Blog: प्रेमरस |
![]() ![]() 24 मार्च तक बहुत सारे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों में लोग सरकारी प्रतिबंधों के बावजूद आ-जा रहे थे और इस कारण लॉक डाउन होने पर फंस गए। क्योंकि तब तक सरकार ही गंभीर नहीं थी, प्रदर्शन चल रहे थे, सामाजिक-राजनैतिक समारोह / पार्टियाँ आयोजित हो रही थीं, सरकारें गिर रही, बन रही थीं, संसद सत्र चल रहा था। सरकारी गंभीरता अचा... Read more |
![]() ![]() यह बेहद फख्र की बात है कि हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं। मतलब देश के हर हिस्से में किसी ज़ोर-ज़बरदस्ती की नहीं बल्कि जनता की मर्ज़ी से चुनी हुई सरकार प्रशासक का काम करती है। देश के किसी भी हिस्से में चाहे किसी भी दल की सरकार हो, वो उस हिस्से के हर नागरिक की सरकार होती है। और हर नागरिक का यह फ़र्ज़ है कि नीचा दिखा... Read more |
![]() ![]() ना तो सारे मुसलमान जमाती होते हैं और ना ही हर जमाती को कोरोना हुआ है और ना ही जमाती जानबूझकर बीमार हुए हैं। जो गलती मैजमेंट से हुई हो उसकी सज़ा भी उनकी जगह बीमारों को नहीं दी जा सकती है, बल्कि बीमारों के साथ सहानुभूति होनी चाहिये। हालांकि जैसी गलती मरकज़ मैनजेमेंट से हुई, वैसी गलती कम हो या फिर ज़्यादा परंतु उस स... Read more |
![]() ![]() गुजरात में कोरोना का कहर अचानक से बहुत तेज़ी से नज़र आ रहा है, 5 दिन पहले तक देश में छठे नंबर पर चल रहा गुजरात 2400 से ज़्यादा केसेस के साथ दिल्ली को पीछे करते हुए दूसरे नंबर पर आ गया है। हालांकि दिल्ली में कोरोना केसेस की संख्या इसलिए भी अधिक नज़र आती है, क्योंकि यहाँ दिल्ली से बाहर के केसेस ही अधिक हैं, दिल्ली के केसे... Read more |
![]() ![]() इंसान अकेला ही इस दुनिया में आया है और अकेला ही जाएगा... एक मशहूर कहावत है कि "खाली हाथ आएं है और खाली हाथ जाना है।" फिर भी हम हर वक्त, इसी जुस्तजू में रहते हैं कि कैसे हमारा माल एक का दो और दो का चार हो जाएँ! जबकि सभी जानते हैं कि हम एक मुसाफिर भर हैं, और सफ़र भी ऐसा कि जिसकी हमने तमन्ना भी नहीं की थी। और यह भी पता नहीं... Read more |
![]() ![]() मुसलमानों की आज की हालात के सबसे बड़े गुनाहगार अपने ज़ाती फायदे के लिए इमोशंस को भड़काकर टुकड़ों में बांटने वाले फ़िरको के दलाल हैं, या फिर अपने इमोशंस भड़काकर झूठ फैलाने वाले राजनैतिक दलाल हैं। इमोशनल तकरीरें देकर बेवकूफ बनाने वालों के चक्कर में पड़कर हमने सब को अपने से दूर कर लिया। आज कोई हमारा नाम नहीं लेना च... Read more |
![]() ![]() जापान पर अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिराए जाने और ज़मीन पर कब्ज़ा करने के बाद जापानियों ने कब्जा छुड़वाने के लिए कोशिशें करने की जगह शिक्षा का 20 वर्षीय मॉडल तैयार किया। और उसका परिणाम यह हुआ कि 1971 आते-आते जापान तकनीक में इतना आगे निकल गया कि अमेरिका को स्वयं ही जापान के शहरों... Read more |
![]() ![]() मुसलमानों की आज की हालात के सबसे बड़े गुनाहगार अपने ज़ाती फायदे के लिए इमोशंस को भड़काकर टुकड़ों में बांटने वाले फ़िरको के दलाल हैं, या फिर अपने इमोशंस भड़काकर झूठ फैलाने वाले राजनैतिक दलाल हैं।इमोशनल तकरीरें देकर बेवकूफ बनाने वालों के चक्कर में पड़कर हमने सब को अपने से दूर ... Read more |
![]() ![]() बड़ी हैरत की बात है कि जो लोग ऑफिसों में डाइवर्सिटी के नाम पर महिलाओं के अधिकारों पर ज़ोर देते हैं, बराबरी की बाते करते हैं, इसके नाम पर बड़ी-बड़ी नीतियां बनाते हैं, आखिर वही लोग महिलाओं की ही तरह सदियों से दबे-कुचले और सामाजिक पिछड़ेपन का दंश झेल रहे लोगों को आरक्षण दिए जाने के खिलाफ क्यों हो जाते हैं? क्या ऑफिसो... Read more |
![]() ![]() दिल्ली की केजरीवाल सरकार के लिए कोई भी विचार बनाने से पहले हमारे लिए यह जानना अति आवश्यक है कि दिल्ली सरकार के पास प्रशासनिक अधिकार नहीं है। दिल्ली में सर्विस मैटर मोदी सरकार ने 2014 में ही नोटिफिकेशन लाकर LG के अधीन कर दिया था, मतलब दिल्ली सरकार के किसी भी अधिकारी/कर्मचारी की रिपोर्टिंग दिल्ली सरकार को नहीं ह... Read more |
![]() ![]() बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए पुरुषों में "पुरुष" होने का दंभ भी एक कारण है। पुरुषों को बचपन से यह ही यह अहसास दिलाया जाता है कि वह पुरुष होने के कारण महिलाओं से अलग हैं, उनका होना ज्यादा अहमियत रखता है। अगर हम बचपन से बेटों को विशेष होने और लड़कियों को कमतर होने का अहसास कराना बंद कर दें तो स्थिति काफी हद तक सु... Read more |
![]() ![]() पर्यावरण की रक्षा पर दिल्ली ने दम दिखलाया है। बदलाव बड़ा लाने हेतु #OddEven अपनाया है। गर आज नहीं कोशिश होगी तो भविष्य तबाह हो जाएगा। आने वाली पीढ़ी को यह कर्ज़ा आज चुकाया है। जो कहते हैं कुछ नहीं होता, उन्हें दिल्ली राह दिखाएगी। आओ देखो दुनिया वालो बदलाव यहाँ पर आया है। सेहत वाली सांसों का सपना दिल्ली ने देख... Read more |
![]() ![]() इंसान अकेला ही इस दुनिया में आया है और अकेला ही जाएगा... एक मशहूर कहावत है कि "खाली हाथ आएं है और खाली हाथ जाना है।" फिर भी हम हर वक्त, इसी जुस्तजू में रहते हैं कि कैसे हमारा माल एक का दो और दो का चार हो जाएँ! जबकि सभी जानते हैं कि हम एक मुसाफिर भर हैं, और सफ़र भी ऐसा कि जिसकी हमने तमन्ना भी नहीं की थी। और यह भी पता नहीं... Read more |
![]() ![]() क्या हमारी महान मातृभाषा "हिन्दी" हमारे अपने ही देश हिंदुस्तान में रोज़गार के अवसरों में बाधक है? बोलनेवालों की संख्या के हिसाब से दुनिया की दूसरे नं॰ की भाषा "हिंदी" अगर अपने ही देश में रोज़गार के अवसरों में बाधक बनी हुई है तो इसका कारण हमारी सोच है. हम अपनी भाषा को उचित स्थान नहीं देते हैं अपितु अंग्रेजी जै... Read more |
![]() ![]() "लोकतंत्र कमज़ोर है, वोट खरीदे जाते है, बूथ कैप्चर किये जाते है, मतगणना मे धांधली करवाई जाती है, विधायक और सांसद खरीदे जाते है, पूंजीवादी व्यवस्था है, भ्रष्टाचार फैला हुआ है, व्यवस्था को हरगिज़ नहीं बदला जा सकता है" इत्यादि-इत्यादि.... यह सब लोकतंत्र के विरोध की कमज़ोर दलीलें बनी हुई हैं। जब लोग लोकतंत्र के विरोधी ... Read more |
![]() ![]() आज के मौजूं पर अदम गोंडवी साहब की कुछ मेरी पसंदीदा ग़ज़लें: आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे अपने शाहे-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे तालिबे शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे आए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए चार छ: चमचे रहें माइक रहे माला रहे - अदम गोंडवी हिन्... Read more |
![]() ![]() यह तो है कि मैं यहाँ तन्हा नहीं तुझसे भी तो पर कोई रिश्ता नहीं तिश्नगी तो है मयस्सर आपकी जुस्तजू दिल में मगर रखता नहीं साज़िशों से जिसकी हों ना यारियां आज कोई भी बशर मिलता नहीं नफरतें इस दौर का तोहफा हुईं दिल किसी का भी यहाँ दुखता नहीं बन गया है मुल्क का जो हुक्मरां ज़ालिमों के साथ वो लड़ता नहीं इ... Read more |
![]() ![]() भय्या पत्नी की भी अजीब ही महिमा है। पता है कि आप कार्यालय में हैं, अब रोज़ ही जाते हैं तो वहीं होंगे। लेकिन श्रीमती जी का फोन पर एक ही सवाल होता है ‘कहां हो?’। अब बन्दा परेशान! हम भी चुटकी लेने के लिए बोल देते हैं कि ‘झुमरी तलैय्या में’! तो भड़क जाती हैं, ‘सीधे-सीधे नहीं कह सकते कि ऑफिस में हो’। अब श्रीमती जी जब पता ... Read more |
![]() ![]() विचारों में चाहे विरोधाभास हो, आस्था में चाहे विभिन्नताएं हो परन्तु मनुष्य को ऐसी वाणी बोलनी चाहिए कि बात के महत्त्व का पता चल सके। ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय। औरन को सीतल करे, आपहुं सीतल होय॥ किसी ने सही कहा है कि अहम् को छोड़ कर मधुरता से सुवचन बोलें जाएँ तो जीवन का सच्चा सुख मिलता है। कभी अंहकार में त... Read more |
![]() ![]() महिला अधिकारों के हनन के अनेक कारण हो सकते हैं, पर मेरे हिसाब से महिलाओं में शिक्षा तथा आर्थिक सशक्तिकरण की कमी इसके प्रमुख कारण हैं और इनसे भी बड़ा एक वजह है पौरुषीय दंभ। आइये इसी पर चर्चा करते हैं।... Read more |
![]() ![]() प्यार की है फिर ज़रूरत दरमियाँहर तरफ हैं नफरतों की आँधियाँनफरतों में बांटकर हमको यहाँख़ुद वो पाते जा रहे हैं कुर्सियाँखुलके वो तो जी रहे हैं ज़िन्दगीनफ़रतें हैं बस हमारे दरमियाँजबसे देखा है उन्हें सजते हुएगिर रहीं हैं दिल पे मेरे बिजलियाँऔर मैं किसको बताओ क्या कहूँसबस... Read more |
![]() ![]() "लोकतंत्र कमज़ोर है, वोट खरीदे जाते है, बूथ कैप्चर किये जाते है, मतगणना मे धांधली करवाई जाती है, विधायक और सांसद खरीदे जाते है, पूंजीवादी व्यवस्था है, भ्रष्टाचार फैला हुआ है, व्यवस्था को हरगिज़ नहीं बदला जा सकता है" इत्यादि-इत्यादि.... ... Read more |
![]() ![]() आज के मौजूं पर अदम गोंडवी साहब की कुछ मेरी पसंदीदा ग़ज़लें: आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे अपने शाहे-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे तालिबे शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे आए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए चार छ: चमचे रहें माइक रहे माला रहे - अदम गोंडवी... Read more |
![]() ![]() महिला अधिकारों के हनन के अनेक कारण हो सकते हैं, पर मेरे हिसाब से महिलाओं में शिक्षा तथा आर्थिक सशक्तिकरण की कमी इसके प्रमुख कारण हैं और इनसे भी बड़ा एक वजह है पौरुषीय दंभ। आइये इसी पर चर्चा करते हैं।... Read more |
![]() ![]() उल्फत में इस तरह से निखर जाएंगे एक दिन हम तेरी मौहब्बत में संवर जाएंगे एक दिन एक तेरा सहारा ही बहुत है मेरे लिए वर्ना तो मोतियों से बिखर जाएंगे एक दिन हमने बना लिया है मुश्किलों को ही मंज़िल... Read more |
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