Blog: DHAROHAR |
![]() ![]() नाटक का आमंत्रण 'मारे गए गुलफाम'जब फणीश्वरनाथ रेणु जी ने लिखी होगी उनकी एक भावना रही होगी, जब शैलेंद्र ने इसपर फ़िल्म बनाने का सोचा होगा उनकी भी एक भावना रही होगी, राजकपूर ने जब हिरामन की भूमिका चुनी होगी, उनकी भी एक भावना रही होगी और जब वहीदा रहमान ने कहानी सुन भ... Read more |
![]() ![]() खगोलीय पिंडों में उल्का का एक अलग ही स्थान है जिससे गंभीर शोधकर्ता ही नहीं आम जन भी परिचित हैं। आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में 'टूटते हुए तारे'अथवा 'लूका'कहत... Read more |
![]() ![]() हम बड़े नहीं होंगे- कॉमिक्स जिंदाबादकॉमिक्स प्रेमियों का यह प्रिय नारा है। वो भी दिन थे जब रविवार को बेताबी से अखबार वाले का इंतजार रहता था जिसकी थैली में ढ़ेरों रोचक कहानियों का घर बाल पत्रिकाएं होती थीं। होली-दिवाली आदि विशेषांकों की तो बात ही और थी। छुट्टियों का मज़... Read more |
![]() ![]() भूविज्ञान और विज्ञान से जुड़े कई अन्य वैज्ञानिकों की यह खासियत होती है कि वो अपने बारे में ज्यादा बात नहीं करते,औरों से ज्यादा बात नहीं करते,औरों की भी ज्यादा बात नहीं करते. और अधिकांश अपनी एकल उपलब्धियाँ बटोरे खामोशी से एक दिन खामोशी से गुजर जाते हैं। भारत में यह व... Read more |
![]() ![]() डॉ. राम मनोहर लोहिया ने लिखा था- "...कृष्ण बहुत अधिक हिंदुस्तान के साथ जुड़ा हुआ है। हिंदुस्तान के ज्यादातर देव और अवतार अपनी मिट्टी के साथ सने हुए हैं। मिट्टी से अलग करने पर वे बहुत कुछ निष्प्राण हो जाते हैं। त्रेता का राम हिंदुस्तान की उत्तर-दक्षिण एकता का देव ह... Read more |
![]() ![]() दारा शिकोह मुग़ल सल्तनत का एक शहज़ादा जिसे शाहज़हां ने अपना उत्तराधिकारी माना था, जो हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धाराओं के दार्शनिक पहलुओं को जोड़ने को प्रयासरत था। इसी कड़ी में उसने उपनिषदों का अनुवाद किया, वेदांत और सूफ़ीवाद का तुलनात्मक अध्ययन किया और कई पुस्तकें लिखीं... Read more |
![]() ![]() सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर और फिर आशा भोंसले की तरह ही भोजपुरी लोकगीतों में कोई नाम याद करें तो वो विंध्यवासिनी देवी जी और शारदा सिन्हा जी का होगा। आज की भीड़ में शारदा सिन्हा जी भले अपनी अलग पहचान लिए खड़ी दिखती हों, विंध्यवासिनी देवी की याद कम ही की जाती है। मगर छठ जैसे ... Read more |
![]() ![]() सैफ हैदर हसन जो इससे पहले अमृता प्रीतम-साहिर पर आधारित 'एक मुलाक़ात'नाटक का निर्माण कर चुके हैं- लिखित और निर्देशित तथा आरिफ़ ज़कारिया-सोनाली कुलकर्णी अभिनीत ‘गर्दिश में तारे'नाटक यूँ तो गुरुदत्त और गीता दत्त की जिं... Read more |
![]() ![]() आज भोजपुरी भाषा,भोजपुरी फिल्में,भोजपुरी गीत अपने संक्रमण काल से गुजर रहे हैं। जिन चेहरों और आवाजों को इसका नायक समझ लिया गया है व्यवसाय की अंधी दौड़ में उन्होंने इस मीठी भाषा से जुड़ी भावनाओं का दोहन ही किया है। ये लोग अपने उन महान पुरखों को याद भले न करें या शायद जानते भ... Read more |
![]() ![]() तू याद बहुत आएगा तो... 80 का दौर हिन्दी सिनेमा में संगीत के लिहाज से सबसे बुरे दौर में एक माना जाता है। जब मुख्यधारा की फिल्मों में हिंसा,अश्लीलता,द्वियार्थी संवाद अपनी जगह बना चुके थे,रफी,मुकेश,किशोर के दौर का संगीत खत्म ही हो चुका था। फिल्मों में गानों की जगह बस जग... Read more |
![]() ![]() (द्विशतकीय पोस्ट)पिछले दिनों एक वैवाहिक समारोह में शामिल होने बिहार के खगड़िया गया तो अपनी आदत और स्वभाव के मुताबिक यहाँ की एक ऐतिहासिक विरासत के बारे में थोड़ी जानकारी जुटा उसे देखने भी गया। रात भर जागे होने के बाद इस गर्मी में वहाँ जाना तो एक अभियान सा था ही लौटते समय त... Read more |
![]() ![]() रामनवमी देश के हिंदुओं का एक प्रसिद्ध पर्व है, जब सारा देश भगवान राम का प्राकट्योत्सव मनाता है। देश के विभिन्न भागों में इस अवसर को अलग-अलग अंदाज में मनाते हैं। पर हजारीबाग की रामनवमी की बात ही अलग है। पूरे देश में जहां रामनवमी को ही मुख्य पूजा-अर्चना होती है यहाँ ... Read more |
![]() ![]() आज अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस है। इसका प्रारम्भ 1961 में इंटरनेशनलथियेट्रिकल इंस्टीट्यूट द्वारा की गई थी। तब से यह प्रति वर्ष 27 मार्च को विश्वभर में फैले नेशनल थियेट्रिकल इंस्टीट्यूट के विभिन्न केंद्रों में तो मनाया ही जाता है, रंगमंच से संबंधित अनेक ... Read more |
![]() ![]() कहते हैं कि हमें तब तक किसी का महत्व समझ नहीं आता,जब तक हम उसे खो नहीं देते। ये बात फिलहाल ‘देव बाबू’या देवदास के संदर्भ में। देवदास- 1917 में प्रकाशित शरतचंद्र की एक ऐसी कृति जिसे वो स्वयं भी काफी ज्यादा पसंद नहीं करते थे। देवदास जो शायद उनके ही किन्हीं अनुभवों का साहित्य... Read more |
![]() ![]() धरती पर स्वर्ग के रूप में विश्वविख्यात कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए तो प्रसिद्ध है ही,इसकी माटी सभ्यता और संस्कृति के विकास के लिए भी काफी उर्वर रही है। प्राकऐतिहासिक काल से आधुनिक काल तक इसने मानव सभ्यता की विकासयात्रा के कई पड़ावों को पल्लवित होते देखा है। ... Read more |
![]() ![]() ययाति के विषय में कई प्रारूप की कहानियां मिलती हैं। सबमें उनके मुख्यतः इच्छाओं और भोग से निवृत न हो पाने की प्रवृत्ति का उल्लेख है और सारांश रूप में यही है कि अंततः वो कह उठते हैं कि "अब मैं चलने को तैयार हूं। यह नहीं कि मेरी इच्छाएं पूरी हो गईं, इच्छाएं वैसी की वैसी अध... Read more |
![]() ![]() धरती का स्वर्ग कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए तो प्रसिद्ध है ही,यह जैव विविधता की दृष्टि से भी काफी समृद्ध है। यहाँ स्थित दाचीगाम राष्ट्रीय अभ्यारण्य यही दर्शाता है। श्रीनगर से लगभग 21 किमी दूर यह अभ्यारण्य यहाँ के प्रसिद्ध शालीमार बाग के निकट ही है। स्थानीय पर... Read more |
![]() ![]() कश्मीर के मज़ारमुंड: कश्मीर घाटी बर्फ का मौसम ढलने के बाद विभिन्न रंगों के फूलों से ढंक जाती है। इनमें सबसे अनूठे लगते हैं यहाँ के कब्रिस्तानों में खिलने वाले फूल। कहीं नीले, कहीं पीले, तो कहीँ लाल... मगर ताज्जुब ये कि ये फूल सामान्यतः फूलों से ही भरे पार्कों में नहीं दिखत... Read more |
![]() ![]() वृक्षों से मानव का संबंध और आस्था अति प्राचीन है। बड़े, विशाल और लंबी आयु के वृक्षों की पूजा जो ट्राइबल और शास्त्रीय सभी मान्यताओं में विद्यमान है के पीछे इनसे ऐसे ही जीवन का आशीर्वाद पाने की कामना भी एक प्रमुख कारण रही होगी। पीपल, वट आदि ऐसे ही वृक्षों में आते हैं। ऐसे ह... Read more |
![]() ![]() मेरी पसंदीदा कहानियों में संभवतः सर्वोपरि और मेरी पढ़ी हुई कहानियों में सबसे प्रारम्भिक भी... तब भी जाने क्या देखा था इसमें कि इसके आकर्षण से कभी निकल न पाया... बाद में पता चला इसके मुरीदों में एक मैं ही नहीं था, 1915 में छपने के सौ साल के बाद से कितनी पीढ़ियों को इसने आज भी अपने ... Read more |
![]() ![]() प्रधानमंत्री मोदी आज से अपनी चीन यात्रा पर हैं। चीन के साथ हमारे संबंध ऐतिहासिक होने के साथ काफी उतार-चढ़ाव लेते हुए भी रहे हैं। दोनों देशों के साथ जुड़ी चंद खुशनुमा यादों में डॉ. द्वारकानाथ कोटनीस की स्मृतियाँ भी शामिल हैं। तो कल 'डॉ कोटनीस की अमर कहानी'की भी याद आएगी ! डॉ... Read more |
![]() ![]() गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने साहित्य के अलावा न सिर्फ संगीत, चित्रकला, दर्शन आदि में अपना योगदान दिया बल्कि तब के अभिव्यक्ति के उभरते माध्यम सिनेमा के लिए भी एक ऐतिहासिक भूमिका निभाई। नटिर पूजा एकमात्र ऐसी फ़िल्म है जिसमे गुरुदेव ने निर्देशक तथा एक महत्वपूर्ण पात्र ... Read more |
![]() ![]() कुछ राज कभी सामने आते नहीं, कुछ राज सामने आने दिये जाते नहीं... कुछ राज आधे सामने आते हैं-आधे पर्दे के पीछे ही रखे जाते हैं... सबके पीछे अपने-अपने स्वार्थ होते हैं... तात्कालिक लाभ के साथ लंबी अवधि तक भ्रम फैलाए रखना भी इसके कारणों में से हैं। और ये देश जिसकी परी और रहस्य कथाओं... Read more |
![]() ![]() हम सामान्यतः सिलेक्टिव और सुविधाजनक इतिहास पसन्द करते हैं और असहज प्रश्नों से परहेज ही बरतने की कोशिश करते हैं। इसी लिये अपने अनुकूल इतिहास लिखवाने और इतिहास में अपनी जगह तलाशने की प्रवृत्ति पाई जाती है। जिन ट्राइबल्स को असभ्य/अनार्य घोषित किया उनकी वैज्ञानिक सोच ... Read more |
![]() ![]() गीत-संगीत का हमारे जीवन में अहम् स्थान है। यही कारण है कि हिंदुस्तानी सिनेमा से भी गानों को अलग नहीं किया जा सकता। होली गीतों के साथ भी यही बात है। कई बेहतरीन गाने जुड़े हैं इस पर्व से। कुछ गाने कहानी को आगे बढ़ाते हैं (जैसे शोले), तो कुछ इसी लिए डाल दिए गए कि होली के बहाने थो... Read more |
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