींजिन्दगी कागज़ के फूलों सीसजी संवरी दिखती तो हैपर प्रेम, प्यार और संवेदनाओ की वहाँ खुशबू नहींचकाचौंध भरी दुनिया की इस भीड़ में इतना आगे ... Read more |
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