Blog: कलम कवि की |
![]() ![]() नफ़रत की गंध इस तरह फैल गईफूलों की गंध भी उसमे नहीं मिल पाईड़ेंगू मलेरिया या हो चिकनगुनियाकेंसर पार्किनसन या हो एड्सइनसे तो डॉक्टर मुक्त करा देंगपर आपसी स्पर्धा में मुक्त कर नफरत। बढ़ा देंगे शत शत नमन उस भाई कोजिसने नफ़रत का बीज बनायानष्ट नहीं हो इसका कोई कोनाऐसा ... Read more |
![]() ![]() अपनी निगाहों मे छुपा कर आँसुओ का ताला लगाया थासोचा था अब तुम्हें कोई देख नहीं पायेगा और बनाया थाभुल थी मेरी जो तुम्हें अपना समझा और सारे राज बतायेपर तुमने मुझे आईना दिखा मुझे मेरी औकात दिखा दीप्रेम इश्क़ सिर्फ कहने कोै तुमने मुझे उसकी कीमत बताईआज हमं खाली हो गए तो तुमन... Read more |
![]() ![]() वो इंतज़ार મેં हैं हम कुछ लिखेहम इन्तज़ार में हैं कुछ नया दिखेपुराना समेट दिया चलो नया लायेंना करेंआवरण नया और भीतर पुराना पाएँ... Read more |
![]() ![]() कुर्सी की चाह ईस कदर बिलबीलाई थीआपने उसके बदले कुछ वायदे कर डाले थेहर शय वायदो को अपने से जोड़ मसीहा समझखातादार बन खाता पुस्तिका पकड़ बाट जोहती है15 लाख के ईनृतजार मे सही भी सही से करपायेगेआप बतायै हमसे वायदे तो कर दिये कैसे नीभायेगेसवच्छ भारत की बात आपने गुजाई थोपूरी ... Read more |
![]() ![]() कुछ भी तो ना चाहा पर कसक एक रह गई बाकीमुहाफ़िज़ समझा जिसे विरोधियों का सरदार निकला... Read more |
![]() ![]() कुछ भी तो ना चाहा पर कसक एक रह गई बाकीमुहाफ़िज़ समझा जिसे विरोधियों का सरदार निकलादोस्ती जब किसी से की जाएउसकी सखियों पहले गिनी जाएँक्या क्या सुनायें दास्ताँ,इस जहान की दोस्तोंचाहने वालों की कमी नही अपनाने वाला एक भी नही.मेरे अंगना तूफ़ान आया और सब उजड़ गयाबचा वही जो मु... Read more |
![]() ![]() अब तो हर दिन भयानक दिखता हैनए नाटय का कथानक दिखता हैकथा पुरानी पात्र क्यों नया रुप धर्तानई वार्ता नया जोश अंग अंग भरताकुछ अच्छा भी होगा नया नया सासोच मन सोच, सोचने में क्या लगतापता नहीं कौन सी सोच कब बिक जाएक्या पुराना भी नया अचानक दिखता है... Read more |
![]() ![]() बीमार का हाल पुछने दुनिया आई पर आँखों को इंतजार था तुम्हारा खुदा से दुआ मांगते है वो नहीं आयें उनके माथे की शिकन न देखी जयेगी हम खुद ब खुद मर मर कर जीलेंगेसारे दर्द हम अपने में समेट यूँ लेंगे जनाजा भी अपना दर्द भी अपना बस दीदार ए यार आँख खुली पायेंगे... Read more |
![]() ![]() मौज नहीं चाहिये मैं साहिल चाहता हूँखुशीय़ां ज़िंदगी मे षमिल चाहता हूंबुंद हुं सागर की सीप की टलाश में चोला बदल अपना मोती चाहता हूं... Read more |
![]() ![]() चलो देखें नया सवेरा आयाकुछ बदलाव लायाधन मन और प्रेम काक्या कुछ नया भाव आयावाह धन चोटी परमन खूंटी परप्रेम का शेयर आज भी नहीं खुल पाया... Read more |
![]() ![]() सोचता हूँक्या सोचता हूँ मैंक्या सिर्फ सोचकरसोचता हूँ मैंसोचता हूँक्यूँ सोचता हूँ मैं... Read more |
![]() ![]() जय भारती जय भारती जय भारती जय भारती२६ जनवरी राजपथ को रंगों से है संवारती २६ जन को हमने अपना, संविधान लागू कियारौशनी चमकी यहाँ, हमने जलाया, अपना दीया पगपग बढ़ते रुकते ना हम, मना रहे गणतंत्र है दुनिया में हमसे बड़ा न,कोई और जनतंत्र हैबार बार जन्मे यहाँ हम,पावन धरा पुचकार... Read more |
![]() ![]() जो चाहा था वो पाया थामेरे सर माँ का साया था मै जब किसी शुभ कार्य हेतु घर से जाता थामाँ का हाथ बिन भूले दही शक्कर खिलाता थाआज मेरी गलतिओं पर कोई, डाँटने वाला नहीं है पर गलती नहीं करता क्योंकी माँ अब भी यहीं है जब भी नाकामी का अहसास होता हैमाँ के आँचल का सर पर आभास होता है भगव... Read more |
![]() ![]() आने पर ना बस था कोईतब जाने की क्या बात करें तू है मेरी यह कथन तेरा है धरा कहाँ पग कहाँ धरें जहाँ भी जाते जहान में हम कण रण क्षण सब उसका हैकहते हैं हम धरा के प्राणी पर है अपनी कित्ती हद यह तू बता हम कहाँ मरें है धरा कहाँ पग कहाँ धरें आयें है तो पायेंगे क्याखेत तेरा खलियान ते... Read more |
![]() ![]() बापू मुझे बस कवि बना देतोड़ मोड़ जोडू क़ायदा सीखा देअनभिज्ञ जहान से बचपन थादेख लेख लिखने को मन था मुठ्ठी भर शब्दों का जोड़ देखदर्द पुत्रमोह उमडाया था नग्न फाके समान थे कवि फटी धोती हाड़ दिखाया था आज देख कवि रेलम पेलजैसे हो गेंद बल्ले का मेल ईस युग में बस यह दोनोंअनगिन पै... Read more |
![]() ![]() पर्वत पर कहाँ फूल खिलें कहाँ वृक्ष बढे चट्टानों में आज जिंदगी बोल रही शांत हुए शमशानों में ... Read more |
![]() ![]() हंसी संजोये होठों पर वह रखती थी आँखों मे पानीमन मे सपने लिए अनोखेपाले थी वह पेट मे रानीपुरुष ने पुरुषार्थ दिखाया कहकर दबदबा बनाया जने जो तेरी कोख़ जनियोदुनिया जाने वंश बढ़ाया कुछ न बोली कुछ न बोली मन रोता पर गर्दन हामी बादल ने ज्यूँ ली अँगड़ाईसमय बीतता बद्री छाई ला... Read more |
![]() ![]() दलदली नेताओं से अपने देश को बचायेंगे पुराने पन्ने फाड़ अब नया ग्रन्थ रचाएंगे झाड़ू को झटको हाथ को पटकोकमल को तोड़ो हाथी को फटकोनिक्कमा नेता कहीं दिखे यदिकुत्ते छोडो मत से मत भटको बुधि का उपयोग कर मोहर सही लगायेंगे दलदली नेताओं से अपने देश को बचायेंगे जब से हम आज़ाद ... Read more |
![]() ![]() उम्र अभी वो नहीं कि सब हमे बाबा कहेंतुम यूँ अलग हुए कि नूर ही चला गयाअब किस किस को सुनाएँ अपनी व्यथावो जो भीतर था बाहर क्यों चला गयाअपने हक़ का लगता है ज्यादा मसलादबाव कुछ ज्यादा था वो कुचल गयाहमने तो सोचा था पूरा हक़ है उनपररबर को इतना खींचा, टूटता चला गया ... Read more |
![]() ![]() हर सितम सर झुकाया रिश्ते की नाजुकता जानकरमौन हम, नीची औकात कहा उसने भौं तानकरमेरे अंगना तूफ़ान आया और सब उजड़ गयाबचा वही जो उस पल झुका और संवर गयाकौन कौन कितने थे वो यह तो हमको याद नहीं आज खो कर पाया हमने कोई उनके बाद नहींहमने बिस्तर बाँध लिया, कब सफ़र शुरू हो पता नहीं, दुनिय... Read more |
![]() ![]() जब तारे न थमते नभ में न लौ सूरज की फीकी होतू थक कर क्यों बैठ गया ज्यूँ मंजिल तेरी रीती होयहाँ पथ पर चलने वाला, हर कोई मुसाफिर होता हैतू निराला मत बन यहाँ, ये जीवन मंजिल जोहता हैमंजिल सबकी अलग अलग, साथी की तू बाट न जोहवो जायेगा अपने पथ तू लेता फिरता उसकी क्यूँ तोहपवन चले तू च... Read more |
![]() ![]() दोनों चैन से बेठे आँख खोल सोये थे अधजगेअजीब से सपनो में खोये थे जाते हुए अम्मा ने पूछा खाने का डब्बा रख लिया, पानी तो नही रह गया सारी पुस्तके रख ली कोई काम तो नहीं रह गया बापू कमा पीठ झुका पूछेबेटा तेरा सारा सामान आ गया कुछ और तो नही रह गया थोड़े पैसे और रख ले देख लियो कुछ बाक... Read more |
![]() ![]() आओ बच्चो खेलें खेल एक बनायें ऐसी रेल जिसका ईंजन अपना भारत बाकी देश डब्बों का मेल ऐसी पटरी सरपट दोड़े नदी खेत गाँव पीछे छोड़ेनिकली पाने मंजिल को वो छुक छुक धड-धड का ये मेल आओ बच्चो खेलें खेल........................दुनिया वालों जानलो अब हिन्द को पहचान लो अब एक नंबर पर अपना भारतबाकि देश करे... Read more |
![]() ![]() मानव सभ्य है या असभ्ययदि सभ्य हैतो क्या ज़रुरतसंविधान और कानून कीयदि असभ्य हैतो क्या ज़रुरतसंविधान और कानून कीसभ्य समाजसंविधान, कानूननियंत्रण और कचेहरीअजब विडंबना है... Read more |
![]() ![]() ये ईद है तुम्हारी तुम्हारी है दिवाली ऐ खुदा क्यों तूने मुझको कर दिया खाली खाली बरसों से मेरे दिल में भी जलती थी फुलझड़ियाँ पर इस बरस बुझी हैं मेरी चाहतों की लड़ियाँफूलों की महक सबकी पर मेरी डोली खाली ये ईद है तुम्हारी तुम्हारी है दिवाली ये जगमगाते आँगन त्योहारों की बौछा... Read more |
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