Blog: नन्हे सुमन |
![]() ![]() रोग अगर दिखलाई दे तो,कभी न करना जादू-टोना।अपने पैर पसार चुका है,पूरी दुनिया में कोरोना।।बाहर नहीं निकलना घर से,घर में पूरा समय बिताओ।हर घंटे हाथों को धोओ,साफ-सफाई को अपनाओ।अपनी पुस्तक को दोहराओ,यह अनमोल समय मत खोना।अपने पैर पसार चुका है,पूरी दुनिया में कोरोना।।शीतल प... Read more |
![]() ![]() सारे जग से न्यारा मामा।सब बच्चों का प्यारा मामा।।नभ में कैसा दमक रहा है।चन्दा कितना चमक रहा है।।कभी बड़ा छोटा हो जाता।और कभी मोटा हो जाता।।करवाचौथ पर्व जब आता।चन्दा का महत्व बढ़ जाता।।महिलायें छत पर जा करके।आसमान तकतीं जी भरके।।यह सुहाग का शुभ दाता है।इसीलिए पूजा ... Read more |
![]() ![]() विश्व कविता दिवस परप्रस्तुत है आज एक बाल कवितासड़क किनारे जो भी पाया,पेट उसी से यह भरती है।मोहनभोग समझकर,भूखी गइया कचरा चरती है।। कैसे खाऊँ मैं कचरे को,बछड़ा मइया से कहता है।दूध सभी दुह लेता मालिक,उदर मेरा भूखा रहता है।। भोजन की आशा में बछड़ा,इधर-उधर को ताक र... Read more |
![]() ![]() रंग-गुलाल साथ में लाया।होली का मौसम अब आया।पिचकारी फिर से आई हैं,बच्चों के मन को भाई हैं,तन-मन में आनन्द समाया।होली का मौसम अब आया।।गुझिया थाली में पसरी हैं,पकवानों की महक भरी हैं, मठरी ने मन को ललचाया।होली का मौसम अब आया।।बरफी की है शान निराली,भरी हुई है पूरी थाली,अम्... Read more |
![]() ![]() झूम-झूमकर मच्छर आते।कानों में गुञ्जार सुनाते।।नाम ईश का जपते-जपते।सुबह-शाम को खूब निकलते।। बैठा एक हमारे सिर पर।खून चूसता है जी भर कर।।नहीं यह बिल्कुल भी डरता।लाल रक्त से टंकी भरता।। कैसे मीठी निंदिया आये?मक्खी-मच्छर नहीं सतायें।मच्छरदानी को अपनाओ।चैन-अमन से स... Read more |
![]() ![]() कितना सुन्दर और सजीला।खट्टा-मीठा और रसीला।।हरे-सफेद, बैंगनी-काले।छोटे-लम्बे और निराले।।शीतलता को देने वाले।हैं शहतूत बहुत गुण वाले।।पारा जब दिन का बढ़ जाता।तब शहतूत बहुत मन भाता। इसका वृक्ष बहुत उपयोगी।ठण्डी छाया बहुत निरोगी।।टहनी-डण्ठल सब हैं बढ़िया।इनसे बनत... Read more |
![]() ![]() सीधा-सादा. भोला-भाला।बच्चों का संसार निराला।।बचपन सबसे होता अच्छा।बच्चों का मन होता सच्चा।पल में रूठें, पल में मानें।बैर-भाव को ये क्या जानें।।प्यारे-प्यारे सहज-सलोने।बच्चे तो हैं स्वयं खिलौने।।बच्चों से होती है माता।ममता से है माँ का नाता।।बच्चों से है दुनियादा... Read more |
![]() ![]() तीखी-तीखी और चर्परी।हरी मिर्च थाली में पसरी।।तोते इसे प्यार से खाते।मिर्च देखकर खुश हो जाते।।सब्ज़ी का यह स्वाद बढ़ाती।किन्तु पेट में जलन मचाती।।जो ज्यादा मिर्ची खाते हैं।सुबह-सुबह वो पछताते हैं।।दूध-दही बल देने वाले।रोग लगाते, मिर्च-मसाले।।शाक-दाल को घर में लान... Read more |
![]() ![]() मैं तुमको गुरगल कहता हूँ,लेकिन तुम हो मैना जैसी।तुम गाती हो कर्कश सुर में,क्या मैना होती है ऐसी??सुन्दर तन पाया है तुमने,लेकिन बहुत घमण्डी हो।नहीं जानती प्रीत-रीत को,तुम चिड़िया उदण्डी हो।।जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाकर,तुम आगे को बढ़ती हो।अपनी सखी-सहेली से तुम,सौतन जैसी लड़त... Read more |
![]() ![]() चित्रांकन - कु. प्राचीमम्मी देखो मेरी डॉल।खेल रही है यह तो बॉल।।पढ़ना-लिखना इसे न आता।खेल-खेलना बहुत सुहाता।।कॉपी-पुस्तक इसे दिलाना।विद्यालय में नाम लिखाना।।मैं गुड़िया को रोज सवेरे।लाड़ लड़ाऊँगी बहुतेरे।।विद्यालय में ले जाऊँगी।क.ख.ग.घ. सिखलाऊँगी।।... Read more |
![]() ![]() काले रंग का चतुर-चपल,पंछी है सबसे न्यारा।डाली पर बैठा कौओं का, जोड़ा कितना प्यारा।नजर घुमाकर देख रहे ये,कहाँ मिलेगा खाना।जिसको खाकर कर्कश स्वर में,छेड़ें राग पुराना।।काँव-काँव का इनका गाना,सबको नहीं सुहाता।लेकिन बच्चों को कौओं का,सुर है बहुत लुभाता।।कोयलिया की ... Read more |
![]() ![]() बगुला भगत बना है कैसा?लगता एक तपस्वी जैसा।।अपनी धुन में अड़ा हुआ है।एक टाँग पर खड़ा हुआ है।।धवल दूध सा उजला तन है।जिसमें बसता काला मन है।।मीनों के कुल का घाती है।नेता जी का यह नाती है।।बैठा यह तालाब किनारे।छिपी मछलियाँ डर के मारे।।पंखों को यह नोच रहा है।आँख मूँद कर सो... Read more |
![]() ![]() पूरब से जो उगता है और पश्चिम में छिप जाता है।यह प्रकाश का पुंज हमारा सूरज कहलाता है।। रुकता नही कभी भी चलता रहता सदा नियम से, दुनिया को नियमित होने का पाठ पढ़ा जाता है। यह प्रकाश का पुंज हमारा सूरज कहलाता है।। नही किसी से भेद-भाव ये बैर कभी रखता है, सदा हितैषी रह... Read more |
![]() ![]() रंग-बिरंगी पेंसिलें तो, हमको खूब लुभाती हैं। ये ही हमसे ए.बी.सी.डी., क.ख.ग. लिखवाती हैं।। रेखा-चित्र बनाना, इनके बिना असम्भव होता है।कला बनाना भी तो, केवल इनसे सम्भव होता है।। गल्ती हो जाये तो,लेकर रबड़ तुरन्त मिटा डालो।गुणा-भाग करना चाहो तो,बस्ते में से इसे... Read more |
![]() ![]() मई महीना आता है और, जब गर्मी बढ़ जाती है।नानी जी के घर की मुझको, बेहद याद सताती है।।तब मैं मम्मी से कहती हूँ, नानी के घर जाना है।नानी के प्यारे हाथों से, आइसक्रीम भी खाना है।।कथा-कहानी मम्मी तुम तो, मुझको नही सुनाती हो।नानी जैसे मीठे स्वर में, गीत कभी नही ... Read more |
![]() ![]() इतनी जल्दी क्या है बिटिया, सिर पर पल्लू लाने की।अभी उम्र है गुड्डे-गुड़ियों के संग,समय बिताने की।।मम्मी-पापा तुम्हें देख कर,मन ही मन हर्षाते हैं।जब वो नन्ही सी बेटी की,छवि आखों में पाते है।।जब आयेगा समय सुहाना, देंगे हम उपहार तुम्हें।तन मन धन से सब सौगातें, देंग... Read more |
![]() ![]() विद्या का भण्डार भरा है जिसमें सारा।मुझको अपना विद्यालय लगता है प्यारा।।नित्य नियम से विद्यालय में, मैं पढ़ने को जाता हूँ।इण्टरवल जब हो जाता मैं टिफन खोल कर खाता हूँ।खेल-खेल में दीदी जी विज्ञान गणित सिखलाती हैं।हिन्दी और सामान्य-ज्ञान भी ढंग से हमें पढ़ाती हैं।।कम... Read more |
![]() ![]() "उल्लू"उल्लू का रंग-रूप निराला।लगता कितना भोला-भाला।।अन्धकार इसके मन भाता।सूरज इसको नही सुहाता।।यह लक्ष्मी जी का वाहक है।धन-दौलत का संग्राहक है।।इसकी पूजा जो है करता।ये उसकी मति को है हरता।।धन का रोग लगा देता यह।सुख की नींद भगा देता यह।।सबको इसके बोल अखरते।बड़े-बड़े ... Read more |
![]() ![]() यह कुत्ता है बड़ा शिकारी।बिल्ली का दुश्मन है भारी।।बन्दर अगर इसे दिख जाता।भौंक-भौंक कर उसे भगाता।।उछल-उछल कर दौड़ लगाता।बॉल पकड़ कर जल्दी लाता।।यह सीधा-सच्चा लगता है।बच्चों को अच्छा लगता है।।धवल दूध सा तन है सारा।इसका नाम फिरंगी प्यारा।।आँखें इसकी चमकीली हैं।भूरी स... Read more |
![]() ![]() मैं अपनी मम्मी-पापा के,नयनों का हूँ नन्हा-तारा। मुझको लाकर देते हैं वो,रंग-बिरंगा सा गुब्बारा।।मुझे कार में बैठाकर,वो रोज घुमाने जाते हैं।पापा जी मेरी खातिर,कुछ नये खिलौने लाते हैं।। मैं जब चलता ठुमक-ठुमक,वो फूले नही समाते हैं।जग के स्वप्न सलोने,उनकी आँखों में छ... Read more |
![]() ![]() गुन-गुन करता भँवरा आया।कलियों फूलों पर मंडराया।।यह गुंजन करता उपवन में।गीत सुनाता है कानन में।।कितना काला इसका तन है।किन्तु बड़ा ही उजला मन है।जामुन जैसी शोभा न्यारी।खुशबू इसको लगती प्यारी।।यह फूलों का रस पीता है।मीठा रस पीकर जीता है।।... Read more |
![]() ![]() बच्चों को लगते जो प्यारे।वो कहलाते हैं गुब्बारे।।गलियों, बाजारों, ठेलों में।गुब्बारे बिकते मेलों में।।काले, लाल, बैंगनी, पीले।कुछ हैं हरे, बसन्ती, नीले।।पापा थैली भर कर लाते।जन्म-दिवस पर इन्हें सजाते।।गलियों, बाजारों, ठेलों में।गुब्बारे बिकते मेलों में।।फूँ... Read more |
![]() ![]() गैस सिलेण्डर कितना प्यारा।मम्मी की आँखों का तारा।।रेगूलेटर अच्छा लाना।सही ढंग से इसे लगाना।। गैस सिलेण्डर है वरदान।यह रसोई-घर की है शान।। दूघ पकाओ, चाय बनाओ। मनचाहे पकवान बनाओ।। बिजली अगर नही है घर में।यह प्रकाश देता पल भर में।। बाथरूम में इसे लगाओ। गर्म-... Read more |
![]() ![]() मेरा बस्ता कितना भारी।बोझ उठाना है लाचारी।।मेरा तो नन्हा सा मन है।छोटी बुद्धि दुर्बल तन है।।पढ़नी पड़ती सारी पुस्तक।थक जाता है मेरा मस्तक।।रोज-रोज विद्यालय जाना।बड़ा कठिन है भार उठाना।।कम्प्यूटर का युग अब आया।इसमें सारा ज्ञान समाया।।मोटी पोथी सभी हटा दो।बस्ते ... Read more |
![]() ![]() मेरी गैया बड़ी निराली, सीधी-सादी, भोली-भाली। सुबह हुई काली रम्भाई,मेरा दूध निकालो भाई। हरी घास खाने को लाना,उसमें भूसा नही मिलाना। उसका बछड़ा बड़ा सलोना,वह प्यारा सा एक खिलौना। मैं जब गाय दूहने जाता,वह अम्मा कहकर चिल्लाता। सारा दूध नही दुह लेना,मुझको भी ... Read more |
Share: |
|
|||||||||||
और सन्देश... |
![]() |
कुल ब्लॉग्स (4020) | ![]() |
कुल पोस्ट (193860) |