सबसे पहली बात तो यही आश्चर्य करती है कि हरिद्वार, ऋषिकेश जैसे तीर्थ स्थल पर एडवेंचर्स जैसा क्या होगा, जब भी किसी से पूछा था कि तुम चलोगे बस एक ही जवाब मिला, हमारी उम्र नहीं है जी हरिद्वार जाने की, या हमें तो मरने के बाद हमारे बच्चे ले जायेंगे और गंगा में बहा आयेंगें... बहरहा... |
कलम की ताकत कभी तलवार से कम नहीं रही है, आज हम बात कर रहे हैं गणेश शंकर विद्यार्थी की, जिन्होनें अपनी कलम की ताकत से अंग्रेज़ी शासन की नींव हिला दी थी।26 अक्टूबर 1890 तीर्थराज प्रयाग में जन्में गणेशशंकर विद्यार्थी बचपन से ही राष्ट्रभक्त थे, पिता से हिंदी पढ़ते-पढ़ते उन्हें हिं... |
आज हम उस लौह पुरूष की बात कर रहे हैं जो राष्ट्रीय एकता के अद्भुत शिल्पी थे, जिनके ह्रुदय में भारत बसता था,जो किसान की आत्मा कहे जाते थे... जी हाँ ऎसे थे स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल । इनका जन्म 31 अक्टूबर सन 1875 में गुजरात में हुआ था।स्वतंत्रता आ... |
आज हम जिन्हेंयाद कर रहे हैं उन वीर सेनानी को 1857 की क्रांति का पहला शहीद सिपाही कहा जाता है। भारत की आज़ादी की पहली लड़ाई छेड़ने वाला ये वीर बहादुर सिपाही कोई और नहीं शहीद मंगल पांडे के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गाँव में हुआ ... |
आज ज्ञान चतुर्वेदी जी का जन्म-दिन है, उनके जन्म-दिवस पर सब कुछ न कुछ उपहार स्वरूप लिख रहे हैं, मैने बस उन्हें एक पत्र लिखा है... आजकल खुले पत्र का रिवाज़ सा बन गया है, छुप-छुप कर लिखे जाने वाले प्रेम पत्र ही पत्रिकाओं में छपने लग गये हैं तो यह बहुत साधारण सी बात है कि मैने ज्ञान... |
साहित्य अमृत के नये अंक में पढिये मेरा एक व्यंग्य... पर उपदेश कुशल बहुतेरे, नसीहतबाज़ कहें या पर-उपदेशक इन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता, आजकल ये सारे के सारे उपदेशानन्द व्हाट्स एप्प और फ़ेसबुक बाबा के घर बैठे नजर आते हैं, सुबह जैसे ही मोबाइल ओपन किया तपाक से एक नसीहत दे मारी, रा... |
अँधेरे से उजाले की ओर ले जाती प्रेम-कहानी"अँधेरे का मध्य बिंदु "वंदना गुप्ता का प्रथम उपन्यास है । इससे पहले उनकी पहचान एक कवयित्री और एक ब्लॉगर के रूप में ही थी...सबसे पहली बात मेरे मन में जो आती है वह ये है कि जिस विषय पर हमारा समाज कभी बात करना पसंद नहीं करता, जिसे नई पीढी... |
प्यारी बेटी सुगंधा,ढेर सारा प्यार एवं शुभाशीषतुम जानती हो मेरे लिये तुम्हारा होना क्या मायने रखता है, तुम्हारे होने से मै खुद को भरा-भरा महसूस करती हूँ, मुझे याद है जब तुम इस घर से विदा हुई थी कितना रोई थी, उस वक्त तुम्हारा रोना हम सबको कई हफ़्तों तक रुलाता रहा था, रातों ... |
महानगरों में माँ बनने के मायने किस तरह बदल गये हैं, आप भी पढ़ कर अपनी राय अवश्य दें, नई दुनियां की नायिका पत्रिका में प्रकाशित एक आर्टिकल...।मैट्रो में माँ बनने के मायने बदलेनिदा फ़ाजली साहब का एक शेर है...बाँट के अपना चेहरा, माथा, आँखें, जाने कहाँ गईफ़टे पुराने एक एलबम में, चंच... |
पहरेदारी मुल्क की सौंप हमारे हाथ ..सारा भारत चैन से सोये सारी रात .भारतीय सेना के एक ऑफ़िसर विजेंद्र शर्मा की यह पंक्तियाँ बरबस ही याद आ रही हैं, आप भी सोचिये इस विषय में। हमारे बुजूर्ग कहा करते थे, "पर उपदेश कुशल बहुतेरे"यानि जिनकी कथनी और करनी में फ़र्क होता है उनकी बात कोई... |
जब बहुत छोटी थी तब माँ को देखा करती थी करवाचौथ का व्रत करते हुयें. माँ सजधज कर जब बहुत सारे पकवान बनाया करती थी, हम बच्चे आश्चर्य करते थे कि माँ ने पानी तक नहीं पिया है कहीं गिर न जाये, पिता माँ का पूरा ख्याल रखते थे, यहाँ तक की आटा लगाना सब्जी काटना जैसे काम करने से भी नहीं च... |
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October 30, 2015, 8:03 pm |
ये बुराड़ी के एक वृध्दाश्रम की तस्वीरें हैं, जहाँ हम पूरे परिवार के साथ खाना खिलाने गये थे, जाने से पहले मन में बहुत उत्साह था, कि उन लोगों को देखूंगी जो स्वेच्छा से अपने बच्चों से दूर रहते हैं, या जिन्होनें संसार से विरक्त होकर सन्यासी जीवन जीने की चाह रखी होगी। लेकिन व... |
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October 14, 2015, 2:15 pm |
बाढ़ की सम्भावनायें सामनें हैं/ और नदिया के किनारे घर बने हैं... आप सोच रहे होंगे कि उस शख्स को तो फिर डूब ही जाना पड़ेगा। लेकिन नहीं ऎसा नहीं है, आप अपने घर की दीवारे वाटर प्रूफ़ बनाईये, बाहर कुछ नाव बाँधकर रखिये, कुछ टायर ट्यूब व... |
भैंस बहुत ही परेशान है, करे... तो क्या करे? या तो किसी तालाब में डूब मरे, लेकिन वो तो तैरना जानती है सो आत्महत्या भी नहीं कर पा रही है। कल तक पच्चीस किलो दूध और चार टाइम गोबर करके घर वालों के लिये दूध और उपलों का इंतजाम भैंस के द्वारा हो रहा था कि अचानक एक सिरफ़िरे डायरेक्टर की ... |
जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा और हर साल उमड़-घुमड़ कर आने वाले श्रद्धालुओं की भक्ति देख कर मन प्रफ़ुल्लित हो उठता है, लेकिन पुलिस की चौकस निगरानी, सरकार की ओर से भक्तों के लिये सभी प्रकार की सुविधाये, साधु-संतो के पहचान पत्र तक बन जाने के बाद भी जगन्नाथ पुरी में इतनी प्राणघातक भ... |
मुहल्ला अस्सी का ट्रेलर देखा, देखते ही बचपन में होने वाली रामलीला याद आ गई, याद आ गये वे सभी भांड जो देवी-देवताओं का स्वाँग धरकर पैसा माँगते फिरते हैं, मुहल्ला अस्सी में भी देवी-देवताओं का स्वाँग रचकर गाली-गलौज की गई है, हम बेशक सारा दिन मंदिर की घंटियाँ न बजायें लेकिन फ़... |
सुनीता शानूएक कमरे में ऎसे गुमसुम बैठे हैं, जैसे किसी शोक सभा में मौजूद हों। कभी लगता है सब के सब गूंगे-बहरे हो गए हैं। कान में मशीन घुसा ली है। कुछ लोग बीच-बीच में मुस्कुराते हैं, कभी गुस्सा करते हैं तो कभी हंसते भी हैं। लेकिन एक-दूसरे को देखते तक नहीं। यूं कहें कि एक दूसर... |
पेड़-पौधे परिवार के सदस्यों की तरह समझे जायेंगे तो वातावरण भी हमारे घर में रिश्तों में आई मिठास सा घुल जायेगा, जैसे परिवार का हर सदस्य घर में कुछ न कुछ योगदान देता ही है, पेड़-पौधे भी मनुष्य जीवन के लिये अपना सब कुछ न्यौछावर कर देते हैं...एक समय था जब हम अपने घर की क्यारियो... |
आईये विचार करें..सोशल साइट्स के ज़रिये जनता ने दामिनी, सुनंदा जैसे कई केस ऎसे हैं जिनमें अपराधियों को अंजाम तक पहुंचाया है, लेकिन अब तो ऎसा चलन हो गया है। कुछ समय से व्हाट्स एप जैसी साइट्स पर लोग दहशत फैलाने वाले विडियों अपलोड करते हैं साथ ही हिदायत देते हैं कि इस विडियो क... |
यात्रा संस्मरण- पटना पुस्तक मेलायात्राएं तो बहुत की हैं, कभी अकेले तो कभी समूह में किंतु पटना पुस्तक मेला यात्रा मेरी ज़िंदगी में एक विशेष स्थान रखती है। मै नहीं जानती थी कि ऎसा भी होता होगा, जब किसी अनजान शहर से अनजान लोगों के द्वारा आपको बुलाया जायेगा, वह भी किसी विशेष ... |
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November 18, 2014, 5:33 pm |
चस्का कोई भी हो जब लग जाये तो समझो, आधा दिमाग तो गया। कुछ ऎसा ही हाल हुआ हमारे साथ भी। हुआ यूँ कि संपादक महोदय ने बुलाया और कहा, आजकल किटी पार्टी का चस्का महिलाओं में तेज़ी से बढ़ रहा है, आप ऎसा कीजिये कि इस विषय पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिये। और कल के अखबार में हैडिंग रहेग... |
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September 2, 2014, 6:04 pm |
आलू-प्याज कैबिनेट मीटिंग सुनीता शानू मंगलवार, 8 जुलाई 2014 अमर उजाला, दिल्ली Updated @ 1:59 AM ISTआज रात आलू जी ने एक मीटिंग बुलवाई, जिसका एजेंडा था कि जब-जब सरकारें बनती हैं, हम पर ही दबाव क्यों बनाया जाता है। वह बोले, कभी गोदाम में हमें इतना ठूंस-ठूंसकर भर देते हैं कि हमारा दम घुट जाता... |
चाय उबली ही नहीं दूध डाल दियाजबसे मोदी जी ने “नमो” टी स्टॉल खोली है, लोगों ने “शनो” टी स्टॉल पर आना ही बंद कर दिया। क्या बुराई थी बताओ तो? मै तो बदले में वोट भी नहीं माँग रही थी। जाने कितनी ही बार कविता सुनाने के चक्कर में, लोंगों को एक के साथ एक चाय फ़्री भी पिलाई थी, लेकिन ... |
ओए, तू किसकी भैंस है बोल! ऐ, रुक कहां जाती है? बेचारे सिपाही कभी भैंस को ढूंढेंगे, कभी कुत्तों को। देश की भैंस जाए पानी में, हमको क्या। हां, मंत्री जी की भैंस का सवाल है, भैया। भैंस न हुई, फिल्म की हीरोइन हो गई, जो कभी टीवी, तो कभी अखबार की सुर्खियां बन गई। आखिर सबको नाकों चने चब... |
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February 6, 2014, 8:11 am |
सुनीता शानूज्यादा मत सोचिए। कोई लड़की या लड़के की फोटो को शादी के लिए लाइक करने की बात नहीं हो रही है। यहां सवाल बस एक लाइक का है। लाइक बोले तो- अंगेजी का ये लाइक चेहरे की किताब पर पसंद का एक चटका लगाना है- कि फलां की तस्वीर खूबसूरत है, तो फलां ने एक शेर लिख डाला है और चाहता ... |
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January 28, 2014, 4:03 pm |
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