Blog: अपनी अपनी बातें..........
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 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: प्रेम का समुद्र: पानी की बूँद था , अपने प्रेम से तुमने उसे समुद्र बनाया अब तुम ही विछोह चाहती हो भाप जैसे उड़ा कर आकाश में मिलाना चाहती हो...... Read more |

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11:37am 6 May 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: उगते सूर्य का उजाला: तुम्हें उगते सूर्य का उजाला समझा था कुछ पलों के लिए तुमने उसमें नहलाया भी था मन इतना उजला हो गया जिधर देखता उधर उजाला ही दि...... Read more |

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11:36am 6 May 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: सृजन और विध्वंस: किस्मत मिट्टी की अच्छी या खराब निर्भर करेगा उस पर जिसके के हाथों में जायेगी मिट्टी उसकी जैसी नियत वैसा ही करेगा वो एक ब...... Read more |

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1:41pm 2 May 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: झूठ का आवरण: किसी ने तुम्हारे प्रशंसा में दो मीठे शब्द बोल दिए , तुम पचा नहीं पाए फूल कर कुप्पा गए बिना यह सोचे समझे कहने वाले का मंतव्य क्या था क्या व...... Read more |

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1:40pm 2 May 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: क्रोध पर कविता -मैं नहीं कहता तुम मेरी मानो: मैं नहीं कहता तुम मेरी मानो पर ध्यान से सुन तो लो मुझे प्रतीत होता है तुम्हें क्रोध बहुत आता है आवेश में जो नहीं कहना चाहि...... Read more |

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7:46am 2 May 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: जी का वन ही तो जीवन है: जीवन के सृजन कर्ता से पूछा मैंने एक दिन क्यों आपने संसार में सांस लेने वालों का नाम जीव रखा वो मुस्कारा कर बोला जी का व...... Read more |

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7:32pm 1 May 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: नींद मानो रूठ कर बैठ गयी: रात नींद को बुलाता रहा करवटें बदलता रहा पर नींद मानो रूठ कर बैठ गयी , बहुत कशमकश और मिन्नतों के बाद भी नहीं आयी जब आयी तो मुझे पता ही...... Read more |

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6:28am 20 Apr 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: खूबसूरत आवरण: किताबों की दूकान में घुसते ही शो केस में लगी रंग बिरंगे खूबसूरत आवरण वाली किताब पर नज़रें अटक गयी जब आवरण इतना खूबसूरत किताब भी बहुद सुन्...... Read more |

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6:25pm 19 Apr 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: क्यों बेफिक्र हो जाते हो ?: क्यों बेफिक्र हो जाते हो ? जब जब चलता है सब ठीक ठाक हँसते हो खिलखिलाकर भूल जाते हो आते हैं अवरोध सबके जीवन में जब दिए हैं इश्वर ने आँखों...... Read more |

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6:24pm 19 Apr 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: क्यों बेफिक्र हो जाते हो ?: क्यों बेफिक्र हो जाते हो ? जब जब चलता है सब ठीक ठाक हँसते हो खिलखिलाकर भूल जाते हो आते हैं अवरोध सबके जीवन में जब दिए हैं इश्वर ने आँखों...... Read more |

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12:29pm 18 Apr 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: कल का कल देखा जाएगा: कभी सोचता आज कल जैसा ना हो कभी मन कहता आज जैसा कल ना हो जो आज सोचता कल नहीं सोचा था जो परसों सोचा था कल नहीं सोचा समझ नहीं आता हर दिन सोच...... Read more |

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12:28pm 18 Apr 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: आज इतना हँसो: आज इतना हँसो कि हँसी तुमसे खुद पूछे तुम्हें हुआ क्या है ? क्या बात हुयी ऐसी जो दिल इतना खुश है क्यूं छिपा कर रखा है ? मुझे भी बता दो वो रा...... Read more |

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11:50am 17 Apr 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: माँ की चिंता: सर्दी की रात थी घड़ी की सूइयां बारह बजा रही थी दोस्तों की महफ़िल सजी थी घर जाने की ज़ल्दी ना थी माँ बेसब्री से इंतज़ार करती होगी जानते हुयी...... Read more |

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11:49am 17 Apr 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: क्या यह प्यार नहीं है ?: कैसे कह दिया तुमने ? मैं तुम्हें प्यार नहीं करता तुम्हें गले नहीं लगाता तुम्हें चूमता नहीं हूँ अपनी बाहों में नहीं लेता तुम्हारे करीब नहीं...... Read more |

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11:48am 17 Apr 2012 #
 डा.राजेंद्र तेला "निरंतर
निरंतर कह रहा .......: बिना माँ के: साधन संपन्न , धनाढ्य ने कमरे की खिड़की से घनघोर बरसात का आनंद लेते हुए देखा माँ स्वयं भीग रही थी पर पुत्र के सर पर छोटी सी छतरी ताने उसे बरस...... Read more |

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1:02pm 20 Mar 2012 #
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