Blog: मेरी यात्रा की कहानियाँ
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 vipul chaudhary
मैंने भारत के लगभग प्रत्येक कोनो की यात्रा की परन्तु वो क्या कारण थे कि मैं आज तक दक्षिण की यात्रा ना कर सका मुझे आज तक पता नहीं चला. पर दक्षिण यात्रा का सपना अंततः दिसंबर 2005 में पूरा हो गया. और अगर मैं उस बार भी नहीं जा पता तो शायद मेरा दुर्भाग्य ही होता. पर ऐसा हुआ नहीं. इसक... Read more |

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12:29pm 13 Feb 2019 #
 vipul chaudhary
मेट्रो में चीन की दीवार बात उन दिनों की है जब हम छोटे हुआ करते थे... उस समय मेरे मामा मुझे बातों बातों में बताया था की दुनिया सिर्फ एक ही चीज़ है जो अंतरिक्ष से भी दिखती है और वो है चीन की दीवार. ये बात सुन कर मानो लगा की क्या कोई दीवार इतनी बड़ी हो सकती है की आसमान से भी दिख सक... Read more |
 vipul chaudhary
बहुत दिनों के बाद कुछ प्रस्तुत कर रहा हूँ, आशा करता हूँ आपको ये रचना पसंद आएगी. चलोउठोफतह करो.हौसलें बुलंद करसीने को ज्वाला से भरमार्ग तू प्रशस्त कर.चलो,उठो,फतह करो.चेहरे पर मुस्कान लिएभीतर एक तूफ़ान भरज़ज्बे से विरोधी को परास्त कर. चलो,उठो,फतह करो.हौसलों के पंख खोलऔर... Read more |
 vipul chaudhary
दीवार जब दीवार का जिक्र होता है तो पता नहीं क्यों मुझे मेरे गाँव की याद आ जाती
है. मेरे दादा जी के समय की वो दीवार. जो हमे अनायास ही देखती, हमारी हर हरकतों को
ऐसे देखती कि अभी बोल देगी हमारी सारी शरारतें अम्मा को. वो दीवार हम सब भाई बहनों
को कभी कभी इतनी बेबस दिखती कि हम उससे ... Read more |
 vipul chaudhary
रंग वो कहते हैं मैं बदनाम हो
गया हूँ, उनकी गली में आम हो गया
हूँ. मेरा आना भी उन्हें नागवार
गुजरता है, उनके दरीचे का पर्दा भी नया
लगता है. छत के फूल भी अब मुरझाने
लगे हैं, सीढ़ियों पर भी अब जाले लगने
लगे हैं. बदल दिया है समय आने जाने
का, नज़र मिलने पर भी रंग अब
बदलने लगे हैं.
Copyright ... Read more |
 vipul chaudhary
इत्तेफाक मेरी दिल्ली में पहली पोस्टिंग थी. कहते हैं दिल्ली दिलवालों की है. मुझे भी
पहले दिन ऐसा ही लगा था जब में ऑफिस पहली बार पंहुचा. ऑफिस के हर आदमी ने मेरा दिल
खोल कर स्वागत किया. उनमे से कुछ लोग मेरे ही तरफ के निकले तो, दिल को तस्सली मिली
कि चलो कोई तो मिला अपनी तरफ का. सर... Read more |
 vipul chaudhary
The Bankster Book Book Review for blogaddaThe story revolves around different places across the globe
.giving the description of various places so apt and true to life.
This book takes us from Angola to Cochin
to Vienna to Mumbai. Each location introduces different stories with different characters
weaving different plots altogether.
Connecting these stories and maneuvering with multiple scenarios with various
characters spanning different continents playing simultaneously, the story
makes for a good read. In the first few chapters you feel like lost in several
small stories but as the story takes it pace, all pieces fall into place giving
you a crystal-clear picture of a
nail-biting plo... Read more |

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6:57am 13 Dec 2012 #
 vipul chaudhary
मेट्रो
में लद्दाख का अनुभव लद्दाख
के बारे में मुझे सबसे पहले जो याद आता है वो है बेहतरीन नज़ारा, जो सिर्फ
टीवी में देखा है. लद्दाख मुझे शुरू से ही अच्छा लगता है. पर दूर इतना है पूछो मत.
आज़ादी से पहले जब आज़ादी के आन्दोलन होते थे तो सबको दिल्ली में प्रदर्शन करने के
लिए कहा ... Read more |
 vipul chaudhary
गालों पर तेरे बरसात का पानी,हवाओं से कांपते होंठ गुलाबी.नशीली आँखों का रंग आसमानी,नाक पर गुस्सा है बेमानी.सिकुड कर तेरा बैठना,जैसे फूल की हो खिलने की तैयारी. हवा के झोके ने भी ठानी,तेरे जुल्फों से करनी थी जैसे उसे मनमानी. बार-बार तेरे गैसुहों का लहराना कर आँखों पर आना, ते... Read more |
 vipul chaudhary
दूर रह कर भी कितने पास हो तुम,मेरी साँस की आस हो तुम.महसूस होता है जेहन तक तू,चाहता हूँ और करू महसूस तुझे.हर लेती साँस के साथ,करता हूँ जब ऑंखें बंदचेहरा नज़र आता है तेरावो मासूम अदा,अल्हड हंसी,वो जुल्फों का अँधेरा,वो गुलाबी होंठों का नशा.आज भी महसूस करता हूँ तुझे इन हवाओं म... Read more |
 vipul chaudhary
रुको नहीं, थको
नहीं, किसी से तुम झुको
नहीं.दिक्कतें हज़ार हो,मुश्किलों का पहाड़ हो.बन कर रोशनी तुम,मोड़ दो अँधेरे का मुँह. रुको नहीं, थको
नहीं, किसी से तुम झुको
नहीं.लोग कहेंगे, कहते
रहेंगे,कुछ ना करने वाले
सिर्फ बात करेंगे.धार लगा अपनी
हिम्मत को,मान से लगा आग सबके
अभिमान ... Read more |
 vipul chaudhary
मेरी
दिल्ली. कहने को तो ये सबकी है. थोड़ी सी मेरी भी. अब मैं ऐसा कह सकता हूँ क्योंकि
दिल्ली अब मेरी यादों में भी बस चुका है. मुझे रहते हुए वैसे तो कई साल हो गए हैं.
पर आज भी वो पल याद है जब मेरी तुमसे मुलाकात हुई थी. कोई 7साल पुरानी 19जुलाई २००४ की बात है. मैं एक छोटे से शहर से
दिल... Read more |
 vipul chaudhary
अक्सर रात में जब ऑफिस से लेट घर जाता हूँ तो घर पहुच कर
बड़ा अजीब लगता है. क्योंकि मेरी माता श्री को छोड़ कर सब सो चुके होते हैं. आपके
पास किसी से बात करने का समय नहीं होता. सबसे बड़ी बात होती है कि कभी-कभी मेरा
भतीजा जिसे रात में सुलाने के लिए नाकों चने चबाना पड़ते हैं, वो भी म... Read more |
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रविवार की रात का कोई 12बजा होगा, आखों से नींद कोसों दूर थी
और लगता भी नहीं की जल्दी नींद आने वाली थी, क्योंकि कल मेरी मुलाकात उन लोगों से
होनी थी जो आज देश में अपना एक मुकाम रखते हैं. पिछले कुछ सालों से उन्हें लगातार
टीवी पर देख रहा हूँ, यदा-कदा टिप्पणी भीकरता था पर अपने दिल ... Read more |
 vipul chaudhary
11अगस्त
की बात है शाम के करीब 7 बजे होंगे. बादलों ने आज महीनो से सूखी धरती को सराबोर
करने की ठान रखी थी. पानी इतनी तेज बरस रहा था,मानो आज ही सारा पानी गिर जायेगा.
बूंदों की आवाज़ और सड़क पर पानी का बहाव दोनों ही अच्छे लग रहे थे. मेरा भी ऑफिस
खत्म हो चुका था. घर जाने का इंतज़ार था, पर ... Read more |
 vipul chaudhary
मेट्रो में आजकल भीड़ ऐसे बढ़ रही है जैसे रेलवे स्टेशन में चूहे. हर कोई मेट्रो से ही जाने की जिद करता है. दिल्ली तो छोडिये बाहर का भी कोई दिल्ली आता है तो सबसे पहले मेट्रो का ही जिक्र करता है. मेट्रो है भी शानदार नए चमचमाते डिब्बे, एसी का आनंद, कम किराया और बस से जल्दी पंहुचाने ... Read more |
 vipul chaudhary
कौन हूँ मैं,जानता नहीं हूँ,अँधेरे गर्भ से निकला,महीनों तक पला,नाल से किसी से था जुड़ा,क्यों हुई उत्पत्ति मेरी,अंजान था मैं,बेखबर जब प्रकाश ने छुआ मुझे,ऑंखें हुई छुईमुई,जुदा कर दिया नाल से मुझे,फिर भी अंजान रहा बरसों तक,कौन हूँ मैं ?अ,म,ब से गुनगुनाता हुआ,अपनी ही आवाज़ से खुश ... Read more |
 vipul chaudhary
ये दिल्ली है मेरी जान ! जानते
हो क्यूँ ? क्योंकि यहां दिल वालों की मंडली रहती है । हर कोई दिल देने और दिल
लेने में लगा हुआ है । कमी है बस तो एक कि टाइम नहीं है किसी के पास और अगर है तो
फिर खूब सारा फिर तक जब तक आप उससे उब
नहीं जाते आप उसे छोड़ नहीं सकते । मगर दिल्ली में सब कुछ तेज ... Read more |
 vipul chaudhary
मेट्रो अपने एक तरह की माया नगरी है जहां हर कोई कलाकार है और वही उसका निर्देशक है. हर रोज एक नई फिल्म लिखी जाती है और उस पर काम होता है । जिसमे मेट्रो एक बड़ा ही महत्वपूर्ण रोल निभाता है । क्योंकि मेट्रो प्यार की नई फ़सल वालों के लिए सबसे अच्छे अड्डे बनते जा रहे हैं । कन्धों... Read more |
 vipul chaudhary
मेट्रो में अब रोज सफर होता है, जो हर रोज इंग्लिश के
सफर में बदलता है । क्योंकि हर कोई एक ही मेट्रो में जाना चाहता है क्योंकि उसे
सबसे पहले जाना है और ऑफिस में शायद बॉस की डांट से बचना है । इसमें पुरुष तो
पुरुष महिलाएं भी पीछे नहीं है । वो भी
भाग-भाग कर पुरुषों से कंधे से कंध... Read more |
 vipul chaudhary
जागती ऑंखें बताती हैं...कोई सोया नहीं रातभर, याद करता रहा तारे गिन, वो रातभर।बिस्तर की सिलवटें कहती हैं...कोई सोया नहीं रातभर, गिनते रहे करवटों का बदलना, वो रातभर । किताबों में रखे गुलाब बताते है...कोई सोया नहीं रात भर, मुरझाये फूलों से पाते रहे खुश्बू का अहसास, वो रात भर । ख... Read more |
 vipul chaudhary
उलझी हुई डोर सी लगती है कभी,हर सुलझती गाँठ से उलझती है जिंदगी. क्या कहू तुझे ऐ जिंदगी, हर पल समझता हूँ तुझे फ़ना जिंदगी. बहुत कुछ सीखा है तुझसे,गिर कर उठना, फिर चलना है जिंदगी. जब सोचा बहुत हुआ अब और नहीं, हिम्मत करके लड़ना है जिंदगी. मुक्कदर में लिखा है मिलेगा, ना मिले गर तो... Read more |
 vipul chaudhary
मेरे और मेरे भतीजे अरनव के बीच ऐसा होता है, तो सोचा सब चीजों को शब्दों के रूप में आपके सपने प्रस्तुत कर दूँ । आशा करता हूँ मेरा ये प्रयास आपको अच्छा लगेगा । मासूम बचपन चंचल आँखों के नए सपने, हर रोज खिलौनों से खेले ।अपनी हर बातको मनवाती, तेरी ये मासूम ऑंखें ।हर सवा... Read more |
 vipul chaudhary
कहते हैं बड़े-बड़े शहर कभी नहीं सोते पर मैं कहता हूँ वो जागते हैं आपने सपने पूरा करने के लिये । क्योंकि वो हर समय अपनी धुन में रहते हैं । और सब के सब अपने सपने को पूरा करने के जुगाड में लगे रहते हैं । इसलिये घर में लोग कम हो रहे हैं और रोड पर बढ़ रहे हैं जाने किसकी तलाश में भट... Read more |
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