Blog: कुछ कही कुछ अनकही |
![]() पुष्पगुच्छसेलदापादप,भ्रमररहतहैअकुलान।किनपुष्पमुखचूमके,करूँमैंरसकापाण।।भ्रमितभ्रमरकोदेखके,गुन्चनसबमुसकाय।मधुरगुंजनश्रवणको,सबकामनललचाय।।उड़जाताकभीउधरको,फिरआजाताइसओर।उड़तारहतायूँहीभ्रमर,थामेलालचकीएकडोर।।एकपुष्पकहेविहँसके ,प्रियतमआओमेरेपास।मैंत... Read more |
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