Blog: SAROKAR |
![]() ![]() ऋग्वेद की अंतर्वस्तु का अध्ययन और पड़ताल करने पर वैदिक जनों के मूल याने आद्यभौतिकवादी दृष्टिकोण पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है |अधिकांश ऋचाओं में लौकिक कामनाओं को केन्द्रीय महत्त्व मिला है |उनमें या तो वैदिक जनों की लौकिक आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए की जाने वाली आनुष्... Read more |
![]() ![]() जैन मान्यता है कि मन ,वाणी और कर्म से की जाने वाली हर क्रिया से एक सूक्ष्म प्रभाव उत्पन्न होता है जिसकी'कर्म'संज्ञा है और इसका भौतिक अस्तित्व माना गया है लेकिन अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण यह इन्द्रियगोचर नहीं होता |न दिखने के कारण इसे 'अदृष्ट 'की संज्ञा भी दी गयी है |जिस प... Read more |
![]() ![]() दर्शन या दर्शनशास्त्र से सामान्य तात्पर्य है -जीवन और जगत के मूल उत्स के बारे में सैद्धांतिक विमर्श | इस विमर्श में जीवन को उन्नत बनाने के उपाय खोजना भी शामिल है लेकिन प्रायः हमारा आग्रह जीवन के भौतिक पक्ष पर कम और उसके अपार्थिव और लोकोत्तर पक्ष पर ज्यादा रहा है |इस कार... Read more |
![]() ![]() यथार्थ कृत्यात्मकता में निहित होता है |इसलिए उसे केवल क्रियात्मक रूप से जाना जा सकता है |हर वह तथ्य जो क्रियमाण या प्रवृत्तमान है ,यथार्थ है |यथार्थ का प्रकटीकरण गति या प्रवृत्ति के द्वारा होता है ,इसलिए गति या प्रवृत्ति यथार्थ के रूपाकार हैं |जो घटित हो रहा है ,वह यथार्... Read more |
![]() ![]() यज्ञ को श्रीपाद अमृत डांगे वैदिक जनों के उत्पादन का सामूहिक ढंग मानते हैं जबकि देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय इसे सामूहिक उत्पादन का आनुष्ठानिक पक्ष मानना चाहते हैं लेकिन मेरे विचारानुसार यज्ञ वितरण का सामूहिक ढंग है |वर्गपूर्व समाज में कबीले के हर सदस्य द्वारा किये गए उ... Read more |
![]() ![]() हर वस्तु अपनी संरचना में जटिल और संश्लिष्ट होती है क्योंकि उसके अनेक पक्ष और आयाम होते हैं |चूँकि हमारी दृष्टि और भाषा दोनों की एक सीमा है इसलिए एक समय में हम किसी वस्तु का एक ही आयाम या पक्ष ग्रहण कर पाते हैं क्योंकि जब हम उसका एक आयाम पकड़ते हैं तो दूसरा छूट जाता है और दू... Read more |
![]() ![]() विवाह एक महत्वपूर्ण सामाजिक संस्था है जिसका उद्देश्य व्यक्ति को जैविक और सामाजिक पूर्णता प्रदान कर समाज की निरंतरता बनाये रखने के मान्यविधान को गतिशील रखना है |विभिन्न भाषाओं ,संस्कृति और जातीय वैशिष्ट्य के आधार पर विवाह के अनेक स्वरूप और रीतियाँ प्रचलित हैं लेक... Read more |
![]() ![]() दौलतमंद लोग दिलदार भी हों ऐसा कतई जरुरी नहीं है ,लेकिन असली दौलतमंद वही होते हैं जिनके पास दिल की दौलत होती है |क्योंकि दौलत तो तिकड़म करके भी हासिल हो सकती है लेकिन दिलदारी संस्कारों से ही मिलती है |दौलत यों तो हरेक की चाहत और जरुरत है लेकिन दौलतमंदों में दौलत की ख्वाहिश ... Read more |
![]() ![]() बाराती का नाम जेहन में आते ही शरीर में सिहरन-सी दौड़ जाती है |बाराती की अपनी ही निराली शान होती है |जैसे वसंत ऋतू में युवा-बूढ़े सबकी आँखों में एक गुलाबी खुमार होता है और मन में उल्लास की नदी अपने तटों को तोड़ती बहती है वैसी ही मनोदशा एक बाराती की होती है |उसकी शान और ठाठबाट का... Read more |
![]() ![]() विज्ञानवेत्ता या विज्ञानविद सामान्यतः वे लोग कहलाते हैं जो विज्ञान की गहरी जानकारी रखते हैं या विज्ञान के अंतर्गत किसी विषय का विशद अनुप्रयोगात्मक ज्ञान रखते हैं |हालाँकि हर विज्ञानविद को विज्ञान की अपनी समझ को दैनंदिन व्यवहार में अपनाना चाहिए लेकिन दुर्भाग्यवश ... Read more |
![]() ![]() सपने सभी देखते हैं ,आम भी और खास भी |कुछ खुली आँखों से सपने देखते हैं और कुछ बंद आँखों से |सपनों की अपनी दुनियां है ,सजीली और नयनाभिराम |महात्मा गाँधी ने भी एक सपना देखा था |एक ऐसे आत्मनिर्भर और शोषणमुक्त भारत का सपना ,जिसमें समाज के निचले पायदान पर खड़े अंतिम व्यक्ति को ... Read more |
![]() ![]() सलूनो ,भुजरिया और चांदमारी के इस त्रिकोण का सामाजिक ,सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व है |सलूनो या रक्षाबंधन का महात्म्य तो सर्वविदित है |इसके आयोजन के उद्देश्य का निरूपण करने वाली अनेक लोक कथाएं प्रचलित हैं ,जिनमें पाठभेद और कथाभेद दोनों मिलता है |लेकिन कलेवर विस्तार के ... Read more |
![]() ![]() चार राज्यों में चुनावी बिगुल बजने के साथ ही सियासी हलचलों का दौर शुरू हो गया |चुनाव जो लोकतंत्र का महापर्व है,कुछ लोगों के लिए उत्सव जैसा है |चुनाव से जुड़े कारोबारियों के चेहरे खिल गए हैं और जिन सैंकड़ों लोगों का बिना मेहनत की रोटी का जुगाड़ हो गया है ,उनकी वाछें खिल उ... Read more |
![]() ![]() भ्रष्टाचार बढ़ रहा यों ,ज्यों सुरसा का विस्तार |नेताओं की माया से भगवान भी गया हार ||अग्निमुखी,कलियुगी देव सब चट कर जाते हैं |बड़े चाव से चारा और कोयला खाते हैं ||बेशर्मी भी इन बेशर्मों से शरमाती है |हिन्स्रपशु से भी निकृष्ट ध... Read more |
![]() ![]() चालीस-आठ लाशों के ऊँचे ढेर पर |कुछ तो बोलो ,इस प्रायोजित अंधेर पर ||भाजपा, सपा, बसपा सारे हैं मौन |है धुला दूध का बोलो इनमें कौन ||सेंके सबने इस दावानल में हाथ |है दिया आततायी लोगों का साथ ||सबने मिल रौंदी भाईचारे की छ... Read more |
![]() ![]() नफरत की विषबेल ये ,यहाँ किसने आकर बोई |लहू बहा है किसका ,देख बता सकता क्या कोई ?छोटी-छोटी बातों को ,फिर तूल दे रहे लोग |यह सोची-समझी साजिश है,नहीं महज संयोग ||सिर पर देख चुनाव ,सियासी लोग चल गए चाल |जाति,धर्म की चिंगारी ,दी जानबूझ कर डाल ||कितने मासूमों ने अपने अभिभावक खोय... Read more |
![]() ![]() जैन-जाग्रति के पुरस्कर्ताओं की पंक्ति में एक उल्लेखनीय नाम स्यादवादवारिधि,वादीगजकेशर,न्यायवाचस्पति,गुरुवर्य पंडित गोपालदास वरैया का है |पंडित जी का जन्म विक्रम संवत १९२३ में आगरा में श्री लक्ष्मण दास जी जैन के घर हुआ था |आपके पिता की आर्थिक स्थिति बहुत सामान्य थी |ज... Read more |
![]() ![]() बीन बजी ,फिर खुला पिटारादेखें,किसके हैं पौ -बारह /किसने खायी दूध-मलाईदिन दूनी और रात चौगुनी ,किसने करी कमाई भाई /किसने पहनी हैं मालाएं नोटों की ,किसके चर्चे हैंकिसने स्टेचू बनवाकर ,जनता के पैसे खर्चे हैं /भरमा रहा कौन जनता को ,कौन कर रहा झूठे वादेआस्तीन में सांप छिपाएकिसक... Read more |
![]() ![]() बूढ़े लोग सामान्यतः अनुवभ-दम्भी होते हैं |अपने जीवन भर के संचित अनुभवों की गठरी का भारी बोझ अकेले ढोना उनके लिए कष्टदायक होता है इसलिए वे इष्ट जनों के साथ अपने इन अनुभवों को बाँट कर सहनीय सीमा तक हल्का कर लेना चाहते हैं |इस मामले में उनकी सबसे ज्यादा अपेक्षा परिजनों से ... Read more |
![]() ![]() क्या जाने वह ,भला भूख की आग कभी भाग्य का छल कर ,कभी बाहुबल से हड़पा हो जिसने औरों का भाग |यह नहीं विधाता का कोई अभिशाप ,दंड जिंदा शैतानों के हाथों का खेल है ;यह है अमोघ उपकार सेठ ,श्रीमंतों का उनकी रोपी, पोषी,रक्षित विषवेल है |शस्त्रों,शास्त्रों के बल पर न्यायोचि... Read more |
![]() ![]() लहार के विषय में किम्वदंती है यह स्थान महाभारत में वर्णित लाक्षागृह रहा है तथा लाख की तीव्र गंध वातावरण में व्याप्त रहने के कारण यह कालांतर में लहार नाम से जाना गया |क्योंकि लहार शब्द का अर्थ ही स्थानीय बोली में तीव्र गंध है और इस अर्थ में यह शब्द यहाँ आज भी प्रचलित है |ल... Read more |
![]() ![]() आधार बना सहजीवन को ,निज अनुशासन में बद्ध रहें /कर्तव्यों के परिपालन में ,नित सजग और सन्नद्ध रहें /वंदन उनका, जिन्हने जग कोसामाजिक न्याय सिखाया है /कथनी- करनी में भेद न कर ,भद्रोचित मार्ग दिखाया है /जो मूल्य मील के पत्थर हैं ,उनका जीवन में वरण करें /वैज्ञानिक सोच-समझ रक्खें ,... Read more |
![]() ![]() कंक्रीट के जंगल उभरे ,बढ़ी यहाँ अनियंत्रित भीड़बदन हुआ धरती का नंगा ,कहाँ बनायें पक्षी नीड़चीरहरण होना धरती का हुई आज साधारण बातअपनी वज्रदेह पर फिर भी सहती वह कितने संघातइतने उत्पीड़न ;सहकर भी जो करती अनगिन उपकारउसके ही सपूत उससे करते ऐसा गर्हित व्यवहारदोहन पर ही हम... Read more |
![]() ![]() तुम साकार आस्था हो,अभिनंदनीय होधरती के बेटे किसान तुम वंदनीय हो/बीज नहीं तुम खेतों में जीवन बोते होभैरव श्रम से कभी नहीं विचलित होते हो/वज्र कठोर,पुष्प से कोमल हो स्वभाव सेहंसकर विष भी पी जाते हो सहज भाव से/तुमने इस जग पर कितना उपकार किया हैबीहड़ बंजर धरती का श्रृंगार क... Read more |
![]() ![]() जब बदला नहीं समाज,राम की चरित कथाओं से /बदलेगा फिर बोलो कैसे गीतों,कविताओं से / /जो गिरवी रखकर कलम ,जोड़ते दौलत से यारी/वे खाक करेंगे आम आदमी की पहरेदारी / /जब तक शब्दों के साथ कर्म का योग नहीं होता/थोथे शब्दों का तब तक कुछ उपयोग नहीं होता// .व्यवहारपू... Read more |
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