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![]() ![]() क्योँ अलग विजाती से बैठे,आँगन के उस पार अकेले,ढोल नगारे कानों से टकरा कर,वहीँ निस्तब्ध से हो चले,गुमसुम से बस तकते उस भीड़ को,हिस्सा जो नहीं उस उत्सव का मैं !मैं जानती रीती रिवाजों से बने,इन कोरे चित्रों को, रंग थे जिनमे अनेकों,बस वक्त के हाथों से फिसल गयी लाल स्याही,अब अँध... Read more |
![]() ![]() वो शीत की धुप गिरती तुम पर,भिगोती तुझे और चमक जाती,अनेकों लकीरें तेरी चेहरों पर !कभी देखते मेरी नजरों से तो जान पाते !उबड़ खाबड़ राहों पर देख तेरी नादानियाँ,सहम जाते हम, कोई तो हो संभाल ले,लरखराते तेरे कदमों को जरा !कभी चलते मेरे संग तो जान पाते !खेलते तुम गुब्बारों, गुड्डो... Read more |
![]() ![]() ये किस जवाब के बदले..फिर कुछ सवाल थे तुम्हारे !हँस कर ही खामोश हो चले हम..बहल ही गया ना फिर,बात अपना अनेकों इन्तेजार करके !फिर वही कुछ पुराने वादों में घिरे,किसी बनावटी किस्सों में उलझे,बात आ निकली घुमावदार रस्तों से !असमंजस मेरा, या फिर झुके मन मेरा,अपनी ही हार सही हुई हर बा... Read more |
![]() ![]() लगे खेत में पूस के मेले,सरसों अरहर मस्ती में खेले !ठीठुरी पुरवा पवन बहके है हौले..अलसी व गेहूँ की बालियाँ डोले !विहंग तरंग बांस पर झूले,खेत पर जाने अलसाते भूले !आग लपेटे अलाव पर जब बोले,शाम समेटे कई किस्सों को खोले !धुप धुंध से आंख मिचोली खेले,निर्जन मन कैसे इस शीत को झेले !क... Read more |
![]() ![]() जब रात तमस बड़ी गहरी थी,सहमी सी और सुनी थी !घना अँधेरा धरा पर आता,शहर घना जंगल बन जाता !मद में विचरते कुंजर वन में,विषधर ब्याल रेंगते राहों में !दनुज सीमा के पार गया,कुहुकिनी का स्वर भी हार गया !विवश ईश तुम चुपचाप रहे,अब मानव से फिर क्या आस रहे !खग तो पंख विहीन हुआ,हर मानवता को... Read more |
![]() ![]() सब्र की दुहाई मत दो लंबे फासलों सी..कमजोर है बनावटी दिल ये टूट जायेगा !या मुकम्मल वजह दो इसे बिखर जाने की..हर फासलों पर इसका इम्तिहान ना लो !यूँ उम्मीद बड़ी सजायी रखी थी उनसे..गुमनाम ठोकरों ने खूब खेला इस दिल से !उनकी खामोशी पर मुसकुराता रहा ये दिल ..गुमसुम हँसी पर धुंध घिरता... Read more |
![]() ![]() ** एक टीवी साक्षात्कार में शारदा सिन्हा से कुछ पंक्तियाँ, इस गीत व कविता को सुना, और सचमुच भाव से ओत प्रोत कर्णप्रिय रचना ! माटी की खुशबू और संगीत जैसे परम्परा का वहन करती ! घूँघट घूँघट नैना नाचे, पनघट पनघट छैया रे,लहर लहर हर नैया नाचे, नैया में खेवइया रे।बीच गगन में बदरा ना... Read more |
![]() ![]() ना खता जतायी ..ना खबर बताई ..ये इरादा चुप रहने का ..उम्मीदों पर बोझ बन रहा !किश्तों किश्तों में ढूंढता,कहीं यादें कम ना पर जाये,तेरे लौट आने तक !रंग रंगीली झूठी दुनिया..खो जाने कि कोशिश करते,पर झूठी लगती हर रंगरलियाँ,जब बातें बेमानी सी हो जाती,एक तलक फिर दूर कहीं से,वही आवाज़ स... Read more |
![]() ![]() बुलबुले बेचते वो राहों पर ..बुलबुले के बदले रोटी !रिश्ता अजीब लगता पर,बहुत संजीदा नाता उसका !दो चार बुलबुले उड़ाते,बहल जाते राहगीर मुसाफिर,मकसद होता दो चार पैसे !पूछते उम्मीदी नजरों से,ले लो ये बुलबुले ...और फिर जोर एक फूँक से,कई बुलबुले खुले आसमानों में,सब ख़ुशी से देखते ब... Read more |
![]() ![]() एक बार --- ! यूँ किसी हमराह का असर है..!ये पत्थर का बुत भी करवटें बदलता है !पर ..हमे डर है पत्थर का बुत कहीं इंसान ना बन जाये !फिर --- ! ये पत्थर का बुत जिसे इंसान बनाया था किसी ने,इंसानों जैसे दिये थे अरमां ख्वाब सजाने के तुमने,आज फिर देखो क्योँ दरारे पर रही इसमें,क्या जाने टूट कर ब... Read more |
![]() ![]() इन राहों से कितने बिछड़े,जहाँ हर सुबह महफ़िल बनती थी,पूछते थे खबर हर यारों की, तेरे रंग मेरे रंग बादलों सी सजती,मन सपने बुनती संवरती..और फिर धुँधली सी परती !क्या में क्या तु, क्या कोसे किसको,तेरी नियत मेरी फिदरत..जाने कब कैसी किस्मत !लौट आना मेरी गली कभी,या मिल जाना किस मोड़ ... Read more |
![]() ![]() दो झूले और बच्चे कतार में, फीकी हरयाली इस छोटे से बाग में !पेड़ छोटे, इस शहर की रंगचाल में,दायरा आसमां ने भी समेटा,लंबी लैम्पपोस्टो की आढ़ में !ऊँघती बेंचे घासों के बीच,सोचते कोई छेड़े कोई किस्सा,इस गुमशुम से हाल में !सहमे पड़े बरसाती मेंढक,चहल पहल से है बैठे ठिठके !झुरमुट ... Read more |
![]() ![]() कुछ यूँ बीती रात लंबी हो चली थी,दबा रखे थे सवाल कई.. तुमसे पूछेगे..!आज कोई फिर आके आवाज दे गया जैसे !हो फिर मोह कोई तुझसे,या तृष्णा कुछ, जो छुपी हो कबकी!फिर कहीं अपनी ही बात,हम मुग्ध हो बावरी बातों पर,भूली पिछली हर यादों पर ..!ये कैसे रोक दिया इन तूफानों को,और भुला दिया उजरे पात स... Read more |
![]() ![]() सुनी सी ये शाम है अब की,दिन दुपहरी लगती वैशाखी !कुछ रंग फीके लगते इस जग के,ये मन अपना किस तलाश में भागे,कभी कोसता नाकामी पल को,लगा सपनों की पंख उड़ने को !ख्वाब सजाता साथ हो कोई,ख़ामोशी में सुना बन कोई !दीखते बदले रंग चेहरों की,एक जरिया ढूंढे खो जाने की !मन का पंछी डरता साथ ना छ... Read more |
![]() ![]() एक विचार : सोशल मीडिया की आलोचनासोशल मीडिया की आलोचना करना वर्तमान संदर्भ में सर्वथा उचित नही है !हर पक्ष के दो पहलु होते, परमाणु बम सी विध्वंशक शक्ति का उपयोग जापान के ऊपर विध्वंश के लिये हुआ, उसी जापान ने इसी परमाणु के उपयोग से विकास की परिभाषा लिख दी !विज्ञान तो हमारे ... Read more |
![]() ![]() रात .. बात नही बस सुर्ख काले अंधेरों और दो चार दमकती चाँद तारों की...रात .. बात नही अकेली अँधेरी गलियों और सुनसान सड़कों से गुजर जाने की ..रात .. हर रोज एक कोशिश होती, किसी की इसे जगमगाने की !रात .. एक दर्द बिछड़ते सपने को, खोने की कश्मशाने सी !रात .. हर रोज एक सवाल अंधेरों में, मन के भ... Read more |
![]() ![]() चहकती थी हर उस डाल पर बैठी पंछियाँ,अब पतझर सा लगता , एक ठूंठ सा खरा पेड़ !बड़े सुने सुने से सुनसान सा प्रतीत होता ,ना झूले है उस पर, यूँ बाट जोहती टहनियाँ !कुछ अमरलता की बेले , चढ़ रही है ऊपर .ये प्यार प्रपंच ना जान सके मुरझाये मन ! अपने बदन पर ... Read more |
![]() ![]() कैसे सावन आये तुम बिन गहने !छितिज धरा सब धुल उराये,नभ के बदल बन गये पराये,उमड़ घुमड़ तुम आते ऐसे !कसक मन की भी जाती जैसे,जग चर की तुम तृष्णा मिटाते,सूखे नयनों में आके नीर गिराते,पर आये सावन बिन तुम गहने !कोई जैसे चुप चुप से लगे रहने ..!बेकल मन, सुने सपने ...बरसों सावन अब मेरे अँग... Read more |
![]() ![]() ये तिमिर घना चहुओर है फैला,हर रोज सोच से रूबरू एक चेहरा,इन शोरों में दर्प फैला है गहरा !हर तरफ बिफरा है शोर !जो हँस रहे जितना ,उतना उनको खोने का है होड़ ..किस मकसद, किस मंजर जाये किस ओर !क्या करे जिंदगी पर अपना नहीं जोर,चुप ही रह जाते है अपनी बातों पर, जाने कोई हँस परे कब मेरे शब्... Read more |
![]() ![]() खिड़की की ओर नजर ले जाओ,धुँधली सी तस्वीर बनाओ !देखो तुम जब नजर फिराये,हर चीज भागे बन के पराये !रातों में फैला कल का एक शोर,पाषाण राहों में चलने का बस होड़ !बचपन का कौतुहल मन ...कहाँ से आती कहाँ को जाती रेल,आज रात की नींद चुराये, छुक छुक करती जैसे हो कोई खेल !आँखे चुराये रात जो भागी... Read more |
![]() ![]() वो कहते थे ये शहर है, ऐसा !करीब से देखिये शायद जान जायेगें !कब तक यूँ मुसाफिर रहते !एक पराव एक आशियाँ तलाशा !अब इस कदर बस गयी जेहन में, हर गुमनाम सी गलियाँ यहाँ की,मारे मारे फिरने में दिल्लगी सी हो गयी !अनजाने चेहरों से हो रूबरू रोज, एकबार देखता एकटक हर आकृतियों को,कोई पुरानी ... Read more |
![]() ![]() याद उतनी ही है तेरी इस जेहन में बसी,जैसे तेरी उँगलियाँ छु चल पड़ा इन राहों में !और ना तुने रोका, कुछ तो कहा होता..में इन राहों में चलता गया, कहाँ निकल आया !अब क्योँ नही बहलाती मुझे माँ !ना बताती ये रात है, सो जाओ !क्योँ नही डराती उन झूठे कहानियों से,कोई काले जादू वाला आता है,जो उठ... Read more |
![]() ![]() शब्द जब रंग मंच पर उतरे !अपने अपने किरदार को खेले !में खरा वहाँ मुसकाता रहा, हर उलझन को सुलझाता रहा !ये आहट किस और से आती है !मंजिल ना नजर अब आती है,बस रस्ते पर ले जाती है !इच्छाओं की झोली में जीता,इस बार भी ये बसंत यूँ बीता !निर्जन पथ पर, कभी जो सोता !जब ..! रात अनंत बन जाती है ..इस ज... Read more |
![]() ![]() एक अल्ल्हर बातें है जैसे, सपने का पलना हो जैसे !अठखेली हवाओं जैसी !बावरी मन चंचल हो जैसी !आशाओं की डोरी सी !बातें करती पहेली सी, एक तस्वीर ....ख्वाबो में एक तस्वीर सी बनती,हया धड़कन के पहलु में छुपती,झुकी नजर में शर्माती हँसती,नाजुक मन आँखों में सिमटी !एक ख्वाब ...कभी इन्तेजार ... Read more |
![]() ![]() एक संगीत कभी सुमधुर तानो भरा,कभी अनसुना विस्मित रागों सना !एक हँसी कभी खुशी लहरों भरा,कभी व्यंग्य के उपहासो से जना !एक क्रंदन कभी नयनों में भरा !कभी रुदन आद्र मन में बना !एक ख्वाब कभी पलकों में भरा,कभी वह पतझर पंछी बन उड़ा !सवालों ख़ामोशी के साया में परा,राहों में उलझे, पग पग प... Read more |
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